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Showing posts from September, 2021

शहीद भगतसिंह

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शहीद भगत सिंह भारतीय क्रांतिकारी ~~~~~~~~~~ 🌹🌺🌻🙏🙏🌷🥀💐 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी... 🌹🌺🌻🙏🙏🌷🥀💐 भगत सिंह (जन्म: 28 सितम्बर १९०७, मृत्यु: २३ मार्च १९३१) भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी थे। चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इन्होंने देश की आज़ादी के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया। पहले लाहौर में साण्डर्स की हत्या और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की। इन्होंने असेम्बली में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप इन्हें २३ मार्च १९३१ को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया गया। सारे देश ने उनके इस बलिदान को अश्रुपूरित नम आंखों से बड़ी ही गम्भीरता से याद रखा। भगत सिंह ~~~~~~ जन्म स्थल : गाँव बंगा, जिला यलपुर, पंजाब (अब पाकिस्तान में) जटृ (जाट सिक्ख) मृत्यु स्थल : लाहौर जेल, पंजाब (अब प

जयदेव कपूर

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जयदेव कपूर ~~~~~~~ 💐💐💐💐 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी..... 💐💐💐💐 भारत की स्वाधीनता के लिए कई वीरों ने अपने प्राणों की आहूति दी थी। कुछ ऐसे थे जिनका नाम आज भी देशवासी लेते हैं, कुछ ऐसे थे जिनके, नाम कुछ लोगों को याद हैं और कई लोगों को उनके बारे में जानकारी नहीं है लेकिन, कुछ क्रांतिकारी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ऐसे भी हैं, जिनके बारे में कोई नहीं जानता। भारत को स्वाधीन करवाने में इन लोगों ने अनेकों यातनाएं सही, जेल गए और अपने प्राण तक बलिदान कर दिए लेकिन, इनके बारे में कोई नहीं जानता। ऐसा ही एक नाम था जयदेव कपूर। जयदेव कपूर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के महान क्रांतिकारियों में से एक थे। जयदेव कपूर का जन्म दिवाली की तिथि पर 1908 में हुआ था। उनके जन्मोत्सव पर परिवार के सदस्यों ने जमकर दीपावली मनाई थी। क्रांतिकारी जयदेव कपूर जी का जन्म दिवाली पर 1908 को हरदोई, उत्तर प्रदेश में हुआ था । उनके पिता, शालिग्राम कपूर , आर्य समाज के सदस्य थे । जयदेव ने छोटे महाराज और ठाकुर राम सिंह के संरक्षण में कुश्ती सीखी । एक किशोर के रूप में, वह ' हिंद

राजा महेंद्र प्रताप सिंह जी

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राजा महेंद्र प्रताप सिंह ~~~~~~~~~~~~ #राजा_महेंद्र_प्रताप_सिंह जी की विश्व में अनोखी विशेषताये* 1- खुद जाट धर्म से, गुरु मौला जट्ट, पत्नी जट्ट सिक्ख 2- संसार के पहले राजा जिसने अपनी सारी संपत्ति तकनीकी शिक्षा के प्रेम की वजह से महाविद्यालय को दान में दी। 3- वर्तमान में सृष्टि का लगभग 32 वर्षो का सबसे लंबा अज्ञात वास् 4- संसार का पहला व्यक्ति जिसकी बेटी ने इसलिये विवाह नहीं किया क्योंकि उसका प्रण था कि जब तक मेरे पिताजी स्वदेश वापिस नहीं आएंगे, तब तक मैं शादी नहीं करुँगी। जब पिता वापस स्वदेश आये तो इनकी पुत्री भक्ति देवी की आयु शादी की आयु से निकल चुकी थी, इसलिए वो आजीवन अविवाहित रही । 5- भारतवर्ष की गुलामी की अवधि 1235 वर्ष से ज्यादा के इतिहास में राजा साहब पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1 दिसम्बर 1915 को अफगानिस्तान में अस्थाई हिन्द सरकार बनाई। यहां वह भारत के पहले राष्ट्रपति बने और बरकतुल्लाह खां को प्रधानमंत्री बनाया । 6- सन 1929 में अफगानिस्तान में आजाद हिंद सेना की स्थापना की जिसे रास बिहारी बोस व् सुभाष चंद्र बोस ने पुनर्जीवित किया । 7- संसार संघ (यू.एन.ओ.) की स्थाप

हाड़ी रानी का बलिदान

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हाड़ी रानी का बलिदान ~~~~~~~~~~~~ 1680 ई. में जब मुगल फौज ने मुगल बादशाह औरंगज़ेब के नेतृत्व में मेवाड़ पर जगह-जगह आक्रमण किया, तो महाराणा राजसिंह के नेतृत्व में मेवाड़ी फौज ने भी मुकाबला किया। औरंगज़ेब ने अपनी सेना को कई टुकड़ों में बांट रखा था, ऐसे में महाराणा राजसिंह ने एक बादशाही फौज से लड़ने के लिए सलूम्बर रावत रतनसिंह चुण्डावत को तुरंत बुलावा भिजवाया। कुछ इतिहासकारों ने यह घटना चारूमति विवाह प्रकरण के दौरान होना बताई है, जो कि सही नहीं है, क्योंकि उस समय मुगल-मेवाड़ युद्ध हुआ ही नहीं था। इस संबंध में पहले ही चारुमती प्रकरण में लिखा जा चुका है कि महाराणा राजसिंह ने औरंगज़ेब को स्वयं पत्र लिखकर कहा था कि किशनगढ़ में हुए विवाह में कोई फसाद नहीं हुआ। इसलिए निश्चित तौर पर यह घटना 1680 ई. की है। रावत रतनसिंह चुण्डावत का विवाह कुछ दिन पूर्व ही बूंदी की हाड़ी राजकुमारी इंद्र कंवर से हुआ था। कहीं कहीं इनका नाम सहल कंवर भी लिखा है। रावत रतनसिंह इस विवाह के बाद प्रेम को कर्तव्य से अधिक महत्व देने लगे। महाराणा राजसिंह का संदेश लेकर एक दूत सलूम्बर के महलों में आया और समाचार सुनाया क

श्री कुप्पाहाली सीतारमय्या सुदर्शन जी

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पांचवें सरसंघचालक श्री कुप्पाहाली सीतारमय्या सुदर्शन जी ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ *शत्-शत् नमन 18 जून/ जन्मदिवस  नवीन सोच के धनी: श्री के० सी० सुदर्शन जी।* श्री कुप्पाहाली सीतारमय्या सुदर्शन (१८ जून १९३१-१५ सितंबर २०१२) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पाँचवें सरसंघचालक थे। मार्च २००९ में श्री मोहन भागवत को छठवाँ सरसंघचालक नियुक्त कर स्वेच्छा से पदमुक्त हो गये। 15 सितम्बर 2012 को अपने जन्मस्थान रायपुर में 81 वर्ष की अवस्था में इनका निधन हो गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पांचवें सरसंघचालक श्री के० सी० सुदर्शन जी मूलतः तमिलनाडु और कर्नाटक की सीमा पर बसे कुप्पहल्ली (मैसूर) ग्राम के निवासी थे। कन्नड़ परम्परा में सबसे पहले गांव, फिर पिता और फिर अपना नाम बोलते हैं। उनके पिता श्री सीतारामैया वन-विभाग की नौकरी के कारण अधिकांश समय मध्यप्रदेश में ही रहे और वहीं रायपुर (वर्तमान छत्तीसगढ़) में १८ जून, १९३१ को श्री सुदर्शन जी का जन्म हुआ। तीन भाई और एक बहन वाले परिवार में सुदर्शन जी सबसे बड़े थे। रायपुर, दमोह, मंडला तथा चन्द्रपुर में प्रारम्भिक शिक्षा पाकर उन्हो

लांस नायक करम सिंह

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साथियों, "मन की बात" कार्यक्रम में हमारे महान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा था, बल्कि एक आग्रह किया था  कि ..... "मैं, देख रहा हूँ कि, आज देश भर में लोग कारगिल विजय को याद कर रहे है | Social Media पर एक hashtag #courageinkargil के साथ लोग अपने वीरों को नमन कर रहें हैं, जो शहीद हुए हैं उन्हें श्रद्धांजलि दे रहें हैं | मैं, आज, सभी देशवासियों की तरफ से, हमारे इन वीर जवानों के साथ-साथ, उन वीर माताओं को भी नमन करता हूँ, जिन्होंने, माँ-भारती के सच्चे सपूतों को जन्म दिया | मेरा, देश के नौजवानों से आग्रह है, कि, आज दिन-भर कारगिल विजय से जुड़े हमारे जाबाजों की कहानियाँ, वीर-माताओं के त्याग के बारे में, एक-दूसरे को बताएँ, share करें | मैं, साथियो, आपसे एक आग्रह करता हूँ - आज | एक Website है www.gallantryawards.gov.in आप उसको ज़रूर Visit करें | वहां आपको, हमारे वीर पराक्रमी योद्धाओं के बारे में, उनके पराक्रम के बारे में, बहुत सारी जानकारियां प्राप्त होगी, और वो जानकारियां, जब, आप, अपने साथियों के साथ चर्चा करेंगे - उनके लिए भी प्रेरणा का कारण बनेगी | आप ज़रूर

दुर्गा भाभी

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🙏🙏 तुम भूल ना जाओ उनको, इस लिए लिखी ये कहानी, ......... 🙏🙏 यह दुर्गा भाभी हैं, वही दुर्गा भाभी जिन्होंने साण्डर्स वध के बाद राजगुरू और भगतसिंह को लाहौर से अंग्रेजो की नाक के नीचे से निकालकर कोलकत्ता ले गयी थी। इनके पति क्रन्तिकारी भगवती चरण वोहरा थे। ये भी कहा जाता है कि चंद्रशेखर आजाद के पास आखिरी वक्त में जो माउजर था, वो भी दुर्गा भाभी ने ही उनको दिया था। दुर्गा भाभी क्रांतिकारियों की सलाहकार व मददगार थी। 14अक्टूबर 1999 में वो इस दुनिया से गुमनाम ही विदा हो गयी कुछ एक दो अखबारों ने उनके बारे में छापा बस। आज आज़ादी के इतने साल के बाद भी न तो उस विरांगना को इतिहास के पन्नों में वो जगह मिली जिसकी वो हकदार थीं और न ही वो किसी को याद रही, चाहे वो सरकार हो या जनता। एक स्मारक का नाम तक उनके नाम पर नही है, कहीं कोई मूर्ति नहीं है उनकी। सरकार तो भूली ही जनता भी भूल गयी, उन्हें। ऐसी महान वीर वीरांगनाओं को हम सभी देशवासी शत-शत नमन करते है और भविष्य मे ऐसे तमाम वीरों और महान आत्माओं को आदर-सम्मान दिलाने के लिये प्रयासरत रहेंगे....! जय हिन्द । 🙏🙏 #VijetaMalikBJP

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया

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मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ~~~~~~~~~~~ भारत रत्न से सम्मानित सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की आज 158वीं जयंती है। उन्हीं की याद में भारत में हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे (अभियंता दिवस) मनाया जाता है। विश्वेश्वरैया शिक्षा की महत्ता को भलीभांति समझते थे। लोगों की गरीबी व कठिनाइयों का मुख्य कारण वह अशिक्षा को मानते थे। वह किसी भी कार्य को योजनाबद्ध तरीके से पूरा करने में विश्वास करते थे। यही कारण है कि उन्हें देश के एक महान इंजीनियर के तौर पर जाना जाता है।  विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर (कर्नाटक) के कोलार जिले के चिक्काबल्लापुर तालुक में 15 सितंबर, 1861 को एक तेलुगु परिवार में हुआ था। वह 100 वर्षों से अधिक जीवित रहे थे और अंत तक सक्रिय जीवन ही व्यतीत किया था। उनसे जुड़ा एक किस्सा काफी मशहूर है कि एक बार एक व्यक्ति ने उनसे पूछा, 'आपके चिर यौवन (दीर्घायु) का रहस्य क्या है?' तब डॉ. विश्वेश्वरैया ने उत्तर दिया, 'जब बुढ़ापा मेरा दरवाज़ा खटखटाता है तो मैं भीतर से जवाब देता हूं कि विश्वेश्वरैया घर पर नहीं है और वह निराश होकर लौट जाता है। बुढ़ापे से मेरी मुलाकात ही नहीं हो

हिन्दी दिवस

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हिन्दी  दिवस ~~~~~~~ हिन्दी हमारे देश की आन बान शान है, हिन्दी हमारी पहचान है जिसके माध्यम से हमारा देश विश्व में महान है, समस्त भारतवासियों को हिन्दी दिवस की मंगलकामनाएं। 14 सितम्बर को "हिन्दी दिवस" मनाया जाता हैं। 14 सितंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा ने हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया था, तभी से 14 सितंबर को "हिंदी दिवस" के रूप में मनाया जाता है। मगर "विश्व हिन्दी दिवस", ये दिन हर साल 10 जनवरी को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य हिन्दी भाषा को बढ़ावा देना और लोगों को इसके प्रति जागरूक करना है। विश्व हिन्दी दिवस का उद्देश्य विश्‍व भर में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए वातावरण निर्मित‍ करना और हिन्दी को अंतरराष्‍ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। विश्व हिन्दी दिवस की मनाने की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्‍टर मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को की थी। तभी से हर साल 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है। हिन्‍दी से जुड़ी दिलचस्प बातें ~~~~~~~~~~~~~~~ दुनिया भर में हिन्‍दी के प्रचार-प्रसार के लिए पहला विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन 10 जनवरी 1975

कैप्टन विक्रम बत्रा

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कैप्टन विक्रम बत्रा ~~~~~~~~~ परमवीर चक्र से सम्मानित पूर्व भारतीय सेना अधिकारी 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए सुनो ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी । 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 9 सितम्बर, 1974 को जन्मे कैप्टेन विक्रम बत्रा जिसे कारगिल युद्ध में कोड नेम मिला शेरशाह। कारगिल वॉर के दौरान मोर्चे पर तैनात बढ़ी हुई दाढ़ी में 24 साल का लड़का जिसने कारगिल के पांच सबसे महत्त्वपूर्ण पॉइंट जीतने में मेन रोल निभाया था।जोश से भरा हुआ, सबका चहेता, परमवीर चक्र पाने वाला आखिरी आर्मी मैन, जिसने मरने से पहले अपने बहुत से साथियों को बचाया। जिसके बारे में खुद चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ वेद प्रकाश मलिक ने कहा था कि अगर वो जिंदा वापस आता, तो इंडियन आर्मी का हेड बन गया होता। विक्रम का जिक्र आते ही ये जुमले लोगों की जुबान पर आ जाते हैं – "या तो मैं लहराते तिरंगे के पीछे आऊंगा,  या तिरंगे में लिपटा हुआ आऊंगा......  पर मैं आऊंगा जरूर ।" "ये दिल मांगे मोर" "हमारी चिंता मत करो, अपने लिए प्रार्थना करो" 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 कैप्टन विक्रम बत्रा (09 सितम्बर 1974 - 0

गणेश जी को कभी भी विदा नहीं करना चाहिए

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🙏🙏 ★आओ कुछ अच्छी बातें करें★ दोस्तों, जब भी मुझे, कोई भी अच्छी बात, सोशल मीडिया या प्रिंट मीडिया पर पढ़ने को मिलती हैं, तो वो मैं कॉपी-पेस्ट-एडिट करके आप सब तक ★आओ कुछ अच्छी बातें करें★ के तहत शेयर जरूर करती हूँ। आज भी "गणेश जी को कभी भी विदा नहीं करना चाहिए" विषय पर कुछ अच्छी बातें आपसे शेयर कर रही हूँ, इस प्राथना के साथ कि अगर आपको भी ये बातें अच्छी लगें, तो कृपया दूसरों के लिए, आगे ज़रूर शेयर करे ........ 🙏🙏 #VijetaMalikBJP 👉 *गणेश जी को कभी भी विदा नहीं करना चाहिए* 👈 ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ......क्योंकि विघ्न हरता ही अगर विदा हो गए तुम्हारे विघ्न कौन हरेगा। क्या कभी सोचा है.... गणेश प्रतिमा का विसर्जन क्यों?  अधिकतर लोग एक दूसरे की देखा-देखी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं, और 3 या 5 या 7 या 11 दिन की पूजा के उपरांत उनका विसर्जन भी करेंगे। आप सब से निवेदन है कि आप गणपति जी की स्थापना करें, पर विसर्जन नही, विसर्जन केवल महाराष्ट्र में ही होता हैं क्योंकि गणपति वहाँ एक मेहमान बनकर गये थे, वहाँ लाल बाग के राजा कार्तिकेय ने अपने भाई गणेश

यू हैव बोथ इन कलयुग

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🙏🙏 ★आओ कुछ अच्छी बातें करें★ दोस्तों, जब भी मुझे, कोई भी अच्छी बात, सोशल मीडिया या प्रिंट मीडिया पर पढ़ने को मिलती हैं, तो वो मैं कॉपी-पेस्ट-एडिट करके आप सब तक ★आओ कुछ अच्छी बातें करें★ के तहत शेयर जरूर करती हूँ। आज भी "यू हैव बोथ इन कलियुग" विषय पर कुछ अच्छी बातें आपसे शेयर कर रही हूँ, इस प्राथना के साथ कि अगर आपको भी ये बातें अच्छी लगें, तो कृपया दूसरों के लिए, आगे ज़रूर शेयर करे ........ 🙏🙏 #VijetaMalikBJP यू हैव बोथ इन कलियुग ~~~~~~~~~~~~ *मोदी और योगी के बीच का अंतर बड़े रोचक तरीके से किया गया है।* *यदि आप हिंदी में सहज हैं तो इस गद्य को जरूर पढ़ें।* *आपको  जरूर पसंद आएगा!* 👇👇* 🙏जय श्री राम 🙏 🙏जय श्री कृष्ण🙏 🌺🌻🥀🌼🌹🌷💐 *श्री राम यज्ञ से पैदा हुए थे,* *आकाश पुत्र थे।* *उनकी पत्नी सीता भूमि से पैदा हुई थी,* *भूमिजा थी,* *वन्य कन्या थी।* *राम सारी उम्र अरण्य के पशुओं और ग्राम के मानवों को मॅनेज करने में लगे रहे,* *पशुओं को इंसान बनाते रहे।* *राम ग्राम वासी भी थे और वनवासी भी।* *राम शिव भक्त भी है* *इसलिए राम के फैसलो में, भाव