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Showing posts from February, 2023

भारत रत्न नानाजी देशमुख जी

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नानाजी देशमुख ~~~~~~~~~ भारत रत्न, राष्ट्रसेवा एवं मानव कल्याण के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित करने वाले महान विचारक राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख जी को शत–शत नमन......🙏🙏 नानाजी चंडिकादास अमृतराव देशमुख एक भारतीय समाजसेवी थे। वे पूर्व में भारतीय जनसंघ के नेता थे। 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो उन्हें मोरारजी-मन्त्रिमण्डल में शामिल किया गया परन्तु उन्होंने यह कहकर कि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग सरकार से बाहर रहकर समाज सेवा का कार्य करें, मन्त्री-पद ठुकरा दिया। वे जीवन पर्यन्त दीनदयाल शोध संस्थान के अन्तर्गत चलने वाले विविध प्रकल्पों के विस्तार हेतु कार्य करते रहे। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया। अटलजी के कार्यकाल में ही भारत सरकार ने उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण स्वालम्बन के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिये पद्म विभूषण भी प्रदान किया। 2019 में उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया। “हम अपने लिए नहीं, अपनों के लिए हैं, अपने वे हैं जो सदियों से पीड़ित एवं उपेक्षित हैं।” यह कथन है युगदृष्टा चिंतक नानाजी देशमुख का। वो किसी बात को

वीर सावरकर जी

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वीर सावरकर जी ~~~~~~~~~ भारत के स्वंत्रता सेनानियों में विनायक दामोदर सावरकर, जिन्हें वीर सावरकर / Veer Savarkar के नाम से हम सब भलीभांति परिचित है। वीर सावरकर एक ऐसे सिद्धहस्त लेखक थे जब इन्होने पहली बार लेखनी चलायी तो सबसे पहले उन्होंने अंग्रेजो के दमनकारी सन 1857 के स्वंत्रता संग्राम का इतना सटीक वर्णन किया की इनके पहले ही प्रकाशन से अंगेजी सत्ता इतनी डर गयी कि यहाँ तक की अंगेजो को इनके प्रकाशन पर रोक लगाना पड़ा था। वीर सावरकर एक ऐसे देशभक्त थे जिन्होंने 1901 में इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया पर जब नाशिक में शोक सभा का आयोजन किया गया तो सबसे पहले इसका खुलकर विरोध वीर सावरकर ने ही किया था और विरोध करते हुए सावरकर ने कहा था की क्या कोई अंग्रेज हमारे देश के महापुरुषों की मृत्यु पर शोक सभा करते है। जब अंग्रेज हमारे देश में होकर भी हमारे बारे में नही सोचते, तो भला हमे दुश्मन की रानी की शोक सभा क्यों करनी चाहिए, जिसे देखकर अंग्रेजो के हाथ पाँव फुल गये। तो आईये जानते है वीर सावरकर के जीवन के बारे में ......... वीर सावरकर की जीवनी : ~~~~~~~~~~~~~~ वीर सावरकर का जन्म 28 मई,

स्वामी श्रद्धानन्द जी

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स्वामी श्रद्धानन्द जी ~~~~~~~~~~~ पूरा नाम : स्वामी श्रद्धानन्द अन्य नाम : बृहस्पति, मुंशीराम जन्म : 22 फरवरी, 1856 जन्म भूमि : जालंधर, पंजाब मृत्यु : 23 दिसम्बर, 1926 मृत्यु स्थान : चाँदनी चॉक, दिल्ली अभिभावक : पिता- लाला नानकचंद पत्नी : शिवा देवी संतान : दो पुत्र तथा दो पुत्रियाँ गुरु : स्वामी दयानन्द सरस्वती जी कर्म भूमि : भारत प्रसिद्धि : समाज सेवक तथा स्वतंत्रता सेनानी विशेष योगदान : 1901 में स्वामी श्रद्धानन्द ने अंग्रेज़ोंद्वारा जारी शिक्षा पद्धति के स्थान पर वैदिक धर्म तथा भारतीयता की शिक्षा देने वाले संस्थान "गुरुकुल" की स्थापना हरिद्वार में की। इस समय यह मानद विश्वविद्यालय है, जिसका नाम 'गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय' है। नागरिकता : भारतीय अन्य जानकारी : स्वामी श्रद्धानन्द ने दलितों की भलाई के कार्य को निडर होकर आगे बढ़ाया, साथ ही कांग्रेस के स्वाधीनता आंदोलन का बढ़-चढ़कर नेतृत्व भी किया। कांग्रेस में उन्होंने 1919 से लेकर 1922 तक सक्रिय रूप से महत्त्‍‌वपूर्ण भागीदारी की थी। स्वामी श्रद्धानन्द (अंग्रेज़ी: Swami Shraddhanand; जन्म- 22 फ़रवरी, 1856

संत शिरोमणी श्री रविदास जी

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संत शिरोमणी श्री रविदास जी ~~~~~~~~~~~~~~~ संत कुलभूषण कवि संत शिरोमणि रविदास उन महान सन्तों में अग्रणी थे जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान किया। इनकी रचनाओं की विशेषता लोक-वाणी का अद्भुत प्रयोग रही है जिससे जनमानस पर इनका अमिट प्रभाव पड़ता है। मधुर एवं सहज संत शिरोमणि रैदास की वाणी ज्ञानाश्रयी होते हुए भी ज्ञानाश्रयी एवं प्रेमाश्रयी शाखाओं के मध्य सेतु की तरह है।प्राचीनकाल से ही भारत में विभिन्न धर्मों तथा मतों के अनुयायी निवास करते रहे हैं। इन सबमें मेल-जोल और भाईचारा बढ़ाने के लिए सन्तों ने समय-समय पर महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ऐसे सन्तों में शिरोमणि रैदास का नाम अग्रगण्य है। वे सन्त कबीर के गुरूभाई थे क्योंकि उनके भी गुरु स्वामी रामानन्द थे। इनकी याद में माघ पूर्ण को रविदास जयंती मनाई जाती हैं। जीवन ~~~~ गुरू रविदास जी का जन्म काशी में हुआ था। उनके पिता का नाम संतो़ख दास (रग्घु) और माता का नाम कलसा देवी बताया जाता है। रैदास ने साधु-सन्तों की संगति से पर्याप्त व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया था। जूते बनाने का का

छत्रपति शिवाजी महाराज

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छत्रपति शिवाजी महाराज ~~~~~~~~~~~~~ मुगलों की ताकत को जिसने तलवारों पर तोला था, बोली हर हर महादेव की बच्चा–बच्चा बोला था ..... ★ छत्रपति शिवाजी महाराज की जय 🚩 शिवाजी महाराज भारतीय शासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। शिवाजी महाराज एक बहादुर, बुद्धिमान और निडर शासक थे। धार्मिक अभ्यासों में उनकी काफी रूचि थी। रामायण और महाभारत का अभ्यास वे बड़े ध्यान से करते थे। पूरा नाम   – शिवाजी शहाजी भोसले जन्म        – 19 फरवरी/10 मार्च, 1627 जन्मस्थान – शिवनेरी दुर्ग (पुणे) पिता         – शहाजी भोसले माता         – जिजाबाई शहाजी भोसले विवाह       – सइबाई के साथ मृत्यु          – 4 अप्रैल, 1680 छत्रपती शिवाजी महाराज – ~~~~~~~~~~~~~~ शाहजी भोंसले की पत्नी जीजाबाई (राजमाता जिजाऊ)की कोख से शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1627 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। (उनकी जन्मतिथि को लेकर आज भी मतभेद चल रहे है)। शिवनेरी दुर्ग पूना (पुणे) से उत्तर की तरफ़ जुन्नार नगर के पास था। उनका बचपन राजा राम, संतों तथा रामायण, महाभारत की कहानियों और सत्संग में बीता। वह सभी क

अमर बलिदानी मदनलाल ढींगरा जी

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अमर बलिदानी मदनलाल ढींगरा ~~~~~~~~~~~~~~~~~ 18 फरवरी – जन्मदिवस क्रांतिवीर मदनलाल ढींगरा।  लंदन में जा कर क्रूर कर्जन वाइली का वध किया और वहीं श्रीमद्भागवत गीता ले कर झूल गए थे फाँसी ........ जरा खुद से सोचिये कि हमको क्या क्या पढाया गया और हम क्या क्या पढ़ते रहे .. पढाया गया कि बदले अगर कहीं कहीं रटाया गया शब्द प्रयोग किया जाय तो निश्चित रुप से कुछ गलत नहीं माना जायेगा क्योंकि बिना खड्ग बिना ढाल के आज़ादी आना एक दिवस्वप्न ही होगा.. भारत को आज़ाद करवाने के लिए बलिवेदी पर चढ़ गए तमाम ज्ञात व अज्ञात वीरों की अंतहीन श्रृंखला में आज जन्मदिवस है उस महान क्रांतिकारी का जिसने ब्रिटिश धरती पर ही एक ब्रिटिश अत्याचारी का वध कर के भारत के शौर्य का वो परचम फहराया था जो आज तक ब्रिटिश लोगों को अक्षरशः याद है, भले ही भारत की सेकुलर और तथाकथित अहिंसावादी नीति के चलते उनको कुछ लोगों के प्रभाव में विस्मृत कर दिया गया हो.... ना जाने कितने फांसी पर झूले थे, कितनो ने गोलियां खाई थी क्यों झूठ बोलते हो कि चरखे से आजादी पाई थी। शहीद मदन लाल ढींगरा जन्म 18 फरवरी, 1883 फांसी 17 अगस्त, 1909 स्थान लंद

श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर जी - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दूसरे सरसंघचालक

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श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर जी - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दूसरे सरसंघचालक 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 ‘व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण’ के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित करने वाले, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक पूजनीय माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। 🙏 जन्म तिथि: 19 फरवरी 1906  रामटेक, महाराष्ट्र, भारत पुण्य तिथि:  5 जून 1973  नागपुर, महाराष्ट्र, भारत सक्रिय वर्ष: 1937-1973 संक्षिप्त जीवन वृत्त ~~~~~~~~~~ उनका जन्म फाल्गुन मास की एकादशी संवत् 1963 तदनुसार 19 फ़रवरी 1906 को महाराष्ट्र के रामटेक में हुआ था। वे अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। उनके पिता का नाम श्री सदाशिव राव उपाख्य ‘भाऊ जी’ तथा माता का श्रीमती लक्ष्मीबाई उपाख्य 'ताई’ था। उनका बचपन में नाम माधव रखा गया पर परिवार में वे मधु के नाम से ही पुकारे जाते थे। पिता सदाशिव राव प्रारम्भ में डाक-तार विभाग में कार्यरत थे परन्तु बाद में सन् 1908 में उनकी नियुक्ति शिक्षा विभाग में अध्यापक पद पर हो गयी। शिक्षा के साथ अन्य अभिरुचियाँ ~~~~~~~~~~~~~~~~~ मधु जब