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Showing posts from July, 2018

बाल गंगाधर तिलक

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बाल गंगाधर तिलक ~~~~~~~~~~ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी "स्वराज यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा " नाम – केशव, बाल (बलवंत) उपाधी - लोकमान्य पूरा नाम – लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जन्म – 23 जुलाई 1856 जन्म स्थान – चिकल गाँव रत्नागिरी, महाराष्ट्र माता-पिता – पार्वती बाई गंगाधर, गंगाधर रामचन्द्र पंत पत्नी – सत्यभामा (तापी) शिक्षा – बी.ए., एल.एल.बी. व्यवसाय – ‘मराठा’ और ‘केसरी’ पत्रिका के संस्थापक बेटे – रामचन्द्र और श्रीधर बेटियाँ – कृष्णा बाई, दुर्गा बाई और मथू बाई संगठन – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उपलब्धि – इंडियन होम रुल की स्थापना, भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के जनक, डेक्कन एजुकेशन सोसायटी के संस्थापक राष्ट्रीयता - भारतीय मृत्यु – 1 अगस्त 1920 मृत्यु स्थान – बंबई (मुम्बई), महाराष्ट्र बाल गंगाधर तिलक की जीवनी (जीवन परिचय) ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ जन्म से केशव गंगाधर तिलक, एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे। ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता हुएँ; ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारी उन्हें

मुंशी प्रेमचंद

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मुंशी प्रेमचंद | Munshi Premchand ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ जन्म ~~~ प्रेमचन्द का जन्म ३१ जुलाई सन् १८८० को बनारस शहर से चार मील दूर लमही गाँव में हुआ था। आपके पिता का नाम अजायब राय था। वह डाकखाने में मामूली नौकर के तौर पर काम करते थे। जीवन ~~~~ धनपतराय की उम्र जब केवल आठ साल की थी तो माता के स्वर्गवास हो जाने के बाद से अपने जीवन के अन्त तक लगातार विषम परिस्थितियों का सामना धनपतराय को करना पड़ा। पिताजी ने दूसरी शादी कर ली जिसके कारण बालक प्रेम व स्नेह को चाहते हुए भी ना पा सका। आपका जीवन गरीबी में ही पला। कहा जाता है कि आपके घर में भयंकर गरीबी थी। पहनने के लिए कपड़े न होते थे और न ही खाने के लिए पर्याप्त भोजन मिलता था। इन सबके अलावा घर में सौतेली माँ का व्यवहार भी हालत को खस्ता करने वाला था। शादी ~~~ आपके पिता ने केवल १५ साल की आयू में आपका विवाह करा दिया। पत्नी उम्र में आपसे बड़ी और बदसूरत थी। पत्नी की सूरत और उसके जबान ने आपके जले पर नमक का काम किया। आप स्वयं लिखते हैं, "उम्र में वह मुझसे ज्यादा थी। जब मैंने उसकी सूरत देखी तो मेरा खून सूख गया।......." उसके साथ - साथ ज

★अमर शहीद ऊधम सिंह ★

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★अमर शहीद ऊधम सिंह ★ दोस्तों, भारत के इतिहास में कुछ तारीख कभी नहीं भूली जा सकती हैं........ जैसे 31जुलाई और 13अप्रैल । 13अप्रेल 1919 को बैसाखी के पर्व कर पंजाब में अमृतसर के जलियांवाला बाग में ब्रिटिश ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर द्वारा किए गए निहत्थे मासूमों के हत्याकांड से ब्रिटिश औपनिवेशिक राज की बर्बरता का ही परिचय मिलता हैं। ऊधम सिंह जी 13अप्रैल 1919 को, उस जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के दिल दहला देने वाले, बैसाखी के दिन में वहीँ मजूद थे। ये ह्रदयविदारक घटना ऊधम सिंह जी के दिल मे घर कर गई। वह जलियावाला बाग हत्या कांड का बदला लेने का मौका ढूंढ रहे थे। यह मौका बहुत दिन बाद, लगभग 21वर्षों के बाद, 13मार्च 1940 को आया। उस दिन काक्सटन हॉल, लन्दन Caxton Hall, London में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन East India Association और रॉयल सेंट्रल एशियाई सोसाइटी Royal Central Asian Society की मीटिंग थी। लगभग शाम 4.30 बजे उधम सिंह ने पिस्तौल से 5-6 गोलियां सर माइकल ओ द्व्येर  Sir Michael O’Dwyer पर फायर किया और वहीँ उसकी मौत हो गयी। इस पर 31जुलाई 1940 को इस महान देशभक्त ऊधम सिंह जी को लन्दन के Pentonville