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Showing posts from September, 2022

शहीद भगत सिंह

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शहीद भगत सिंह भारतीय क्रांतिकारी ~~~~~~~~~~~ 🌺🌹🥀🙏🌻🌷💐 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी.. 🌺🌹🥀🙏🌻🌷💐 भगत सिंह (जन्म: 28 सितम्बर १९०७, मृत्यु: २३ मार्च १९३१) भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी थे। चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इन्होंने देश की आज़ादी के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया। पहले लाहौर में साण्डर्स की हत्या और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की। इन्होंने असेम्बली में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप इन्हें २३ मार्च १९३१ को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया गया। सारे देश ने उनके इस बलिदान को अश्रुपूरित नम आंखों से बड़ी ही गम्भीरता से याद रखा। भगत सिंह जन्म स्थल : गाँव बंगा, जिला यलपुर, पंजाब (अब पाकिस्तान में) जटृ (जाट सिक्ख) मृत्यु स्थल : लाहौर जेल, पंजाब (अब पाकिस्तान में

जसवंत सिंह जी जसोल

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जसवंत सिंह जी जसोल ~~~~~~~~~~~~~ भाजपा के संस्थापक सदस्य, मारवाड़ की माटी के लाल, पूर्व सैन्य अधिकारी, भारत के पूर्व वित्त, विदेश और रक्षा मंत्री और पूरे विश्व में अपनी विशेष पहचान रखने वाले राजस्थान के रत्न परम आदरणीय श्री जसवंत सिंह जी जसोल की पुण्यतिथि पर सादर नमन 🙏 छोटे से गांव से उठकर देश के विदेश, वित्त और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण तीनों विभाग संभालने वाले इस कद्दावर राजनेता ने कंधार एरोप्लेन हाईजैक केस में विदेश मंत्री जैसे जिम्मेदार पद पर होते हुए, स्वयं आतंकवादियों के गढ़ कंधार में जाकर अपहृत हुए भारतीय लोगों को सकुशल छुड़वाने में जो साहसिक भूमिका निभाई थी। वह एक इतिहास है। वाक्सुर लोग स्वयं अपनी खुद की बडा़ई कितनी भी कर ले, परंतु बड़ाई वह हैं, जो कि दुनिया करे, जमाना करें। जसवंत सिंह जी ने विदेश मंत्री रहते हुए जो साहसिक कार्य किया, वह हर कोई नहीं कर सकता। क्योंकि मैंने तो आज तक ना तो देखा है, ना सुना है कि कोई राजनेता खुद युद्ध या किसी आतंकवादी हमले के मोर्चे पर गया हो ? यह एक बहुत बड़ा सत्य है कि किसी आतंकवादी हमले या युद्ध के मोर्चे पर जिम्मेदार पदों पर बैठे हुए

अशोक सिंघल - विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अध्यक्ष

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अशोक सिंघल - विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अध्यक्ष ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ अस्सी के दशक के अंतिम वर्षों और बाद के दिनों में राम जन्मभूमि आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले विहिप नेता अशोक सिंघल जी। आजीवन अविवाहित और आरएसएस प्रचारक रहे सिंघल ने दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस तक कारसेवक अभियान चलाने में आका्रमक शैली अपनायी थी।   बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से धातु विज्ञान इंजीनियरिंग में स्नातक सिंघल ने अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में संगठन को आगे बढ़ाया। दुनिया भर में समर्थक बनाकर और शाखाएं लगाकर इसे अंतरराष्ट्रीय पटल पर लाने की कोशिश की। विहिप के अभियान में विदेशी समर्थकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल का जन्म 27 सितम्बर, 1926 को आगरा में एक सम्पन्न उद्योगपति परिवार में हुआ। परिवार का वातावरण धार्मिक होने के कारण उनके मन में बचपन से ही हिन्दू धर्म के प्रति प्रेम जाग्रत हो गया। उनके घर संन्यासी और धार्मिक विद्वान आते रहते थे। अशोक सिंघल आईआईटी बीएचयू के पासआउट थे। सिंघल को भारतीय शास्त्रीय संगीत में गहरी रुचि थी। इसीलिए उन्होंने हिंद

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी

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पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी 💐💐💐💐💐💐💐💐 जन्म तिथि: 25 सितम्बर 1916 पुण्य तिथि:  11 फरवरी, 1968 सक्रिय वर्ष: 1950-1968 पंडित दीनदयाल उपाध्याय (जन्म:25 सितंबर, 1916 - मृत्यु: 11 फ़रवरी 1968) भारतीय जनसंघ के नेता थे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक प्रखर विचारक, उत्कृष्ट संगठनकर्ता तथा एक ऐसे नेता थे जिन्होंने जीवनपर्यंन्त अपनी व्यक्तिगत ईमानदारी व सत्यनिष्ठा को महत्त्व दिया। वे भारतीय जनता पार्टी के लिए वैचारिक मार्गदर्शन और नैतिक प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय मज़हब और संप्रदाय के आधार पर भारतीय संस्कृति का विभाजन करने वालों को देश के विभाजन का ज़िम्मेदार मानते थे। वह हिन्दू राष्ट्रवादी तो थे ही, इसके साथ ही साथ भारतीय राजनीति के पुरोधा भी थे। दीनदयाल की मान्यता थी कि हिन्दू कोई धर्म या संप्रदाय नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय संस्कृति हैं। दीनदयाल उपाध्याय की पुस्तक एकात्म मानववाद (इंटीगरल ह्यूमेनिज्म) है जिसमें साम्यवाद और पूंजीवाद, दोनों की समालोचना की गई है। एकात्म मानववाद में मानव जाति की मूलभूत आवश्यकताओं और सृजित क़ानूनों के अनुरुप राजनीतिक कार्रवाई

मैडम भीकाजी कामा

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मैडम भीकाजी कामा ~~~~~~~~~~~~ 🇮🇳🇮🇳तिरंगे की प्रथम  #निर्माता_भीकाजी_कामा *🇮🇳🇮🇳 ****जयन्ती*** ******24 सितम्बर, 1861****** 🇮🇳🇮🇳🇮🇳 आज स्वतन्त्र भारत के झण्डे के रूप में जिस तिरंगे को हम प्राणों से भी अधिक सम्मान देते हैं, उसका पहला रूप बनाने और उसे जर्मनी में फहराने का श्रेय जिस स्वतन्त्रता सेनानी को है, उन मादाम भीकाजी रुस्तम कामा का जन्म मुम्बई के एक पारसी परिवार में 24 सितम्बर, 1861 को हुआ था। उनके पिता सोराबजी फ्रामजी मुम्बई के सम्पन्न व्यापारी थे। भीकाजी में बचपन से ही देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी थी। 1885 में भीकाजी का विवाह रुस्तमजी कामा के साथ हुआ; पर यह विवाह सुखद नहीं रहा। रुस्तमजी अंग्रेज शासन को भारत के विकास के लिए वरदान मानते थे, जबकि भीकाजी उसे हटाने के लिए प्रयासरत थीं। 1896 में मुम्बई में भारी हैजा फैला। भीकाजी अपने साथियों के साथ हैजाग्रस्त बस्तियों में जाकर सेवाकार्य में जुट गयीं। उनके पति को यह पसन्द नहीं आया। उनकी रुचि सामाजिक कार्यों में बिल्कुल नहीं थी। मतभेद बढ़ने पर मादाम कामा ने उनका घर सदा के लिए छोड़ दिया। अत्यधिक परिश्रम

राव तुलाराम जी

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राव तुलाराम ~~~~~~~ भारत की आजादी के लिए दर-दर भटकता एक महानायक ..... 🌺🌹🥀🙏🌻🌷💐 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी... 🌺🌹🥀🙏🌻🌷💐 9 दिसम्बर 1825 को जन्में राव तुलाराम जी का 23 सितंबर को हरियाणा राज्य वीर शहीद दिवस मनाता है क्योंकि 1863 मे इसी दिन राव तुला राम की मृत्यु हुई थी। हवाई मार्ग से दिल्ली आने और जाने वाले जिस सड़क का इस्तेमाल करते हैं उसका नाम है राव तुला राम मार्ग। शांति पथ से आगे बढ़ते हुए जैसे ही आप आरकेपुरम के ट्रैफिक-सिग्नल को पार करते हैं, राव तुला राम मार्ग शुरू हो जाता है, जो इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास से होते हुए गुरुग्राम (गुडगांव) की ओर बढ़ जाता है और दिल्ली-अजमेर एक्सप्रेसवे से जुड़ जाता है। इसका मतलब ये हुआ कि दुनियाभर से दिल्ली आने वाले और दिल्ली से दुनिया भर में जाने वाले बिना राव तुला राम मार्ग पर आए अपनी यात्रा पूरी नहीं कर सकते। लेकिन भागती-दौड़ती जिंदगी में शायद ही कभी आप यह जानने की कोशिश करते होंगे कि आखिर राव तुला राम थे कौन? हरियाणा का वीर शहीद ~~~~~~~~~~~~