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महाराजा सूरजमल जयन्ती दिवस

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🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 🌷*सत्य सनातन धर्म की जय हो*🌷                   🚩 🕉🔴🕉  🚩 क्या-क्या करूँ बखान,    लोहागढ़ के महाराजा सूरजमल तेरी शान का... ताना-बाना बुना हुआ है,   आगरा, कानपुर, हाथरस अलीगढ़, पानीपत और दिल्ली तक,      तेरे स्वाभिमान का... धर्म की रक्षा खातिर,     तोड दिया तूने दरवाजा लालकिले और मुगल अभिमान का... दिखा दिया था अपने तेज का ज्वर,     केवल था तू जब 18 साल का... थी जयपुर के रण में 7 राज्यों की सेनायें,      छीन लाया ईश्वरी सिंह के लिये ताज अपने गुमांन का... न छोड़े आतातायी मुगल ,     लूट लाया वैभव उजड़ते सोमनाथ का... दिल्ली और आगरा के रास्तों में,        गरजता था आतंक तेरे नाम का... कहते थे कोई भुखा शेर,       इन राहों पर हिन्दू पहरा करता था... तेरे नाम का  अटल और अजब सहासी था,   दुश्मन सेना पर छोटा सा टुकड़ा भी भारी था... तेरे नाम का  सीखा था तूने एक बकरी से,              बच्चों की खातिर शेर से भिड़ना,    था तभी जनता का सच्चा हितैषी... नहीं था सिर्फ नाम का  नहीं उठी कोई बिकने वाली कलम,     इतना डर था इतिहास के पन्नों पर तेरे नाम का... नमन तुझे मेरा बारम्बा

महाराजा सूरजमल जाट

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★महाराजा सूरजमल जाट★ *"13 फरवरी/जन्म-दिवस"* संक्षिप्त परिचय ~~~~~~~~ मुगलों के आक्रमण का प्रतिकार करने में उत्तर भारत में जिन राजाओं की प्रमुख भूमिका रही है, उनमें भरतपुर (राजस्थान) के महाराजा सूरजमल जाट का नाम बड़ी श्रद्धा एवं गौरव से लिया जाता है। उनका जन्म 13 फरवरी, 1707 में हुआ था। ये राजा बदनसिंह ‘महेन्द्र’ के दत्तक पुत्र थे। उन्हें पिता की ओर से वैर की जागीर मिली थी। वे शरीर से अत्यधिक सुडौल, कुशल प्रशासक, दूरदर्शी व कूटनीतिज्ञ थे। उन्होंने 1733 में खेमकरण सोगरिया की फतहगढ़ी पर हमला कर विजय प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने 1743 में उसी स्थान पर भरतपुर नगर की नींव रखी तथा 1753 में वहां आकर रहने लगे। महाराजा सूरजमल की जयपुर के महाराजा जयसिंह से अच्छी मित्रता थी। जयसिंह की मृत्यु के बाद उसके बेटों ईश्वरी सिंह और माधोसिंह में गद्दी के लिए झगड़ा हुआ। सूरजमल बड़े पुत्र ईश्वरी सिंह के, जबकि उदयपुर के महाराणा जगतसिंह छोटे पुत्र माधोसिंह के पक्ष में थे। मार्च 1747 में हुए संघर्ष में ईश्वरी सिंह की जीत हुई। आगे चलकर मराठे, सिसौदिया, राठौड़ आदि सात प्रमुख राजा माधोसिंह के