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Showing posts from November, 2018

क्रान्तिवीर भाई हिरदाराम

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* क्रान्तिकारी : भाई हिरदाराम * ~~~~~~~~~~~~~~~~~ भारत का चप्पा-चप्पा उन वीरों के स्मरण से अनुप्राणित है, जिन्होंने स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए अपना तन, मन और धन समर्पित कर दिया। उनमें से ही एक भाई हिरदाराम का जन्म 28 नवम्बर, 1885 को मण्डी (हिमाचल प्रदेश) में श्री गज्जन सिंह स्वर्णकार के घर में हुआ था।  उन दिनों कक्षा आठ से आगे शिक्षा की व्यवस्था मण्डी में नहीं थी। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि इन्हें बाहर भेज सके। अतः पढ़ने की इच्छा होने के बावजूद इन्हें अपने पुश्तैनी काम में लगना पड़ा। कुछ समय बाद सरला देवी से इनका विवाह हो गया। इनकी पढ़ाई के शौक को देखकर इनके पिता कुछ अखबार तथा पुस्तकें ले आते थे। उन्हीं से इनके मन में देश के लिए कुछ करने की भावना प्रबल हुई।  कुछ समय के लिए इनका रुझान अध्यात्म की ओर भी हुआ। 1913 में सान फ्रान्सिस्को में लाला हरदयाल ने ‘गदर पार्टी’ की स्थापना की तथा हरदेव नामक युवक को कांगड़ा में काम के लिए भेजा। इनका सम्पर्क हिरदाराम से हुआ और फिर मण्डी में भी गदर पार्टी की स्थापना हो गयी। 1915 में बंगाल के प्रसिद्ध क्रान्तिकारी रासबिहारी बोस जब

ज्योतिराव गोविंद राव

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ज्योतिराव गोविंदराव फुले ~~~~~~~~~~~~~~ ज्योतिराव गोविंदराव फुले (जन्म - ११ अप्रैल १८२७, मृत्यु - २८ नवम्बर १८९०), महात्मा फुले एवं ज्‍योतिबा फुले के नाम से प्रचलित 19वीं सदी के एक महान भारतीय विचारक, समाज सेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। सितम्बर १८७३ में इन्होने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाजनामक संस्था का गठन किया। महिलाओं व दलितों के उत्थान के लिय इन्होंने अनेक कार्य किए। समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे। ज्योतिराव गोविंदराव फुले जन्म : 11 अप्रैल 1827 खानवाडी, पुणे, ब्रिटिश भारत (अब महाराष्ट्र में) मृत्यु : 28 नवम्बर 1890 (उम्र 63) पुणे, ब्रिटिश भारत अन्य नाम : महात्मा फुले/ज्योतिबा फुले/ ज्योतिराव फुले धार्मिक मान्यता : सत्य शोधक समाज जीवन साथी : सावित्रीबाई फुले युग१९वी सदीं आरंभिक जीवन :- महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 1827 ई. में पुणे में हुआ था। उनका परिवार कई पीढ़ी पहले सतारा से पुणे आकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करने लगा था। इसलिए माली के काम में लगे ये लोग 'फुले' के नाम से जाने जाते थे। ज्योतिबा ने कुछ समय

प्रधानमंत्री सर, आप महान हैं

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दोस्तों,  अभी कुछ दिन पहले मुझे एक कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। इस कार्यक्रम में मुझे कुछ सम्मानित व्यक्तियों को सम्मान चिन्ह (अवार्ड) प्रदान करने थे। कल उस कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें प्राप्त हुई थी। उन्ही में से कुछ तस्वीरो में मैं कुछ सम्मानित व्यक्तियों को अवार्ड प्रदान कर रही थी। ये तस्वीरे देखते हुए मेरे मन में कुछ विचार आये। सोचा वो विचार भी आप सबके साथ भी शेयर करना चाहिये ....... दोस्तों, हम जब भी कोई अच्छा या महान कार्य करते हैं तो हमें समाज या संस्था द्वारा अक्सर सम्मान भी प्राप्त होता हैं । पर कुछ व्यक्ति ऐसा सम्मानित या महान कार्य करते हैं, मगर फिर भी उन्हें सम्मानित करने लायक ना तो हमारे पास शब्द होते हैं और ना ही उन्हें देने के लिये कोई अवार्ड । रामायण के अंतिम चरण में एक प्रसंग हैं...... लंका में रावण से युद्ध जीत कर श्री रामचन्द्र जी ..., सीता जी, लक्ष्मण, सुग्रीव, हनुमान, अंगद, विभीषण आदि के साथ अयोध्या वापस आते हैं। श्री राम चन्द्र जी का राज्याभिषेक होता हैं। राज्याभिषेक के बाद सभी मेहमानों को श्री राम भेट स्वरूप वस्त्र, आभूषण व अन्य वस्

रानी कर्णावती

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देवभूमि की वो महारानी, जिसने शाहजहां को हराया, 30 हजार मुगलों की नाक काटी ...... बहुत कम उत्तराखंडी शायद इस बात के बारे में जानते होंगे। अतीत के पन्नों से आपके लिए उत्तराखंड के शौर्य की एक दास्तान लेकर आई हूँ। मुझे यकीन है आपको ये कहानी पढ़कर गर्व होगा और आप अन्य लोगों तक उत्तराखंड की इस शौर्यगाथा को शेयर करेंगे। ये कहानी है गढ़वाल की रानी कर्णावती की। इस रानी ने मुगलों की बाकायदा नाक कटवायी थी और इसलिए कुछ इतिहासकारों ने उनका जिक्र नाक क​टी रानी या नाक काटने वाली रानी के रूप में किया है। रानी कर्णावती ने गढ़वाल में अपने नाबालिग बेटे पृथ्वीपतिशाह के बदले तब शासन का कार्य संभाला था, जबकि दिल्ली में मुगल सम्राट शाहजहां का राज था। शाहजहां के कार्यकाल के दौरान बादशाहनामा लिखने वाले अब्दुल हमीद लाहौरी ने भी गढ़वाल की इस रानी का जिक्र किया है यहां तक कि नवाब शम्सुद्दौला खान ने 'मासिर अल उमरा' में उनका जिक्र किया है। इटली के लेखक निकोलाओ मानुची जब सत्रहवीं सदी में भारत आये थे तब उन्होंने शाहजहां के पुत्र औरंगजेब के समय मुगल दरबार में काम किया था। उन्होंने अपनी किताब 'स्टोरिया ड

संविधान दिवस

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★संविधान दिवस ★ 🇮🇳🇮🇳 #Our_Great_PM 🇮🇳🇮🇳 .. " मन की बात ",  नवम्बर 2017 मेरे प्यारे देशवासियो, आज 26/11 है | 26 नवम्बर, ये हमारा संविधान दिवस है | उन्नीस सौ उनचास में,1949 में आज ही के दिन, संविधान-सभा ने भारत के संविधान को स्वीकार किया था | 26 जनवरी 1950 को, संविधान लागू हुआ और इसलिए तो हम, उसको गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं | भारत का संविधान, हमारे लोकतंत्र की आत्मा है | आज का दिन, संविधान-सभा के सदस्यों के स्मरण करने का दिन है | उन्होंने भारत का संविधान बनाने के लिए लगभग तीन वर्षों तक परिश्रम किया | और जो भी उस debate को पढ़ता है, हमें गर्व होता है कि राष्ट्र को समर्पित जीवन की सोच क्या होती है ! क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि विविधताओं से भरे अपने देश का संविधान बनाने के लिए उन्होंने कितना कठोर परिश्रम किया होगा ? सूझ-बूझ, दूर-दर्शिता के दर्शन कराए होंगे और वो भी उस समय, जब देश ग़ुलामी की जंज़ीरों से मुक्त हो रहा था | इसी संविधान के प्रकाश में संविधान-निर्माताओं , उन महापुरुषों के विचारों के प्रकाश में नया भारत बनाना,ये हम सब का दायित्व है | हमारा संविधान बहुत व

26/11

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★ 26/11 ★ आज फिर याद जहन में 26/11का मंजर आया, करने छलनी सीना सरहद पार से खंजर आया । बीती थी इक सुहानी रात नव प्रभात फूटा था, मुंबई की उस सुबह को वहसी- दरिंदों ने लूटा था । बे-गुनाह निहत्थे लोगों पर पिशाचो ने वार किया , हेमंत,सलास्कर, आप्टे जैसे सपूतों को मार दिया । लहू उबल जाता है, दिल भी भर आता है ?…. इतने बड़े देश में कोई कैसे ये कर जाता है । कितने दिनों तक प्रेम निमन्त्रण इनको बांटे जायेंगे, कब तक? ये हत्यारे हिंदुस्तान की बिरयानी खायेंगे? सदा न्याय मिले सबको, कोई कब क्या कहता है, इस दरिन्दे [कसाब} की खातिर क्या कोई सबूत रहता है । वक्त आ गया है इन दुष्टों की जड़ को खत्म करो, बन भस्मासुर इनके शिविरों को बमों से भस्म करो । तब तक ये कुत्ते की ”पाक-पूंछ ”नही कभी सीधी होगी, जब तक नही ”ब्रह्मोस ”की जद में पूरी पाक परिधि होगी । ”हमारा ” नमन उन शहीदों को जो देश पर कुर्बान गए, अब भी जागो देशवासियों यह करते वो आह्वान गए …!! दोस्तों, आज 26/11 को मुंबई हमले की 9वीं बरसी है ...... मुंबई पर हुआ 26/11 हमला एक वह दर्द है, जिसे भारत देश कभी नहीं भूलेगा। इस हमले में 164 लोगो ने अपन

मैं नारी हूँ

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★ मैं नारी हूँ ★ सदियों से सताई गई, जलाई गई, अग्निपरीक्षा देती, मैं शकुन्तला, मैं सती, मैं सीता हूं, मैं नारी हूं... मैं जगत जननी हूं, मैं विनाशनी हूं, मैं अर्धनारीश्वर की सहभागिनी हूं, मैं नारी हूं... अहिल्या की पवित्रता मैं, उमराव की पतिता मैं, गंगा की निर्मल धारा मैं, काली की ज्वाला मैं ही हूं, मैं नारी हूं... पुरुष के हृदय का वात्सल्य मैं, पुरुष का अहम् मैं, पुरुष के पुरुषत्व की पहचान मैं ही हूं, मैं नारी हूं... ब्रह्म की दुलारी मैं, विष्णु की प्यारी मैं, परम शिव की अखंड शक्ति मैं ही हूं, मैं नारी हूं... मां की ममता मैं,रिश्तों का अपनत्व मैं, एक प्रेमी का प्रेम मैं ही हूं, मैं नारी हूं... सतयुग की शकुन्तला मैं, त्रेता की सीता मैं, द्वापर की द्रौपदी मैं, कलयुग की कल्पना मैं ही हूं, मैं नारी हूं... सौन्दर्य की देवी मैं, प्रेम का प्रतीक मैं, ज्ञान का अकूत भंडार मैं, सर्वहृदय में बसा स्नेह मैं ही हूं, मैं नारी हूं... प्रेम में डूबी वैरागन मीरा मैं, विरह में तड़पती अभागन राधा मैं, पंचवीरों के वीरता की पहचान पांचाली मैं ही हूं, मैं नारी हूं... मंदिरों में पूजी

सर छोटूराम

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राव बहादुर सर छोटूराम ~~~~~~~~~~~~~ जन्म : 24 नवम्बर 1881 रोहतक जिला , हरयाणा मृत्यु : 9 जनवरी 1945 (उम्र 63) लहौर, पंजाब, ब्रिटिश इंडिया राजनैतिक पार्टी : यूनियनिस्ट पार्टी विद्या : अर्जनसेंट स्टीफन कालेज धर्म : हिन्दू वेबसाइट : www.sirchhoturam.com सर छोटूराम का जन्म २४नवम्बर १८८१ में झज्जर के छोटे से गांव गढ़ी सांपला में बहुत ही साधारण परिवार में हुआ (झज्जर उस समय रोहतक जिले का ही अंग था)। छोटूराम का असली नाम राय रिछपाल था। अपने भाइयों में से सबसे छोटे थे इसलिए सारे परिवार के लोग इन्हें छोटू कहकर पुकारते थे। स्कूल रजिस्टर में भी इनका नाम छोटूराम ही लिखा दिया गया और ये महापुरुष छोटूराम के नाम से ही विख्यात हुए। उनके दादाश्री रामरत्‍न के पास 10 एकड़ बंजर व बारानी जमीन थी। छोटूराम जी के पिता श्री सुखीराम कर्जे और मुकदमों में बुरी तरह से फंसे हुए थे। आरंभिक शिक्षा :- ~~~~~~~~~ जनवरी सन् १८९१ में छोटूराम ने अपने गांव से 12 मील की दूरी पर स्थित मिडिल स्कूल झज्जर में प्राइमरी शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद झज्जर छोड़कर उन्होंने क्रिश्‍चियन मिशन स्कूल दिल्ली में प्रवेश लिया। लेकिन फी