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Showing posts from October, 2022

स्वामी दयानन्द सरस्वती जी

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स्वामी दयानन्द सरस्वती  ~~~~~~~~~~~~~ भारत प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों का देश रहा है । भगवान ने अनेक बार स्वयं अवतार लेकर इस भूमि को पवित्र किया है । राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर के रूप में इस धरती का परम कल्याण किया है । अनेक महान आध्यात्मिक गुरु उच्च कोटि के संत और समाज सुधारक इस देश में हुए । नव जागरण क्य शंख नाद करने वाले राजा राम मोहनराय, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानन्द की भांति ही स्वामी दयानन्द का नाम भी अग्रगण्य है । स्वामी दयानन्द सरस्वती का जन्म गुजरात के भूतपूर्व मोरवी राज्य के टकारा गाँव में 12 फरवरी 1824 (फाल्गुन बदि दशमी संवत् 1881) को हुआ था।  मूल नक्षत्र में जन्म लेने के कारण आपका नाम मूलशंकर रखा गया।  आपके पिता का नाम अम्बाशंकर था। आप बड़े मेधावी और होनहार थे।  मूलशंकर बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे।  दो वर्ष की आयु में ही आपने गायत्री मंत्र का शुद्ध उच्चारण करना सीख लिया था। घर में पूजा-पाठ और शिव-भक्ति का वातावरण होने के कारण भगवान् शिव के प्रति बचपन से ही आपके मन में गहरी श्रद्धा उत्पन्न हो गयी। अत: बाल्यकाल में आप शंकर के भक्त थे।  कुछ बड़ा होने

डॉ• होमी जहाँगीर भाभा

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वैज्ञानिक डॉ• होमी जहांगीर भाभा ★★★★★★★★★ जन्म: 30 अक्टूबर 1909, मुंबई कार्य/पद: भारत के परमाणु उर्जा कार्यक्रम के जनक ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ होमी जहांगीर भाभा भारत के महान परमाणु वैज्ञानिक थे। उन्हे भारत के परमाणु उर्जा कार्यक्रम का जनक कहा जाता है। उन्होंने देश के परमाणु कार्यक्रम के भावी स्वरूप की ऐसी मजबूत नींव रखी, जिसके चलते भारत आज विश्व के प्रमुख परमाणु संपन्न देशों की कतार में खड़ा है। मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से परमाणु क्षेत्र में अनुसंधान का कार्य शुरू वाले डॉ भाभा ने समय से पहले ही परमाणु ऊर्जा की क्षमता और विभिन्न क्षेत्रों में उसके उपयोग की संभावनाओं को परख लिया था। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान के क्षेत्र में उस समय कार्य आरम्भ किया जब अविछिन्न शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान नहीं के बराबर था और नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था। उन्होंने कॉस्केट थ्योरी ऑफ इलेक्ट्रान का प्रतिपादन करने साथ ही कॉस्मिक किरणों पर भी काम किया जो पृथ्वी की ओर आते हुए वायुमंडल में प्रवेश करती है। उन्होंने ‘टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिस

बन्दा सिंह बहादुर जी

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वीर बन्दा बहादुर सिंह बैरागी ~~~~~~~~~~~~~~~~ 🌺🌹🥀🌷🙏🌻🌼⚘💐 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी... 🌺🌹🥀🌷🙏🌻🌼⚘💐 !! “वीर बन्दा सिंह बहादुर बैरागी” जन्म दिवस पर उन्हें शत्-शत् नमन !! 🙏🙏 “बन्दा सिंह बहादुर बैरागी” एक सिख सेनानायक थे। उन्हें बन्दा बहादुर, लक्ष्मन दास भी कहते हैं। बन्दा बहादुर (जन्म - 27 अक्टूबर, 1670, राजौरी; मृत्यु - 9 जून, 1716, दिल्ली) प्रसिद्ध सिक्ख सैनिक और राजनीतिक नेता थे। वे भारत के मुग़ल शासकों के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने वाले पहले सिक्ख सैन्य प्रमुख थे, जिन्होंने सिक्खों के राज्य का अस्थायी विस्तार भी किया। उन्होंने मुग़लों के अजेय होने के भ्रम को तोड़ा, मुगलों से छोटे साहबज़ादों की शहादत का बदला लिया और गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा संकल्पित प्रभुसत्ता सम्पन्न लोक राज्य की राजधानी लोहगढ़ में ख़ालसा राज की नींव रखी। यही नहीं, उन्होंने गुरु नानक देव और गुरू गोबिन्द सिंह के नाम से सिक्का और मोहरे जारी करके, निम्न वर्ग के लोगों को उच्च पद दिलाया और हल वाहक किसान-मज़दूरों को ज़मीन का मालिक ब

दत्तोपंत बापुराव ठेंगड़ी जी

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दत्तोपंत बापुराव ठेंगड़ी ~~~~~~~~~~~~ राष्ट्र ऋषि दत्तोपन्त ठेंगड़ी जी भारत के राष्ट्रवादी ट्रेड यूनियन नेता एवं भारतीय मजदूर संघ, स्वदेशी जागरण मंच, भारतीय किसान संघ के संस्थापक थे। दत्तोपन्त ठेंगड़ी जन्म : 10 नवम्बर 1920 आर्वी, वर्धा, महाराष्ट्र मृत्यु : 14 अक्टूबर 2004 पुणे, महाराष्ट्र, भारत मृत्यु का कारण : (महानिर्वाण) राष्ट्रीयता : भारतीय शिक्षा प्राप्त की : मॉरिस कॉलेज प्रसिद्धि कारण : संस्थापक - स्वदेशी जागरण मंच, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ माता-पिता : बापुराव दाजीबा ठेंगड़ी (पिताश्री), श्रीमती जानकी देवी (माताश्री) पुरस्कार : पद्मभूषण सम्मान, विनम्रतापूर्वक अस्वीकार किया। आने वाली शताब्दि “हिंदू शताब्दि” कहलाएगी, इस विश्वास को वैचारिक घनता प्रदान करने वाले आधुनिक मनीषी, डॉ॰ हेडगेवार, श्री गुरुजी तथा पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे द्रष्टा महापुरुषों की विचारधारा कालोचित सन्दर्भों में परिभाषित करने वाला प्रतिभाशाली भाष्यकार; मजदूरों और किसानों के कल्याण की क़ृतियोजना बनाने वाला तप:पूत कार्यकर्ता और व्यासंगी विद्वानों की समझबूझ बढाने वाला दूरदर्शी तत्वचिंतक; चुंब

भारत रत्न नानाजी देशमुख जी

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नानाजी देशमुख ~~~~~~~~~ “हम अपने लिए नहीं, अपनों के लिए हैं, अपने वे हैं जो सदियों से पीड़ित एवं उपेक्षित हैं।” : नानाजी देशमुख हमारे महान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी व भारत सरकार द्वारा भारत रत्न के लिये चुने जाने वाले, राष्ट्रसेवा एवं मानव कल्याण के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित करने वाले महान विचारक राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख जी को शत शत नमन। “हम अपने लिए नहीं, अपनों के लिए हैं, अपने वे हैं जो सदियों से पीड़ित एवं उपेक्षित हैं।” यह कथन है युगदृष्टा चिंतक नानाजी देशमुख का। वो किसी बात को केवल कहते ही नहीं थे वरन उसे कार्यरूप में परिवर्तित भी करते थे। आधुनिक युग के इस दधीचि का पूरा जीवन ही एक प्रेरक कथा है। विविध गुणों एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी नानाजी देशमुख का पूरा नाम चण्डीदास अमृतराव उपाध्याय नानाजी देशमुख था। इनका जन्म 11 अक्टूबर सन 1916 को बुधवार के दिन महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के एक छोटे से गांव कडोली में हुआ था। इनके पिता का नाम अमृतराव देशमुख था तथा माता का नाम राजाबाई था। नानाजी के दो भाई एवं तीन बहने थीं। नानाजी जब छोटे थे तभी इनके माता-पिता का देहांत हो

गुरु गोबिंद सिंह जी

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गुरु गोबिंद सिंह जी ~~~~~~~~~~ "सवा लाख से एक लड़ावाँ ताँ गोविंद सिंह नाम धरावाँ" का उद्घोष करने वाले गुरु गोबिंद सिंह जी सिखों के दसवें गुरू थे। उन्हों ही सिख समुदाय को एकजुट करके “खालसा पंथ” की स्थापना की। गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही सिखों को “पंज प्यारे” और “पंच ककार” दिए। सवा लाख से एक लड़ाऊँ, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं तबे गोबिंद सिंह नाम कहाऊं।। मानव कल्याण और धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने वाले सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी को बलिदान दिवस पर कोटि - कोटि नमन...! सिखों के दसवें गुरु, एक महान योद्धा, कवि और विचारक गोबिंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पन्थ के स्थापना की थी। उन्होंने मुगल बादशाह के साथ कई युद्ध किये और  ज्यादातर में में विजय हासिल की। उनके पिता सिक्ख धर्म के नौवे गुरु तेगबहादुर और माता गुजरी देवी थी। उन्होंने 1699 को बैसाखी वाले दिन आनन्दपुर साहिब में एक बड़ी सभा का आयोजन कर खालसा पंथ की स्थापना की थी। नौ वर्ष की उम्र में सम्भाली गद्दी ~~~~~~~~~~~~~~~~~ श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसम्बर 666 ईस्वी म

लाल बहादुर शास्त्री जी

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श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ~~~~~~~~~~~~~~~ सादा जीवन, उच्च विचार वाले प्रधानमंत्री 2 अक्टूबर, 1904  – 11 जनवरी, 1966 ★जय जवान - जय किसान★ का नारा देने वाले हमारे पूर्व-प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सात मील दूर एक छोटे से रेलवे टाउन, मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे। जब लाल बहादुर शास्त्री केवल डेढ़ वर्ष के थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। उनकी माँ अपने तीनों बच्चों के साथ अपने पिता के घर जाकर बस गईं। उस छोटे-से शहर में लाल बहादुर की स्कूली शिक्षा कुछ खास नहीं रही लेकिन गरीबी की मार पड़ने के बावजूद उनका बचपन पर्याप्त रूप से खुशहाल बीता। उन्हें वाराणसी में चाचा के साथ रहने के लिए भेज दिया गया था ताकि वे उच्च विद्यालय की शिक्षा प्राप्त कर सकें। घर पर सब उन्हें नन्हे के नाम से पुकारते थे। वे कई मील की दूरी नंगे पांव से ही तय कर विद्यालय जाते थे, यहाँ तक की भीषण गर्मी में जब सड़कें अत्यधिक गर्म हुआ करती थीं तब भी उन्हें ऐसे ही जाना पड़ता था। बड़े होने के साथ-ही लाल बहादुर शास्त्री विदेशी दासता