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Showing posts from July, 2020

अमर शहीद उधम सिंह जी

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★अमर शहीद ऊधम सिंह ★ ~~~~~~~~~~~~~~~ दोस्तों, भारत के इतिहास में कुछ तारीख कभी नहीं भूली जा सकती हैं........ जैसे 31जुलाई और 13अप्रैल । 13अप्रेल 1919 को बैसाखी के पर्व कर पंजाब में अमृतसर के जलियांवाला बाग में ब्रिटिश ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर द्वारा किए गए निहत्थे मासूमों के हत्याकांड से ब्रिटिश औपनिवेशिक राज की बर्बरता का ही परिचय मिलता हैं। ऊधम सिंह जी 13अप्रैल 1919 को, उस जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के दिल दहला देने वाले, बैसाखी के दिन में वहीँ मजूद थे। ये ह्रदयविदारक घटना ऊधम सिंह जी के दिल मे घर कर गई। वह जलियावाला बाग हत्या कांड का बदला लेने का मौका ढूंढ रहे थे। यह मौका बहुत दिन बाद, लगभग 21वर्षों के बाद, 13मार्च 1940 को आया। उस दिन काक्सटन हॉल, लन्दन Caxton Hall, London में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन East India Association और रॉयल सेंट्रल एशियाई सोसाइटी Royal Central Asian Society की मीटिंग थी। लगभग शाम 4.30 बजे उधम सिंह ने पिस्तौल से 5-6 गोलियां सर माइकल ओ द्व्येर  Sir Michael O’Dwyer पर फायर किया और वहीँ उसकी मौत हो गयी। इस पर 31जुलाई 1940 को इस महान देशभक्त ऊधम सि

मुंशी प्रेमचंद जी

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मुंशी प्रेमचंद | Munshi Premchand ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ जन्म ~~~ प्रेमचन्द का जन्म ३१ जुलाई सन् १८८० को बनारस शहर से चार मील दूर लमही गाँव में हुआ था। आपके पिता का नाम अजायब राय था। वह डाकखाने में मामूली नौकर के तौर पर काम करते थे। जीवन ~~~~ धनपतराय की उम्र जब केवल आठ साल की थी तो माता के स्वर्गवास हो जाने के बाद से अपने जीवन के अन्त तक लगातार विषम परिस्थितियों का सामना धनपतराय को करना पड़ा। पिताजी ने दूसरी शादी कर ली जिसके कारण बालक प्रेम व स्नेह को चाहते हुए भी ना पा सका। आपका जीवन गरीबी में ही पला। कहा जाता है कि आपके घर में भयंकर गरीबी थी। पहनने के लिए कपड़े न होते थे और न ही खाने के लिए पर्याप्त भोजन मिलता था। इन सबके अलावा घर में सौतेली माँ का व्यवहार भी हालत को खस्ता करने वाला था। शादी ~~~ आपके पिता ने केवल १५ साल की आयू में आपका विवाह करा दिया। पत्नी उम्र में आपसे बड़ी और बदसूरत थी। पत्नी की सूरत और उसके जबान ने आपके जले पर नमक का काम किया। आप स्वयं लिखते हैं, "उम्र में वह मुझसे ज्यादा थी। जब मैंने उसकी सूरत देखी तो मेरा खून सूख गया।......." उसके

नेताजी सुभाषचंद्र बोस की पत्नी एमिली शेंकल

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♨♨♨ बात 1947 से पहले की है..... यह कहानी एक जर्मन महिला की है, जिनका नाम था *(Emilie Schenkl) एमिली शेंकल ......* ..... मुझे नहीं पता आपमें से कितनों ने ये नाम सुना है.... और अगर नहीं भी सुना है तो इसके लिये आप दोषी नहीं हैं। इस नाम को इतिहास के पन्नो से खुरच कर निकाल फेंका गया..... श्रीमती एमिली शेंकल ने 1937 में अंग्रेजों के आधीन भारत माँ के लाड़ले बेटे #सुभाष_चन्द्र_बोस से विवाह किया और एक ऐसे देश को ससुराल के रूप में चुना जिसने कभी अपनी इस बहू का स्वागत नहीं किया.... ना बहू के आगमन में किसी ने मंगल गीत गाये और ना उसकी बेटी के जन्म पर कोई सोहर गायी गयी....... कभी कहीं जन मानस में चर्चा तक भी नहीं हुई कि वो कैसे जीवन गुजार रही हैं....... सात साल के कुल वैवाहिक जीवन में सिर्फ 3 साल ही उन्हें अपने पति महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी के साथ रहने का अवसर मिला। फिर उन्हें और अपनी नन्हीं सी बेटी को छोड़ पति देश के लिए लड़ने चला गया........ इस वायदे के साथ कि पहले देश को आज़ाद करा लूँ....... फिर तो सारा जीवन तुम्हारे साथ बिताना ही है..... पर ऐसा हुआ नहीं औऱ 1945 में

अयोध्या का इतिहास जिसे पढ़कर आप रो पड़ेंगे

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साथियों, श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में दिनांक 5 अगस्त, 2020 के पावन दिवस पर दोपहर 12 बजकर 15 मिनट 15 सैकेंड पर हमारे महान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा शुद्ध चाँदी की ईंट रख कर भूमि पुजन किया जाएगा व उसके बाद भव्य श्रीराम मंदिर की शुरुआत होगी। ये एक ऐतिहासिक दिन होगा। इस मंदिर के निर्माण की नीव रखने के साथ ही उन सभी ज्ञात-अज्ञात वीरों, बलिदानियों की आत्मा भी बहुत प्रसन्न होगी जिन्होंने श्रीराम जी के नाम पर अपने जीवन को सदा-सदा के लिए बलिदान कर दिया और श्रीराम के चरणों मे अनन्त काल के लिए स्थान पाया ..  तो आइए जानते हैं हम सब देशवासी उन सभी श्रीराम भक्तों की गौरवगाथा को और अयोध्या के इतिहास को जिसे पढ़कर आप रो पड़ेंगे..  ★ जय श्री राम ★ 💐💐💐💐💐💐 अयोध्या का इतिहास जिसे पढ़कर आप रो पड़ेंगे। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ राममंदिर पर मुगलों और तुर्कों ने कई हमले किये लाखों हिन्दुओं ने दी अपने प्राणों की आहुति ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ जब बाबर दिल्ली की गद्दी पर आसीन हुआ उस समय राम जन्मभूमि सिद्ध महात्मा श्यामनन्द जी महाराज के अधिकार क्षेत्र में थी। महात्मा श्यामनन्द क

व्यक्तिगत रूप से हम हिन्दू सभ्यता को बचाए रखने के लिए आखिर क्या कर सकते हैं?

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🙏🙏 ★आओ कुछ अच्छी बातें करें★ दोस्तों, जब भी मुझे, कोई भी अच्छी बात, सोशल मीडिया या प्रिंट मीडिया पर पढ़ने को मिलती हैं, तो वो मैं कॉपी-पेस्ट-एडिट करके आप सब तक ★आओ कुछ अच्छी बातें करें★ के तहत शेयर जरूर करती हूँ। आज भी "व्यक्तिगत रूप से हम हिन्दू सभ्यता को बचाए रखने के लिए आखिर क्या कर सकते हैं?" विषय पर कुछ अच्छी बातें आपसे शेयर कर रही हूँ, इस प्राथना के साथ कि अगर आपको भी ये बातें अच्छी लगें, तो कृपया दूसरों के लिए, आगे ज़रूर शेयर करे ........ 🙏🙏 #VijetaMalikBJP कृपया यह लेख बार-बार पड़े जब तक समझ में ना आए, धन्यवाद… …व्यक्तिगत रूप से हम हिन्दू सभ्यता को बचाए रखने के लिए आखिर क्या कर सकते हैं?– सभ्यतागत संघर्ष को नकारना अब किसी भी हालत में सम्भव नहीं- इससे केवल सभ्यता को गर्त में धकेला ही जा सकता है। अब समय है कि हम उस खतरे को पहचानें जिसे हम ज़बरदस्ती नज़रअंदाज़ करते आ रहे हैं, और उस खतरे के निवारण के लिए कदम उठाएँ। सदियों से ब्रिटिश शासकों एवं इस्लामिक आक्रांताओं द्वारा आक्रमण और दमन का दौर झेलने के बाद कुछ दशक पहले ही हिंदू सभ्यता ने राजनै

डॉ० ए. पी. जे. अब्दुल कलाम

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डॉ० ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ~~~~~~~~~~~~~~~~ प्रसिद्ध वैज्ञानिक, लेखक, अध्येता, प्राध्यापक, एयरोस्पेस इंजीनियर व देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में राष्ट्र को अपनी सेवाएँ देने वाले भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी को उनके जन्मदिन पर हम सब भारतवासी उन्हें नमन करते हैं। मशहूर सांइटिस्ट और देश के ग्यारहवें राष्ट्रपति रह चुके डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम का नाम आज भी लोगों की जु़बा पर है। उन्होंने अपने उम्दा कार्य से युवा पीढ़ि को तरक्की की एक राह दिखाई है। वे करोड़ों लोगों के प्रेरणा स्त्रोत हैं। उन्होंने अपने जीवन में ऊंचे मुकाम तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है। जन्म - डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडू के एक छोटे से गांव धनुषकोडी में हुआ। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उनके पिता मछुआरों को नाव किराए पर देते थे। वहीं उनकी माता एक गृहिणी थीं। अखबार बेचकर की पढ़ाई - घर की आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण डॉ. कलाम को पढ़ाई करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रामेश्वरम के एक प्राथमिक स्कूल से ली। जबकि आगे की पढ़ाई के

फ्लाईंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों

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साथियों, आज "मन की बात" कार्यक्रम में हमारे महान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज कहा हैं, बल्कि एक आग्रह किया है  कि ..... "मैं, देख रहा हूँ कि, आज देश भर में लोग कारगिल विजय को याद कर रहे है | Social Media पर एक hashtag #courageinkargil के साथ लोग अपने वीरों को नमन कर रहें हैं, जो शहीद हुए हैं उन्हें श्रद्धांजलि दे रहें हैं | मैं, आज, सभी देशवासियों की तरफ से, हमारे इन वीर जवानों के साथ-साथ, उन वीर माताओं को भी नमन करता हूँ, जिन्होंने, माँ-भारती के सच्चे सपूतों को जन्म दिया | मेरा, देश के नौजवानों से आग्रह है, कि, आज दिन-भर कारगिल विजय से जुड़े हमारे जाबाजों की कहानियाँ, वीर-माताओं के त्याग के बारे में, एक-दूसरे को बताएँ, share करें | मैं, साथियो, आपसे एक आग्रह करता हूँ - आज | एक Website है www.gallantryawards.gov.in आप उसको ज़रूर Visit करें | वहां आपको, हमारे वीर पराक्रमी योद्धाओं के बारे में, उनके पराक्रम के बारे में, बहुत सारी जानकारियां प्राप्त होगी, और वो जानकारियां, जब, आप, अपने साथियों के साथ चर्चा करेंगे - उनके लिए भी प्रेरणा का कारण बनेगी |

अमर शहीद श्रीदेव सुमन जी

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अमर शहीद श्रीदेव सुमन जी ~~~~~~~~~~~~~~~ अंग्रेजी हुकूमत में हिन्दूस्तान की जनता उनकी दमनकारी नीति से तो त्रस्त थी ही, लेकिन देश के रियासतों के नवाबों तथा राजाओं ने भी जनता पर दमन और शोषण का कहर ढा रखा था। युद्ध के बहाने अभावग्रस्त प्रजा को लूटा जा रहा था। एसे समय बालक श्री दत्त ने जो बाद में श्री देव सुमन के नाम से विख्यात हुए, टिहरी रियासत के खिलाफ जनक्रान्ति का विगुल बजा कर चेतना पुंज का कार्य किया। वीर सुमन का जन्म टिहरी गढ़वाल की बमुण्ड पटृ के जौल गांव में 25 मई, 1915 को हुआ था। उनके पिता का नाम पं. हरिराम बडौनी तथा माता का नाम तारा देवी था। इनके दो बड़े भाई पं. कमलनयन बडौनी व पं. परशुराम बडौनी तथा एक बहन गायत्री देवी थी। पिता वैद्य का कार्य करते थे तथा अक्सर गांव से बाहर ही रहते थे। इसलिए पूरे परिवार की देख-रेख माता तारा देवी ही करती थी। अभी बालक सुमन 3 वर्ष का ही था कि उनके पिता का देहांत हो गया। पिता के इस आकस्मिक देहवासन से परिवार का सारा भार माता जी पर आ पड़ा। बालक सुमन ने प्राईमरी की परीक्षा चंबा स्कूल से पास की और सन 1929ई0 में टिहरी मिडिल स्कूल से हिन्दी की मि

जय हिन्दुत्व

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🙏 ★आओ कुछ अच्छी बातें करें★ दोस्तों, जब भी मुझे, कोई भी अच्छी बात, सोशल मीडिया या प्रिंट मीडिया पर पढ़ने को मिलती हैं, तो वो मैं कॉपी-पेस्ट-एडिट करके आप सब तक ★आओ कुछ अच्छी बातें करें★ के तहत शेयर जरूर करती हूँ। आज भी "हिन्दू धर्म के पतन के कारण और निवारण" विषय पर कुछ अच्छी बातें आपसे शेयर कर रही हूँ, इस प्राथना के साथ कि अगर आपको भी ये बातें अच्छी लगें, तो कृपया दूसरों के लिए, आगे ज़रूर शेयर करे ........ 🙏🙏 #VijetaMalikBJP दोस्तों,  इस लेख को लिखने का मेरा मकसद किसी धर्म या जाति की ख़िलाफ़त करने का नही हैं, बल्कि एक हिन्दू होने के नाते अपने हिन्दू धर्म को बढ़ावा और सभी हिन्दू भाइयों को एक करने का हैं । ये सभी विचार और आंकड़े भी मेरे नही हैं बल्कि आप सभी के विचारों को पढ़कर उन्हें अपने शब्दों में लिखा हैं । सभी भाइयों से अनुरोध हैं कि अगर वो मेरे विचारो से सहमत हो तो क्रप्या इसे आगे शेयर करें ....... हिन्दू धर्म के पतन के कारण और निवारण *********************************** ध्यान से पढ़ें, समझें, जीवन में उतारें !!!!! ********************************** क्योंकि, जो कर ले