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Showing posts from May, 2021

शहीद महावीर सिंह

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शहीद महावीर सिंह ~~~~~~~~~~ 💐💐🙏🙏💐💐 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी... 💐💐🙏🙏💐💐 काले पानी से भी नहीं डिगा महावीर सिंह....... आजादी के आंदोलन में वैसे तो यहां के कितने ही सपूतों ने हंसते-हंसते अपना बलिदान दिया। लेकिन एक युवा क्रांतिकारी ऐसा भी उभरा, जिसने छात्र जीवन से ही पढ़ाई लिखाई छोड़ भगत सिंह, राजगुरू जैसे बड़े क्रांतिकारियों का साथ दिया। लाहौर हाईकोर्ट ट्रिब्यूनल ने 7 अक्टूबर 1930 को भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव सहित जिन सात क्रांतिकारियों को आजन्म कारावास की सजा सुनाई थी, उसमें महावीर सिंह का नाम भी शामिल था। इस क्रांतिकारी ने मद्रास की बेलारी जेल में जड़ता व कठोरता का परिचय दिया। बाद में लाहौर षडयंत्र मामले में यह देशभक्त अंडमान में काले पानी की सेल्युलर जेल भेजा गया। यहां भी अंग्रेजों ने इस क्रांतिकारी पर बहुत जुल्म किए। ‘कालापानी’ का काला इतिहास: जानकर सिहर उठेंगे आप ••••• ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ हम जब अपने देश के स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं, तो हमें उस कालापानी की याद भी आ जाती है, जो

वीर सावरकर

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सावरकर माने तेज, सावरकर माने त्याग, सावरकर माने तप, सावरकर माने तत्व, सावरकर माने तर्क, सावरकर माने तारुण्य, सावरकर माने तीर, सावरकर माने तलवार। .......... श्री अटल बिहारी वाजपेयी #VeerSavarkar जी की जयंती पर कोटि कोटि नमन। 🙏🙏 🌺🌺🌺🌺🌺 वीर सावरकर ~~~~~~~ भारत के स्वंत्रता सेनानियों में विनायक दामोदर सावरकर, जिन्हें वीर सावरकर / Veer Savarkar के नाम से हम सब भलीभांति परिचित है। वीर सावरकर एक ऐसे सिद्धहस्त लेखक थे जब इन्होने पहली बार लेखनी चलायी तो सबसे पहले उन्होंने अंग्रेजो के दमनकारी सन 1857 के स्वंत्रता संग्राम का इतना सटीक वर्णन किया की इनके पहले ही प्रकाशन से अंगेजी सत्ता इतनी डर गयी कि यहाँ तक की अंगेजो को इनके प्रकाशन पर रोक लगाना पड़ा था। वीर सावरकर एक ऐसे देशभक्त थे जिन्होंने 1901 में इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया पर जब नाशिक में शोक सभा का आयोजन किया गया तो सबसे पहले इसका खुलकर विरोध वीर सावरकर ने ही किया था और विरोध करते हुए सावरकर ने कहा था की क्या कोई अंग्रेज हमारे देश के महापुरुषों की मृत्यु पर शोक सभा करते है। जब अंग्रेज हमारे देश में होकर भी हमारे बारे मे

महान क्रांतिकारी रास बिहारी बोस

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महान क्रांतिकारी रास बिहारी बोस ~~~~~~~~~~~~~~~~~ पूरा नाम : रास बिहारी बोस जन्म : 25 मई, 1886 जन्म भूमि  : वर्धमान ज़िला, पश्चिम बंगाल मृत्यु :  21 जनवरी, 1945 मृत्यु : स्थान टोक्यो, जापान नागरिकता : भारतीय प्रसिद्धि : वकील, शिक्षाविद और स्वतंत्रता सेनानी धर्म : हिंदू अन्य जानकारी  : रास बिहारी बोस प्रख्यात क्रांतिकारी तो थे ही, सर्वप्रथम आज़ाद हिन्द फ़ौज के निर्माता भी वही थे। रास बिहारी बोस (अंग्रेज़ी: Rash Bihari Bose  जन्म: 25 मई, 1886 - मृत्यु: 21 जनवरी, 1945) प्रख्यात वकील और शिक्षाविद थे। रास बिहारी बोस प्रख्यात क्रांतिकारी तो थे ही, सर्वप्रथम आज़ाद हिन्द फ़ौज के निर्माता भी थे। देश के जिन क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता-प्राप्ति तथा स्वतंत्र सरकार का संघटन करने के लिए प्रयत्न किया, उनमें श्री रासबिहारी बोस का नाम प्रमुख है। रास बिहारी बोस कांग्रेस के उदारवादी दल से सम्बद्ध थे। रास बिहारी बोस ने उग्रवादियों को घातक, जनोत्तेजक तथा अनुत्तरदायी आंदोलनकारी कहा। रासबिहारी बोस उन लोगों में से थे जो देश से बाहर जाकर विदेशी राष्ट्रों की सहायता से अंग्रेजों के विरुद्ध वातावरण त

महान क्रांतिकारी करतार सिंह सराभा

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महान क्रांतिकारी शहीद करतार सिंह सराभा ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ 🌺🌻🌹💐🌺🌻🌹💐🌺🌻🌹💐🌺 तुम भूल ना जाओ उनको इसलिए लिखी ये कहानी जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी 🌹🌻🌺💐🌹🌻 करतार सिंह ‘सराभा’: वह भारतीय क्रांतिकारी, जिसे ब्रिटिश मानते थे ‘अंग्रेजी राज के लिए सबसे बड़ा खतरा’! “देस नूँ चल्लो देस नूँ चल्लो देस माँगता है क़ुर्बानियाँ कानूं परदेसां विच रोलिये जवानियाँ ओय देस नूं चल्लो… ...देशभक्ति की भावना से भरे इस गीत के बोलों को सही मायने में सार्थक किया करतार सिंह सराभा ने। करतार सिंह ‘सराभा’, एक क्रांतिकारी और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, जिसने अमेरिका में रहकर भारतियों में क्रांति की अलख जगाई थी। सिर्फ 19 साल की उम्र में देश के लिए फांसी के फंदे पर झूल जाने वाले इस सपूत को उसके शौर्य, साहस, त्याग एवं बलिदान के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा।  माँ भारती की स्वाधीनता के लिए अल्पायु (19 वर्ष) में ही अपने प्राणों की आहुति देने वाले शौर्य और बलिदान के पर्याय, महान क्रांतिकारी अमर शहीद करतार सिंह सराभा जी की जयंती पर उन्हें अनंतकोटि नमन।🙏 करतार सिंह ~~~~~~ सराभा, पंजाब के

महान क्रांतिकारी सुखदेव सिंह थापर

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सुखदेव सिंह थापर ~~~~~~~~~~ 🌺🌹💐🙏💐🌹🌺 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी.. 🌺🌹💐🙏💐🌹🌺 सुखदेव (वर्ष 1907-1931) एक प्रसिद्ध भारतीय क्रांतिकारी थे, जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। वह उन महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में से हैं, जिन्होंने अपने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। इनका पूरा नाम सुखदेव थापर है और इनका जन्म 15 मई 1907 को हुआ था। इनका पैतृक घर भारत के लुधियाना शहर, नाघरा मोहल्ला, पंजाब में है। इनके पिता का नाम राम लाल था। अपने बचपन के दिनों से, सुखदेव ने उन क्रूर अत्याचारों को देखा था, जो शाही ब्रिटिश सरकार ने भारत पर किए थे, जिसने उन्हें क्रांतिकारियों से मिलने के लिए बाध्य करदिया और उन्होंने भारत को ब्रिटिश शासन के बंधनों से मुक्त करने का प्रण किया। सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) के सदस्य थे और उन्होंने पंजाब व उत्तर भारत के अन्य क्षेत्रों के क्रांतिकारी समूहों को संगठित किया। एक देश भक्त नेता सुखदेव लाहौर न

फील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा

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फील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा Field Marshal K. M. Cariappa ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ जीवनी ~~~~ जन्म: 28 जनवरी, 1899, कुर्ग, कर्नाटक मृत्यु: 15 मई, 1993, बंगलौर कार्यक्षेत्र: प्रथम भारतीय सेनाध्यक्ष, फ़ील्ड मार्शल फील्ड मार्शल कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा भारतीय सेना के प्रथम कमांडर-इन-चीफ थे। के. एम. करिअप्पा ने सन् 1947 के भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर सेना का नेतृत्व किया था। वे भारतीय सेना के उन दो अधिकारियों में शामिल हैं जिन्हें फील्ड मार्शल की पदवी दी गयी। फील्ड मार्शल सैम मानेकशा दूसरे ऐसे अधिकारी थे जिन्हें फील्ड मार्शल का रैंक दिया गया था। उनका मिलिटरी करियर लगभग 3 दशक लम्बा था जिसके दौरान 15 जनवरी 1949 में उन्हें सेना प्रमुख नियुक्त किया गया। इसके बाद से ही 15 जनवरी ‘सेना दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। करिअप्पा का सम्बन्ध राजपूत रेजीमेन्ट से था। वे सन 1953 में सेवानिवृत्त हो गये फिर भी किसी न किसी रूप में भारतीय सेना को सहयोग देते रहे। प्रारंभिक जीवन ~~~~~~~~ फील्ड मार्शल कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा का जन्म 28 जनवरी, 1899 में कर्नाटक के कोडागु (कुर्ग) में शनिवर्सांथि न

महान किसान नेता चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत

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महान किसान नेता चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ महान किसान नेता व भारतवर्ष के अन्नदाता किसानों की आवाज बाबा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत जी की 10वीं पुण्यतिथि पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि व कोटि-कोटि नमन। #जीवन_यात्रा (6 अक्टूबर 1935 – 15 मई 2011) --------------------------------------------- #किसान_मजदूर_और_कमेरे_वर्ग_के_महात्मा_की_पुण्यतिथि_पर_विशेष ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ #किसान_मसीहा_चौधरी_महेंद्र_सिंह_टिकैत का जन्म #मुजफ्फरनगर के कस्बा #सिसौली में 6 अक्टूबर 1935 में एक जाट परिवार में हुआ था। गांव के ही जूनियर हाईस्कूल में कक्षा सात तक पढ़ाई की। उनके पिता का नाम चौधरी चौहल सिंह टिकैत और माता जी श्रीमती मुख्त्यारी देवी थीं। चौधरी चौहल सिंह टिकैत बालियान खाप के चौधरी थे। चौधरी महेन्‍द्र सिंह टिकैत को एक जुझारु किसान नेता के तौर पर पूरी दुनिया जानती है लेकिन यह व्‍यक्ति एक दिन में या किसी की कृपा से 'किसानों का मसीहा' नहीं बन गया बल्कि सच तो यह है कि कभी इस शख्‍सीयत ने धूप-छांव, भूख-प्‍यास, लाठी-जेल की परवाह नहीं की। अगर अपने कदमों को किसान सं

छत्रपति सम्भा जी महाराज

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छत्रपति सम्भा जी महाराज ~~~~~~~~~~~~~~ शिवाजी के पुत्र के रूप में विख्यात संभाजी महाराज का जीवन भी अपने पिता छत्रपति शिवाजी महाराज के समान ही देश और हिंदुत्व को समर्पित रहा। सम्भाजी ने अपने बाल्यपन से ही राज्य  की राजनीतिक समस्याओं का निवारण किया था और इन दिनों में मिले संघर्ष के साथ शिक्षा-दीक्षा के कारण ही बाल शम्भुजी राजे कालान्तर में वीर संभाजी राजे बन सके थे। नाम : संभाजी उपनाम : छवा और शम्भू जी राजे जन्मदिन : 14 मई 1657 जन्मस्थान : पुरन्दर के किले में माता : सईबाई पिता : छत्रपति शिवाजी दादा : शाहजी भोसले दादी : जीजाबाई भाई : राजाराम बहन : शकुबाई, अम्बिकाबाई, रणुबाई जाधव, दीपा बाई, कमलाबाई पलकर, राज्कुंवार्बाई शिरके पत्नी : येसूबाई मित्र और सलाहकार : कवि कौशल कौशल : संस्कृत के ज्ञाता, कला प्रेमी और वीर योद्धा युद्ध : 1689 में वाई का युद्ध शत्रु : औरंगजेब मृत्यु : 11 मार्च 1689 आराध्य देव : महादेव मृत्यु का कारण औरंगजेब की दी गयी यातना उपलब्धि : औरंगजेब के सामने कभी घुटने नहीं टेके, अंतिम सांस तक योद्धा की भांति रहे हिन्दुओं के जबरन मुसलमान बन जाने

भगवान परशुराम जी

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भगवान परशुराम जी ~~~~~~~~~~~ भगवान विष्णु के छठे अवतार, सबसे बड़े शिवभक्त एवं अंतिम व भावी 'कल्कि अवतार' के गुरू/प्रशिक्षक प्रभु परशुराम जी हम सब के जीवन में व्याप्त समस्त बाधाओं, निराशाओं, अनिष्टों, शत्रुओं एवं दुःखों का समूल नाश करें; इन्हीं कामनाओं के साथ अजर, अमर परशुराम जी के प्राकट्यत्सव के पावन पर्व "अक्षय तृतीया" की आप सभी को अशेष शुभकामनायें। भगवान परशुराम ~~~~~~~~~ अन्य नाम : जमदग्नि के पुत्र होने के कारण ये 'जामदग्न्य' भी कहे जाते हैं। अवतार : विष्णु के दस अवतारों में से छठे अवतार वंश-गोत्र : भृगुवंश पिता : जमदग्नि माता : रेणुका जन्म विवरण : इनका जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था। अत: इस दिन व्रत करने और उत्सव मनाने की प्रथा है। धर्म-संप्रदाय : हिंदू धर्म परिजन : रुमण्वान, सुषेण, वसु, विश्वावसु (सभी भाई) विद्या पारंगत : धनुष-बाण, परशु अन्य विवरण : परशुराम शिव के परम भक्त थे। संबंधित लेख : जमदग्नि, रेणुका, परशु, अक्षय तृतीया। अन्य जानकारी : इनका नाम तो राम था, किन्तु शिव द्वारा प्रदत्त अमोघ परशु को सदैव धारण किये रहने के का