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Showing posts from December, 2023

विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र

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विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र (हमारे ऋषि मुनियों द्वारा किया गया अनुसंधान) ■ काष्ठा = सैकन्ड का  34000 वाँ भाग ■ 1 त्रुटि  = सैकन्ड का 300 वाँ भाग ■ 2 त्रुटि  = 1 लव , ■ 1 लव = 1 क्षण ■ 30 क्षण = 1 विपल , ■ 60 विपल = 1 पल ■ 60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट ) , ■ 2.5 घड़ी = 1 होरा (घन्टा ) ■3 होरा=1प्रहर व 8 प्रहर 1 दिवस (वार) ■ 24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार) , ■ 7 दिवस = 1 सप्ताह ■ 4 सप्ताह = 1 माह , ■ 2 माह = 1 ऋतू ■ 6 ऋतू = 1 वर्ष , ■ 100 वर्ष = 1 शताब्दी ■ 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी , ■ 432 सहस्राब्दी = 1 युग ■ 2 युग = 1 द्वापर युग , ■ 3 युग = 1 त्रैता युग , ■ 4 युग = सतयुग ■ सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = 1 महायुग ■ 72 महायुग = मनवन्तर , ■ 1000 महायुग = 1 कल्प ■ 1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ ) ■ 1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प ।(देवों का अन्त और जन्म ) ■ महालय  = 730 कल्प ।(ब्राह्मा का अन्त और जन्म ) सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यहीं है जो हमारे देश भारत में बना हुआ है । ये हमारा भारत जिस पर हमे गर्व होना

तिरुपति बालाजी का रहस्य

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तिरुपति बालाजी का रहस्य ~~~~~~~~~~~~~~ भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है तिरुपति बालाजी का मंदिर, आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। इस मंदिर में विराजमान भगवान वेंकटेश्‍वर स्‍वामी जी की मूर्ति है, जिसे भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है। तिरुपति बालाजी के ऐसे 7 रहस्य जिन्हे आप जानकर अभिभूत हो जाएंगे। यहां के सारे रहस्य का जवाब वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है। 1. मूर्ति पर लगे बाल असली है ..... भगवान वेंकटेश्‍वर स्‍वामी के मूर्ति पर लगे बाल कभी नहीं उलझते वह हमेशा मुलायम रहते हैं ऐसा क्यों होता है, इसका जवाब वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है। 2. हजारों साल से बिना तेल का जलता दिया ..... मंदिर के गर्भगृह में एक दीपक जलता है आपको जानकर हैरानी होगी कि यह दीपक हजारों सालों से ऐसे ही जल रहा है वह भी बिना तेल के यह बात काफी ज्यादा हैरान करने वाली है ऐसा क्यों है, इसका जवाब आज तक किसी के पास नहीं है 3. मंदिर के मूर्ति को पसीना आता है ..... मंदिर का गर्भगृह को ठंडा रखा जाता है, पर फिर भी मूर्ति का तापमान 110 फॉरेनहाइट रहता है, जो कि काफी रहस्यमयी बात है और उससे भी बड़ी रहस

वीर बाल दिवस

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वीर बाल दिवस  ~~~~~~~~ 26 दिसम्बर  सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह जी के दोनो छोटे साहबजादे फतह सिंह और जोरावर सिंह और गुरुजी की माता गुजरी देवी जी की शहादत दिवस को ही "वीर बाल दिवस" के रूप में मनाया जाता हैं।  जोरावर जोर से बोला  फतेह सिंह शेर सा बोला  रखो ईंटे भरो गारे  चुनों दीवार हत्यारें  निकलती सांस बोलेगी  हमारी लाश बोलेगी  यही दीवार बोलेगी  हजारो बार बोलेगी  हमारे देश की जय हो  हमारे धर्म की जय हो  गुरुग्रंथ की जय हो पितादशमेश की जय हो।  साहिब श्री गोबिंद सिंह जी के साहिबजादे फतेहसिंह जी व जोरावरसिंह जी के शहीदी दिवस पर उन्हें कोटि कोटि प्रणाम ! 🙏🙏 साहिबजादो के बलिदान का दिवस : वीर बाल दिवस  ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ 20 से 27 दिसम्बर का वह सप्ताह, जब गुरुगोविंद सिंह के परिवार ने राष्ट्र के लिए सर्वस्व समर्पित किया ......  "चार साहिबज़ादे "  शब्द का प्रयोग सिखों के दशम गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के चार सुपुत्रों - साहिबज़ादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, ज़ोरावर सिंह, व फतेह सिंह को सामूहिक रूप से संबोधित करने हेतु किया जाता है।  छोटे साहिबजादे

शहीद उधम सिंह जी

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शहीद उधम सिंह जी ~~~~~~~~~~ शहीद उधम सिंह Udham Singh एक राष्ट्रवादी भारतीय क्रन्तिकारी थे जिनका जन्म शेर सिंह के नाम से 26 दिसम्बर 1899 को सुनम, पटियाला, में हुआ था। उनके पिता का नाम टहल सिंह था और वे पास के एक गाँव उपल्ल रेलवे क्रासिंग के चौकीदार थे। सात वर्ष की आयु में उन्होंने अपने माता पिता को खो दिया जिसके कारण उन्होंने अपना बाद का जीवन अपने बड़े भाई मुक्ता सिंह के साथ 24 अक्टूबर 1907 से केंद्रीय खालसा अनाथालय Central Khalsa Orphanage में जीवन व्यतीत किया। दोनों भाईयों को सिख समुदाय के संस्कार मिले अनाथालय में जिसके कारण उनके नए नाम रखे गए। शेर सिंह का नाम रखा गया उधम सिंह और मुक्त सिंह का नाम रखा गया साधू सिंह। साल 1917 में उधम सिंह के बड़े भाई का देहांत हो गया और वे अकेले पड़ गए। उधम सिंह के क्रन्तिकारी जीवन की शुरुवात ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ उधम सिंह ने अनाथालय 1918 को अपनी मेट्रिक की पढाई के बाद छोड़ दिया। वो 13 अप्रैल 1919 को, उस जलिवाला बाग़ हत्याकांड के दिल दहका देने वाले बैसाखी के दिन में वहीँ मजूद थे। उसी समय General Reginald Edward Harry Dyer ने बाग़ के एक दरवाज़ा

बीबी हरशरण कौर जी: चमकौर की लड़ाई की अंतिम शहीद

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बीबी हरशरण कौर जी ~~~~~~~~~~~ चमकौर की लड़ाई की अंतिम शहीद चमकौर की लड़ाई में, गुरु गोबिंद सिंह जी और 40 भूखे सिंह मुगल सेना से लड़ते हैं। चमकौर के मिट्टी के किले में हुई लड़ाई 72 घंटों तक चली और इसमें कई मुगल सैनिकों और दो साहिबज़ादों के साथ गुरु गोबिंद सिंह जी के 36 साथियों की मृत्यु हो गई। सैकड़ों हजारों की सेना से लड़ते हुए, गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया। गुरु जी, पंथ खालसा (पुंज प्यारे के रूप में) के आदेशों का पालन करते हुए, भाई संगत सिंह जी को पहनने के लिए अपने कपड़े देने के बाद, भाई दया सिंह, भाई मान सिंह और एक अन्य सिंह के साथ किला छोड़ गए। केवल भाई संगत सिंह और भाई संत सिंह ने अंत तक लड़ाई लड़ी। वे भी शहीद हो गये। भाई संगत सिंह पर गुरु जी के कपड़े देखकर मुगल बहुत खुश हुए और उन्हें गुरु गोबिंद सिंह समझकर उनका सिर काट दिया और दिल्ली ले गए। हर गाँव में यह घोषणा कर दी गई कि गुरु गोबिंद सिंह की हत्या कर दी गई है, “यहाँ देखो उनका कटा हुआ सिर! उनका परिवार भी ख़त्म हो गया है। उसके दो बेटे युद्ध में मारे गये और दो छोटे बेटे भी लावारिस मर जायेंग

लिविंग रिलेशनशिप को गैरकानूनी घोषित किया जाए

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माननीय प्रधानंमत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी,  मैं विजेता मलिक, भारत सरकार से मांग करती हूं कि बॉलीवुड द्वारा फैलाए गए, लिविंग रिलेशनशिप जैसे निंदनीय रिश्तो को गैरकानूनी घोषित किया जाए, क्योंकि ये भारत की सभ्यता और संस्कृति को तार–तार करती है। कृप्या प्रधानंमत्री जी इस पर ढोस कदम उठाए और इसके खिलाफ सख्त कानून बनाए। धन्यवाद प्रधानमंत्री जी। 🙏🙏 विजेता मलिक  #VijetaMalikBJP #HamaraAppNaMoApp

भाई मरदाना जी "गुरु नानक देव जी की परछाई"

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भाई मरदाना जी  "गुरु नानक देव जी की परछाई" ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~  *नानक नाम जहाज है, चढ़ै सो उतरे पार जो श्रद्धा कर सेंवदे, गुर पार उतारणहार।।*.                               "अद्भुत समाज सुधारक, सिख पंथ के संस्थापक, भारत की समृद्ध संत परंपरा के अद्वितीय प्रतीक, अपनी वाणी के द्वारा संपूर्ण मानवता को आत्मीयता, सेवा और सद्भाव का संदेश देकर एवं अपनी यात्राओं के द्वारा पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने वाले *पूज्य श्री गुरुनानक देव जी* के 551वे प्रकाशोत्सव पर उनको शत-शत नमन 💐🙏💐।”  *आपकी शिक्षाएं हमें प्राणी मात्र के प्रति प्रेम, सेवा भाव एवं सद्भावना रखने हेतु प्रेरित करती हैं।*  आइये आज जानते हैं गुरु नानक देव जी की जयंती के शुभ अवसर पर,  गुरु नानक देव जी की परछाई "भाई मरदाना जी"  के बारे में .....  भाई मरदाना जी ना केवल एक रबाबी थे, बल्कि वह गुरु नानक जी के सच्चे मित्र भी थे, उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी गुरु नानक जी को अर्पण कर दी।   सिक्ख इतिहास में जहां गुरु नानक साहिब जी का नाम बड़ी ही श्रद्वा तथा सम्मान से लिया जाता है वहीं भाई मरदाना

श्री अरविंद घोष जी

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श्री अरविंद घोष  ~~~~~~~~~ श्री औरोबिन्दो का जन्म (अरविन्द घोष) 15 अगस्त 1872 को बंगाल प्रान्त के कलकत्ता में हुआ। एक भारतीय राष्ट्रवादी सेनानी, दर्शनशास्त्री, गुरु और एक महान कवि थे। वे ब्रिटिश राज को खत्म करने के लिए भारतीय राष्ट्रिय आन्दोलन में शामिल हुए और अन्तंत कम उम्र में ही एक ज्वलनशील और उर्जावान समाज सुधारक साबित हुए। उनकी दृष्टी में उस समय भारत का आध्यात्मिक और मानवी विकास होना बहोत जरुरी था। अरविंद घोष जीवन परिचय – पूरा नाम   - अरविंद कृष्णघन घोष जन्म        – 15 अगस्त 1872 जन्मस्थान – कोलकता (पं. बंगाल) पिता        – कृष्णघन माता        – स्वर्णलता देवी शिक्षा       – सात साल के उम्र मे शिक्षा के लिये इंग्लंड गये। सेंटपॉल स्कुल मे प्राथमिक शिक्षा और केंब्रिज किंगज मे उच्च शिक्षा ली। I.C.S. परिक्षा उत्तीर्ण पर अश्र्वारोहण के परीक्षा मे मार्क अच्छे न मिलने के वजह से उन्हें उपाधि नहीं मिल पायी। विवाह     – मृणालिनी के साथ (1901 में)। मृत्यु        – 5 दिसंबर को अरविंद घोष ये दुनिया छोड़कर चले गये। अरविन्द घोष ने इंग्लैंड में कैम्ब्रिज के किंग्स कॉलेज से भारतीत सिवि

स्वामी सत्यानन्द सरस्वती जी

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स्वामी सत्यानन्द सरस्वती जी ~~~~~~~~~~~~~~~ स्वामी सत्यानन्द सरस्वती (24 दिसम्बर 1923 – 5 दिसम्बर 2009), संन्यासी, योग गुरू और आध्यात्मिक गुरू थे। उन्होने अन्तरराष्ट्रीय योग फेलोशिप (1956) तथा बिहार योग विद्यालय (1963) की स्थापना की। उन्होंने ८० से भी अधिक पुस्तकों की रचना की जिसमें से 'आसन प्राणायाम मुद्राबन्ध' नामक पुस्तक विश्वप्रसिद्ध है। जीवन परिचय ~~~~~~~~ स्वामी सत्यानंद का जन्म 23 दिसम्बर 1923 को उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा में मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को हुआ था। उनके पिताजी ब्रिटिश शासन में पुलिस अधिकारी थे तथा उनकी माँ नेपाल के राजघराने की थीं। अपने माता-पिता की एकलौती संतान सत्यानंद ने बचपन से ही धर्म और अध्यात्म में गहरी दिलचस्पी दिखाना प्रारंभ कर दिया था। उन्हें अपने आध्यात्मिक गुरु की प्रबल तलाश थी और वह इसके लिए काफी घूमा करते थे। १८ वर्ष में उन्होने घर छोड़ दिया, १९ वर्ष की आयु में उन्हें अपने गुरु शिवानन्द सरस्वती के दर्शन हुए। १९४७ में उन्हें गुरु ने परमहंस सन्यास में दीक्षित किया। उन्होंने १२ साल गुरु की सेवा की। उसके बाद वे परिव्राजक के रूप में घूमते रहे

सूर्य नमस्कार के फायदे

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सूर्य नमस्‍कार रोजाना सिर्फ 10 मिनट करने से मिलेंगे अद्भुत चमत्कारी फायदे... सूर्य नमस्कार, योगासनों में सबसे श्रेष्ठ क्रिया है। यह अकेला अभ्यास ही साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में सहायक है। इसके अभ्यास से साधक का शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी हो जाता है। सूर्य नमस्कार, स्त्री, पुरुष, बच्चे, युवा तथा वृद्धों सभी के लिए उपयोगी है...                       ◾सूर्य नमस्कार के लाभ◾ 🔹खुले वातावरण में सूर्य नमस्कार करने से शरीर को भरपूर 🔹मात्रा में विटामिन डी मिलता है जिससे हड्डियों में ताकत आती है। 🔹वजन घटाने में यह बहुत उपयोगी है। इसके नियमित अभ्यास से डाइटिंग से भी ज्यादा फायदा पहुंचता है। 🔹नियमित रूप से इसके 12 आसनों को करने से शरीर में खून का प्रवाह सही ढंग से होता है और ब्लड प्रेशर की आशंका घटती है। 🔹क्रोध और तनाव पर काबू पाने में यह बहुत मददगार है। 🔹मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति सारा दिन तरोताजा रहता है। 🔹इससे रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है।शरीर लचीला होता है। 🔹त्वचा के लिए यह बहुत लाभदायक योगासन है।                          ◾सूर्य नमस्कार की विधि