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Showing posts from February, 2018

श्री नानाजी देशमुख जी

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श्री नानाजी देशमुख जी ~~~~~~~~~~~~ “हम अपने लिए नहीं, अपनों के लिए हैं, अपने वे हैं जो सदियों से पीड़ित एवं उपेक्षित हैं।” ........यह कथन है युगदृष्टा चिंतक नानाजी देशमुख का। वो किसी बात को केवल कहते ही नहीं थे वरन उसे कार्यरूप में परिवर्तित भी करते थे। आधुनिक युग के इस दधीचि का पूरा जीवन ही एक प्रेरक कथा है। विविध गुणों एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी नानाजी देशमुख का पूरा नाम चण्डीदास अमृतराव उपाध्याय नानाजी देशमुख था। इनका जन्म 11 अक्टूबर सन 1916 को बुधवार के दिन महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के एक छोटे से गांव कडोली में हुआ था। इनके पिता का नाम अमृतराव देशमुख था तथा माता का नाम राजाबाई था। नानाजी के दो भाई एवं तीन बहने थीं। नानाजी जब छोटे थे तभी इनके माता-पिता का देहांत हो गया। बचपन गरीबी एवं अभाव में बीता। वे बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दैनिक शाखा में जाया करते थे। बाल्यकाल में सेवा संस्कार का अंकुर यहीं फूटा। जब वे 9वीं कक्षा में अध्ययनरत थे, उसी समय उनकी मुलाकात संघ के संस्थापक डा. हेडगेवार से हुई। डा. साहब इस बालक के कार्यों से बहुत प्रभावित हुए। मैट्रिक की पढ़ाई पूरी होन

चंद्रशेखर आज़ाद - महान स्वतंत्रता सेनानी

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चंद्रशेखर आज़ाद  ~~~~~~~~~ मुछों पर ताव, कमर में पिस्टल, कांधे पर जनेऊ, शेर सी शख्सियत....... वो याद थे, वो याद हैं, वो याद ही रहेंगे, वो आज़ाद थे, आज़ाद है, आज़ाद ही रहेंगे... पंडित चंद्रशेखर आज़ाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रसिद्ध और महान क्रांतिकारी थे। 17 वर्ष के चंद्रशेखर आज़ाद क्रांतिकारी दल ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ में सम्मिलित हो गए। दल में उनका नाम ‘क्विक सिल्वर’ (पारा) तय पाया गया। पार्टी की ओर से धन एकत्र करने के लिए जितने भी कार्य हुए, चंद्रशेखर उन सबमें आगे रहे। सांडर्स वध, सेण्ट्रल असेम्बली में भगत सिंह द्वारा बम फेंकना, वाइसराय को ट्रेन बम से उड़ाने की चेष्टा, सबके नेता वही थे। इससे पूर्व उन्होंने प्रसिद्ध ‘काकोरी कांड’ में सक्रिय भाग लिया और पुलिस की आंखों में धूल झोंककर फरार हो गए। एक बार दल के लिये धन प्राप्त करने के उद्देश्य से वे गाजीपुर के एक महंत के शिष्य भी बने। इरादा था कि महंत के मरने के बाद मरु की सारी संपत्ति दल को दे देंगे। जीवन परिचय ~~~~~~~~ पूरा नाम : पंडित चंद्रशेखर तिवारी अन्य नाम : आज़ाद जन्म : 23 जुलाई, 1906 जन्म भूमि : आदिवा

वीर सावरकर - महान स्वतंत्रता सेनानी

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वीर सावरकर ~~~~~~~ भारत के स्वंत्रता सेनानियों में विनायक दामोदर सावरकर, जिन्हें वीर सावरकर / Veer Savarkar के नाम से हम सब भलीभांति परिचित है। वीर सावरकर एक ऐसे सिद्धहस्त लेखक थे जब इन्होने पहली बार लेखनी चलायी तो सबसे पहले उन्होंने अंग्रेजो के दमनकारी सन 1857 के स्वंत्रता संग्राम का इतना सटीक वर्णन किया की इनके पहले ही प्रकाशन से अंगेजी सत्ता इतनी डर गयी कि यहाँ तक की अंगेजो को इनके प्रकाशन पर रोक लगाना पड़ा था। वीर सावरकर एक ऐसे देशभक्त थे जिन्होंने 1901 में इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया पर जब नाशिक में शोक सभा का आयोजन किया गया तो सबसे पहले इसका खुलकर विरोध वीर सावरकर ने ही किया था और विरोध करते हुए सावरकर ने कहा था की क्या कोई अंग्रेज हमारे देश के महापुरुषों की मृत्यु पर शोक सभा करते है। जब अंग्रेज हमारे देश में होकर भी हमारे बारे में नही सोचते, तो भला हमे दुश्मन की रानी की शोक सभा क्यों करनी चाहिए, जिसे देखकर अंग्रेजो के हाथ पाँव फुल गये। तो आईये जानते है वीर सावरकर के जीवन के बारे में ......... वीर सावरकर की जीवनी : ~~~~~~~~~~~~~~ वीर सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को भारत के

श्रीदेवी - भारतीय फिल्म अभिनेत्री

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श्रीदेवी भारतीय फिल्म अभिनेत्री ~~~~~~~~~~~~~ श्रीदेवी (जन्म: श्री अम्मा येंजर अय्यपन; १३ अगस्त १९६३ – २४ फरवरी २०१८) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री थीं, जिन्होंने तमिल, मलयालम, तेल्गु, कन्नड़ और हिन्दी सिनेमा में काम किया था। भारतीय सिनेमा की पहली "महिला सुपरस्टार" कही जाने वाली श्रीदेवी ने पाँच फिल्मफेयर पुरस्कार भी प्राप्त किये। १९८० और १९९० के दशक में श्रीदेवी सबसे अधिक वेतन प्राप्त करने वाले अभिनेताओं में थी, और उन्हें उस युग की सबसे लोकप्रिय अभिनेत्री माना जाता है। २०१३ में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया। जन्म : श्री अम्मा यंगर अय्यपन 13 अगस्त 1963, सिवकासी, मद्रास (अभी तमिलनाडु), भारत मृत्यु : 24 फ़रवरी 2018 (उम्र 54) दुबई, संयुक्त अरब अमीरात मृत्यु का कारण : पूर्णहृदरोध व्यवसाय : अभिनेत्री, निर्माता जीवन साथी : बोनी कपूर (वि॰ 1996) बच्चे : 2 संबंधी : कपूर परिवार पुरस्कार : पद्म श्री (2013) १९७५ की फिल्म जूली से उन्होंने हिन्दी सिनेमा में बाल अभिनेत्री के रूप में प्रवेश किया था। अपनी पहली फिल्म मून्द्र्हु मुदिछु नामक तमिल में थी। श्

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद

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मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ~~~~~~~~~~~~~~~~ जन्म: 11 नवम्बर, 1888 निधन: 22 फरवरी, 1958 उपलब्धियां: 1923 और 1940 में कांग्रेस के अध्यक्ष, स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का असली नाम अबुल कलाम ग़ुलाम मुहियुद्दीन था। वह मौलाना आज़ाद के नाम से प्रख्यात थे। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। वह एक प्रकांड विद्वान के साथ-साथ एक कवि भी थे। मौलाना आज़ाद कई भाषाओँ जैसे अरबिक, इंग्लिश, उर्दू, हिंदी, पर्शियन और बंगाली में निपुण थे। मौलाना आज़ाद किसी भी मुद्दे पर बहस करने में बहुत निपुण जो उनके नाम से ही ज्ञात होता है – अबुल कलाम का अर्थ है “बातचीत के भगवान”। उन्होंने धर्म के एक संकीर्ण दृष्टिकोण से मुक्ति पाने के लिए अपना उपनाम “आज़ाद” रख लिया। मौलाना आज़ाद स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री बने। राष्ट्र के प्रति उनके अमूल्य योगदान के लिए मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को मरणोपरांत 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया । प्रारंभिक जीवन  ~~~~~~~~~ मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का में हुआ था।