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Showing posts from February, 2024

महाराजा विक्रमादित्य के नौ रत्न

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महाराजा #विक्रमादित्य के नौ रत्न ~~~~~~~~~~~~~~~~~ #नौ_रत्न महाराजा #विक्रमादित्य के नौ रत्नो का परिचय-- #अकबर के नौरत्नों से इतिहास भर दिया । पर महाराजा विक्रमादित्य के नवरत्नों की कोई #चर्चा पाठ्यपुस्तकों में नहीं है ! जबकि #सत्य यह है कि अकबर को महान सिद्ध करने के लिए महाराजा विक्रमादित्य की #नकल करके कुछ क्षत्रिय विरोधी  #धूर्तों ने इतिहास में लिख दिया कि अकबर के भी नौ रत्न थे । राजा विक्रमादित्य के नवरत्नों को जानने का प्रयास करते हैं ...✍️ #राजा_विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों के विषय में बहुत कुछ पढ़ा-देखा जाता है। लेकिन बहुत ही कम लोग ये जानते हैं कि आखिर ये नवरत्न थे कौन-कौन। राजा विक्रमादित्य के दरबार में मौजूद नवरत्नों में उच्च कोटि के कवि, विद्वान, गायक और गणित के प्रकांड पंडित शामिल थे, जिनकी योग्यता का डंका देश-विदेश में बजता था। चलिए जानते हैं कौन थे। ये हैं नवरत्न – 1–#धन्वन्तरि- नवरत्नों में इनका स्थान गिनाया गया है। इनके रचित नौ ग्रंथ पाये जाते हैं। वे सभी आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र से सम्बन्धित हैं। चिकित्सा में ये बड़े सिद्धहस्त थे। आज भी किसी

शहीद चंद्रशेखर आज़ाद जी

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अमर बलिदानी चंद्रशेखर आजाद ~~~~~~~~~~~~~~~~~ "27 फरवरी/बलिदान-दिवस"    *क्रांतिवीर चंद्रशेखर आजाद, जो सदा आजाद रहे* *भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानियों में क्रांतिवीर  चन्द्रशेखर आजाद का नाम सदा अग्रणी रहेगा। उनका जन्म 23 जुलाई, 1906 को ग्राम माबरा (झाबुआ, मध्य प्रदेश) में हुआ था। उनके पूर्वज गाँव बदरका (जिला उन्नाव, उत्तर प्रदेश) के निवासी थे; पर अकाल के कारण इनके पिता श्री सीताराम तिवारी माबरा में आकर बस गये थे।* बचपन से ही बालक चन्द्रशेखर का मन अंग्रेजों के अत्याचार देखकर सुलगता रहता था। किशोरावस्था में वे भागकर अपनी बुआ के पास बनारस आ गये और संस्कृत विद्यापीठ में पढ़ने लगे। बनारस में ही वे पहली बार विदेशी सामान बेचने वाली एक दुकान के सामने धरना देते हुए पकड़े गये। *थाने में हुई पूछताछ में उन्होंने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतन्त्रता और घर का पता जेलखाना बताया। इस पर बौखलाकर थानेदार ने इन्हें 15 बैंतों की सजा दी। हर बैंत पर ये ‘भारत माता की जय’ बोलते थे। तब से ही इनका नाम 'आजाद' प्रचलित हो गया। आगे चलकर आजाद ने सशस्त्र क्रान्ति के माध्यम से

सैल्यूट है भारत की नारी शक्ति को...

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भारत-चीन १९६२ युद्ध की झलक :-  जब भारतीय सेना ने चीन से एक अपना राज्य गँवा दिया था तब साड़ियाँ पहने - भारतीय होमगार्ड की लड़कियों ने राइफल्स उठाई और शक्तिशाली पीएलए का सामना करने का फ़ैसला किया !!  साड़ियों में ये लड़कियाँ हाथ में बंदूक़ लेकर भारत चीन का गौरवशाली इतिहास लिखने चल पड़ीं।  यह कहानी आधे से ज़्यादा भारतीयों को पता ही नहीं है।  तेज़पुर में भारतीय होमगार्ड की इन लड़कियों ने बंदूक़ें उठाई, चीन की सेना का सामना करने का निर्णय लिया और युद्ध विराम तक लड़ीं !!  इन महिलाओं ने दिखाया कि अगर देश में युद्ध की स्थिति हो तो महिलाएँ भी पुरुषों से कम नहीं हैं !! किंतु हमारे देश के वामपंथी इतिहासकारों ने इस पराक्रम को हमारे पाठ्यक्रम में कोई स्थान नहीं दिया !! सैल्यूट है भारत की नारी शक्ति को... 🙏🙏 #VijetaMalikBJP #HamaraAppNaMoApp

विजय सिंह पथिक जी

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विजय सिंह पथिक ~~~~~~~~~~ स्वतंत्रता सेनानियों में से एक विजय सिंह पथिक उर्फ़ भूप सिंह गुर्जर (जन्म: 27 फरवरी 1882, निधन: 28 मई 1954) भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्हें राष्ट्रीय पथिक के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म बुलन्दशहर जिले के ग्राम गुठावली कलाँ के एक गुर्जर परिवार में हुआ था।उनके दादा इन्द्र सिंह बुलन्दशहर स्थित मालागढ़ रियासत के दीवान (प्रधानमंत्री) थे जिन्होंने 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की थी। पथिक के पिता हमीर सिंह गुर्जर को भी क्रान्ति में भाग लेने के आरोप में सरकार ने गिरफ्तार किया था। इन पर उनकी माँ कमल कुमारी और परिवार की क्रान्तिकारी व देशभक्ति से परिपूर्ण पृष्ठभूमि का बहुत गहरा असर पड़ा। युवावस्था में ही उनका सम्पर्क रास बिहारी बोस और शचीन्द्र नाथ सान्याल आदि क्रान्तिकारियों से हो गया था। 1915 के फ़िरोज़पुर षड्यन्त्र के बाद उन्होंने अपना असली नाम भूप सिंह से बदल कर विजय सिंह पथिक रख लिया था। मृत्यु पर्यन्त उन्हें इसी नाम से लोग जानते रहे। मोहनदास करमचंद गांधी के सत्याग्रह आन्दोलन से बहुत

भारत रत्न नानाजी देशमुख जी

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भारत रत्न नानाजी देशमुख जी ~~~~~~~~~~~~~~~~ भारत रत्न, राष्ट्रसेवा एवं मानव कल्याण के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित करने वाले महान विचारक राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख जी को शत–शत नमन......🙏🙏 नानाजी चंडिकादास अमृतराव देशमुख एक भारतीय समाजसेवी थे। वे पूर्व में भारतीय जनसंघ के नेता थे। 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो उन्हें मोरारजी-मन्त्रिमण्डल में शामिल किया गया परन्तु उन्होंने यह कहकर कि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग सरकार से बाहर रहकर समाज सेवा का कार्य करें, मन्त्री-पद ठुकरा दिया। वे जीवन पर्यन्त दीनदयाल शोध संस्थान के अन्तर्गत चलने वाले विविध प्रकल्पों के विस्तार हेतु कार्य करते रहे। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया। अटलजी के कार्यकाल में ही भारत सरकार ने उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण स्वालम्बन के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिये पद्म विभूषण भी प्रदान किया। 2019 में उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया। “हम अपने लिए नहीं, अपनों के लिए हैं, अपने वे हैं जो सदियों से पीड़ित एवं उपेक्षित हैं।” यह कथन है युगदृष्टा चिंतक नानाजी देशम

शहीद तेलंगा खारिया जी

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शहीद तेलंगा खारिया जी ~~~~~~~~~~~~~ 9 फरवरी: हमारे तीर तलवार, टांगी और पत्थर तुम्हारे "कागज" के लूट के राज का जवाब है... जन्मजयंती पर नमन अत्याचारी अंग्रेजों के दांत खट्टे करने वाले वीर सपूत तेलंगा खड़िया जी को..... "जो देश अपने वीर और महान सपूतों को भूल जाता है, उस देश के आत्मसम्मान को हीनता की दीमक चट कर जाती है।" ....... याद रखना दोस्तों। हमें समय समय पर इन महान हस्तियों को याद करते रहना चाहिए। अपने बच्चों, छोटे भाई-बहनों, आदि को इन वीर सपूतों की वीर गाथाओं को समय-समय पर सुनाना चाहिए। इन अमर बलिदानियों के किस्से-कहानियों को कॉपी-पेस्ट करके अपने-अपने सोशल नेटवर्क पर डालना चाहिए व एक दूसरे को शेयर करना चाहिए, ताकि और लोगो को भी इन अमर बलिदानियों व शहीदों के बारे में पता लग सके। जो शहीद हुए हैं उनकी,  ज़रा याद करो कुर्बानी ....... 🙏🙏 आज जिस महान क्रांतिकारी की जन्मजयंती है उनका नाम भी आपके लिए नया होगा..  खैर बताएगा भी कौन ?? वो तो कदापि नहीं जिन्होंने इस बात पर अपनी मुहर लगा रखी है कि भारत की स्वतंत्रता बिना खड्ग बिना ढाल मिली है और 2 या 4 लोगों ने ही