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Showing posts from December, 2017

हमारा नव वर्ष चैत्र मास

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#नव_वर्ष :- जैसे ही साल का अंत यानी दिसम्बर महीना अपनी अंतिम साँसे गिन रहा होता है, एक विवाद शुरु हो जाता है की हम इंग्लिश कलेंडर से क्यों मनायें नया वर्ष ? जबकि हिंदू पद्दती,संस्कृति एवं प्रकृतिक बदलाव चैत्र मास को  नव वर्ष के आगाज का  स्पष्ट ईसारा एवं संदेश देता है । 🇮🇳🌷हमारा नव वर्ष चैत्र मास से प्रारम्भ होता है क्योंकि :- •बसन्त ऋतु का आगमन होता है •नई फसल कटती है फूल खिलते हैं   •ना सर्दी ना गर्मी पेड़ो में नए पत्ते आते हैं    •सभी सरकारी नये बजट भी अप्रेल में सुरु होते हैं     •स्कूलों में नई कक्षाएं प्रारम्भ होती हैं      •नए त्योहारों की शुरुवात होती है       •माता रानी के नवरात्र पूजन होता है        •अप्रेल साल का सबसे मस्त सुहाना मौसम होता है दोस्तो !  सब कुछ तो नई नवेली दुल्हन की तरह नया-नया सा लगता है और ऊपर से सुहाना मौसम ना सर्दी ना गर्मि, प्रफुलित सी उमंग, प्रकृति की मस्त सी छँटा-ये ही तो है नई साल की अँगड़ाई तो हम क्यों ना दे नव वर्ष की की बधाई ? दोस्तो, हम जनवरी को नव वर्ष मनाने के विरोधी क़तई नहीं हैं, लेकिन हम ये भी नहीं चाहते है की देशवासी उधार की ली

पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा

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पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ~~~~~~~~~~~~~~~ शंकरदयाल शर्मा (अंग्रेज़ी: Shankar Dayal Sharma, जन्म- 19 अगस्त, 1918 ई.; मृत्यु- 26 दिसम्बर, 1999 ई.) भारत के नवें राष्ट्रपति थे। इनका जन्म भोपाल में हुआ था। इनके पिता 'श्री खुशीलाल शर्मा' एक वैद्य थे। शंकरदयाल शर्मा मध्य प्रदेश के पहले ऐसे व्यक्ति रहे, जो अपनी विद्वता, सुदीर्घ राजनीतिक समझबूझ, समर्पण और देश-प्रेम के बल पर भारत के राष्ट्रपति बने। इन्होंने 'भारत के स्वतंत्रता संग्राम' में मुख्य रूप से भाग लिया था। शंकरदयाल शर्मा ने 1992 ई. में भारत के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति का कार्यभार ग्रहण किया था। जीवन परिचय : ~~~~~~~~ शंकर दयाल शर्मा का जन्म 19 अगस्त 1918 को भोपाल में 'दाई का मौहल्ला' में हुआ था। उस समय भोपाल को नवाबों का शहर कहा जाता था। अब यह मध्य प्रदेश में है। इनके पिता का नाम 'पण्डित खुशीलाल शर्मा' था और वह एक प्रसिद्ध वैद्य थे। इनकी माता का नाम 'श्रीमती सुभद्रा देवी' था। शिक्षा : ~~~~ डॉ शंकरदयाल शर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय 'दिगम्बर जैन स्कूल' में हासिल की थी। उन

शहीद उधम सिंह

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शहीद उधम सिंह जी ~~~~~~~~~~~ शहीद उधम सिंह Udham Singh एक राष्ट्रवादी भारतीय क्रन्तिकारी थे जिनका जन्म शेर सिंह के नाम से 26 दिसम्बर 1899 को सुनम, पटियाला, में हुआ था। उनके पिता का नाम टहल सिंह था और वे पास के एक गाँव उपल्ल रेलवे क्रासिंग के चौकीदार थे। सात वर्ष की आयु में उन्होंने अपने माता पिता को खो दिया जिसके कारण उन्होंने अपना बाद का जीवन अपने बड़े भाई मुक्ता सिंह के साथ 24 अक्टूबर 1907 से केंद्रीय खालसा अनाथालय Central Khalsa Orphanage में जीवन व्यतीत किया। दोनों भाईयों को सिख समुदाय के संस्कार मिले अनाथालय में जिसके कारण उनके नए नाम रखे गए। शेर सिंह का नाम रखा गया उधम सिंह और मुक्त सिंह का नाम रखा गया साधू सिंह। साल 1917 में उधम सिंह के बड़े भाई का देहांत हो गया और वे अकेले पड़ गए। उधम सिंह के क्रन्तिकारी जीवन की शुरुवात ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ उधम सिंह ने अनाथालय 1918 को अपनी मेट्रिक की पढाई के बाद छोड़ दिया। वो 13 अप्रैल 1919 को, उस जलिवाला बाग़ हत्याकांड के दिल दहका देने वाले बैसाखी के दिन में वहीँ मजूद थे। उसी समय General Reginald Edward Harry Dyer ने बाग़ के एक दरवाज़ा को छो

अनजाने अटल जी - एक महान प्रधानमंत्री

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#अटल जी के जन्मदिवस पर विशेष:- *अनजाने अटलजी* बहुत कम लोग होंगे जो अटलजी के ये कारनामे जानते होंगे- पहली सरकार मात्र 13 दिन में गिर जाने के बाद जो उनकी जो दूसरी सरकार बनी वह भी मात्र 13 महीने ही चल पाई और वह भी भानुमति के कुनबे की तरह कई पार्टियों के गठजोड़ के साथ! अटलजी ने सोचा कि पता नहीं सरकार कब गिर जाए और उन्होंने अपने कार्यकाल के पहले ही गणतन्त्र दिवस पर इस्रायल के प्रधानमन्त्री एरियल शेरोन को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाने का वह ऐतिहासिक काम किया जो उनके पहले और उनके बाद कोई न कर सका! नरसिंहारावजी परमाणु परीक्षण करना चाहते थे लेकिन अमेरिका के इशारे पर सोनिया ने उनके कान उमेठ दिए। अटलजी के प्रधानमन्त्री बनने के बाद रावजी ने अटलजी को इशारों में कहा कि मुझे उम्मीद है कि आप मेरा बचा काम पूरा करेंगे! अटलजी ने प्रधानमन्त्री बनते ही उस समय के मिसाइल मेन कलामजी को बुला कर कहा कि इस काम के लिए कितना समय चाहिए? कलामजी ने कहा 2 महीने भी नहीं लगेंगे, बस आपकी मंजूरी चाहिए! अटलजी ने कहा अभी इसी वक्त से ही मंजूरी है! कलामजी ने भी अपना वादा पूरा किया और दुश्मनों के रातों की नींद उड़ाने वाल

बाबा रामदेव

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बाबा रामदेव ~~~~~~~ विश्वप्रसिद्ध योग गुरु एवं पतंजलि योगपीठ के संस्थापक : रामकृष्ण यादव भारतीय योग-गुरु हैं, जिन्हें अधिकांश लोग बाबा रामदेव के नाम से जानते हैं। उन्होंने योगासन व प्राणायामयोग के क्षेत्र में योगदान दिया है। रामदेव जगह-जगह स्वयं जाकर योग-शिविरों का आयोजन करते हैं, जिनमें प्राय: हर सम्प्रदाय के लोग आते हैं। रामदेव अब तक देश-विदेश के करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से योग सिखा चुके हैं। भारत से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिये अभियान इन्होंने प्रारम्भ किया। बाबा रामदेव जन्म : रामकृष्ण 26 दिसम्बर 1965 सैयद अलीपुर, कस्बा-नांगल चौधरी, जिला-महेन्द्रगढ़, हरियाणा, भारत । राष्ट्रीयता : भारतीय शिक्षा प्राप्त की : गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय व्यवसाय : योगी प्रसिद्धि कारण : योग, प्राणायाम व राजनीति धार्मिक मान्यता : हिन्दू http://www.divyayoga.com/ जीवन चरित : ~~~~~~~ भारत में हरियाणा राज्य के महेन्द्रगढ़ जनपद स्थित अली सैयदपुर नामक गाँव में वर्ष १९६५ को गुलाबो देवी एवं रामनिवास यादव के घर जन्मे रामदेव का वास्तविक नाम रामकृष्ण यादव था। समीपवर्ती गाँव शहजादप

दूरदर्शी जाट महाराजा सूरजमल

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महाराजा सूरजमल ~~~~~~~~~~ महाराजा सूरजमल (१७०७-१७६३) भरतपुर राज्य के दूरदर्शी जाट महाराजा थे। उनके पिता बदन सिंह ने डीग को सबसे पहले अपनी राजधानी बनाया और बाद में सूरजमल ने भरतपुर शहर की स्थापना की। सूरजमल ने सन् १७३३ में खेमकरण सोगरिया की फतहगढी पर आक्रमण किया और विजय प्राप्त कर यहाँ १७४३ में भरतपुर नगर की नींव रखी जो सन् १७५३ से उनका निवास हुआ। महाराजा सूरजमल : भरतपुर के महाराजा शासन : 1756 - 1763 ई. पूर्वाधिकारी : महाराजा बदन सिंह उत्तराधिकारी : महाराजा जवाहर सिंह राज घराना : सिनसिनवार जाट राजवंश जाट-शक्ति का उदय : ~~~~~~~~~~~ महाराजा सूरजमल राजनीतिकुशल, दूरदर्शी, सुन्दर, सुडौल और स्वस्थ थे। उन्होने जयपुर के महाराजा जयसिंह से भी दोस्ती बना ली थी। २१ सितम्बर १७४३ को जयसिंह की मौत हो गई और उसके तुरन्त बाद उसके बेटों ईश्वरी सिंह और माधोसिंह में गद्दी के लिये झगड़ा हुआ। महाराजा सूरजमल बड़े बेटे ईश्वरी सिंह के पक्ष में थे जबकि उदयपुर के महाराणा जगत सिंह माधोसिंह के पक्ष में थे। बाद में जहाजपुर में दोनों भाईयों में युद्ध हुआ और मार्च १७४७ में ईश्वरी सिंह की जीत हुई। एक साल बाद म

भारत रत्न पण्डित मदन मोहन मालवीय

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भारत रत्न पण्डित मदन मोहन मालवीय ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ मदन मोहन मालवीय एक भारतीय शिक्षा विशारद और राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता अभियान में मुख्य भूमिका अदा की थी और साथ ही वे भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के चार बार अध्यक्ष भी रह चुके थे. आदर और सम्मान के साथ उन्हें पंडित मदन मोहन मालवीयऔर महामना के नाम से भी बुलाया जाता था. मदन मोहन मालवीय की जीवनी :– ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ मालवीय को ज्यादातर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के लिये याद किया जाता है जिसकी स्थापना उन्होंने 1916 में वाराणसी में की थी, इस विश्वविद्यालय की स्थापना B.H.U. एक्ट 1915 के तहत की गयी थी.उस समय यह एशिया की सबसे बड़ी रेजिडेंशियल यूनिवर्सिटी में से एक और साथ की दुनिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटीयो से एक थी जिसमे आर्ट, साइंस, इंजीनियरिंग, मेडिकल, एग्रीकल्चरल, परफार्मिंग आर्ट्स, लॉ एंड टेक्नोलॉजी के तक़रीबन 35000 विद्यार्थी शिक्षा ले रहे थे. 1919 से 1938 तक मालवीय बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर भी रह चुके थे और साथ ही 1905 में हरिद्वार में हुई गंगा महासभा के वे संस्थापक भी थे. दो पर्व पर मालवीय भार

अटल बिहारी वाजपेयी - भारत के पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न।

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अटल बिहारी वाजपेयी ~~~~~~~~~~~~ भारत के पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न। अटल बिहारी वाजपेयी (अंग्रेज़ी: Atal Bihari Vajpeyee), (जन्म: २५ दिसंबर, १९२४) भारत के पूर्व प्रधानमंत्री हैं। वे पहले १६ मई से १ जून १९९६ तथा फिर १९ मार्च १९९८ से २२ मई २००४ तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। वे हिन्दी कवि, पत्रकार व प्रखर वक्ता भी हैं। वे भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वाले महापुरुषों में से एक हैं और १९६८ से १९७३ तक उसके अध्यक्ष भी रहे। वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था और देश के सर्वोच्च पद पर पहुँचने तक उस संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया। वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्र

25 दिसम्बर, भारत माँ के दो रत्नों का जन्मदिवस

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25 दिसम्बर, यानी भारत माँ के दो रत्नों का जन्मदिवस। एक पूज्य पंडित मदन मोहन मालवीय जी ओर दूसरे भारतीय राजनीति के पुरोधा, पूर्व प्रधानमंत्री माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी । दोनो को भारत सरकार ने भारत रत्न से नवाजा था । पं मदन मोहन मालवीय जी कहते थे मैं गरीब माता-पिता का पुत्र हूँ, इसलिए गरीब विद्यार्थी के कष्ट को समझता हूँ । जिनके माता-पिता की मासिक आय 3-4 रूपये भी नहीं, वे विश्वविद्यालय की लम्बी फीस न दे सकने के कारण विद्या से वंचित हो जांय,यह बात मुझे बडी पीड़ा पहुँचाती है। उन्होंने कहा मैं राज्य की कामना नही करता, मुझे स्वर्ग ओर मोक्ष नही चाहिए । दुःख से पीड़ित प्राणियों के दुःख दूर करने में सहायक हो सकूँ, यही मेरी कामना है । ओर इसी बात को अपने जीवन का ध्येय बना कर बनारस में "काशी हिन्दू  विश्वविद्यालय" की स्थापना की । उनका मानना था कि भारत में बदलाव सिर्फ शिक्षा से ही संभव है । और ये उन्होंने सिर्फ कहा ही नही तो करके भी दिखाया। उन्होंने अपने पुरुषार्थ से कितने गरीब लोगों का जीवन बदल दिया । ऐसे महामना मदन मोहन मालवीय जी के चरणों में शत-शत नमन् । अटल जी की यह पंक्ति

ज़रा याद करो कुर्बानी

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मेरे दोस्तों, आप सब तो खैर जानते ही हैं, पर अपनी इस नौजवान पीढ़ी को ये याद दिलाना ज़रूरी है कि 20 दिसम्बर से 27 दिसम्बर तक के ये 7 दिन हम भारतवासियों के लिये शोक के दिन होते हैं। इन सात दिनों में गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने चारों बेटों को मुगल शासक ज़ालिम औरंगज़ेब के ज़ुल्मों से हम सब भारतवासियों की रक्षा करने के लिये कुर्बान कर दिया था और गुरु गोबिंद सिंह जी की माता गुजरी देवी जी की भी अपने पुत्रों (पोतों) की शहादत के गम में मृत्यु हो गई थी। और हम भारतवासी ये सब भूलकर 25 दिसम्बर को क्रिसमस का जश्न मनाते हैं। बहुत ही शर्म की बात हैं। जश्न मनाइये, मगर उन महान अमर शहीदों की याद को भी दिल मे रखें ......🌹🌹🙏🌹🌹 खालसा पंथ के संस्थापक व गुरु होने के साथ महान योद्धा व आध्यात्मिक नेता भी थे गुरु गोविंद सिंह जी। अद्भुत है इनकी कहानी ..... राष्ट्र की खातिर बेटों को कर दिया था कुर्बान ......... जबलपुर। सिख समाज के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जन-जन की आस्था में तो हैं ही, उनका नाम राष्ट्रवीरों और अद्भुत योद्धाओं में भी शुमार हैं। उन्होंने देश की आन-बान और शान की खातिर अपने पुत्रों को कुर्बान कर

"मन की बात" के लिए मेरा तीसरा सुझाव

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माननीय प्रधानमंत्री जी, सर, ये निजी अस्पताल बहुत मनमानी कर रहे हैं।  इनकी मनमानी के खिलाफ कुछ सख्त कानून बनाये सर। ये निजी अस्पताल गरीबों का तो कभी भी फ्री इलाज करते ही नही हैं और आम व्यक्ति को झूठे बिल थमा कर लूटते हैं। इन निजी अस्पताल़ो के मनमाने व दबंग रवैये को देखते हुए सर, मेरा ये सुझाव हैं कि ऐसा कोई कानून होना चाहिए कि किसी भी अस्पताल में इलाज के दौरान अगर मरीज की मृत्यु हो जाए तो, अस्पताल का बिल स्वत: शुन्य हो जाए, ताकि ये प्राइवेट हॉस्पिटल वाले मरीज की मृत्यु के बाद, मरीज के परिवार वालो से मनमाना बिल ना वसूल सके। धन्यवाद हमारे महान प्रधानमंत्री जी, ................ विजेता मलिक

मन की बात के लिए मेरा दूसरा सुझाव

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दोस्तों, मैंने हमारे महान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के "मन की बात" कार्यक्रम के लिए एक सुझाव दिया हैं, उम्मीद हैं कि आप सब भी मेरा समर्थन करेंगे ....... PM सर, भारत में जितने भी बैंक खाता धारक है, उनके खाते से सिर्फ "एक रुपया" उस वक़्त स्वतः ही कट जाए, जब कोई भी सैनिक बॉर्डर पर या आतंकियों के कायराना हमले में, हमारे लिए शहीद हो जाए और वो रुपये उस शहीद सैनिक के परिवार को मिल जाए/उनके एकाउंट में ट्रांसफर हो जाये, कृपया ऐसी कुछ व्यवस्था सरकार करे। मुझे यकीन हैं कि सभी देशवासी भी मेरी इस बात से सहमत होंगे व इस बात से उन्हें भी कोई ऐतराज नहीं होगा। धन्यवाद सर। ................ विजेता मलिक

स्वामी श्रद्धानन्द जी

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स्वामी श्रद्धानन्द जी ~~~~~~~~~~~ पूरा नाम : स्वामी श्रद्धानन्द अन्य नाम : बृहस्पति, मुंशीराम जन्म : 22 फ़रवरी, 1856 जन्म भूमि : जालंधर, पंजाब मृत्यु : 23 दिसम्बर, 1926 मृत्यु स्थान : चाँदनी चॉक, दिल्ली अभिभावक : पिता- लाला नानकचंद पत्नी : शिवा देवी संतान : दो पुत्र तथा दो पुत्रियाँ गुरु : स्वामी दयानन्द सरस्वती कर्म भूमि : भारत प्रसिद्धि : समाज सेवक तथा स्वतंत्रता सेनानी विशेष योगदान : 1901 में स्वामी श्रद्धानन्द ने अंग्रेज़ोंद्वारा जारी शिक्षा पद्धति के स्थान पर वैदिक धर्म तथा भारतीयता की शिक्षा देने वाले संस्थान "गुरुकुल" की स्थापना हरिद्वार में की। इस समय यह मानद विश्वविद्यालय है, जिसका नाम 'गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय' है। नागरिकता : भारतीय अन्य जानकारी : स्वामी श्रद्धानन्द ने दलितों की भलाई के कार्य को निडर होकर आगे बढ़ाया, साथ ही कांग्रेस के स्वाधीनता आंदोलन का बढ़-चढ़कर नेतृत्व भी किया। कांग्रेस में उन्होंने 1919 से लेकर 1922 तक सक्रिय रूप से महत्त्‍‌वपूर्ण भागीदारी की थी। स्वामी श्रद्धानन्द (अंग्रेज़ी: Swami Shraddhanand; जन्म- 22 फ़रवरी, 1

चौधरी चरण सिंह

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चौधरी चरण सिंह ~~~~~~~~~ चौधरी चरण सिंह (अंग्रेज़ी: Chaudhary Charan Singh, जन्म: 23 दिसम्बर, 1902 मेरठ - मृत्यु- 29 मई, 1987) भारत के पाँचवें प्रधानमंत्री थे। चरण सिंह किसानों की आवाज़ बुलन्द करने वाले प्रखर नेता माने जाते थे। चौधरी चरण सिंह का प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक रहा। यह समाजवादी पार्टी तथा कांग्रेस (ओ) के सहयोग से देश के प्रधानमंत्री बने। इन्हें 'काँग्रेस इं' और सी. पी. आई. ने बाहर से समर्थन दिया, लेकिन वे इनकी सरकार में सम्मिलित नहीं हुए। इसके अतिरिक्त चौधरी चरण सिंह भारत के गृहमंत्री (कार्यकाल- 24 मार्च1977 – 1 जुलाई 1978), उपप्रधानमंत्री (कार्यकाल- 24 मार्च 1977 – 28 जुलाई 1979) और दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। आरम्भिक जीवन ~~~~~~~~~ चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर, 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के नूरपुर ग्राम में एक मध्यम वर्गीय कृषक परिवार में हुआ था। इनका परिवार जाटपृष्ठभूमि वाला था। इनके पुरखे महाराजा नाहर सिंह ने 1887 की प्रथम क्रान्ति में विशेष योगदान दिया था। महाराजा नाहर सिंह वल्लभगढ़ के नि