अमर शहीद ऊधम सिंह
अमर शहीद ऊधम सिंह ~~~~~~~~~~~~ हाथी की तरह भारतीय भी अपने दुश्मन को कभी नहीं भूलते और पलट कर वार करते हैं, 20 साल बाद भी| 1940 में जर्मन रेडियो द्वारा किया गया ये प्रसारण आज भी गर्व से भर देता है हम भारतीयों को और गर्व प्रदान करने वाले इस वाक्य के पीछे था, अमर शहीद उधम सिंह द्वारा जलियांवाला बाग़ के खलनायक से लगभग 20 वर्षों बाद लिया गया बदला, जिन्होंने खुली चुनौती देकर और दुश्मन को उसी के घर में घुसकर मारने के बाद बहादुर शाह जफ़र के उस वाक्य को साकार कर दिया था कि तख़्त-ए-लन्दन तक चलेगी तेग हिन्दुस्तान की और जिनके इस साहस ने हर भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया था। आज उन्हीं अमर शहीद ऊधम सिंह का जन्मदिवस है जिनकी गणना देश के प्रथम पंक्ति के बलिदानियों में होती है और माँ भारती के प्रति जिनकी भक्त अनुपम एवं प्रेरणीय है| शहीद उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 में पंजाब के संगरूर ज़िले के सुनाम गाँव के मोहल्ला रायपुरिया में श्री टहल सिंह और नरायण कौर के द्वितीय पुत्र के रूप में हुआ था। उनके बचपन का नाम था शेरसिंह और उनके बड़े भाई का नाम मुक्ता सिंह। परिवार की छोटी सी खेती बाड़ी थी। शहीद ऊ