Posts

Showing posts from April, 2020

बसंतलता हज़ारिका

Image
बसंतलता हज़ारिका ~~~~~~~~~~~ ★ज़रा याद करो कुर्बानी★ तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए सुनो ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी ! एक महिला सेनानी का विरोध-प्रदर्शन बन गया था ब्रिटिश सरकार का सिरदर्द ! अंग्रेजों द्वारा शराब की दुकान खोलने और अफीम उगाने के विरोध में बसंतलता और उनकी महिला साथियों ने मोर्चा खोला था। ये ‘स्वदेशी आंदोलन’ इस कदर बढ़ा कि अंग्रेजों को इसे रोकने के लिए सर्कुलर निकालना पड़ा! भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शायद ही कोई प्रांत होगा, जहाँ तक महात्मा गाँधी का असहयोग आंदोलन नहीं पहुंचा था। इस आंदोलन से पूरे देश में क्रांति की लहर दौड़ गई थी। गाँधी जी और स्वतंत्रता सेनानियों ने मिलकर ‘स्वदेशी’ की संकल्पना को घर-घर तक पहुँचाया। कहते हैं कि इस आंदोलन ने हर भेदभाव को हटाकर सभी भारतीयों में राष्ट्रप्रेम की भावना को जगाया और लोगों ने अपने देश और देशवासियों के महत्व को समझा। इस आंदोलन के ऐतिहासिक होने की कई वजहें थीं जैसे कि लोगों का गली-मोहल्लों में बिना किसी डर के अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करना, ब्रिटिश सरकार की रातों की नींदे उड़ जाना! एक और खास ब

बाजीराव भल्लाल भट्ट

Image
बाजीराव बल्लाल भट्ट ~~~~~~~~~~~ बाजीराव का परिचय : पेशवा बाजीराव का जन्म 18 अगस्त सन् 1700 को एक भट्ट परिवार में पिता बालाजी विश्वनाथ और माता राधाबाई के घर में हुआ था। उनके पिताजी छत्रपति शाहू के प्रथम पेशवा थे। बाजीराव का एक छोटा भाई भी था चिमाजी अप्पा। बाजीराव अपने पिताजी के साथ हमेशा सैन्य अभियानों में जाया करते थे।   पेशवा बाजीराव की पहली पत्नी का नाम काशीबाई था जिसके 3 पुत्र थे- बालाजी बाजी राव, रघुनाथ राव जिसकी बचपन में भी मृत्यु हो गई थी। पेशवा बाजीराव की दूसरी पत्नी का नाम था मस्तानी, जो छत्रसाल के राजा की बेटी थी। बाजीराव उनसे बहुत अधिक प्रेम करते थे और उनके लिए पुणे के पास एक महल भी बाजीराव ने बनवाया जिसका नाम उन्होंने 'मस्तानी महल' रखा। सन 1734 में बाजीराव और मस्तानी का एक पुत्र हुआ जिसका नाम कृष्णा राव रखा गया था।   पेशवा बाजीराव, जिन्हें बाजीराव प्रथम भी कहा जाता है, मराठा साम्राज्य के एक महान पेशवा थे। पेशवा का अर्थ होता है प्रधानमंत्री। वे मराठा छत्रपति राजा शाहू के 4थे प्रधानमंत्री थे। बाजीराव ने अपना प्रधानमंत्री का पद सन् 1720 से अपनी मृत्यु तक संभ

सद्गुरु रामसिंह कूका

Image
#सद्गुरु_रामसिंह_कूका_को_जानते_हो_? महाराणा रणजीत सिंह की सेना में एक सिपाही थे "रामसिंह"। सेना में रहते हुए भी वो पूर्ण रूप से आध्यात्मिक थे और देश-काल, परिस्थितियों का सम्यक चिंतन कर सकते थे। इसी चिंतन में उनके "गुरु बाबा बालक सिंह जी" ने उन्हें हिन्दू धर्म के अंदर की कुरीतियों, अंधविश्वासों से लड़ने की प्रेरणा दी और कहा कि गौ माता को बचाओ क्योंकि अगर भारत भूमि पर गायें कटतीं रहीं तो फिर कुछ भी नहीं बचेगा। "रामसिंह" ने गुरु से प्रेरणा पाकर वो सारे काम शुरू कर दिये जो उन्हें उनके गुरु ने बताया था; जैसे अस्पृश्यता निवारण के काम, विधवा विवाह, सामूहिक विवाह, यज्ञ, हवन और स्वदेशी का आवाहन, गो-रक्षा, मंदिरों और मठों में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध शंखनाद आदि-आदि। इन सारे काम को उन्होंने एक आंदोलन का रूप दे दिया जिसे इतिहास में "कूका आन्दोलन" के नाम से जाना जाता है। रामसिंह "रामसिंह कूका" कहे जाने लगे और उनके अनुयायी "कूका"। पंजाब में उनका शिष्य बनने की होड़ लगने लगी। यही "कूके" कालांतर में "नामधारी सिख&q

भगवान परशुराम

Image
भगवान परशुराम ~~~~~~~~~ अन्य नामजमदग्नि के पुत्र होने के कारण ये 'जामदग्न्य' भी कहे जाते हैं। अवतार विष्णु के दस अवतारों में से छठे अवतारवंश-गोत्र : भृगुवंश पिता : जमदग्नि माता : रेणुका जन्म विवरण : इनका जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था। अत: इस दिन व्रत करने और उत्सव मनाने की प्रथा है। धर्म-संप्रदाय : हिंदू धर्म परिजन : रुमण्वान, सुषेण, वसु, विश्वावसु (सभी भाई) विद्या पारंगत : धनुष-बाण, परशु अन्य विवरण : परशुराम शिव के परम भक्त थे।संबंधित लेख : जमदग्नि, रेणुका, परशु, अक्षय तृतीया। अन्य जानकारी : इनका नाम तो राम था, किन्तु शिव द्वारा प्रदत्त अमोघ परशु को सदैव धारण किये रहने के कारण ये 'परशुराम' कहलाते थे। परशुराम राजा प्रसेनजित की पुत्री रेणुका और भृगुवंशीय जमदग्नि के पुत्र थे। वे विष्णु के अवतार और शिव के परम भक्त थे। इन्हें शिव से विशेष परशु प्राप्त हुआ था। इनका नाम तो राम था, किन्तु शंकर द्वारा प्रदत्त अमोघ परशु को सदैव धारण किये रहने के कारण ये परशुराम कहलाते थे। परशुराम भगवान विष्णु के दस अवतारों में से छठे अवतार थे, जो वामन एवं रामचन्द्र के मध्य में गि

धोंडो केशव कर्वे

Image
धोंडो केशव कर्वे   ~~~~~~~~~ पूरा नाम : डॉ. धोंडो केशव कर्वे अन्य नाम : महर्षि कर्वे जन्म : 18 अप्रॅल, 1858 जन्म भूमि : रत्नागिरी ज़िला, महाराष्ट्र मृत्यु : 9 नवंबर, 1962 अभिभावक : श्री केशव पंत पति/पत्नी : राधाबाई और आनंदीबाई नागरिकता : भारतीय प्रसिद्धि : समाज सुधारक, शिक्षा शास्त्री शिक्षा : स्नातक (गणित) विद्यालय : एलफिंस्टन कॉलेज, मुम्बई पुरस्कार-उपाधि : भारत रत्न, पद्म भूषण विशेष योगदान : महिलाओं के लिए पूना (महाराष्ट्र) में 'महिला विद्यालय' की स्थापना। अन्य जानकारी : गांवों में शिक्षा को सहज सुलभ बनाने और उसके प्रसार के लिए उन्होंने चंदा एकत्र कर लगभग 50 से भी अधिक प्राइमरी विद्यालयों की स्थापना की थी। डॉ. धोंडो केशव कर्वे  (जन्म: 18 अप्रॅल, 1858 महाराष्ट्र; मृत्यु: 9 नवंबर, 1962) को 'महर्षि कर्वे' के नाम के साथ बड़े ही सम्मान और आदर के साथ याद किए जाने वाले आधुनिक भारत के सबसे बड़े समाज सुधारक और उद्धारक माने जाते हैं। अपना पूरा जीवन विभिन्न बाधाओं और संघर्षों में भी समाज सेवा करते हुए समाप्त कर देने वाले महर्षि कर्वे ने अपने कथन ('जहाँ चाह, वहाँ

1857 की क्रांति के अमर बलिदानी तात्या टोपे

Image
तात्या टोपे ~~~~~~ पूरा नाम  – रामचंद्रराव पांडुरंगराव येवलकर जन्म     – सन 1814 जन्मस्थान – यवला (महाराष्ट्र) पिता     – पांडुरंग माता     – रुकमाबाई तात्या टोपे का जन्म सन 1814 ई. में नासिक के निकट पटौदा ज़िले में येवला नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम पाण्डुरंग त्र्यम्बक भट्ट तथा माता का नाम रुक्मिणी बाई था। तात्या टोपे देशस्थ कुलकर्णी परिवार में जन्मे थे। इनके पिता पेशवा बाजीराव द्वितीय के गृह-विभाग का काम देखते थे। उनके विषय में थोड़े बहुत तथ्य उस बयान से इकट्ठे किए जा सकते हैं, जो उन्होंने अपनी गिरफ़्तारी के बाद दिया और कुछ तथ्य तात्या के सौतेले भाई रामकृष्ण टोपे के उस बयान से इकट्ठे किए जा सकते हैं, जो उन्होंने 1862 ई. में बड़ौदा के सहायक रेजीडेंस के समक्ष दिया था। तात्या का वास्तविक नाम 'रामचंद्र पांडुरंग येवलकर' था। 'तात्या' मात्र उपनाम था। तात्या शब्द का प्रयोग अधिक प्यार के लिए होता था। टोपे भी उनका उपनाम ही था, जो उनके साथ ही चिपका रहा। क्योंकि उनका परिवार मूलतः नासिक के निकट पटौदा ज़िले में छोटे से गांव येवला में रहता था, इसलिए उनका उपनाम

डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन

Image
डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन प्रसिद्ध शिक्षाविद एवं भारत के पूर्व राष्ट्रपति ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (5 सितम्बर 1888 – 17 अप्रैल 1975) भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति (1952 - 1962) और द्वितीय राष्ट्रपति रहे। वे भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक थे। उनके इन्हीं गुणों के कारण सन् 1954 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया था। उनका जन्मदिन (5 सितम्बर) भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। जन्म एवं परिवार ~~~~~~~~~ डॉ॰ राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरूतनी ग्राम में, जो तत्कालीन मद्रास से लगभग 64 कि॰ मी॰ की दूरी पर स्थित है, 5 सितम्बर 1888 को हुआ था। जिस परिवार में उन्होंने जन्म लिया वह एक ब्राह्मण परिवार था। उनका जन्म स्थान भी एक पवित्र तीर्थस्थल के रूप में विख्यात रहा है। राधाकृष्णन के पुरखे पहले कभी 'सर्वपल्ली' नामक ग्राम में रहते थे और 18वीं शताब्दी के मध्य में उन्होंने तिरूतनी ग्राम की ओर निष्क्रमण किया था। लेकिन उनके पुरखे चाहते थे कि उनके नाम के साथ उनके

गुरु अर्जुन देव (पंचम सिख गुरु)

Image
गुरु अर्जुन देव (पंचम सिख गुरु) ~~~~~~~~~~~~~~~~ अपनी शहादत और अध्यात्म दर्शन के लिए मशहूर, सिख पंथ के पांचवें गुरु अर्जन देव जी के प्रकाश पर्व पर आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। गुरू अर्जुन देव (15 अप्रेल 1563 – 30 मई 1606 सिखों के ५वे गुरु थे। गुरु अर्जुन देव जी शहीदों के सरताज एवं शान्तिपुंज हैं। आध्यात्मिक जगत में गुरु जी को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। उन्हें ब्रह्मज्ञानी भी कहा जाता है। गुरुग्रंथ साहिब में तीस रागों में गुरु जी की वाणी संकलित है। गणना की दृष्टि से श्री गुरुग्रंथ साहिब में सर्वाधिक वाणी पंचम गुरु की ही है। ग्रंथ साहिब का संपादन गुरु अर्जुन देव जी ने भाई गुरदास की सहायता से 1604में किया। ग्रंथ साहिब की संपादन कला अद्वितीय है, जिसमें गुरु जी की विद्वत्ता झलकती है। उन्होंने रागों के आधार पर ग्रंथ साहिब में संकलित वाणियों का जो वर्गीकरण किया है, उसकी मिसाल मध्यकालीन धार्मिक ग्रंथों में दुर्लभ है। यह उनकी सूझबूझ का ही प्रमाण है कि ग्रंथ साहिब में 36महान वाणीकारोंकी वाणियां बिना किसी भेदभाव के संकलित हुई। अर्जुन देव जी गुरु राम दास के सुपुत्र थे। उनकी म

डॉ भीमराव आम्बेडकर जी के महान विचार

Image
डॉ भीमराव आम्बेडकर जी के महान विचार ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ डॉ. भीमराव आम्बेडकर जी का जीवन और उनके महान विचार वाकई प्रेरणास्त्रोत हैं, वहीं अगर जो भी इस महामानव के सुविचारों को अपने जीवन में अमल कर ले तो न सिर्फ वह न सिर्फ अपने जीवन की असीम ऊंचाईयों तक पहुंच सकता है, बल्कि अपने जीवन में आने वाली हर कठिनाई का आसानी से सामना भी कर सकता है। बाबा साहेब अम्बेडकर के सम्मान में हर साल 14अप्रैल को उनकी जंयती (Ambedkar Jayanti) भी बनाई जाती है, इसलिए आज मैं आपको बाबासाहेब अम्बेडकर जी के कुछ सर्वश्रेष्ठ और प्रेरणादायक विचारों को बता रही हूँ, इन विचारों की गहराई को अपने मन में उतारकर एक सफल जीवन जी सकते हैं। महामानव डॉ. भीमराव आम्बेडकर जी को दलितों के मसीहा के रुप में कौन नहीं जानता। डॉ भीमराव आम्बेडकर जी द्धारा समाज में किए गए अनगिनत कामों के बल पर उन्हें देश को एक सूत्र में बांधने वाले आधुनिक भारत के निर्माता और संविधान निर्माता जैसे नामों की संज्ञा दी गई। बाबासाहेब आम्बेडकर जी एक महान और बेहद प्रभावशाली चरित्र वाले महापुरुष थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज की सेवा करने और दलितों के

डॉक्टर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

Image
डॉक्टर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य : ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ भीमराव अंबेडकर अपने माता-पिता के चौदहवीं और आखिरी बच्चे थे। डॉ. अम्बेडकर जी का मूल नाम अम्बावाडेकर था। लेकिन उनके शिक्षक, महादेव अम्बेडकर, जो उन्हें बहुत मानते थे, उन्होंने स्कूल रिकार्ड्स में उनका नाम अम्बावाडेकर से अम्बेडकर कर दिया। बाबासाहेब मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में दो साल तक प्रिंसिपल पद पर कार्यरत रहे। डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर जी की शादी 1906 में 9 साल की रमाबाई से कर दी गई थी, वहीं 1908 में वे एलफिंस्टन कॉलेज में दाखिला लेने वाले पहले दलित बच्चे बने। डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर को 9 भाषाएं जानते थे उन्होनें 21 साल तक  सभी धर्मों की पढ़ाई भी की थी। डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के पास कुल 32 डिग्री थी। वो विदेश जाकर अर्थशास्त्र में PHD करने वाले पहले भारतीय भी बने। आपको बता दें कि नोबेल प्राइज जीतने वाले अमर्त्य सेन अर्थशास्त्र में इन्हें अपना पिता मानते थे। भीमराव अंबेडकर पेशे से वकील थे। वो 2 साल तक मुंबई के सरकारी लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल भी बनें। डॉ. बी. आर अम्बेडकर जी भारतीय संविधान की धारा