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Showing posts from August, 2022

मेजर ध्यानचंद जी

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हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद सिंह ***************************** मेजर ध्यानचंद सिंह (२९ अगस्त, १९०५ -३ दिसंबर, १९७९) भारतीय फील्ड हॉकी के भूतपूर्व खिलाड़ी एवं कप्तान थे। भारत एवं विश्व हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाडड़ियों में उनकी गिनती होती है। वे तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे ( जिनमें १९२८ का एम्सटर्डम ओलोम्पिक, १९३२ का लॉस एंजेल्स ओलोम्पिक एवं १९३६ का बर्लिन ओलम्पिक)। उनकी जन्मतिथि को भारत में "राष्ट्रीय खेल दिवस" के के रूप में मनाया जाता है। उनके छोटे भाई रूप सिंह भी अच्छे हॉकी खिलाड़ी थे जिन्होने ओलम्पिक में कई गोल दागे थे। उन्हें हॉकी का जादूगर ही कहा जाता है। उन्होंने अपने खेल जीवन में 1000 से अधिक गोल दागे। जब वो मैदान में खेलने को उतरते थे तो गेंद मानों उनकी हॉकी स्टिक से चिपक सी जाती थी। उन्हें १९५६ में भारत के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा बहुत से संगठन और प्रसिद्ध लोग समय-समय पर उन्हे 'भारतरत्न' से सम्मानित करने की माँग करते रहे हैं किन्तु अब केन्द्र में भारतीय जनता पार्ट

शहीद मां अमृता देवी बिश्नोई

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“★ खेजड़ली बलिदान ★” ~~~~~~~~~~~~~~ 🌺🌹🥀🙏🌷🌻💐 तुन भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी... 🌺🌹🥀🙏🌷🌻💐 दान में सबसे बड़ा दान प्राणों का दान होता है. पर्यावरण संरक्षण हेतु पेड़ों को बचाने के लिए 363 बिश्नोई समाज के लोगों ने प्राणों की आहुति दी। “सिर सांटे रूंख रहे, तो भी सस्तो जाण।” मां अमृता देवी बिश्नोई की अगुवाई में पर्यावरण संरक्षण हेतु अपने प्राणों का बलिदान देने वाले खेजड़ली के 363 शहीदों को खेजड़ली बलिदान दिवस पर सादर नमन। सन् 1730 में राजस्थान के जोधपुर से 25 किलोमीटर दूर छोटे से गांव खेजड़ली में यह घटना घटित हुई. सन् 1730 में जोधपुर के राजा अभयसिंह ने नया महल बनाने के कार्य में चूने का भट्टा जलाने के लिए इंर्धन हेतु खेजड़ियाँ काटने के लिए अपने कर्मचारियों को भेजा। वहां अमृतादेवी बेनीवाल सहित कुल 363 लोगों ने पेड़ों को बचाने के लिए अपनी जान दे दी। विश्व में ऐसा अनूठा कोई दूसरा उदाहरण नहीं है। “सिर साटे रुख रहे तो भी सस्तो जाण” – को सही साबित कर दिया. अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा ने वृक्षों की रक्षा हेतु

अरुण जेटली जी

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अरुण जेटली जी ~~~~~~~~~  सभी देशवासियों के दिलों पर राज करने वाले पुर्व वित्त मंत्री श्रीअरुण जेट्ली जी की पुण्य तिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि !  जनसंघ से शुरू हुआ था अरुण जेटली जी राजनैतिक सफ़र.. जानिये उनके बारे में वो बातें, जिससे शायद आप अनजान हों..... ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता तथा पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली जी, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते थे। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में उनके पास वित्त जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय था तो वहीं उन्होंने रक्षा मंत्रालय का प्रभार भी संभाला था। उनकी गिनती प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के बाद दूसरे नंबर के नेताओं के साथ होती थी। बतौर वित्त मंत्री जेटली ने आम बजट और रेल बजट को एकसाथ पेश करने की व्यवस्था लागू की। इतना ही नहीं, गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) को पूरे देश में लागू करने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान था।  बतौर वित्त मंत्री वो हमेशा कहते थे कि जिस तरह से बीमारी को जड़ से ठीक करने के लिए कई बार कड़वी दवा पीनी पड़ती है, ठीक वैसे ही देश की अर्थव्यवस्था क

नीरा आर्य जी

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वीरांगना नीरा आर्य ~~~~~~~~~~ 🌺🌹🙏🌹🌺 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो लडे आज़ादी के लिए उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी ..... 🌺🌹🙏🌹🙏🌺 शहीदों, आज़ादी के मतवालों और देशभक्तों को इतनी यातनाएं दी गईं और नेहरू कहते थे कि सिर्फ चरखे से आजादी मिली? भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंदशेखर आज़ाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, रौशन सिंह, आदि-आदि को हमारे इतिहासकार आतंकवादी लिखते हैं। आज़ादी के आज 75सालों के बाद भी उन्हें शहीद का दर्जा नहीं मिला, क्यों? सुभाष चन्द्र बोस की मौत एक राज़, उनके दस्तावेज तक सावर्जनिक नही किये गए, क्यों? सरदार वल्लभ भाई पटेल को 44 साल बाद भारत रत्न दिया गया, क्यों? सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की देशभक्त, आज़ादी की लड़ाई में गांधी जी की सहयोगी व योग्य बेटी मणिबेन पटेल को नेहरू ने पटेल के निधन के बाद दरकिनार कर दिया, क्यों? इतिहास में अकबर को महान व देशभक्तों व शहीदों को इतिहास से गायब कर दिया, क्यों? ऐसी बहुत सी बातें हैं, क्या-क्या कहें। चलिये एक कहानी बताती हूँ, नीरा आर्य की कहानी ...... एक बेसहारा, लावारिस और अनजान के रूप में हुई एक मृ

अमर शहीद शिवराम हरि राजगुरु

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शहीद शिवराम राजगुरु जी ~~~~~~~~~~~~~~ 🌺🌹💐🙏💐🌹🌺 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी..... 🌺💐🌹🙏🌹💐🌺 भारत को गुलामी से मुक्त करवाने के लिए कई क्रांतिकारियों ने अपना जीवन हमारे देश के लिए कुर्बान किया है। इन्हीं क्रांतिकारियों के बलिदान की वजह से ही हमारा देश एक आजाद देश बन सका है। हमारे देश के क्रांतिकारियों के नामों की सूची में अनगिनत क्रांतिकारियों के नाम मौजूद हैं और इन्हीं क्रांतिकारियों के नामों में से एक नाम ‘राजगुरु’ जी का भी है, जिन्होंने अपने जीवन को हमारे देश के लिए समर्पित कर दिया था। बेहद ही छोटी सी आयु में इन्होंने अपने देश के लिए अपनी जिंदगी को कुर्बान कर दिया था और इनकी कुर्बानी को आज भी भारत वासियों द्वारा याद किया जाता है। राजगुरु जी के जीवन से जुड़ी जानकारी ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ पूरा नाम : शिवराम हरि राजगुरु उप नाम : रघुनाथ, एम.महाराष्ट्र जन्म स्थान : पुणे, महाराष्ट्र, ब्रिटिश भारत जन्म तिथि : 24 अगस्त, 1908 मृत्यु तिथि : 23 मार्च, 1931 किस आयु में हुई मृत्यु : 22 वर्ष मृत्यु स्थान

राणा बेनी माधव बख्श सिंह

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राणा बेनीमाधव बख्श सिंह जी ~~~~~~~~~~~~~~~~ 🌺🌹🥀🙏🌷🌻💐 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी... 🌺🌹🥀🙏🌷🌻💐 रायबरेली तथा उन्नाव के बड़े हिस्से में सन 1857 ई. में भारत के स्वतन्त्रता प्राप्ति संग्राम और क्रांति की जो मशाल जली थी, उसके नायक थे राणा बेनीमाधव बख्श सिंह जिन्होने अंग्रेजी साम्राज्य के दंभ को चकनाचूर कर दिया था। तमाम घेराबंदी के बाद भी अंग्रेज सैनिक राणा बेनीमाधव सिंह बैस तक नहीं पहुंच सके, उस जमाने की संपन्न और ताकतवर रियासत शंकरपुर के शासक राणा बेनीमाधव सिंह बैस प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अगली कतार के प्रमुख नेता और महान संगठनकर्ता थे। राणा बेनीमाधव का समाज के सभी वर्गो पर गहरा असर था। व्यापक जनसमर्थन के सहारे ही अवध के ह्दयस्थल में उन्होने अंग्रेजों के खिलाफ जो गुरिल्ला जंग छेड़ी थी, उसकी काट तलाशने के अंग्रेजों को ना जाने कितना जतन करना पड़ा था। आखिरी सांस तक राणा लड़ते रहे और उन्होने अंग्रेजों के सामने कभी हथियार नहीं डाले। राणा बेनीमाधव सिंह बैस के अधीन रायबरेली सन 1857 ई. से सन 1858 ई

गौ, गंगा, गीता व गुरु की पुकार, अब तो जागो हिन्दू परिवार

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ये एक पुराना लेख हैं, जो गूगल पर कुछ सर्च करते हुए मुझे मिला था। मैंने इसे पूरा पढ़ा। मुझे बहुत हैरानी हुई। आप सभी के लिए इसे सोशल मीडिया पर शेयर कर रही हूँ। धन्यवाद। सनातन संस्कृति "~~~~~~~~~~~~ " गर्व से कहो हम हिन्दू है ! " गौ, गंगा, गीता और गुरु की पुकार । अब तो जागो हिन्दू परिवार ॥ ” हिंदुओं ! कब जागोगे ? पूर्ण विनाश के बाद ??? ” ये शब्द उन्हें ही संबोधित हैं जिनकी धमनियों में हिंदुत्व का पवित्र रक्त प्रवाहित हो रहा है, जिनके मन-मस्तिष्क में वेदों के ज्ञान का शीतल पवन प्रवाहितहै, जिन्हें साधु संत तथा हिंदू समाज सेवियों की सकारात्मक चेष्टाओं की पहचान है। हे आर्य ऋषि-मुनियों की संतान ! पिछले कुछ वर्षों से विशेष कर सन २००४ मई के बाद से हिंदू साधु-संत एवं संगठनों पर लगातार मिडिया, प्रेस एवं सरकारी स्तर से जो हमले हो रहे हैं तथा आरोपों पर आरोप लगाकर संतों को सताना, जेल में डालना, कुप्रचार करके बदनाम करना एवं हत्याएँ आदि राक्षसी कृत्य किये जा रहे हैं। इन सबके पीछे वास्तविक कारण क्या है पता है…??? “हिंदू धर्म व हिंदू साधुओं के प्रति हिंदुओं की आस्था, श्

परम् पूज्य संत स्वामी लक्ष्मणानंद जी

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परम् पूज्य संत स्वामी लक्ष्मणानंद जी ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ बलिदान दिवस 23 अगस्त 🌺🌹🥀🙏🌷🌻💐 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी... 🌺🌹🥀🙏🌷🌻💐 *पंजाब में #धर्मांतरण की आंधी को रोकने के लिए प्रेरक उदाहरण--23 अगस्त -- उड़ीसा में धर्मान्तरण के विरुद्ध आवाज बुलंद करने वाले पूज्य संत स्वामी लक्ष्मणानंद के बलिदान दिवस पर शत - शत नमन।*          कंधमाल उड़ीसा का वनवासी बहुल पिछड़ा क्षेत्र है। पूरे देश की तरह वहां भी 23 अगस्त, 2008 को जन्माष्टमी पर्व मनाया जा रहा था। रात में लगभग 30-40 क्रूर ईसाइयों ने फुलबनी जिले के तुमुडिबंध से तीन कि. मी. दूर स्थित जलेसपट्टा कन्याश्रम में हमला बोल दिया। 84 वर्षीय देवतातुल्य स्वामी लक्ष्मणानंद उस समय शौचालय में थे। हत्यारों ने दरवाजा तोड़कर पहले उन्हें गोली मारी और फिर कुल्हाड़ी से उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिये। स्वामी लक्ष्मणानंद जी का परिचय ~~~~~~~~~~~~~~~~~            स्वामी जी का जन्म ग्राम गुरुजंग, जिला तालचेर (उड़ीसा) में 1924 में हुआ था। वे गत 45 साल से वनवासियों के बीच च

क्रांतिकारी बीना दास जी

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क्रांतिकारी बीना दास जी ~~~~~~~~~~~~~ पूरा नाम : बीना दास जन्म : 24 अगस्त, 1911 ई. जन्म भूमि : कृष्णानगर, बंगाल (आज़ादी से पूर्व) मृत्यु : 26 दिसम्बर, 1986 मृत्यु स्थान : ऋषिकेश, उत्तराखण्ड नागरिकता : भारतीय प्रसिद्धि : स्वतंत्रता सेनानी धर्म : हिन्दू जेल यात्रा' : भारत छोड़ो आन्दोलन' के समय बीना दास को तीन वर्ष के लिये नज़रबन्द कर लिया गया था। शिक्षा : बी.ए. अन्य जानकारी : 1946 से 1951 तक बीना दास बंगाल विधान सभा की सदस्य रही थीं। गांधी जी की नौआख़ाली यात्रा के समय लोगों के पुनर्वास के काम में बीना ने भी आगे बढ़कर हिस्सा लिया था। संक्षिप्त परिचय ~~~~~~~~ बीना दास भारत की महिला क्रांतिकारियों में से एक थीं। इनका रुझान प्रारम्भ से ही सार्वजनिक कार्यों की ओर रहा था। 'पुण्याश्रम संस्था' की स्थापना इन्होंने की थी, जो निराश्रित महिलाओं को आश्रय प्रदान करती थी। बीना दास का सम्पर्क 'युगांतर दल' के क्रांतिकारियों से हो गया था। एक दीक्षांत समारोह में इन्होंने अंग्रेज़ गवर्नर स्टनली जैक्सन पर गोली चलाई, लेकिन इस कार्य में गवर्नर बाल-बाल बच गया और बीना गिरफ़्ता