क्रांतिकारी कनाईलाल दत्त
वीर क्रांतिकारी कनाईलाल दत्त ~~~~~~~~~~~~~~~~ भारतीय स्वाधीनता संग्राम में अनेक वीर-वीरांगनाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी। इनमें से कुछ तो हमें आज भी बखूबी याद हैं और कुछ को हम लगभग विस्मृत सा कर बैठे हैं। इस स्मृति और विस्मृति के बीच हमें ये कतई नहीं भूलना चाहिए कि इन्हीं शहीदों के कारण आज हम सब स्वतंत्र हैं। हमारे महान भारत देश को आज़ाद कराने के लिए बहुत सारे वीर क्रांतिकारी हँसते-हँसते फाँसी के फंदे पर लटक गये। मगर एक ऐसा महान क्रांतिकारी भी था जिसको अंग्रेजी सरकार ने फांसी की सजा दी और साथ ही ये भी प्रतिबंध लगा दिया कि इस फैसले के खिलाफ अपील नही की जा सकती। वो महान क्रांतिकारी थे .... कनाईलाल दत्त जी। ऐसे ही एक वीर बाँकुरे कनाईलाल दत्त का जन्म 30अगस्त 1888 को बंगाल के हुगली ज़िले में चंद्रनगर में हुआ था। उनके पिता चुन्नीलाल दत्त तत्कालीन ब्रिटिश सरकार की सेवा में थे। मुंबई में उनके पिता की नियुक्ति होने के कारण कनाईलाल पाँच वर्ष की उम्र में मुंबई आ गए। यहीं उनकी आरम्भिक शिक्षा-दीक्षा हुई. बाद में उन्होंने हुगली कॉलेज से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की किन्तु उनकी राजनीतिक गतिविधिय