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Showing posts from January, 2024

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी

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नेताजी सुभाषचंद्र बोस ~~~~~~~~~~~~~ स्वतंत्रता अभियान के एक और महान क्रान्तिकारियो में सुभाष चंद्र बोस – Netaji Subhash Chandra Bose का नाम भी आता है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रिय सेना का निर्माण किया था। जो विशेषतः “आजाद हिन्द फ़ौज़” के नाम से प्रसिद्ध थी। सुभाष चंद्र बोस, स्वामी विवेकानंद को बहुत मानते थे। “तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा”  सुभाष चंद्र बोस का ये प्रसिद्ध नारा था। उन्होंने अपने स्वतंत्रता अभियान में बहोत से प्रेरणादायक भाषण दिये और भारत के लोगो को आज़ादी के लिये संघर्ष करने की प्रेरणा दी। सुभाषचंद्र बोस की जीवनी ~~~~~~~~~~~~~~ पूरा नाम   – सुभाषचंद्र जानकीनाथ बोस जन्म        – 23 जनवरी 1897 जन्मस्थान – कटक (ओरिसा) पिता         – जानकीनाथ माता         – प्रभावती देवी शिक्षा        – 1919 में बी.ए. 1920 में आय.सी.एस. परिक्षा उत्तीर्ण। सुभास चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे। जिनकी निडर देशभक्ति ने उन्हें देश का हीरो बनाया। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द

भगवान श्री राम प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या समारोह

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भगवान श्री राम प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या समारोह, इस शुभ दिन को देखने के लिए भारत के लोगो ने कितने आँसू और कितना खून बहाया.... आज सबके सपने पूरे हो रहे हैं,  प्रभु श्री राम आ रहे हैं। आइए पढ़े.... अयोध्या का इतिहास जिसे पढ़कर आप रो पड़ेंगे। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ राममंदिर पर मुगलों और तुर्कों ने कई हमले किये लाखों हिन्दुओं ने दी अपने प्राणों की आहुति ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ जब बाबर दिल्ली की गद्दी पर आसीन हुआ उस समय राम जन्मभूमि सिद्ध महात्मा श्यामनन्द जी महाराज के अधिकार क्षेत्र में थी। महात्मा श्यामनन्द की ख्याति सुनकर ख्वाजा कजल अब्बास मूसा आशिकान अयोध्या आये । महात्मा जी के शिष्य बनकर ख्वाजा कजल अब्बास मूसा ने योग और सिद्धियाँ प्राप्त कर ली और उनका नाम भी महात्मा श्यामनन्द के ख्यातिप्राप्त शिष्यों में लिया जाने लगा। ये सुनकर जलालशाह नाम का एक फकीर भी महात्मा श्यामनन्द के पास आया और उनका शिष्य बनकर सिद्धियाँ प्राप्त करने लगा। जलालशाह एक कट्टर मुसलमान था, और उसको एक ही सनक थी, हर जगह इस्लाम का आधिपत्य साबित करना। अत: जलालशाह ने अपने काफिर गुरू की पीठ में छुरा घो

गुरु गोबिंद सिंह जी

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गुरु गोबिंद सिंह जी ~~~~~~~~~~ सिक्खों के दसवे गुरु गोबिंद सिंह (Guru Gobind Singh) की इस वर्ष 352वी जयंती मनाई जा रही है | योद्धा , कवि और विचारक गोबिंद सिंह ने 1699 में खालसा पन्थ के स्थापना की थी | उन्होंने मुगल बादशाह के साथ कई युद्ध किये और  ज्यादातर में में विजय हासिल की | उनके पिता सिक्ख धर्म के नौवे गुरु तेगबहादुर और माता गुजरी देवी थी | उन्होंने 1699 को बैसाखी वाले दिन आनन्दपुर साहिब में एक बड़ी सभा का आयोजन कर खालसा पंथ की स्थापना की थी | नौ वर्ष की उम्र में सम्भाली गद्दी ~~~~~~~~~~~~~~~~ श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसम्बर 666 ईस्वी में पटना साहिब में श्री तेगबहादुर जी जे घर माता गुजरी जी की कोख से हुआ। सिखों के 10वें गुरु गुरु गोविंद सिंह का जन्म बिहार के पटना साहिब में 1666-1708 के बीच हुआ था। जूूूूलियन कैलेंडर के अनुसार गुरु गोविंद सिंह का जन्म पटना में 22 दिसंबर 1666 को हुआ था। लेकिन वर्तमान समय में जूलियन कैलेंडर मान्य नहीं है। वहीं ग्रेगोरियन कैलेंडर का मानना है कि गुरु गोविंद का जन्म 1 जनवरी 1667 को हुआ था। लेकिन इन दोनों से इतर हिन्दू कैलेंडर

शहीद राजा नाहर सिंह जी

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शहीद राजा नाहर सिंह ~~~~~~~~~~~ 🌺🌻💐🙏💐🌻🌺 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी.. 🌺🌻💐🙏💐🌻🌺 "जो देश अपने वीर और महान सपूतों को भूल जाता है, उस देश के आत्मसम्मान को हीनता की दीमक चट कर जाती है।"  ....... याद रखना दोस्तों। हमें समय समय पर इन महान हस्तियों को याद करते रहना चाहिए। अपने बच्चों, छोटे भाई-बहनों, आदि को इन वीर सपूतों की वीर गाथाओं को समय-समय पर सुनाना चाहिए। इन अमर बलिदानियों के किस्से-कहानियों को कॉपी-पेस्ट करके अपने-अपने सोशल नेटवर्क पर डालना चाहिए व एक दूसरे को शेयर करना चाहिए, ताकि और लोगो को भी इन अमर बलिदानियों व शहीदों के बारे में पता लग सके। ........... सन् 1857 की रक्तिम क्रांति के समय दिल्ली के बीस मील पूर्व में जाटों की एक रियासत थी। इस रियासत के नवयुवक राजा नाहर सिंह बहुत वीर, पराक्रमी और चतुर थे। दिल्ली के मुगल दरबार में उनका बहुत सम्मान था और उनके लिए सम्राट के सिंहासन के नीचे ही सोने की कुर्सी रखी जाती थी। मेरठ के क्रांतिकारियों ने जब दिल्ली पहुँचकर उन्हें ब्रितानियों के चं

वीर गोकुल सिंह जाट का बलिदान

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वीर गोकुल सिंह जाट का बलिदान ~~~~~~~~~~~~~~~~~ "जो देश अपने वीर और महान सपूतों को भूल जाता है, उस देश के आत्मसम्मान को हीनता की दीमक चट कर जाती है।"  ....... याद रखना दोस्तों। हमें समय समय पर इन महान हस्तियों को याद करते रहना चाहिए। अपने बच्चों, छोटे भाई-बहनों, आदि को इन वीर सपूतों की वीर गाथाओं को समय-समय पर सुनाना चाहिए। इन अमर बलिदानियों के किस्से-कहानियों को कॉपी-पेस्ट करके अपने-अपने सोशल नेटवर्क पर डालना चाहिए व एक दूसरे को शेयर करना चाहिए, ताकि और लोगो को भी इन अमर बलिदानियों व शहीदों के बारे में पता लग सके। जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी ....... 🙏🙏 दुनिया भर के इतिहास में ऐसा आदर्श भी हमको देखने को मिलता है, जब एक व्यक्ति नि:स्वार्थ भाव से आत्म बलिदान दे .... वीर गोकुला के पूर्वज सदियों से महावन बलदेव क्षेत्र के जागीरदार राजा थे|| इनके पूर्वज महाराजा कुलिचंद जाट महमूद गजनवी से युद्ध लड़ा.... वह भगवान श्रीकृष्ण के वंशज थे... दिल्ली के बादशाह अलमगीर औरंगजेब ने जब आम जनता पर अत्याचार शुरू कर दिए तब उनके खिलाफ उठने वाली पहली तलवार भी जाटों की