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Showing posts from May, 2018

चौधरी चरण सिंह

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चौधरी चरण सिंह ~~~~~~~~~ राजनेता व भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जन्म: 23 दिसम्बर, 1902, नूरपुर, यूनाइटेड प्रोविंस, ब्रिटिश इंडिया निधन: 29 मई, 1987 कार्य: राजनेता, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह एक भारतीय राजनेता और देश के पांचवे प्रधानमंत्री थे। भारत में उन्हें किसानों की आवाज़ बुलन्द करने वाले नेता के तौर पर देखा जाता है। हालांकि वे भारत के प्रधानमंत्री बने पर उनका कार्यकाल बहुत छोटा रहा। प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्होंने भारत के गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री के तौर पर भी कार्य किया था। वे दो बार उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे और उसके पूर्व दूसरे मंत्रालयों का कार्यभार भी संभाला था। वे महज 5 महीने और कुछ दिन ही देश का प्रधानमंत्री रह पाए और बहुमत सिद्ध करने से पहले ही त्यागपत्र दे दिया। प्रारंभिक जीवन चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर, 1902 को यूनाइटेड प्रोविंस (वर्तमान उत्तर प्रदेश) के नूरपुर गाँव में एक किसान परिवार में हुआ था। इनके परिवार का सम्बन्ध बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह से था जिन्होंने 1887 की क्रान्ति में विशेष योगदान दिया था। ब्रिटिश हुकूमत ने ना

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ - 93 वर्ष

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 93 वर्ष का हो चुका है। 1925 में दशहरे के दिन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी। सांप्रदायिक हिंदूवादी, फ़ासीवादी और इसी तरह के अन्य शब्दों से पुकारे जाने वाले संगठन के तौर पर आलोचना सहते और सुनते हुए भी संघ को कम से कम 7-8 दशक हो चुके हैं। दुनिया में शायद ही किसी संगठन की इतनी आलोचना की गई होगी, वह भी बिना किसी आधार के। संघ के ख़िलाफ़ लगा हर आरोप आख़िर में पूरी तरह कपोल-कल्पना और झूठ साबित हुआ है। कोई शक नहीं कि आज भी कई लोग संघ को इसी नेहरूवादी दृष्टि से देखते हैं। हालांकि ख़ुद नेहरू को जीते-जी अपना दृष्टि-दोष ठीक करने का एक दुखद अवसर तब मिल गया था, जब 1962 में देश पर चीन का आक्रमण हुआ था. तब देश के बाहर पंचशील और लोकतंत्र वग़ैरह आदर्शों के मसीहा जवाहरलाल न ख़ुद को संभाल पा रहे थे, न देश की सीमाओं को। लेकिन संघ अपना काम कर रहा था. संघ के कुछ उल्लेखनीय कार्य :- 1) कश्मीर सीमा पर निगरानी, विभाजन पीड़ितों को आश्रय ...... संघ के स्वयंसेवकों ने अक्टूबर 1947 से ही कश्मीर सीमा पर पाकिस्तानी सेना की गतिविधियों पर बगैर किसी प

राजा राममोहन राय

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राजा राममोहन राय ~~~~~~~~~~ जीवनी :-        राजा राममोहन राय को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत और आधुनिक भारत का जनक कहा जाता है। भारतीय सामाजिक और धार्मिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में उनका विशिष्ट स्थान है। वे ब्रह्म समाज के संस्थापक, भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक, जनजागरण और सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता तथा बंगाल में नव-जागरण युग के पितामह थे। उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम और पत्रकारिता के कुशल संयोग से दोनों क्षेत्रों को गति प्रदान की। उनके आन्दोलनों ने जहाँ पत्रकारिता को चमक दी, वहीं उनकी पत्रकारिता ने आन्दोलनों को सही दिशा दिखाने का कार्य किया। राजा राममोहन राय की दूर‍दर्शिता और वैचारिकता के सैकड़ों उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं। हिन्दी के प्रति उनका अगाध स्नेह था। वे रू‍ढ़िवाद और कुरीतियों के विरोधी थे लेकिन संस्कार, परंपरा और राष्ट्र गौरव उनके दिल के करीब थे। वे स्वतंत्रता चाहते थे लेकिन चाहते थे कि इस देश के नागरिक उसकी कीमत पहचानें।         अंग्रेजी शासन, अंग्रेजी भाषा एवं अंग्रेजी सभ्यता की प्रशंशा करने के लिये राममोहन राय की आलोचना की जाती है। उन्होने स्वतंत्रता आन्दो