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Showing posts from March, 2019

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले

★जरा याद करो कुर्बानी★ #बलिदान_दिवस #भगत_सिंह -- उनकी जेब में करतार सिंह साराभाई, भगवत गीता और स्वामी विवेकानंद की जीवनी रहती थी और फिर वो लिखते हैं ‘वाइ आई एम एन अथीस्ट’? मैं नास्तिक क्यों हूँ ?? जी हाँ मैं बात कर रही हूँ अमर शहीद भगत सिंह जी की ...... आज उनका बलिदान दिवस है तो आइए उनके कुछ अनसुने किस्से आपसे साझा करती हूँ -- मेरे जीने का मकसद ~~~~~~~~~~~ ★★ लाहौर जेल में बंद कुछ कैदियों की ‌एक चिट्ठी जेल में ही बंद एक नौजवान के पास पहुंची, जिसमें लिखा था कि "हमने अपने भागने के लिए एक रास्ता बनाया है, लेकिन हम चाहते हैं कि हमारी जगह आप उससे निकल जाएं"। युवक ने चिट्ठी के बदले में जवाब भेजा। "धन्यवाद.....मैं आपका आभारी हूं लेकिन ये आग्रह स्वीकार नहीं कर सकता अगर ऐसा किया तो मेरे जीने का मकसद ही खत्म हो जाएगा। मैं चाहता हूं मेरी शहादत देश के काम आए और युवाओं में प्रेरणा और जोश भरने का काम करे, जिससे देश को जल्द से जल्द आजादी मिल सके।" वो युवक थे 24 साल के भगत सिंह। #फाँसी_के_वक़्त_वो_लेनिन_को_पढ़_रहे_थे_ये_सफेद_झूठ -- ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ 23मार्च 1931

मनोहर पर्रिकर जी

मनोहर पर्रीकर जी ~~~~~~~~~~       मनोहर पर्रीकर का पूरा नाम 'मनोहर गोपालकृष्‍ण प्रभु पर्रीकर' है। इनका जन्‍म 13 दिसंबर 1955 को गोवा के मापुसा में हुआ। उन्‍होंने अपने स्‍कूल की शिक्षा मारगाव में पूरी की। इसके बाद आई.आई.टी. मुम्बई से इंजीनियरिंग और 1978 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। पर्रिकर के दो बेटे उत्पल और अभिजात हैं। अभिजात गोवा में ही अपना बिजनेस चलाते हैं तो बेटे उत्पल ने अमेरिका से इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। पर्रिकर की पत्नी मेधा अब इस दुनिया में नहीं हैं। 2001 में उनकी पत्नी का कैंसर के चलते निधन हो गया था। 1978 में अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने वाले मनोहर पर्रीकर का मुंबई की पढ़ाई से लेकर गोवा के मुख्यमंत्री और बाद में रक्षामंत्री तक का सफर काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है, जिसे इन्होने ने बहुत ही समझदारी और सूझ-बूझ से पूरा किया. मनोहर परिकर का राजनीतिक कैरियर 1994 में तब शुरू हुआ जब वे गोवा विधानसभा के विधायक चुने गए, उसके बाद वह 24 अक्टूबर साल 2000 में गोवा के मुख्यमंत्री के तौर पर नियुक्त हुए और 27 फरवरी 2002 तक मुख्यमंत्री के कार्य बखूबी संभाला. वह 2002 में द्वा

मल्हारराव होल्कर

मल्हारराव होल्कर ~~~~~~~~~~ जन्म : 16 मार्च 1693 ई. मृत्यु तिथि : 20 मई 1766 ई. वंश : होल्कर वंश ~~~~~~~~~ मराठा साम्राज्य, पेशवा, बालाजी विश्वनाथ, बालाजी बाजीराव, शिवाजी, बाजीराव प्रथम, शाहजी भोंसले, शम्भाजी पेशवा, बाजीराव द्वितीय, राजाराम शिवाजी, दौलतराव शिन्दे, नाना फड़नवीस, दादोजी कोंडदेव, होल्कर वंश अन्य जानकारी ~~~~~~~~ मल्हारराव होल्कर होल्कर वंश के प्रवर्तक थे। वह प्रारम्भ में पेशवा बाजीराव प्रथम (1720-1740 ई.) की सेवा में रहे, उसने पेशवा की काफ़ी दिनों तक सेवा की तथा कई विजय अभियानों में भी भाग लिया था। मल्हाराव होल्कर ~~~~~~~~~~ मल्हारराव होल्कर (अंग्रेज़ी: Malhar Rao Holkar, जन्म:16 मार्च 1693 ई.- मृत्य: 20 मई 1766 ई.) इंदौर के होल्कर वंश का प्रवर्तक थे। मल्हार राव विशेष रूप से मध्य भारत में मालवा के पहले मराठा सूबेदार होने के लिये जाना जाते थे। यह होल्कर परिवार के पहले राजकुमार थे, जिन्होंने इंदौर के राज्य पर शासन किया था। उन्होंने पेशवा बाजीराव प्रथम को कई युद्धों में विजय दिलवाई थी। उनके वंशजों द्वारा शासित राज्य को 1948 ई. में भारतीय गणराज्य में सम्मिलित कर

जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लिया गया

शहीद उधम सिंह जी ~~~~~~~~~~~ 13 मार्च 1940 के दिन उधम सिंह ने जनरल डायर को उसके घर (इंग्लैंड) में घुसकर मारा और #जलियांवाला_बाग हत्याकांड का बदला लिया था ....... स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अनेक वीरों ने ऐसे साहसिक कार्य किए हैं तभी देश स्वतंत्र हुआ, ऐसे सभी वीरों को कोटि-कोटि नमन शहीद उधम सिंह Udham Singh एक राष्ट्रवादी भारतीय क्रन्तिकारी थे जिनका जन्म शेर सिंह के नाम से 26 दिसम्बर 1899 को सुनम, पटियाला, में हुआ था। उनके पिता का नाम टहल सिंह था और वे पास के एक गाँव उपल्ल रेलवे क्रासिंग के चौकीदार थे। सात वर्ष की आयु में उन्होंने अपने माता पिता को खो दिया जिसके कारण उन्होंने अपना बाद का जीवन अपने बड़े भाई मुक्ता सिंह के साथ 24 अक्टूबर 1907 से केंद्रीय खालसा अनाथालय Central Khalsa Orphanage में जीवन व्यतीत किया। दोनों भाईयों को सिख समुदाय के संस्कार मिले अनाथालय में जिसके कारण उनके नए नाम रखे गए। शेर सिंह का नाम रखा गया उधम सिंह और मुक्त सिंह का नाम रखा गया साधू सिंह। साल 1917 में उधम सिंह के बड़े भाई का देहांत हो गया और वे अकेले पड़ गए। उधम सिंह के क्रन्तिकारी जीवन की शुरुवात ~~~~~