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Showing posts from April, 2021

तात्या टोपे जी

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तात्या टोपे ~~~~~~ पूरा नाम  – रामचंद्रराव पांडुरंगराव येवलकर जन्म     – सन 1814 जन्मस्थान – यवला (महाराष्ट्र) पिता     – पांडुरंग माता     – रुकमाबाई तात्या टोपे का जन्म सन 1814 ई. में नासिक के निकट पटौदा ज़िले में येवला नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम पाण्डुरंग त्र्यम्बक भट्ट तथा माता का नाम रुक्मिणी बाई था। तात्या टोपे देशस्थ कुलकर्णी परिवार में जन्मे थे। इनके पिता पेशवा बाजीराव द्वितीय के गृह-विभाग का काम देखते थे। उनके विषय में थोड़े बहुत तथ्य उस बयान से इकट्ठे किए जा सकते हैं, जो उन्होंने अपनी गिरफ़्तारी के बाद दिया और कुछ तथ्य तात्या के सौतेले भाई रामकृष्ण टोपे के उस बयान से इकट्ठे किए जा सकते हैं, जो उन्होंने 1862 ई. में बड़ौदा के सहायक रेजीडेंस के समक्ष दिया था। तात्या का वास्तविक नाम 'रामचंद्र पांडुरंग येवलकर' था। 'तात्या' मात्र उपनाम था। तात्या शब्द का प्रयोग अधिक प्यार के लिए होता था। टोपे भी उनका उपनाम ही था, जो उनके साथ ही चिपका रहा। क्योंकि उनका परिवार मूलतः नासिक के निकट पटौदा ज़िले में छोटे से गांव येवला में रहता था, इसलिए उनक

This is why PM Narendra Modi swears by Neem leaves and Mishri

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This is why PM Narendra Modi swears by Neem leaves and Mishri ..... 01/5.  PM Modi eats neem leaves and mishri daily If you have been avoiding neem leaves and flowers all this while, Prime Minister Narendra Modi has got a reason for you to start adding it to your daily routine. On the occasion of Chaitra Navratri, he shared a post and captioned, “To mark the start of the Hindu New Year many people across the nation have Neem and Mishri.” He has further written, “During Chaitra Navratri, many people including me, have juice prepared from Neem tender leaves and flowers.” Let us tell you what makes these combos perfect for the human body.  02/5​. Benefits of Neem Flower It is an antiseptic that helps cleanse the system and is also used to cure skin impurities. According to Ayurveda, neem flowers are helpful in calming the system ahead of summer. It is a pitta pacifier and this is why it is used in many homes across South India with the onset of summer season. 03/5​. Benef

भारत रत्न डॉ बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर

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भारत रत्न डॉ बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर  ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी भारतीय संविधान के शिल्पकार और आज़ाद भारत के पहले न्याय मंत्री थे। वे प्रमुख कार्यकर्ता और सामाज सुधारक थे। डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने दलितों के उत्थान और भारत में पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए अपना पूरे जीवन का परित्याग कर दिया। वे दलितों के मसीहा के रूप में मशहूर हैं। आज समाज में दलितों का जो स्थान मिला है। उसका पूरा श्रेय डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को जाता है। ”देश प्रेम में जिसने आराम को ठुकराया था गिरे हुए इंसान को स्वाभिमान सिखाया था जिसने हमको मुश्किलों से लड़ना सिखाया था इस आसमां पर ऐसा इक दीपक बाबा साहेब कहलाया था।” डॉ. भीमराव अम्बेडकर जीवनी  ~~~~~~~~~~~~~~~~ नाम : डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर जन्म : 14 अप्रैल, 1891 (अम्बेडकर जयन्ती) जन्मस्थान : महू, इंदौर, मध्यप्रदेश पिता : रामजी मालोजी सकपाल माता : भीमाबाई मुबारदकर जीवनसाथी :  पहला विवाह– रामाबाई अम्बेडकर (1906-1935) दूसरा विवाह– सविता अम्बेडकर (1948-1956) शिक्षा : एलफिंस्टन हाई स्कूल, बॉम्बे विश्वविद्यालय, 1915 में एम. ए. (अर्थशास्त्र)। 1916

बैसाखी

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बैसाखी ~~~~ 'बैसाखी' को 'वैसाखी' के नाम से भी जाना जाता है। बैसाखी प्रायः प्रति वर्ष 13 अप्रैल को मनायी जाती है किन्तु कभी-कभी यह 14 अप्रैल को पड़ती है। बैसाखी का त्यौहार एक मौसमी त्यौहार है। यह सम्पूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है किन्तु पंजाब एवं हरियाणा में इसका विशेष महत्त्व है। यह त्यौहार सभी धर्मों एवं जातियों के द्वारा मनाया जाता है। बैसाखी मुख्यतः कृषि पर्व है। यह त्यौहार फसल कटाई के आगमन के रूप में मनाया जाता है।  बैसाखी सिखों का प्रसिद्द त्यौहार है। सिखों के लिए यह पर्व मात्र फसल कटाई आगमन का द्योतक ही नहीं बल्कि सिख भाईचारे और एकता का प्रतीक भी है। वर्ष 1699 में इसी दिन अंतिम सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिखों को खालसा के रूप में संगठित किया था। सिख इस त्यौहार को सामूहिक जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं। बैसाखी पर्व के दिन समस्त उत्तर भारत की पवित्र नदियों में स्नान करने का माहात्म्य माना जाता है। बैसाखी के पर्व पर लोग नए कपड़े धारण करते हैं। वे घर में हलवा एवं अन्य प्रिय व्यंजनों को बनाते हैं। बैसाखी के पर्व पर लगने वाला बैसाखी मेला बहुत प्रसिद्द ह

अमर शहीद ऊधम सिंह - जलियांवाला बाग - बैसाखी

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★आओ कुछ अच्छी बातें करें★ "* अमर शहीद ऊधम सिंह - जलियांवाला बाग - बैसाखी *" दोस्तों, भारत के इतिहास में कुछ तारीख कभी नहीं भूली जा सकती हैं। 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के पर्व कर पंजाब में अमृतसर के जलियांवाला बाग में ब्रिटिश ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर द्वारा किए गए निहत्थे मासूमों के हत्याकांड से ब्रिटिश औपनिवेशिक राज की बर्बरता का ही परिचय मिलता हैं। ऊधम सिंह जी 13 अप्रैल 1919 को, उस जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के दिल दहला देने वाले, बैसाखी के दिन में वहीँ मजूद थे। ये ह्रदयविदारक घटना ऊधम सिंह जी के दिल मे घर कर गई। वह जलियावाला बाग हत्या कांड का बदला लेने का मौका ढूंढ रहे थे। यह मौका बहुत दिन बाद, लगभग 21 वर्षों के बाद, 13 मार्च 1940 को आया। उस दिन काक्सटन हॉल, लन्दन Caxton Hall, London में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन East India Association और रॉयल सेंट्रल एशियाई सोसाइटी Royal Central Asian Society का मीटिंग था। लगभग शाम 4.30 बजे उधम सिंह ने पिस्तौल से 5-6 गोलियां सर माइकल ओ द्व्येर  Sir Michael O’Dwyer पर फायर किया और वहीँ उसकी मौत हो गयी। इस पर 31 जुलाई 1940 को इस मह

लेफ्टिनेंट कर्नल धनसिंह थापा

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लेफ्टिनेंट कर्नल धनसिंह थापा ~~~~~~~~~~~~~~~ वीर गोरखा भारतीय सैनिक भारत-चीन युद्ध के दौरान अदम्य साहस व पराक्रम दिखाने वाले परमवीर चक्र विजेता लेफ्टिनेंट कर्नल धनसिंह थापा जी की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन। मेजर धनसिंह थापा उन वीर गोरखा नायको में से है, जिन्होंने अपने जीवन के अनुशासन और शौय से भारतवर्ष को अतुलनीय योगदान दिया।  युद्ध मैदान मे अदम्य साहस और वीरता के भारतीय सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र के विजेता. जन्म -10 अप्रैल सन 1928 ई. शिमला, हिमाचल प्रदेश। देहावसान - 6 सितम्बर सन 2005 ई.  मेजर धनसिंह थापा उन वीर गोरखा नायको में से है, जिन्होंने अपने जीवन को अनुशासन और शौय से भारतवर्ष को अतुलनीय योगदान दिया। 10 जून 1928 को शिमला में पी एस थापा के घर जन्मे धन सिंह ने अगस्त सन 1949 में भारतीय सेना के 8 गोरखा राईफल्स में कमीशन अधिकारी के रूप में अपनी सेवा प्रारम्भ की। धन सिंह थापा ने सन 1962 के भारत-चीन से युद्ध के दौरान कश्मीर सूबे के लद्दाख भूभाग में चीनी आक्रमणकारी सेना का सामना बहादुरी से किया। लद्दाख के उत्तरी सीमा पर पांगोंग झील के पास सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्

ज्योतिराव गोविंदराव फुले

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ज्योतिराव गोविंदराव फुले ~~~~~~~~~~~~~ राष्ट्र पिता ज्योतिबा फुले जी जयंती   🎂 ( 11 April 1827) पर समस्त भारत देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ 💐💐💐 ज्योतिराव गोविंदराव फुले (जन्म - ११ अप्रैल १८२७, मृत्यु - २८ नवम्बर १८९०), महात्मा फुले एवं ज्‍योतिबा फुले के नाम से प्रचलित 19वीं सदी के एक महान भारतीय विचारक, समाज सेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। सितम्बर १८७३ में इन्होने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाजनामक संस्था का गठन किया। महिलाओं व दलितों के उत्थान के लिय इन्होंने अनेक कार्य किए। समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे। ज्योतिराव गोविंदराव फुले जन्म : 11 अप्रैल 1827 खानवाडी, पुणे, ब्रिटिश भारत (अब महाराष्ट्र में) मृत्यु : 28 नवम्बर 1890 (उम्र 63) पुणे, ब्रिटिश भारत अन्य नाम : महात्मा फुले/ज्योतिबा फुले/ ज्योतिराव फुले धार्मिक मान्यता : सत्य शोधक समाज जीवन साथी : सावित्रीबाई फुले युग१९वी सदीं आरंभिक जीवन :- महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 1827 ई. में पुणे में हुआ था। उनका परिवार कई पीढ़ी पहले सतारा से पुणे आकर फूलों के ग

1857 के महानायक मंगल पांडे

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1857 के महानायक मंगल पांडे ~~~~~~~~~~~~~~~~~ क्रांतिकारी मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के फैज़ाबाद ज़िले में हुआ था। इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे तथा माता का नाम श्रीमति अभय रानी था। वे कोलकाता के पास बैरकपुर की सैनिक छावनी में "34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री" की पैदल सेना के 1446 नम्बर के सिपाही थे। भारत की आज़ादी की पहली लड़ाई अर्थात 1857 के संग्राम की शुरुआत उन्हीं के विद्रोह से हुई थी। जन्म तारीख और जगह का विवाद ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ कुछ् सन्दर्भों में उनका जन्मस्थल अवध की अकबरपुर तहसील के सुरहुरपुर ग्राम (अब ज़िला अम्बेडकरनगर का एक भाग) बताया गया है। इन सन्दर्भों के अनुसार फ़ैज़ाबाद के दुगावाँ-रहीमपुर के मूल निवासी पण्डित दिवाकर पाण्डेय सुरहुरपुर स्थित अपनी ससुराल में बस गये थे। कुछ अन्य स्थानों पर उनकी जन्मतिथि भी 30 जनवरी 1831 बताई गई है। इन सन्दर्भों की सत्यता के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। कैसे हुई संग्राम की शुरुआत ~~~~~~~~~~~~~~~ 1857 के संग्राम की नीव उस समय पड़ी जब सिपाहियों को 1853 में एनफील्ड पी 53 नामक बंदूक दी गई. यह बंद

अप्रैल फूल" किसी को कहने से पहले इसकी वास्तविक सत्यता जरुर जान ले.!!

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1अप्रैल जा चुका हैं, पर ये याद रखना जरूरी हैं..... अप्रैल फूल" किसी को कहने से पहले इसकी वास्तविक सत्यता जरुर जान ले.!! पावन महीने की शुरुआत को मूर्खता दिवस कह रहे हो !! पता भी है क्यों कहते है अप्रैल फूल (अप्रैल फुल का अर्थ है - हिन्दुओ का मूर्खता दिवस).?? ये नाम अंग्रेज ईसाईयों की देन है… सीधा व सरल हिन्दू कैसे समझें... "अप्रैल फूल" का मतलब बड़े दिनों से बिना सोचे समझे चल रहा है.... अप्रैल फूल, अप्रैल फूल ...??? इसका मतलब क्या है.?? दरसल जब ईसाइयत अंग्रेजो द्वारा हमे 1 जनवरी का नववर्ष थोपा गया तो उस समय हम लोग विक्रमी संवत के अनुसार 1अप्रैल से अपना नया साल बनाते थे, जो आज भी सच्चे हिन्दुओ द्वारा मनाया जाता है, आज भी हमारे बही खाते और बैंक 31 मार्च को बंद होते है और 1अप्रैल से शुरू होते है, पर उस समय जब भारत गुलाम था तो ईसाइयत ने विक्रमी संवत का नाश करने के लिए साजिश करते हुए 1अप्रैल को मूर्खता दिवस "अप्रैल फूल" का नाम दे दिया ताकि हमारी सभ्यता मूर्खता लगे। अब आप ही सोचो अप्रैल फूल कहने वाले कितने सही हो आप.? याद रखो अप्रैल माह से

छत्रपति शिवाजी महाराज

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छत्रपति शिवाजी महाराज ~~~~~~~~~~~~~ शिवाजी महाराज भारतीय शासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। शिवाजी महाराज एक बहादुर, बुद्धिमान और निडर शासक थे। धार्मिक अभ्यासों में उनकी काफी रूचि थी। रामायण और महाभारत का अभ्यास वे बड़े ध्यान से करते थे। पूरा नाम   – शिवाजी शहाजी भोसले जन्म        – 19 फरवरी, 1630 / 4 अप्रैल, 1680 जन्मस्थान – शिवनेरी दुर्ग (पुणे) पिता         – शहाजी भोसले माता         – जिजाबाई शहाजी भोसले विवाह       – सइबाई के साथ छत्रपती शिवाजी महाराज – ~~~~~~~~~~~~~~ शाहजी भोंसले की पत्नी जीजाबाई (राजमाता जिजाऊ)की कोख से शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। शिवनेरी दुर्ग पूना (पुणे) से उत्तर की तरफ़ जुन्नार नगर के पास था। उनका बचपन राजा राम, संतों तथा रामायण, महाभारत की कहानियों और सत्संग में बीता। वह सभी कलाओ में माहिर थे, उन्होंने बचपन में राजनीति एवं युद्ध की शिक्षा ली थी। उनके पिता शहाजी भोसले अप्रतिम शूरवीर थे। शिवाजी महाराज के चरित्र पर माता-पिता का बहुत प्रभाव पड़ा। बचपन से ही वे उस युग के वातावरण और घटनाओं को बहली प्रक