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Showing posts from May, 2019

नरेन्द्र मोदी एप्प पर 5लाख एक्टिविटी पॉइंट्स

मेरे दोस्तों, मेरे सहयोगियों, मेरे साथियों, लगभग चार महीने पहले मैने प्रण लिया था कि मैं जान लड़ा दूंगी, भाजपा के चुनाव प्रचार में, चाहे वो ज़मीनी स्तर पर हो या सोशल मीडिया पर हो। ज़मीनी स्तर पर मैंने डूंडाहेड़ा मण्डल, बादशाहपुर, गुरुग्राम के तीन बूथ की पालक के तौर पर कार्य किया। साथ ही पूरे हरियाणा में कई जगहों पर अपने पिताजी रिटायर्ड डिप्टी डारेक्टर एग्रीकल्चर की मदद से लोगों से सम्पर्क कर के भाजपा को वोट व स्पोर्ट करने की अपील की। मैंने नरेन्द्र मोदी एप्प पर अपनी बनाई कई पोस्ट डाली और फिर उन्हें वहां से आगे सोशल मीडिया पर शेयर किया। साथ ही "NARENDER MODI APP" और "MyGov App" पर अपने महान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व हमारी भारतीय जनता पार्टी द्वारा हमारे महान देश भारत व देश के लोगो के लिये किये गये सभी महान कार्यो को Narendra Modi App से लेकर अपने अलग-अलग सोशल मीडिया एकाउंट जैसे फेसबुक, फेसबुक पेज, फेसबुक ग्रुप, ट्विटर, इंस्टाग्राम, टम्बलर, गूगल +, MeWe आदि पर शेयर करके देशवासियों तक पहुँचाया। अब चुनाव खत्म होने व परिणाम आने के बाद मैंने देखा कि इस वजह से Narend

राजस्थान कांग्रेस सरकार ने सावकरजी को क्रांतिकारी वीर की जगह पाठ्यक्रम में ‘अंग्रेजों से क्षमा मांगनेवाला व्यक्ति’ बताया

दोस्तों, राजस्थान कांग्रेस सरकार ने सावकरजी को क्रांतिकारी वीर की जगह पाठ्यक्रम में ‘अंग्रेजों से क्षमा मांगनेवाला व्यक्ति’ बताया .... कांग्रेस को जरा वह कोठरी देखकर आनी चाहिए जहां सावरकरजी को कालापानी की सजा दी गर्इ थी और उन्होंने वीर सावरकर जी ने अंग्रेजी शासन के दौरान जब उन्हें काला पानी की सजा मिली थी लगभग जेल में 10 साल से भी ज्यादा गुजारते हुए अंगेजो द्वारा दी गई भयानक यातनाओं के साथ-साथ प्रतिदिन खुद कोल्हू भी चलाते हुए तेल निकाला करते थे। उनके कई साथियों ने अंग्रेजों द्वारा दी जाने वाली भयानक यातनाओं के खिलाफ भूख हड़ताल की, कुछ भुखमरी से मारे गए, कुछ ने जेल में फाँसी लगा कर खुदखुशी कर ली, कुछ ने समुन्द्र में छलांग लगा कर अपनी जान दे दी। मगर वीर सावरकर जी ने ऐसा नही किया, बल्कि उन्होंने दूसरों को भी प्रेरित किया कि खुदकुशी करने की बजाय, जिन्दा रह कर देश की आजादी के लिये लड़ो। वीर सावरकर जी की छवि खराब करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकरजी को ‘अंग्रजों से माफी मांगनेवाला’ बतानेवाली कांग्रेस सरकार को धिक्कार है ! मातृभूमि की सेवा के लिए अपना जीवन व्यती

छत्रपति सम्भा जी महाराज

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छत्रपति सम्भा जी महाराज ~~~~~~~~~~~~~~ शिवाजी के पुत्र के रूप में विख्यात संभाजी महाराज का जीवन भी अपने पिता छत्रपति शिवाजी महाराज के समान ही देश और हिंदुत्व को समर्पित रहा। सम्भाजी ने अपने बाल्यपन से ही राज्य  की राजनीतिक समस्याओं का निवारण किया था और इन दिनों में मिले संघर्ष के साथ शिक्षा-दीक्षा के कारण ही बाल शम्भुजी राजे कालान्तर में वीर संभाजी राजे बन सके थे। नाम : संभाजी उपनाम : छवा और शम्भू जी राजे जन्मदिन : 14 मई 1657 जन्मस्थान : पुरन्दर के किले में माता : सईबाई पिता : छत्रपति शिवाजी दादा : शाहजी भोसले दादी : जीजाबाई भाई : राजाराम बहन : शकुबाई, अम्बिकाबाई, रणुबाई जाधव, दीपा बाई, कमलाबाई पलकर, राज्कुंवार्बाई शिरके पत्नी : येसूबाई मित्र और सलाहकार : कवि कौशल कौशल : संस्कृत के ज्ञाता, कला प्रेमी और वीर योद्धा युद्ध : 1689 में वाई का युद्ध शत्रु : औरंगजेब मृत्यु : 11 मार्च 1689 आराध्य देव : महादेव मृत्यु का कारण औरंगजेब की दी गयी यातना उपलब्धि : औरंगजेब के सामने कभी घुटने नहीं टेके, अंतिम सांस तक योद्धा की भांति रहे हिन्दुओं के जबरन मुसलमान बन जाने

श्री वसंतराव कृष्णराव ओक

*वसंतराव कृष्णराव ओक* ~~~~~~~~~~~~~~ संघ की प्रारम्भिक प्रचारकों में एक श्री वसंतराव कृष्णराव ओक का जन्म 13 मई, 1914 को नाचणगांव (वर्धा, महाराष्ट्र) में हुआ था। जब वे पढ़ने के लिए अपने बड़े भाई मनोहरराव के साथ नागपुर आये, तो बाबासाहब आप्टे द्वारा संचालित टाइपिंग केन्द्र के माध्यम से दोनों का सम्पर्क संघ से हुआ।  डा. हेडगेवार के सुझाव पर वसंतराव 1936 में कक्षा 12 उत्तीर्ण कर शाखा खोलने के लिए दिल्ली आ गये। उनके रहने की व्यवस्था 'हिन्दू महासभा भवन' में थी। यहां रहकर वसंतराव ने एम.ए. तक की पढ़ाई की और दिल्ली प्रांत में शाखाओं का जाल भी फैलाया। आज का दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, अलवर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश उस समय दिल्ली प्रांत में ही था। वसंतराव के परिश्रम से इस क्षेत्र में शाखाओं का अच्छा तंत्र खड़ा हो गया। वसंतराव के संपर्क का दायरा बहुत विशाल था। 1942 के आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका रही। गांधी जी, सरदार पटेल, लालबहादुर शास्त्री, पुरुषोत्तमदास टंडन से लेकर हिन्दू महासभा, सनातन धर्म और आर्य समाज के बड़े नेताओं से उनके मधुर संबंध थे। कांग्रेस वालों को भी उन पर इतना विश्वास था कि म

महाराणा प्रताप, उनके घोड़े व उनके हाथी के बारे में रोचक जानकारी

🙏🙏 ★आओ कुछ अच्छी बातें करें★ दोस्तों, जब भी मुझे, कोई भी अच्छी बात, सोशल मीडिया या प्रिंट मीडिया पर पढ़ने को मिलती हैं, तो वो मैं कॉपी-पेस्ट-एडिट करके आप सब तक ★आओ कुछ अच्छी बातें करें★ के तहत शेयर जरूर करती हूँ। आज भी "महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी" विषय पर कुछ अच्छी बातें आपसे शेयर कर रही हूँ, इस प्राथना के साथ कि अगर आपको भी ये बातें अच्छी लगें, तो कृपया दूसरों के लिए, आगे ज़रूर शेयर करे ........ ........विजेता मलिक *महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी* :- ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ 1... महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे। 2.... जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे । तब उन्होने अपनी माँ से पूछा कि- हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर आए ? तब माँ का जवाब मिला- ”उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना, जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना ।”  लेकिन बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था। “बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट यु एस ए ‘ कि