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Showing posts from October, 2021

क्रांतिकारी मन्मथ नाथ गुप्त

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क्रांतिकारी मन्मथ नाथ गुप्त ~~~~~~~~~~~~~~ 🙏 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी... 🙏 “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है” ........... राम प्रसाद बिस्मिल इन पंक्तियों को हम सब अपने बचपन से सुनते आ रहे हैं। यह कविता, महान क्रन्तिकारी राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ ने लिखी थी। प्रसिद्ध ‘काकोरी कांड’ के लिए फांसी दिए जाने वाले क्रांतिकारियों में से राम प्रसाद बिस्मिल मुख्य थे, जिन्होंने काकोरी कांड की योजना बनाई थी। पर बिस्मिल के साथ ऐसे बहुत से और भी देशभक्त थे, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना, खुद को देश के लिए समर्पित कर दिया था। कुछ तो उनके साथ ही फिज़ा में मिल गए, तो कुछ ने अपना कारावास पूरा करने के बाद देश की आज़ादी तक आज़ादी के संग्राम की मशाल को जलाए रखा। काकोरी कांड के लिए गिरफ्तार होने वाले 16 स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे मन्मथ नाथ गुप्त। जब उन्होंने काकोरी कांड में बिस्मिल का साथ देने का फैसला किया, तब वह मात्र 17 साल के थे। अपने जीवन की आखिरी सांस तक वह भारत

प्रसिद्ध समाज सेविका भगिनी निवेदिता जी

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भारत की महान पुत्री समाज सेविका भगिनी निवेदिता जी ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ स्वामी विवेकानन्द जी से प्रभावित होकर आयरलैण्ड की युवती मार्गरेट नोबेल ने अपना जीवन भारत माता की सेवा में लगा दिया। प्लेग, बाढ़, अकाल आदि में भी उन्होंने समर्पण भाव से जनता की सेवा की। 28 अक्तूबर, 1867 को जन्मी मार्गरेट के पिता सैम्युअल नोबल आयरिश चर्च में पादरी थे। बचपन से ही मार्गरेट नोबेल की रुचि सेवा कार्यों में थी। वह निर्धनों की झुग्गियों में जाकर बच्चों को पढ़ाती थी। एक बार उनके घर भारत में कार्यरत एक पादरी आये। उन्होंने मार्गरेट को कहा कि शायद तुम्हें भी एक दिन भारत जाना पड़े। तब से मार्गरेट के सपनों में भारत बसने लगा। मार्गरेट के पिता का 34 वर्ष की अल्पायु में ही देहान्त हो गया। मरते समय उन्होंने अपनी पत्नी मेरी से कहा कि यदि मार्गरेट कभी भारत जाना चाहे, तो उसे रोकना नहीं। पति की मृत्यु के बाद मेरी अपने मायके आ गयी। वहीं मार्गरेट की शिक्षा पूर्ण हुई। 17 साल की अवस्था में मार्गरेट एक विद्यालय में बच्चों को पढ़ाने लगी। कुछ समय बाद उसकी सगाई हो गयी; पर विवाह से पूर्व ही उसके मंगेतर की

डॉ. मंगल सेन

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डॉ. मंगल सेन ( शेर - ऐ - हरियाणा ) ~~~~~~~~~~~ हरियाणा प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री स्व. डा. मंगल सेन महान कर्मयोगी इंसान थे। हरियाणा में भाजपा आज जिस मुकाम पर है और हरियाणा में भाजपा की मनोहर लाल जी के नेतृत्व वाली लगातार दूसरी बार सरकार बनी हैं, उसके पीछे डा. मंगल सेन का संघर्ष है। 27 अक्टूबर 1927 को डा. मंगल सेन का जन्म सरगोधा के झांवरिया गांव में हुआ था, जो आज पाकिस्तान में है। डॉ. मंगल सेन जी बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में जाने लगे थे और अपने सार्वजनिक जीवन का आगाज भी उन्होंने संघ प्रचारक के तौर पर ही किया था। उन्होंने जनसंघ का अध्यक्ष रहते हुए हरियाणा में संगठन को मजबूत किया। डा. मंगल सेन जी ने हरियाणा प्रदेश का समान विकास करवाया। बिना भेदभाव के हर वर्ग को साथ लेकर चलने की कला उनमें थी। इसी के चलते वो लगातार सात बार रोहतक से विधायक रहे। डॉ. मंगल सेन उपमुख्यमंत्री रहने के साथ-साथ रोहतक से 7 बार विधायक रहे, लेकिन उनकी अर्थी उनके किराये के मकान से उठी। वह ईमानदारी की मिसाल थे।  डा. मंगल सेन जी सादगी की प्रतिमूर्ति थे। वह समाज के लिए ही आजीवन का

अमर शहीद बाबू हित अभिलाषी जी

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अमर शहीद बाबू हित अभिलाषी जी ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ जन्म-तिथि: 8 अप्रैल 1923 सक्रिय वर्ष: 1951 - 1988 स्थान - राज्य / जिला – बुढलाडा, पंजाब और चंडीगढ़ Story of selfless service....... अमर शहीद बाबू हित अभिलाषी जी 16 साल की उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए और 1945 में अधिकारी प्रशिक्षण शिविर (ओटीसी) खंडवा, मध्य प्रदेश में एक महीने का प्रशिक्षण प्राप्त किया और अंततः उस समय के सबसे युवा संघ चालक बन गए। फिर स्नातक की पढ़ाई के बाद वह लोगों की सेवा करने के लिए पंजाब के मोगा से बठिंडा जिले के बुढलाडा चले गए। जल्द ही वह पूरे मालवा क्षेत्र और पेप्सू रियासत के लोगों के लिए 'बाबूजी' बन गए। वह लगातार 14 वर्षों तक बुढलाडा नगर पालिका के सबसे लोकप्रिय अध्यक्ष रहे। उनके कार्यकाल में बुढलाडा नगरपालिका को निवासियों की सेवा में पूरे पंजाब में सर्वश्रेष्ठ माना जाता था। 1966 में उन्हें पंजाब में जनसंघ कैडर के निर्माण और संयोजन की जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्होंने कई बार प्रदेश का दौरा किया और पार्टी कैडर के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित किए। राज्य इकाई के अध्यक्ष पद पर प

राजमाता विजयाराजे सिंधिया

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राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी महारानी से सफल राजनीतिज्ञ तक ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया का 12 अक्टूबर को जन्मदिन है। श्रद्धेय राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी के जन्मशताब्दी के अवसर पर उन्हें सादर नमन। अपना सम्पूर्ण जीवन पार्टी की सेवा एवं राष्ट्र कल्याण में समर्पित करने वाली राजमाता जी के "महिलाओं की प्रगति यानी देश की उन्नति" जैसे बहुमूल्य विचार हमारे आदर्श है व उनके अटल सिद्धांत हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं। राजमाता विजयाराजे सिंधिया (ग्वालियर राजघराना) भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में से एक थीं। मप्र की राजनीति में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान है। यूं तो इनका जन्मदिन  12 अक्टूबर को आता है, लेकिन लेकिन हिन्दू तिथि के मुताबिक करवाचौथ को भी राजमाता का जन्मदिन सिंधिया परिवार मनाता है। इसी अवसर पर आपको उनके जीवन से जुड़े कुछ खास किस्सों के बारे में बता रही हूँ ...... 1967 में मप्र में सरकार गठन में उन्होंने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। विजयाराजे सिंधिया का सार्वजनिक जीवन जितना प्रभावशाली और आकर्षक था, व्यक्तिगत जीवन में उन्हें

राम मनोहर लोहिया जी

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राम मनोहर लोहिया ~~~~~~~~~~ राजनेता व स्वतंत्रता सेनानी जन्म : 23 मार्च, 1910, अकबरपुर, फैजाबाद निधन : 12 अक्टूबर, 1967, नई दिल्ली कार्य क्षेत्र : स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता राम मनोहर लोहिया एक स्वतंत्रता सेनानी, प्रखर समाजवादी और सम्मानित राजनीतिज्ञ थे. राम मनोहर ने हमेशा सत्य का अनुकरण किया और आजादी की लड़ाई में अद्भुत काम किया. भारत की राजनीति में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान और उसके बाद ऐसे कई नेता आये जिन्होंने अपने दम पर राजनीति का रुख़ बदल दिया उन्ही नेताओं में एक थे राममनोहर लोहिया। वे अपनी प्रखर देशभक्ति और तेजस्‍वी समाजवादी विचारों के लिए जाने गए और इन्ही गुडों के कारण अपने समर्थकों के साथ-साथ उन्होंने अपने विरोधियों से भी बहुत  सम्‍मान हासिल किया। बचपन और प्रारंभिक जीवन ~~~~~~~~~~~~~~~ राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च, 1910 को उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में हुआ था। उनकी मां एक शिक्षिका थीं। जब वे बहुत छोटे थे तभी उनकी मां का निधन हो गया था। अपने पिता से जो एक राष्ट्रभक्त थे, उन्हें युवा अवस्था में ही विभिन्न रैलियों और विरोध सभाओं के माध्यम से भारत के स्वतंत्रता आंदो

मैं, नरेन्द्र मोदी एप्प के साथ सोशल मीडिया पर

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मेरे दोस्तों, मेरे सहयोगियों, मेरे साथियों,                       मै जब भी कोई अच्छी बात होती है, तो आप सबसे ज़रूर शेयर करती हूँ । मैने बहुत समय पहले अपने मोबाइल में "NARENDER MODI APP" और "MyGov App" डाऊनलोड किया था । इसके द्वारा मैंने अपने महान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व हमारी भारतीय जनता पार्टी द्वारा हमारे महान देश भारत व देश के लोगो के लिये किये गये सभी महान कार्यो को Narendra Modi App से लेकर अपने अलग-अलग सोशल मीडिया एकाउंट जैसे Facebook, Facebook Page, Facebook Groups, Twitter, Instagram, Tumblr, Google+, MeWe, Koo, Tooter, Whatsapp Groups, Telegram Groups आदि पर शेयर करके आप सब तक पहुँचाया। इस वजह से लगभग 4सालों में Narendra Modi App पर मेरे Activity Points 25,00,000 (पच्चीस लाख) से भी ज़्यादा हो गए थे और मैं देशभर में Top Volunteers की लिस्ट में चौथे व महिलाओं में पहले स्थान पर थी, तभी मुझे Top 100 Volunteers में शामिल कर लिया गया व मेरे Activity Points शून्य (0) से दोबारा शुरू हो गए। मैंने Narendra Modi App पर अपना काम जारी रखा और

नानाजी देशमुख जी

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नानाजी देशमुख जी ~~~~~~~~~~ राष्ट्रसेवा एवं मानव कल्याण के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित करने वाले महान विचारक राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख जी की जयंती पर शत शत नमन। “हम अपने लिए नहीं, अपनों के लिए हैं, अपने वे हैं जो सदियों से पीड़ित एवं उपेक्षित हैं।” यह कथन है युगदृष्टा चिंतक नानाजी देशमुख का। वो किसी बात को केवल कहते ही नहीं थे वरन उसे कार्यरूप में परिवर्तित भी करते थे। आधुनिक युग के इस दधीचि का पूरा जीवन ही एक प्रेरक कथा है। विविध गुणों एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी नानाजी देशमुख का पूरा नाम चण्डीदास अमृतराव उपाध्याय नानाजी देशमुख था। इनका जन्म 11 अक्टूबर सन 1916 को बुधवार के दिन महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के एक छोटे से गांव कडोली में हुआ था। इनके पिता का नाम अमृतराव देशमुख था तथा माता का नाम राजाबाई था। नानाजी के दो भाई एवं तीन बहने थीं। नानाजी जब छोटे थे तभी इनके माता-पिता का देहांत हो गया। बचपन गरीबी एवं अभाव में बीता। वे बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दैनिक शाखा में जाया करते थे। बाल्यकाल में सेवा संस्कार का अंकुर यहीं फूटा। जब वे 9वीं कक्षा में अध्ययनरत थे, उस

लोकनायक जयप्रकाश नारायण

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लोकनायक जयप्रकाश नारायण ~~~~~~~~~~~~~~~~ एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता और राजनीतिक नेता संपूर्ण क्रांति आंदोलन के जनक “लोक नायक जयप्रकाश नारायण” जी का पूरा जीवन राष्ट्रहित में समर्पित था। वह सामाजिक गतिविधियों में युवाओं की भागीदारी के पक्षधर थे। जे पी नारायण जी ने हिंदी के प्रसिद्ध कवि और लेखक रामधारी सिंह दिनकर की रचना को आवाज़ दी और 1977 में इंदिरा गांधी को चुनौती देते हुए कहा था कि "सिंघासन खाली करो कि जनता आती है"। जनता भ्रष्टाचार और कांग्रेस के काम-काज से इतनी परेशान हो गई थी कि उसने इंदिरा गांधी को भी नहीं बख्शा। देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जयप्रकाश नरायण जी ने चुनाव में हरा दिया और उस समय उत्तर भारत के 11 राज्यों में कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। ऐसे महान जन नायक की जयंती पर शत् शत् नमन। जयप्रकाश नारायण (11 अक्टूबर, 1902 - 8 अक्टूबर, 1979) (संक्षेप में जेपी) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। उन्हें 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इन्दिरा गांधी को पदच्युत करने के लिये उन्होने 'सम्

रानी दुर्गावती जी

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रानी दुर्गावती ~~~~~~~ 🌺🥀🙏🙏🌷💐🌻 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी... 🌺🥀🙏🙏🌷💐🌻 "चंदेलों की बेटी थी, गौंडवाने की रानी थी। चंडी थी रणचंडी थी, वह दुर्गा भवानी थी।।" रानी दुर्गावती जी का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले में हुआ था। 1524 ईसवी की दुर्गाष्टमी पर जन्म के कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया। नाम के अनुरूप ही तेज, साहस, शौर्य और सुन्दरता के कारण इनकी प्रसिद्धि सब ओर फैल गयी थी । रानी दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्तिवर्मन (कीर्तिसिंह) चंदेल की एकमात्र संतान थीं। चंदेल लोधी राजपूत वंश की शाखा का ही एक भाग है। दुर्गावती को तीर तथा बंदूक चलाने का अच्छा अभ्यास था। चीते के शिकार में इनकी विशेष रुचि थी। उनके राज्य का नाम गोंडवाना था जिसका केन्द्र जबलपुर था। गढ़मंडल के जंगलो में उस समय एक शेर का आतंक छाया हुआ था। शेर कई जानवरों को मार चुका था। रानी कुछ सैनिको को लेकर शेर को मारने निकल पड़ी। रास्ते में उन्होंने सैनिको से कहा, ” शेर को मैं ही मारूंगी” शेर को ढूँढने में सुबह से शाम हो