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Showing posts from August, 2023

मेवाड़ के दो कोहिनूर गौरा और बादल

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मेवाड़ के दो कोहिनूर गौरा और बादल ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ 🌺🥀🌹🙏🌷🪷💐 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी... 🌺🥀🌹🙏🌷🪷💐 #चितौड़गढ़ के पहले #जौहर की वीरांगनाओं और महारानी पद्मावती जी को याद करने के साथ साथ हमें #मेवाड़ के 2 कोहीनूर ( #गोरा - #बादल) को भी याद करना चाहिए। इन्ही दो परमवीरो के ऊपर, उस इतिहास को दर्शाती कुछ लाइनें लिख रही हूँ, जो मेवाड़ के राजकवि पण्डित नरेंद्र मिश्र जी द्वारा लिखी गयी है.... 🚩🚩🚩 जय श्री राम 🚩🚩🚩 दोहराती हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई कुर्बानी जिसके कारण मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी... रावल रत्न सिंह को छल से कैद किया खिलजी ने कालजई मित्रों से मिलकर दगा किया खिलजी ने खिलजी का चित्तौड़ दुर्ग में एक संदेशा आया जिसको सुनकर शक्ति शौर्य पर फिर अँधियारा छाया दस दिन के भीतर ना पद्मिनी का डोला यदि आया यदि ना रूप की रानी को तुमने दिल्ली पहुँचाया तो फिर राणा रत्न सिंह का शीश कटा पाओगे शाही शर्त ना मानी तो पीछे पछताओगे यह दारुण संवाद लहर सा दौड़ गया रण भर में यह बिजली की तरह क्षितिज से फैल गया अम्बर में महा

महान स्वतंत्रता सेनानी रास बिहारी बोस

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महान स्वतंत्रता सेनानी रास बिहारी बोस ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ 🌺🥀🌹🙏🌷🪷💐 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो जिए देश के लिए उनकी, जरा याद करो कुर्बानी.... 🌺🥀🌹🙏🌷🪷💐 *रास बिहारी बोस जी  ; 25 मई 1886 - 21 जनवरी 1945) एक भारतीय क्रांतिकारी नेता थे जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी । वह ग़दर विद्रोह के प्रमुख आयोजकों में से एक थे और उन्होंने इंडियन इंडिपेंडेंस लीग की स्थापना की । बोस भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का भी हिस्सा थे, जिसका गठन 1942 में मोहन सिंह के नेतृत्व में किया गया था* रास बिहारी बोस एक भारतीय क्रान्तिकारी थे, जिन्होने अंग्रेजी हुकुमत के विरुद्ध ‘गदर" एवं ‘आजाद हिन्द फौज" के संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने न सिर्फ देश के अन्दर बल्कि दूसरे देशों में भी रहकर अँगरेज़ सरकार के विरुद्ध क्रान्तिकारी गतिविधियों का संचालन किया और ताउम्र भारत को स्वतन्त्रता दिलाने का प्रयास करते रहे। पूरा नाम : रास बिहारी बोस जन्म : 25 मई, 1886 जन्म भूमि  : वर्धमान ज़िला, पश्चिम बंगाल मृत्यु :  21 जनवरी, 1945 मृत्यु : स्थान टोक्यो, ज

वीर क्रांतिकारी कनाईलाल दत्त जी

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वीर क्रांतिकारी कनाईलाल दत्त ~~~~~~~~~~~~~~~~ 🌺🥀🌹🙏🌷🪷💐 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी... 🌺🥀🌹🙏🌷🪷💐 भारतीय स्वाधीनता संग्राम में अनेक वीर-वीरांगनाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी। इनमें से कुछ तो हमें आज भी बखूबी याद हैं और कुछ को हम लगभग विस्मृत सा कर बैठे हैं। इस स्मृति और विस्मृति के बीच हमें ये कतई नहीं भूलना चाहिए कि इन्हीं शहीदों के कारण आज हम सब स्वतंत्र हैं। हमारे महान भारत देश को आज़ाद कराने के लिए बहुत सारे वीर क्रांतिकारी हँसते-हँसते फाँसी के फंदे पर लटक गये। मगर एक ऐसा महान क्रांतिकारी भी था जिसको अंग्रेजी सरकार ने फांसी की सजा दी और साथ ही ये भी प्रतिबंध लगा दिया कि इस फैसले के खिलाफ अपील नही की जा सकती। वो महान क्रांतिकारी थे .... कनाईलाल दत्त जी। ऐसे ही एक वीर बाँकुरे कनाईलाल दत्त का जन्म 30अगस्त 1888 को बंगाल के हुगली ज़िले में चंद्रनगर में हुआ था। उनके पिता चुन्नीलाल दत्त तत्कालीन ब्रिटिश सरकार की सेवा में थे। मुंबई में उनके पिता की नियुक्ति होने के कारण कनाईलाल पाँच वर्ष की उम्र में मुंब

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद सिंह जी

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हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद सिंह ***************************** मेजर ध्यानचंद सिंह (२९ अगस्त, १९०५ -३ दिसंबर, १९७९) भारतीय फील्ड हॉकी के भूतपूर्व खिलाड़ी एवं कप्तान थे। भारत एवं विश्व हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाडड़ियों में उनकी गिनती होती है। वे तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे ( जिनमें १९२८ का एम्सटर्डम ओलोम्पिक, १९३२ का लॉस एंजेल्स ओलोम्पिक एवं १९३६ का बर्लिन ओलम्पिक)। उनकी जन्मतिथि को भारत में "राष्ट्रीय खेल दिवस" के के रूप में मनाया जाता है। उनके छोटे भाई रूप सिंह भी अच्छे हॉकी खिलाड़ी थे जिन्होने ओलम्पिक में कई गोल दागे थे। उन्हें हॉकी का जादूगर ही कहा जाता है। उन्होंने अपने खेल जीवन में 1000 से अधिक गोल दागे। जब वो मैदान में खेलने को उतरते थे तो गेंद मानों उनकी हॉकी स्टिक से चिपक सी जाती थी। उन्हें १९५६ में भारत के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा बहुत से संगठन और प्रसिद्ध लोग समय-समय पर उन्हे 'भारतरत्न' से सम्मानित करने की माँग करते रहे हैं किन्तु अब केन्द्र में भारतीय जनता पार्ट

वीर संताजी घोरपड़े

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वीर संताजी घोरपड़े ~~~~~~~~~~~~ "जो देश अपने वीर और महान सपूतों को भूल जाता है, उस देश के आत्मसम्मान को हीनता की दीमक चट कर जाता है।"  ....... याद रखना दोस्तों। हमें समय समय पर इन महान हस्तियों को याद करते रहना चाहिए। अपने बच्चों, छोटे भाई-बहनों, आदि को इन वीर सपूतों की वीर गाथाओं को समय-समय पर सुनाना चाहिए। इन अमर बलिदानियों के किस्से-कहानियों को कॉपी-पेस्ट करके अपने-अपने सोशल नेटवर्क पर डालना चाहिए व एक दूसरे शेयर करना चाहिए , ताकि और लोगो को भी इन अमर शहीदों के बारे में पता लग सके। इतिहास का एक गौरवशाली चैप्टर जिसे हिन्दू छात्र और अध्येता नहीं जानते हैं... सितंबर 1689 से 1696 वर्ष अर्थात सात वर्ष के भीतर मराठा सैन्य कमांडर संताजी घोरपड़े का बर्बर मुगलिया बादशाह औरंगजेब के साथ 11 बार घनघोर संघर्ष हुआ और इसमें से 9 बार औरंगजेब की सेना का जनाजा निकाला था। सत्रहवीं सदी के सबसे महानतम सैन्य जनरल संता जी ने। लेकिन इतिहास की पुस्तकें, मुख्यधारा के वामपंथी इतिहासकारों के इतिहास लेखन से एकदम गायब अध्याय..! ऐसा ही किया गया है..! कुत्सित, भ्रष्ट, विकृत और अर्द्धसत

विरांगना नीरा आर्य जी

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विरांगना नीरा आर्य ~~~~~~~~~~ ★ ज़रा याद करो कुर्बानी ★ 🌺🌹🙏🌹🌺 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो लडे आज़ादी के लिए उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी ..... 🌺🌹🙏🌹🙏🌺  शहीदों, आज़ादी के मतवालों और देशभक्तों को इतनी यातनाएं दी गईं और नेहरू कहते थे कि सिर्फ चरखे से आजादी मिली?  भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंदशेखर आज़ाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, रौशन सिंह, आदि-आदि को नेहरू आतंकवादी लिखते हैं। आज़ादी के आज 71सालों के बाद भी उन्हें शहीद का दर्जा नहीं मिला, क्यों?  सुभाष चन्द्र बोस की मौत एक राज़, उनके दस्तावेज तक सावर्जनिक नही किये गए, क्यों?  सरदार वल्लभ भाई पटेल को 44 साल बाद भारत रत्न दिया गया, क्यों?  सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की देशभक्त, आज़ादी की लड़ाई में गांधी जी की सहयोगी व योग्य बेटी मणिबेन पटेल को नेहरू ने पटेल के निधन के बाद दरकिनार कर दिया, क्यों?  इतिहास में अकबर को महान व देशभक्तों व शहीदों को इतिहास से गायब कर दिया, क्यों?  ऐसी बहुत सी बातें हैं, क्या-क्या कहें। चलिये एक कहानी बताती हूँ, नीरा आर्य की कहानी ...... " जेल में जब मेरे स्तन काटे गए !   स्

स्वर्गीय अरुण जेटली

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अरुण जेटली ~~~~~~~  सभी देशवासियों के दिलों पर राज करने वाले पुर्व वित्त मंत्री श्रीअरुण जेट्ली जी को उनकी पुण्य तिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि !  जनसंघ से शुरू हुआ था अरुण जेटली जी राजनैतिक सफ़र.. जानिये उनके बारे में वो बातें, जिससे शायद आप अनजान हों..... ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता तथा पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली जी, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते थे। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में उनके पास वित्त जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय था तो वहीं उन्होंने रक्षा मंत्रालय का प्रभार भी संभाला था। उनकी गिनती प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के बाद दूसरे नंबर के नेताओं के साथ होती थी। बतौर वित्त मंत्री जेटली ने आम बजट और रेल बजट को एकसाथ पेश करने की व्यवस्था लागू की। इतना ही नहीं, गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) को पूरे देश में लागू करने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान था।  बतौर वित्त मंत्री वो हमेशा कहते थे कि जिस तरह से बीमारी को जड़ से ठीक करने के लिए कई बार कड़वी दवा पीनी पड़ती है, ठीक वैसे ही देश की अर्थव्यवस्

पढो-सुनो-गर्व करो अपने गुमनाम गौरवशाली इतिहास को

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पढो-सुनो-गर्व करो अपने गुमनाम गौरवशाली इतिहास को ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ दोस्तों,  भारत के इतिहास को तोडा मरोड़ा गया और कोई सवाल उठाने वाला नहीं था। इतना बड़ा झूठ बोला, सुनाया और पढ़ाया गया। ऐसी मक्कारी, बेईमानी क्यों और कैसे हुई...? किसके इशारों पर हुई...? जिस देश को अपने इतिहास में भी भ्रष्टता स्वीकार हो वह कभी वास्तविक तरक्की नहीं कर सकता और ना ही ऊँची या मौलिक सोच रख सकता है, ऐसा मेरा मानना हैं। मगर फिर भी दिल तो यही कहता हैं.... अपना भारत वो भारत हैं, जिसके पीछे संसार चला, संसार चला और आगे बढ़ा। भगवान करें भारत बढ़े और आगे बढ़े, बढ़ता ही रहे और फूले-फले। हिंदुस्तान के हजारों नहीं लाखों वर्षों के स्वर्णिम इतिहास को अँधेरे में रखकर पिछले कुछ अध्याय ही पढ़ाना, वह भी केवल आक्रमण कर्ताओं और हिन्दुओं, सिखों आदि अन्य सभी भारतवासियों पर अत्याचार करने व जबरदस्ती उनका धर्म परिवर्तन कराने वाले उन जालिमों को महान सिद्ध करना बहुत ही दुःख और शर्म का कारण है। कृपया अपने पुराने कांग्रेसी शिक्षा बोर्ड और मंत्रिओं को पूछें की ऐसा क्यों हैं..? बाबर ने मुश्किल से कोई 4 वर्ष तक राज किया

शहीद शिवराम राजगुरु जी

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शहीद शिवराम राजगुरु ~~~~~~~~~~~~ 🌺🌹💐🙏💐🌹🌺 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी..... 🌺💐🌹🙏🌹💐🌺  भारत को गुलामी से मुक्त करवाने के लिए कई क्रांतिकारियों ने अपना जीवन हमारे देश के लिए कुर्बान किया है। इन्हीं क्रांतिकारियों के बलिदान की वजह से ही हमारा देश एक आजाद देश बन सका है। हमारे देश के क्रांतिकारियों के नामों की सूची में अनगिनत क्रांतिकारियों के नाम मौजूद हैं और इन्हीं क्रांतिकारियों के नामों में से एक नाम ‘राजगुरु’ जी का भी है, जिन्होंने अपने जीवन को हमारे देश के लिए समर्पित कर दिया था।  बेहद ही छोटी सी आयु में इन्होंने अपने देश के लिए अपनी जिंदगी को कुर्बान कर दिया था और इनकी कुर्बानी को आज भी भारत वासियों द्वारा याद किया जाता है।  राजगुरु जी के जीवन से जुड़ी जानकारी ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ पूरा नाम : शिवराम हरि राजगुरु उप नाम : रघुनाथ, एम.महाराष्ट्र जन्म स्थान : पुणे, महाराष्ट्र, ब्रिटिश भारत जन्म तिथि : 24 अगस्त, 1908 मृत्यु तिथि : 23 मार्च, 1931 किस आयु में हुई मृत्यु : 22 वर्ष मृत्यु स्थान : लाहौर, ब्रिटिश भार

राणा बेनी माधव बख्श सिंह जी

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राणा बेनीमाधव बख्श सिंह जी ~~~~~~~~~~~~~~~~ 🌺🌹🥀🙏🌷🌻💐 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी... 🌺🌹🥀🙏🌷🌻💐 भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में ऐसे नायक हुए हैं जिनकी कहानियां किसी इतिहास की किताबों से इतर लोक की कथाओं में आज भी जीवंत हैं। लोक के मन मस्तिष्क में अमर होने वाले ऐसे ही एक नायक हैं रायबरेली के शंकरपुर रियासत के राजा राणा बेनी माधव सिंह। जिनकी कहानियां आज भी घर-घर में सुनाई जाती हैं। राणा बेनीमाधव की काट नहीं खोज पाए अंग्रेज ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ 1856 में अवध के नबाब वाजिद अली शाह को अंग्रेजों द्वारा पद से हटाने का सबसे मुखर विरोध राणा बेनी माधव ने ही किया था। ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बनाया गया रायबरेली का सलोन जिला मुख्यालय पर हुआ विद्रोह राणा की ही संगठन क्षमता की देन थी। राणा के नेतृत्व और संगठन को लेकर ऐसी दूर दृष्टि थी कि 1857 की क्रांति के पहले ही पूरे रायबरेली ज़िले में जगह-जगह विद्रोह शुरू हो गया था। कंपनी के मेजर गाल की हत्या और न्यायालय पर हमला करके आग लगा देना यह सब राणा की गुरिल्ला र

एकनाथ जी रानाडे

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★ एकनाथ रानाडे ★ ~~~~~~~~~~~ एकनाथ रानाडे - पुण्यतिथि 22 अगस्त 1980 🌺🥀🌹🙏🌷🪷💐 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी... 🌺🥀🌹🙏🌷🪷💐 सुप्रसिद्ध विवेकानंद शिला स्मारक के संस्थापक व सत्याग्रह के नायक, मानवता के प्रतीक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक एकनाथ रानाडे जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। स्वामी विवेकानंद शीला स्मारक (विवेकानंद रॉक मेमोरियल-कन्याकुमारी ) एवं विवेकानंद केंद्र के संस्थापक एकनाथजी रानडे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक समर्पित कार्यकर्ता थे। 1963 में स्वामी विवेकानन्द की जन्म शताब्दी मनायी गयी। इसी समय कन्याकुमारी में जिस शिला पर बैठकर स्वामी जी ने ध्यान किया था, वहाँ स्मारक बनाने का निर्णय कर श्री एकनाथ जी को यह कार्य सौंपा गया। इसके स्मारक के लिए बहुत धन चाहिए था। विवेकानन्द युवाओं के आदर्श हैं, इस आधार पर एकनाथ जी ने जो योजना बनायी, उससे देश भर के विद्यालयों, छात्रों, राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों और धनपतियों ने इसके लिए पैसा दिया। इस प्रकार सबके सहयोग से बने स्मारक का उद्घाटन 1970 में उन्होंने राष्ट्रपति श्री वराहगिरि वे