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Showing posts from October, 2018

ऐसा था हमारा सरदार

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दोस्तों,  फेसबुक पर हमारे एक आदरणीय बड़े भाई सरीखे विद्वान मित्र हैं। कुछ दिन पूर्व उन्होंने एक लेख लिखा था जिसमें उन्होंने सरदार पटेल द्वारा गुरुजी गोलवलकर को लिखे एक पत्र का उल्लेख किया था। सरदार पटेल के उस पत्र की भाषा निस्संदेह अच्छी नहीं थी किन्तु यहाँ यह देखना भी आवश्यक है कि पटेल ने गुरुजी गोलवलकर को वह पत्र गांधी जी की हत्या से क्षुब्ध होकर लिखा था। उस समय गाँधी जी की हत्या से पूरा देश क्षुब्ध था और गोडसे के संघ से जुड़े होने की अफवाहें चरम पर थीं। ऐसी परिस्थितियों में गोलवलकर जी को बंदी बनाया गया था और संघ पर प्रतिबन्ध लगाया गया था। यह प्रतिबन्ध 1949 में हटाया गया जब लगभग अस्सी हजार स्वयंसेवकों ने गिरफ्तारी दी थी। यह सत्य है कि नेहरूजी की वजह से सरदार के संघ से मतभेद बहुत गहरे थे किंतु यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि सरदार पटेल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुशासन से भी बहुत प्रभावित थे, यह उनके द्वारा लिखे अन्य पत्रों में झलकता है। यह भी उल्लेखनीय है कि फरवरी 1948 में सरदार ने जवाहरलाल को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा, ......  “मैं निरंतर बापू की हत्या की जाँच सम्बंधी रिपोर्ट

अहोई अष्टमी

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💐💐💐अहोई अष्टमी💐💐💐 ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ *31 अक्टूबर को है इस वर्ष अहोई अष्टमी-: आप भी जाने अहोई अष्टमी का शुभ मुहूर्त, व्रत कथा,महत्व और पूजा की विधि।* हर वर्ष कृष्णा जन्माष्टमी से हिन्दू धर्म में त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। कृष्णा जन्माष्टमी के बाद मां दुर्गा के नवरात्र उसके बाद दशहरा और फिर पति की लम्बी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत और फिर अहोई अष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है। अहोई अष्टमी दिवाली से आठ दिन पहले मनाई जाती है। करवा चौथ के व्रत के बाद विवाहित महिलाएं अहोई अष्टमी का व्रत अपनी संतान के लिए करती है। शास्त्रों में मान्यता है कि इस दिन जो भी विवाहित महिला अपनी संतान के लिए इस व्रत को करती है अहोई माता उनकी संतान की हर दुःख और विपदा से रक्षा करती है. अहोई अष्टमी का व्रत प्राचीन काल में महिलाएं केवल पुत्र के लिए ही करती थी लेकिन अब समय बदलने के साथ ही ये व्रत महिलाएं पुत्रियों के लिए भी रखने लगी है। अहोई अष्टमी पर माता पार्वती की पूजा की जाती है। कब मनाया जाती है अहोई अष्टमी : ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ अहोई अष्टमी हर वर्ष करवा चौथ के बाद मनाई जाती है. करवा चौथ कृष्णपक्ष

अहोई अष्टमी व्रत

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अहोई अष्टमी व्रत अक्टूबर 31, 2018 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 अहोई अष्टमी का व्रत अहोई आठे के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत कार्तिक मास की अष्टमी तिथि के दिन संतानवती स्त्रियों के द्वारा किया जाता है। अहोई अष्टमी का पर्व मुख्य रुप से अपनी संतान की लम्बी आयु की कामना के लिये किया जाता है। इस पर्व के विषय में एक ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस व्रत को उसी वार को किया जाता है। जिस वार को दिपावली हों। इस वर्ष यह योग 31अक्टूबर 2018 बुधवार के दिन पड रहा है। अहोई अष्टमी व्रत विधि 〰〰〰〰〰〰〰 अहोई व्रत के दिन व्रत करने वाली माताएं प्रात: उठकर स्नान करे, और पूजा पाठ करके अपनी संतान की दीर्घायु व सुखमय जीवन हेतू कामना करती है और माता अहोई से प्रार्थना करती है, कि हे माता मैं अपनी संतान की उन्नति, शुभता और आयु वृ्द्धि के लिये व्रत कर रही हूं, इस व्रत को पूरा करने की आप मुझे शक्ति दें यह कर कर व्रत का संकल्प लें एक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से संतान की आयु में वृ्द्धि, स्वास्थय और सुख प्राप्त होता है. साथ ही माता पार्वती की पूजा भी इसके साथ-साथ की जाती है। क्योकि माता पार्वती भी संतान की रक

नारी का सम्मान करो - सम्मान करो

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भूले से मत कीजिये, नारी का अपमान । नारी जीवन दायिनी, नारी है वरदान II माँ बनकर देती जनम, पत्नी बन संतान। जीवन भर छाया करे, नारी वृक्ष समान II नारी भारत वर्ष की, रखे अलग पहचान। ले आई यमराज से, वापस पति के प्राणII नारी कोमल निर्मला, होती फूल समान। वक्त पड़े तो थाम ले, बरछी तीर कमान II नारी के अंतर बसे, सहनशीलता आन। ये है मूरत त्याग की, नित्य करे बलिदान II नारी को मत मानिये, दुर्बल अबला-जान। दुर्गा काली कालिका, नारी है तूफ़ान II युगों-युगों से ये जगत, ठहरा पुरुष प्रधान । कदम-कदम पर रोकता, नारी का उत्थान II जितना गाओ कम लगे, नारी का गुणगान। जी चाहे कण-कण करे, नारी का सम्मान ।। नारी तू ही शक्ति तू ही नारायणी तू ही पार्वती नारी है तो नर है और जीवन है सच ही है संसार में नारी बिन आंगन सूना सूना सच ही संसार में नारी बिना जीवन संभव नहीं है जब नारी बिन जीवन नहीं तो नारी का सम्मान करो नारी कोमल ह्रदय है पर हर पल पुरुष लेते परीक्षा परंतु पुरुष यह ना समझे कितने आंखों में आंसू दोगे क्यो लेते हो परीक्षा हर पल हर समय इंतजार करती है नारी पुरूष कब समझेंगे त्याग की मूर्ति नारी को

डॉ होमी जहांगीर भाभा

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वैज्ञानिक डॉ होमी जहांगीर भाभा ★★★★★★★★★ जन्म: 30 अक्टूबर 1909, मुंबई कार्य/पद: भारत के परमाणु उर्जा कार्यक्रम के जनक ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ होमी जहांगीर भाभा भारत के महान परमाणु वैज्ञानिक थे। उन्हे भारत के परमाणु उर्जा कार्यक्रम का जनक कहा जाता है। उन्होंने देश के परमाणु कार्यक्रम के भावी स्वरूप की ऐसी मजबूत नींव रखी, जिसके चलते भारत आज विश्व के प्रमुख परमाणु संपन्न देशों की कतार में खड़ा है। मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से परमाणु क्षेत्र में अनुसंधान का कार्य शुरू वाले डॉ भाभा ने समय से पहले ही परमाणु ऊर्जा की क्षमता और विभिन्न क्षेत्रों में उसके उपयोग की संभावनाओं को परख लिया था। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान के क्षेत्र में उस समय कार्य आरम्भ किया जब अविछिन्न शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान नहीं के बराबर था और नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था। उन्होंने कॉस्केट थ्योरी ऑफ इलेक्ट्रान का प्रतिपादन करने साथ ही कॉस्मिक किरणों पर भी काम किया जो पृथ्वी की ओर आते हुए वायुमंडल में प्रवेश करती है। उन्होंने ‘टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च’ (टीआइएफआ