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Showing posts from November, 2020

कोटली के अमर बलिदानी स्वंयसेवक

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कोटली के अमर बलिदानी स्वंयसेवक ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ 27 नवम्बर / इतिहास की स्मृति ★ तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी... ★ नई दिल्ली.... ‘हस के लिया है पाकिस्तान, लड़ के लेंगे हिन्दुस्तान’ ..... की पूर्ति के लिए नवनिर्मित पाकिस्तान ने वर्ष 1947 में ही कश्मीर पर हमला कर दिया था। देश की रक्षा के दीवाने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने उनका प्रबल प्रतिकार किया। उन्होंने भारतीय सेना, शासन तथा जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरिसिंह को इन षड्यन्त्रों की समय पर सूचना दी। इस गाथा का एक अमर अध्याय 27 नवम्बर, 1948 को कोटली में लिखा गया, जो इस समय पाक अधिकृत कश्मीर में है। नए बने पाकिस्तान ने वर्ष 1947 में कश्मीर पर कब्जा करने के लिए कश्मीर पर हमला कर दिया था। देश की रक्षा के लिए भारतीय सेना ने भी पाकिस्तान को मुहँ तोड़ जवाब देना शुरू कर दिया। युद्ध के समय भारतीय वायुयानों द्वारा फेंकी गयी गोला-बारूद की कुछ पेटियां गलती से शत्रु सेना क्षेत्र में जा गिरीं थीं। उन्हें उठाकर लाने में बहुत बड़ा जोखिम था। वहां नियुक्त कमांडर अपने

महान समाजसेवी महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले

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ज्योतिराव गोविंदराव फुले ~~~~~~~~~~~~~ दलित उत्थान और महिला सशक्तिकरण के लिए सदैव समर्पित रहे महान समाज सेवक, दार्शनिक व सत्यशोधक समाज के संस्थापक महात्मा ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि पर शत्-शत् नमन। 🙏🙏 ज्योतिराव गोविंदराव फुले (जन्म - ११ अप्रैल १८२७, मृत्यु - २८ नवम्बर १८९०), महात्मा फुले एवं ज्‍योतिबा फुले के नाम से प्रचलित 19वीं सदी के एक महान भारतीय विचारक, समाज सेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। सितम्बर १८७३ में इन्होने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाजनामक संस्था का गठन किया। महिलाओं व दलितों के उत्थान के लिय इन्होंने अनेक कार्य किए। समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे। ज्योतिराव गोविंदराव फुले ~~~~~~~~~~~~~ जन्म : 11 अप्रैल 1827 खानवाडी, पुणे, ब्रिटिश भारत (अब महाराष्ट्र में) मृत्यु : 28 नवम्बर 1890 (उम्र 63) पुणे, ब्रिटिश भारत अन्य नाम : महात्मा फुले/ज्योतिबा फुले/ ज्योतिराव फुले धार्मिक मान्यता : सत्य शोधक समाज जीवन साथी : सावित्रीबाई फुले युग१९वी सदीं आरंभिक जीवन :- ~~~~~~~~~ महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 1827

संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री शालिगराम तोमर

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संघ के वरिष्ठ प्रचारक शालिगराम तोमर ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ शत्-शत् नमन  26 नवम्बर/पुण्य तिथि संघ के वरिष्ठ प्रचारक शालिगराम तोमर, सरल व सौम्य व्यवहार के धनी, समयपालन व अनुशासनप्रिय श्री शालिगराम तोमर का जन्म मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के ग्राम पोलायकलां में चार जुलाई, 1941 को एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। इनके पिता श्री उमराव सिंह तथा माता श्रीमती आशीबाई थीं।  शालिगराम जी की प्राथमिक शिक्षा अपने गांव में हुई। गांव में शाखा लगने पर अपने बड़े भाई श्री रामप्रसाद तोमर के साथ वे भी शाखा में जाने लगे। धीरे-धीरे संघ के विचार और शाखा के कार्यक्रमों के प्रति उनका अनुराग बढ़ता चला गया। कुछ समय बाद उन्हें ही शाखा का मुख्यशिक्षक बना दिया गया। इस काल में शाखा में भरपूर संख्यात्मक एवं गुणात्मक वृद्धि हुई। अतः तहसील और जिले के अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ता उनकी शाखा पर आये। तत्कालीन व्यवस्था के अनुसार अल्पावस्था में ही उनका विवाह हो गया। उनकी पत्नी का नाम श्रीमती शांता देवी था। कुछ समय बाद उनके घर में एक पुत्री ने जन्म लिया, जिसका नाम मानकुंवर रखा गया। अब वे अपनी आगामी शिक्षा पूर्ण करने के

गुरू तेगबहादुर सिंह जी

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गुरु तेग़ बहादुर सिंह जी ~~~~~~~~~~~~ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 💐💐💐💐💐💐💐 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी... 💐💐💐💐💐💐💐 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 पूरा नाम    : गुरु तेग़ बहादुर सिंह जन्म         : 18 अप्रैल, 1621 जन्म भूमि  : अमृतसर, पंजाब मृत्यु          : 24 नवम्बर, 1675 मृत्यु स्थान  : चांदनी चौक, नई दिल्ली अभिभावक : गुरु हरगोविंद सिंह और माता नानकी पत्नी          : माता गुजरी संतान         : गुरु गोविन्द सिंह उपाधि        : सिक्खों के नौवें गुरु नागरिकता   : भारतीय गुरु तेग़ बहादुर सिंह जी (जन्म: 18 अप्रैल, 1621 ई.; मृत्यु: 24 नवम्बर, 1675 ई.) सिक्खों के नौवें गुरु थे। विश्व के इतिहास में धर्म एवं सिद्धांतों की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में इनका अद्वितीय स्थान है। तेग़ बहादुर जी के बलिदान से हिंदुओं व हिन्दू धर्म की रक्षा हुई। हिन्दू धर्म के लोग भी उन्हें याद करते और उनसे संबंधित कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। तेग़ बहादुर सिंह 20 मार्च, 1664 को सिक्खों के गुरु नियुक्त हुए थे और 24 नवंब

दीनबंधु सर छोटूराम जी

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दीनबंधु सर छोटूराम जी ~~~~~~~~~~~~ दीनबंधु कहूँ, रहबर-ए-आजम कहूँ या कहुँ भगवान तनै,  किसान मसीहा, महान आत्मा, के कहूँ सर छोटूराम तनै। 💐💐🙏🙏💐💐 जन्म : 24 नवम्बर 1881 रोहतक जिला , हरयाणा मृत्यु : 9 जनवरी 1945 (उम्र 63) लहौर, पंजाब, ब्रिटिश इंडिया राजनैतिक पार्टी : यूनियनिस्ट पार्टी विद्या : अर्जनसेंट स्टीफन कालेज धर्म : हिन्दू वेबसाइट : www.sirchhoturam.com सर छोटूराम जी का जन्म २४नवम्बर १८८१ में झज्जर के छोटे से गांव गढ़ी सांपला में बहुत ही साधारण परिवार में हुआ (झज्जर उस समय रोहतक जिले का ही अंग था)। छोटूराम का असली नाम राय रिछपाल था। अपने भाइयों में से सबसे छोटे थे इसलिए सारे परिवार के लोग इन्हें छोटू कहकर पुकारते थे। स्कूल रजिस्टर में भी इनका नाम छोटूराम ही लिखा दिया गया और ये महापुरुष छोटूराम के नाम से ही विख्यात हुए। उनके दादाश्री रामरत्‍न के पास 10 एकड़ बंजर व बारानी जमीन थी। छोटूराम जी के पिता श्री सुखीराम कर्जे और मुकदमों में बुरी तरह से फंसे हुए थे। आरंभिक शिक्षा :- ~~~~~~~~~ जनवरी सन् १८९१ में छोटूराम ने अपने गांव से 12 मील की दूरी पर स्थित मिडिल स्

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे

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नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे ~~~~~~~~~~~~~~ 1) नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे, त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोsहम् ।🚩 हे प्यार करने वाली मातृभूमि ! मैं तुझे सदा (सदैव) नमस्कार करता हूँ । तूने मेरा सुख से पालन-पोषण किया है ।🚩 2) महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे, पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते।। १।।🚩 हे महामंगलमयी पुण्यभूमि ! तेरे ही कार्य में मेरा यह शरीर अर्पण हो । मैं तुझे बारम्बार नमस्कार करता हूँ ।🚩 3) प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता, इमे सादरं त्वाम नमामो वयम् त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं, शुभामाशिषम देहि तत्पूर्तये।🚩 हे सर्वशक्तिशाली परमेश्वर ! हम हिन्दूराष्ट्र के सुपुत्र तुझे आदरसहित प्रणाम करते हैं। तेरे ही कार्य के लिए हमने अपनी कमर कसी है । उसकी पूर्ति के लिए हमें अपना शुभाशीर्वाद दे । 🚩 4) अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम, सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्, श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं, स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत् ।। २।।🚩 हे प्रभु ! हमें ऐसी शक्ति दे, जिसे विश्व में कभी कोई चुनौती न दे सके, ऐसा शुद्ध चारित्र्य दे जिसके समक्ष सम्पूर्ण विश्व नतमस्तक हो जाये ऐसा ज्ञान दे

डॉ० जगदीश चन्द्र बोस

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डॉ जगदीश चंद्र बोस  ~~~~~~~~~~~ जिन्हें कहा जाता है "फादर आॅफ रेडियो साइंस" भारत के पहले आधुनिक वैज्ञानिक कहे जाने वाले जगदीश चंद्र बोस की आज जयंती है। रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की दुनिया में इनका एक अहम योगदान रहा है। आइए जानें इस महान वैज्ञानिक के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें..... सर जगदीश चंद्र बोस का जन्म 30 नवंबर, 1858 काे बंगाल के मेमनसिंह में हुआ था। अब यह जगह बांग्लादेश में है। आधिकारिक वेबसाइट ब्रिटानिकाडाॅटकाॅम के अनुसार इनका परिवार  भारतीय परंपराओं और संस्कृति काे मानने वाला था। इनके पिता का मानना था कि बोस को अंग्रेजी जैसी विदेशी भाषा का अध्ययन करने से पहले उन्हें अपनी मातृभाषा, बंगाली सीखनी चाहिए। बोस की बचपन से वनस्पति व भाैतिक विज्ञान में ज्यादा थी। प्रेसिडेंसी कॉलेज में भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर हुए इसके बाद में जगदीश चंद्र बोस ने कोलकाता में सेंट जेवियर्स स्कूल और फिर कलकत्ता विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक की डिग्री के हासिल की। फिर उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और प्राकृतिक विज्ञान में बीएससी कर 1884 में भारत लौट आए। इस

वीरांगना झलकारी बाई

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वीरांगना झलकारी बाई ~~~~~~~~~~~~ "जा कर रण में ललकारी थी, वह तो झांसी की झलकारी थी", इन्हें कहते हैं दूसरी रानी लक्ष्मीबाई..... देश के लिए मर-मिटने वाली झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई का नाम हर किसी के दिल में बसा है। कोई अगर भुलाना भी चाहे तब भी भारत माँ की इस महान बेटी को नहीं भुला सकता। लेकिन रानी लक्ष्मी बाई के ही साथ देश की एक और बेटी थी, जिसके सर पर ना रानी का ताज था और ना ही सत्ता पर। फिर भी अपनी मिट्टी के लिए वह जी-जान से लड़ी और इतिहास पर अपनी अमिट छाप छोड़ गयी। वह वीरांगना, जिसने न केवल 1857 की क्रांति में भाग लिया बल्कि अपने देशवासियों और अपनी रानी की रक्षा के लिए अपने प्राणों की भी परवाह नहीं की! वो थी झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की परछाई बन अंग्रेजों से लोहा लेने वाली, वीरांगना झलकारी बाई। झलकारी बाई का जन्म 22 नवम्बर 1830 को उत्तर प्रदेश के झांसी के पास के भोजला गाँव में एक कोली परिवार में हुआ था। झलकारी बाई के पिता का नाम सदोवर सिंह और माता का नाम जमुना देवी था। जब झलकारी बाई बहुत छोटी थीं तब उनकी माँ की मृत्यु के हो गयी। उनके पिता ने उन्हें एक पुत्

सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन जी

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C V Raman – सी. वी. रमन ~~~~~~~~~~~~~~~~ पूरा नाम  – चंद्रशेखर वेंटकरमन जन्म       – 7 नवंबर, 1888 जन्मस्थान – तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडू) पिता       – चंद्रशेखर अय्यर माता       – पार्वती अम्मल शिक्षा      – 1906 में M. Sc. (भौतिक शास्त्र) विवाह     – लोकसुंदरी सी. वी. रमन की जीवनी –  वेंकटरमन का जीवन सादगी और सरलता से भरा था। स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। वेंकटरमन शोध करना चाहते थे। लेकिन प्रेसिडेंसी कॉलेज की प्रयोगशालाएं लचर अवस्था में थीं। इसके बावजूद सी. वी. रमन एक साधारण-सी प्रयोगशाला में भौतिक विज्ञान का प्रैक्टिकल करते रहे। प्रैक्टिकल के दौरान उन्होंने अचानक विवर्तन के सिध्दांत को कैच किया। सी. वी. रमन इसकी खोज में लग गए। खोज पर आधारित उन्होंने अपना एक शोधपत्र तैयार किया। इसका प्रकाशन लंदन की फिलॉसोफिकल मैगजीन में हुआ था। 1906 में रमन ने एम. ए. की परिक्षा उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्हें वित्त विभाग में जनरल एकाउंटेंट की नौकरी मिल गई। सरकारी नौकरी में इतना ऊंचा पद पाने वाले रमन पहले भारतीय थे। एक दिन C V Raman एक लड़की को विणा

नायक यदुनाथ सिंह

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नायक जदुनाथ सिंह ~~~~~~~~~~~ पाकिस्तानी सैनिकों को भारत से खदेड़ने वाले परमवीर सिपाही ..... ★परमवीर चक्र विजेता★ वतन पर मिट जाने वाले अमर शहीद नौजवान !    आपकी हर साँस का कर्ज़दार है हिन्दुस्तान !! उपरोक्त ये पक्तियां हमारे देश के उन वीर जवानों को समर्पित हैं, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान कर दीं। आज हम उन्हीं वीर सिपाहियों की वजह से अपने देश मे चैन की साँस ले रहे हैं। बहरहाल, 1947 में अंग्रेजों ने गुलाम भारत को आज़ाद करने का फैसला लिया। देश आज़ाद तो हुआ, मगर उसके दो टुकड़े हो चुके थे। बटवारें के बाद पाकिस्तान की नज़र पूरे कश्मीर पर थी. ऐसी परिस्थिति में हमारे देश के वीर सिपाहियों ने विरोधी पाकिस्तान से जमकर लोहा लिया था। उन्हीं वीर सपूतों में एक नाम नायक जदुनाथ सिंह का भी आता है। देश के इस वीर सिपाही ने ना सिर्फ अपनी मुठ्ठीभर टुकड़ी का कुशल नेतृत्व किया बल्कि अंत में पाकिस्तान के सैनिकों पर अकेले ही जमकर गोलियां बरसाई। इनके अदम्य साहस के सामने विरोधी पाकिस्तान को कई बार पीछे हटना पड़ा था, मगर अफ़सोस देश की रक्षा करते हुए सिपाही नायक जदुनाथ शहीद हो गए थे। ऐसे में ह