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Showing posts from February, 2022

चैतन्य महाप्रभु जी

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चैतन्य महाप्रभु जी ~~~~~~~~~~ *संकीर्तन द्वारा धर्म बचाने वाले चैतन्य महाप्रभु* *अपने संकीर्तन द्वारा पूर्वोत्तर में धर्म बचाने वाले निमाई (चैतन्य महाप्रभु) का जन्म विक्रमी सम्वत् 1542 की फागुन पूर्णिमा (27 फरवरी, 1486) को बंगाल के प्रसिद्ध शिक्षा-केन्द्र नदिया (नवद्वीप) में हुआ था। इनके पिता पण्डित जगन्नाथ मिश्र तथा माता शची देवी थीं। * बालपन से ही आँगन में नीम के नीचे वे कृष्णलीला करते रहते थे। इसी से इनका नाम निमाई हुआ। देहान्त के बाद इसी पेड़ की लकड़ी से इनकी मूर्ति बनाकर वहाँ स्थापित की गयी।  एक बार बाग में खेलते समय इनके सम्मुख एक नाग आ गया। निमाई ने श्रीकृष्ण की तरह उसके मस्तक पर अपना पैर रख दिया। बच्चे शोर करते हुए घर की ओर भागे। माँ ने यह देखा, तो वे घबरा गयीं; पर थोड़ी देर में नाग चला गया। तब से सब लोग इन्हें चमत्कारी बालक मानने लगे।  16 वर्ष की अवस्था में उन्होंने प्रसिद्ध विद्वान् वासुदेव सार्वभौम के पास जाकर न्यायशास्त्र का अध्ययन कर नदिया में अपनी पाठशाला स्थापित कर ली। कुछ समय में ही उनके शिक्षण की सर्वत्र चर्चा होने लगी। इनका विवाह सूरदास के गुरु श्री

चंद्रशेखर आज़ाद - एक महान स्वतंत्रता सेनानी

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चंद्रशेखर आज़ाद  ~~~~~~~~~ 🌺🌹🌻🙏🌷🥀💐 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी... 🌺🌹🌻🙏🌷🥀💐 मुछों पर ताव, कमर में पिस्टल, कांधे पर जनेऊ, शेर सी शख्सियत....... वो याद थे, वो याद हैं, वो याद ही रहेंगे, वो आज़ाद थे, आज़ाद है, आज़ाद ही रहेंगे... पंडित चंद्रशेखर आज़ाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रसिद्ध और महान क्रांतिकारी थे। 17 वर्ष के चंद्रशेखर आज़ाद क्रांतिकारी दल ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ में सम्मिलित हो गए। दल में उनका नाम ‘क्विक सिल्वर’ (पारा) तय पाया गया। पार्टी की ओर से धन एकत्र करने के लिए जितने भी कार्य हुए, चंद्रशेखर उन सबमें आगे रहे। सांडर्स वध, सेण्ट्रल असेम्बली में भगत सिंह द्वारा बम फेंकना, वाइसराय को ट्रेन बम से उड़ाने की चेष्टा, सबके नेता वही थे। इससे पूर्व उन्होंने प्रसिद्ध ‘काकोरी कांड’ में सक्रिय भाग लिया और पुलिस की आंखों में धूल झोंककर फरार हो गए। एक बार दल के लिये धन प्राप्त करने के उद्देश्य से वे गाजीपुर के एक महंत के शिष्य भी बने। इरादा था कि महंत के मरने के बाद मरु की सारी संपत

कौन कहता है कि द्रौपदी के पांच पति थे?

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★महाभारत★ कौन कहता है कि द्रौपदी के पांच पति थे ? 200 वर्षों से प्रचारित झूठ का खंडन -👇👇👇           द्रौपदी का एक ही पति था- युधिष्ठिर _जर्मन के संस्कृत जानकार मैक्स मूलर को जब विलियम हंटर की कमेटी के कहने पर वैदिक धर्म के आर्य ग्रंथों को बिगाड़ने का जिम्मा सौंपा गया तो उसमे मनु स्मृति, रामायण, वेद के साथ साथ महाभारत के चरित्रों को बिगाड़ कर दिखाने का भी काम किया गया। किसी भी प्रकार से प्रेरणादायी पात्र - चरित्रों में विक्षेप करके उसमे झूठ का तड़का लगाकर महानायकों को चरित्रहीन, दुश्चरित्र, अधर्मी सिद्ध करना था, जिससे भारतीय जनमानस के हृदय में अपने ग्रंथो और महान पवित्र चरित्रों के प्रति घृणा और क्रोध का भाव जाग जाय और प्राचीन आर्य संस्कृति सभ्यता को निम्न दृष्टि से देखने लगें और फिर वैदिक धर्म से आस्था और विश्वास समाप्त हो जाय। लेकिन आर्य नागरिको के अथक प्रयास का ही परिणाम है कि मूल महाभारत के अध्ययन बाद सबके सामने द्रोपदी के पाँच पति के दुष्प्रचार का सप्रमाण खण्डन किया जा रहा है। द्रोपदी के पवित्र चरित्र को बिगाड़ने वाले विधर्मी, पापी वो तथाकथित ब्राह्मण, पुजारी, पुरोहि

नेकराम जी

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नेकराम जी ~~~~~~ जन्म तिथि: 22 जनवरी, 1942 जन्म स्थान: गाँव गोमेद, जिला अलीगढ़, उत्तर प्रदेश सक्रिय वर्ष: 2001-2022 प्रारम्भिक जीवन परिचय व शिक्षा: ~~~~~~~~~~~~~~~~~ नेकराम जी का जन्म 22 जनवरी 1941 में गाँव गोमेद जिला अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उसी गाँव की प्राइमरी पाठशाला से सन 1946 में प्रारंभ की थी। उसी पाठशाला में संघ की शाखा भी लगती थी।  जून 1947 में उनका संघ की शाखा में प्रवेश हुआ। मगर सन 1948 को महात्मा गांधी जी की हत्या की वजह से कांग्रेस सरकार द्वारा संघ पर प्रतिबंध लग गया और संघ की शाखा भी लगनी बंद हो गई। फिर काफी समय तक वहाँ संघ की शाखा नहीं लगी। आपने अपनी शिक्षा जारी रखी और दसवीं कक्षा पास की। व्यवसायिक जीवन : ~~~~~~~~~~~ बाद में वह दसवीं कक्षा पास करके में दिनांक 25-03-1960 को रेलवे सुरक्षा बल में भर्ती हो गए। अप्रैल 1966 में आप स्पेशल इमरजेंसी फोर्स से आसाम ऑपरेशन के काल में 3 वर्ष बॉर्डर पर रहे। 1969 में आप फिर से वापस रेलवे में आ गए। रेलवे में आप विभिन्न प्रांतों के स्टेशनों पर सेवारत रहे। मई

गोपाल कृष्ण गोखल जी

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गोपाल कृष्ण गोखले जी ~~~~~~~~~~~~ जन्म: 9 मई, 1866 निधन: 19 फरवरी, 1915 उपलब्धियां: महात्मा गांधी के राजनैतिक गुरु, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के मार्ग दर्शकों में से एक, सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी के संस्थापक गोपाल कृष्ण गोखले भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के मार्गदर्शकों में से एक थे। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। गांधीजी उन्हें अपना राजनैतिक गुरु मानते थे। राजनैतिक नेता होने के आलावा वह एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने एक संस्था “सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी” की स्थापना की जो आम लोगों के हितों के लिए समर्पित थी। देश की आजादी और राष्ट्र निर्माण में गोपाल कृष्ण गोखले का योगदान अमूल्य है। गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई 1866 को महाराष्ट्र के कोथापुर में हुआ था। उनके पिता कृष्ण राव एक किसान थे पर चूँकि क्षेत्र की मिट्टी कृषि के लिए अनुकूल नहीं थी इस कारण क्लर्क का काम करने पर मजबूर हो गए। उनकी माता वालूबाई एक साधारण महिला थीं। गोखले ने अपने बड़े भाई द्वारा आर्थिक सहायता से कोथापुर के राजाराम हाई स्कूल में अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। बाद में वह मुंबई चले गए

श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर जी

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श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर जी  - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दूसरे सरसंघचालक 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 जन्म तिथि: 19 फरवरी 1906  रामटेक, महाराष्ट्र, भारत पुण्य तिथि:  5 जून 1973  नागपुर, महाराष्ट्र, भारत  सक्रिय वर्ष: 1937-1973 संक्षिप्त जीवन वृत्त ~~~~~~~~~~ उनका जन्म फाल्गुन मास की एकादशी संवत् 1963 तदनुसार 19 फ़रवरी 1906 को महाराष्ट्र के रामटेक में हुआ था। वे अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। उनके पिता का नाम श्री सदाशिव राव उपाख्य ‘भाऊ जी’ तथा माता का श्रीमती लक्ष्मीबाई उपाख्य 'ताई’ था। उनका बचपन में नाम माधव रखा गया पर परिवार में वे मधु के नाम से ही पुकारे जाते थे। पिता सदाशिव राव प्रारम्भ में डाक-तार विभाग में कार्यरत थे परन्तु बाद में सन् 1908 में उनकी नियुक्ति शिक्षा विभाग में अध्यापक पद पर हो गयी।  शिक्षा के साथ अन्य अभिरुचियाँ ~~~~~~~~~~~~~~~~~ मधु जब मात्र दो वर्ष के थे तभी से उनकी शिक्षा प्रारम्भ हो गयी थी। पिताश्री भाऊजी जो भी उन्हें पढ़ाते थे उसे वे सहज ही इसे कंठस्थ कर लेते थे। बालक मधु में कुशाग्र बुध्दि, ज्ञान की लालसा, असामान्य स्मरण शक्ति जैसे गुणो

बाप और बेटी का रिश्ता

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#बाप_और_बेटी_का_रिश्ता  🙏💐🙏 बेटी की विदाई के वक्त बाप ही सबसे आखिरी में रोता है, क्यों, चलिए आज आप विस्तारित रूप से समझिए। बाकी सब भावुकता में रोते हैं, पर बाप उस बेटी के बचपन से विदाई तक के बीते हुए पलों को याद कर करके रोता है। #माँ_बेटी के रिश्तों पर तो बात होती ही है, पर बाप और बेटी का रिश्ता भी समुद्र से गहरा है। हर बाप घर के बेटे को गाली देता है, धमकाता और मारता है, पर वही बाप अपनी बेटी की हर गलती को नकली दादागिरी दिखाते हुए, नजर अंदाज कर देता है। बेटे ने कुछ मांगा तो एक बार डांट देता है, पर अगर बिटिया ने धीरे से भी कुछ मांगा तो बाप को सुनाई दे जाता है और जेब में रूपया हो या न हो पर बेटी की इच्छा पूरी कर देता है। दुनिया उस बाप का सब कुछ लूट ले तो भी वो हार नही मानता, पर अपनी बेटी के आंख के आंसू देख कर खुद अंदर से बिखर जाए उसे बाप कहते हैं। और बेटी भी जब घर में रहती है, तो उसे हर बात में बाप का घमंड होता है। किसी ने कुछ कहा नहीं कि वो बेटी तपाक से बोलती है, "पापा को आने दे फिर बताती हूं।" बेटी घर में रहती तो माँ के आंचल में है, पर बेटी की हिम्मत उसका बाप रह