मैं नारी हूँ

★ मैं नारी हूँ ★

सदियों से सताई गई, जलाई गई, अग्निपरीक्षा देती,
मैं शकुन्तला, मैं सती, मैं सीता हूं,
मैं नारी हूं...

मैं जगत जननी हूं, मैं विनाशनी हूं,
मैं अर्धनारीश्वर की सहभागिनी हूं,
मैं नारी हूं...

अहिल्या की पवित्रता मैं, उमराव की पतिता मैं,
गंगा की निर्मल धारा मैं, काली की ज्वाला मैं ही हूं,
मैं नारी हूं...

पुरुष के हृदय का वात्सल्य मैं, पुरुष का अहम् मैं,
पुरुष के पुरुषत्व की पहचान मैं ही हूं,
मैं नारी हूं...

ब्रह्म की दुलारी मैं, विष्णु की प्यारी मैं,
परम शिव की अखंड शक्ति मैं ही हूं,
मैं नारी हूं...

मां की ममता मैं,रिश्तों का अपनत्व मैं,
एक प्रेमी का प्रेम मैं ही हूं,
मैं नारी हूं...

सतयुग की शकुन्तला मैं, त्रेता की सीता मैं,
द्वापर की द्रौपदी मैं, कलयुग की कल्पना मैं ही हूं,
मैं नारी हूं...

सौन्दर्य की देवी मैं, प्रेम का प्रतीक मैं,
ज्ञान का अकूत भंडार मैं, सर्वहृदय में बसा स्नेह मैं ही हूं,
मैं नारी हूं...

प्रेम में डूबी वैरागन मीरा मैं, विरह में तड़पती अभागन राधा मैं,
पंचवीरों के वीरता की पहचान पांचाली मैं ही हूं,
मैं नारी हूं...

मंदिरों में पूजी जाती देवी मैं, पैरों की ठोकर खाती दासी मैं,
सर्वत्र व्याप्त इस सृष्टि का अद्भुत सृजन मैं ही हूं,
मैं नारी हूं...

बीत गये वो जमाने, वो पल, वो इतिहास,
मैं रजिया सुल्ताना, मैं झांसी की रानी,
कवियों की अनंत कल्पना मैं ही हूं,
मैं नारी हूं...
   .. विजेता मलिक "

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