संविधान दिवस

★संविधान दिवस

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" मन की बात ",  नवम्बर 2017

मेरे प्यारे देशवासियो, आज 26/11 है | 26 नवम्बर, ये हमारा संविधान दिवस है | उन्नीस सौ उनचास में,1949 में आज ही के दिन, संविधान-सभा ने भारत के संविधान को स्वीकार किया था | 26 जनवरी 1950 को, संविधान लागू हुआ और इसलिए तो हम, उसको गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं | भारत का संविधान, हमारे लोकतंत्र की आत्मा है | आज का दिन, संविधान-सभा के सदस्यों के स्मरण करने का दिन है | उन्होंने भारत का संविधान बनाने के लिए लगभग तीन वर्षों तक परिश्रम किया | और जो भी उस debate को पढ़ता है, हमें गर्व होता है कि राष्ट्र को समर्पित जीवन की सोच क्या होती है ! क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि विविधताओं से भरे अपने देश का संविधान बनाने के लिए उन्होंने कितना कठोर परिश्रम किया होगा ? सूझ-बूझ, दूर-दर्शिता के दर्शन कराए होंगे और वो भी उस समय, जब देश ग़ुलामी की जंज़ीरों से मुक्त हो रहा था | इसी संविधान के प्रकाश में संविधान-निर्माताओं , उन महापुरुषों के विचारों के प्रकाश में नया भारत बनाना,ये हम सब का दायित्व है | हमारा संविधान बहुत व्यापक है| शायद जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, प्रकृति का कोई ऐसा विषय नहीं है जो उससे अछूता रह गया हो | सभी के लिए समानता और सभी के प्रति संवेदनशीलता, हमारे संविधान की पहचान है | यह हर नागरिक, ग़रीब हो या दलित, पिछड़ा हो या वंचित , आदिवासी, महिला सभी के मूलभूत अधिकारों की रक्षा करता है और उनके हितों को सुरक्षित रखता है | हमारा कर्तव्य है कि हम संविधान का अक्षरशः पालन करें | नागरिक हों या प्रशासक,संविधान की भावना के अनुरूप आगे बढ़ें | किसी को किसी भी तरह से क्षति ना पहुँचे - यही तो संविधान का संदेश है | आज, संविधान-दिवस के अवसर पर डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर की याद आना तो बहुत स्वाभाविक है | इस संविधान-सभा में महत्वपूर्ण विषयों पर 17 अलग-अलग समितियों का गठन हुआ था | इनमें से सर्वाधिक महत्वपूर्ण समितियों में से एक, drafting committee थी | और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, संविधान की उस drafting committee के अध्यक्ष थे | एक बहुत बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका का वो निर्वाह कर रहे थे | आज हम भारत के जिस संविधान पर गौरव का अनुभव करते हैं, उसके निर्माण में बाबासाहेब आंबेडकर के कुशल नेतृत्व की अमिट छाप है | उन्होंने ये सुनिश्चित किया कि समाज के हर तबके का कल्याण हो | 6 दिसम्बर को उनके महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर, हम हमेशा की तरह उन्हें स्मरण और नमन करते हैं | देश को समृद्ध और शक्तिशाली बनाने में बाबासाहेब का योगदान अविस्मरणीय है |

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" मन की बात ",  नवम्बर 2018

मेरे प्यारे देशवासियो, गुरुग्राम से विनीता जी ने MyGov पर लिखा है कि ‘मन की बात’ में मुझे कल यानी 26 नवम्बर को आने वाले ‘संविधान दिवस’ के बारे में बात करनी चाहिए | उनका कहना है, यह दिन विशेष है क्योंकि हम संविधान को अपनाने के 70वें वर्ष में प्रवेश करने वाले हैं | 
विनीता जी, आपके सुझाव के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद|

हाँ, कल ‘संविधान दिवस’ है | उन महान विभूतियों को याद करने का दिन जिन्होंने हमारा संविधान बनाया | 26 नवम्बर, 1949 को हमारे संविधान को अपनाया गया था | संविधान draft करने के इस ऐतिहासिक कार्य को पूरा करने में संविधान सभा को 2 वर्ष, 11 महीने और 17 दिन लगे | कल्पना कीजिये 3 वर्ष के भीतर ही इन महान विभूतियों ने हमें इतना व्यापक और विस्तृत संविधान दिया | इन्होंने जिस असाधारण गति से संविधान का निर्माण किया वो आज भी time management और productivity का एक उदाहरण है | ये हमें भी अपने दायित्वों को record समय में पूरा करने के लिए प्रेरित करता है | संविधान सभा देश की महान प्रतिभाओं का संगम थी, उनमें से हर कोई अपने देश को एक ऐसा संविधान देने के लिए प्रतिबद्ध था जिससे भारत के लोग सशक्त हों, ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति भी समर्थ बने |

हमारे संविधान में खास बात यही है कि अधिकार और कर्तव्य यानी Rights and Duties, इसके बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है | नागरिक के जीवन में इन्हीं दोनों का तालमेल देश को आगे ले जाएगा | अगर हम दूसरों के अधिकार का सम्मान करेंगे तो हमारे अधिकारों की रक्षा अपने आप हो जायेगी और इसी तरह अगर हम संविधान में दिए अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे तो भी हमारे अधिकारों की रक्षा अपने आप हो जायेगी | मुझे अभी भी याद है 2010 में जब भारत के गणतंत्र को 60 साल हुए थे तब गुजरात में हमने हाथी पर रख कर संविधान की शोभा-यात्रा निकाली थी | युवाओं में संविधान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए और उन्हें संविधान के पहलुओं से जोड़ने के लिए ये एक यादगार प्रसंग था | वर्ष 2020 में एक गणतंत्र के रूप में हम 70 साल पूरे करेंगे और 2022 में हमारी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे हो जायेंगे |

आइये, हम सभी अपने संविधान के मूल्यों को आगे बढ़ाएँ और अपने देश में Peace, Progression, Prosperity यानी शांति, उन्नति और समृद्धि को सुनिश्चित करें |
मेरे प्यारे देशवासियो, संविधान सभा के बारे में बात करते हुए उस महापुरुष का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता जो संविधान सभा के केंद्र में रहे | ये महापुरुष थे पूजनीय डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर | 6 दिसम्बर को उनका महा-परिनिर्वाण दिवस है | मैं सभी देशवासियों की ओर से बाबा साहब को नमन् करता हूँ जिन्होंने करोड़ों भारतीयों को सम्मान से जीने का अधिकार दिया | लोकतंत्र बाबा साहब के स्वभाव में रचा-बसा था और वो कहते थे कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्य कहीं बाहर से नहीं आए हैं | गणतंत्र क्या होता है और संसदीय व्यवस्था क्या होती है - ये भारत के लिए कोई नई बात नहीं है | संविधान सभा में उन्होंने एक बहुत भावुक अपील की थी कि इतने संघर्ष के बाद मिली स्वतंत्रता की रक्षा हमें अपने खून की आखिरी बूँद तक करनी है | वे यह भी कहते थे कि हम भारतीय भले ही अलग-अलग background के हों लेकिन हमें सभी चीज़ों से ऊपर देशहित को रखना होगा | India First - डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर का यही मूलमंत्र था | एक बार फिर पूज्य बाबा साहब को विनम्र श्रद्धांजलि |

बहुत-बहुत धन्यवाद |

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....….. विजेता मलिक

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