प्रधानमंत्री सर, आप महान हैं

दोस्तों, 
अभी कुछ दिन पहले मुझे एक कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। इस कार्यक्रम में मुझे कुछ सम्मानित व्यक्तियों को सम्मान चिन्ह (अवार्ड) प्रदान करने थे। कल उस कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें प्राप्त हुई थी। उन्ही में से कुछ तस्वीरो में मैं कुछ सम्मानित व्यक्तियों को अवार्ड प्रदान कर रही थी। ये तस्वीरे देखते हुए मेरे मन में कुछ विचार आये। सोचा वो विचार भी आप सबके साथ भी शेयर करना चाहिये .......

दोस्तों, हम जब भी कोई अच्छा या महान कार्य करते हैं तो हमें समाज या संस्था द्वारा अक्सर सम्मान भी प्राप्त होता हैं । पर कुछ व्यक्ति ऐसा सम्मानित या महान कार्य करते हैं, मगर फिर भी उन्हें सम्मानित करने लायक ना तो हमारे पास शब्द होते हैं और ना ही उन्हें देने के लिये कोई अवार्ड ।

रामायण के अंतिम चरण में एक प्रसंग हैं......
लंका में रावण से युद्ध जीत कर श्री रामचन्द्र जी ..., सीता जी, लक्ष्मण, सुग्रीव, हनुमान, अंगद, विभीषण आदि के साथ अयोध्या वापस आते हैं। श्री राम चन्द्र जी का राज्याभिषेक होता हैं। राज्याभिषेक के बाद सभी मेहमानों को श्री राम भेट स्वरूप वस्त्र, आभूषण व अन्य वस्तुऐं प्रदान करते हैं, मगर हनुमान जी को कुछ भी देते हैं। सीता जी आश्चर्य चकित श्री राम से कहती हैं कि आपने मेरे लाडले पुत्र हनुमान को तो कुछ भी नही दिया। तब श्री राम ने जवाब दिया कि हे सीते, मेरे पास हनुमान को देने लायक कोई वस्तु नही हैं । इस पर सीता जी बोली कि आप भले ही मेरे पुत्र हनुमान को कुछ दे या ना दे, मगर मैं तो ज़रूर हनुमान को कुछ भेट दूँगी और उन्होंने अपना बेशकीमती हीरों का हार उतार कर हनुमान जी को दे दिया। हनुमान जी ने ख़ुशी के साथ माता सीता की ये भेट स्वीकार की और बाहर जाकर इस हार को बड़े ध्यान से देखने लगे। फिर उन्होंने हार को तोड़ डाला। फिर उस हार का एक-एक हीरा वो सावधानी से देखते, फिर अपने दाँतो से तोड़ते, फिर उस टूटे हीरे को ध्यान से देखते और फेंक देते। विभीषण जी ने जब हनुमान जी को ये सब करते देखा तो हनुमान जी को डांटते हुए कहा कि हनुमान ये क्या किया। इतना कीमती हार और हीरे तोड़ डालें, आखिर क्यों ?  हनुमान जी बोले कि माता सीता ने मुझे ये हार दिया था और इस हार में मैं श्री राम और सीता जी को ढूंढ रहा हूँ । पर वो तो मिले ही नही । इसलिये ये हीरे मेरे लिये बेकार हैं । जिसमें भगवान राम और सीता माता नही, वो चीज़ मेरे लिये बेकार हैं । इस पर विभीषण जी बोले कि हनुमान, किसी वस्तु के अन्दर सीता-राम कहा हो सकते हैं । क्या तुम्हारे अन्दर सीता-राम हैं ? इस पर हनुमान जी ने अपनी छाती चीर कर सबको भगवान राम व सीता जी के दर्शन करा दिये ।

तो दोस्तों, इसी तरह हमारे महान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी,  PM बनने के बाद लगातार बिना रुके, बिना थके, देश और देशवासियों की भलाई के लिये काम किये जा रहे ....... जनधन योजना, अटल बीमा योजना, मेक इन इंडिया, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया, सर्जिकल स्ट्राइक, मुद्रा लोन योजना, उज्वला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, एयर स्ट्राईक, तीन तलाक, धारा 370 हटाना, अयोध्या राम मंदिर मसला सुलझाना, कश्मीर लद्धाख अलग कर शांति व समृद्धि बहाल करना, आदि-आदि। साथ ही 1000 व 500 के नोट बन्द कर आतंकवाद, भृष्टाचार व काला धन पर एक साथ वार, साथ ही पाकिस्तान पर करारा प्रहार, क्योंकि पाकिस्तान ये 1000-500 के भारतीय नोट नकली छाप कर भारत मे सप्लाई करता था, जो उसकी कमाई का विशेष साधन था, आदि-आदि-आदि । 500 व 1000 के नोट बंद करके हमारे भारत देश को विश्व का एक महानतम व शक्तिशाली देश बनाने का हमारे प्रधानमंत्री जी का एक मजबूत कदम था। और आज इसमें कोई शक नही हैं कि इस नोट बन्दी के दूरगामी परिणाम बहुत ही सुखद हैं और ये सारा देश में भी मान रहा हैं।

साथ ही सभी भारतवासियों की भलाई के लिए हमारे महान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो भी योजनाएं शुरू की हैं, उस पर भी सभी देशवासियों को उन पर गर्व हैं, पर हम भारतवासियों को हमारे महान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद करने के लिये शब्द नही हैं और ना ही उन्हें देने के लिये हमारे पास कोई एवार्ड या भेट। हम तो अपना सीना भी चीर कर नही दिखा सकते की हमारे दिलों में उनके प्रति कितना प्रेम व सम्मान है। हम भारतवासी बस इतना ही कह सकते हैं कि आप महान हैं और आपका हार्दिक धन्यवाद । हम सब सदैव आपके साथ हैं ।

🇮🇳🇮🇳 #Our_Great_PM 🇮🇳🇮🇳
🙏
#VijetaMalikBJP


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