अरुण जेटली जी
अरुण जेटली जी
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सभी देशवासियों के दिलों पर राज करने वाले पुर्व वित्त मंत्री श्रीअरुण जेट्ली जी की पुण्य तिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि !
जनसंघ से शुरू हुआ था अरुण जेटली जी राजनैतिक सफ़र.. जानिये उनके बारे में वो बातें, जिससे शायद आप अनजान हों.....
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भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता तथा पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली जी, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते थे। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में उनके पास वित्त जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय था तो वहीं उन्होंने रक्षा मंत्रालय का प्रभार भी संभाला था। उनकी गिनती प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के बाद दूसरे नंबर के नेताओं के साथ होती थी। बतौर वित्त मंत्री जेटली ने आम बजट और रेल बजट को एकसाथ पेश करने की व्यवस्था लागू की। इतना ही नहीं, गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) को पूरे देश में लागू करने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान था।
बतौर वित्त मंत्री वो हमेशा कहते थे कि जिस तरह से बीमारी को जड़ से ठीक करने के लिए कई बार कड़वी दवा पीनी पड़ती है, ठीक वैसे ही देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए भी कड़वी दवा जैसे फैसले लेने होंगे। यही कारण था कि विपक्ष के तगड़े विरोध के बाद भी वित्त मंत्री रहने के दौरान उन्होंने GST बिल को पास कराया।
व्यक्तिगत जीवन
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अरुण जेटली का जन्म 28 दिसंबर 1952 को महाराज किशन जेटली और रतन प्रभा जेटली के घर दिल्ली में हुआ था। उनके पिता भी वकील थे।
उनकी स्कूली शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल, नई दिल्ली से 1957-69 में पूरी हुई।
1973 में श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, नई दिल्ली से कॉमर्स में स्नातक किया।
1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय से उन्होंने कानून की डिग्री प्राप्त की।
1974 में वे दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संगठन के अध्यक्ष भी रहे।
24 मई 1982 को उनका विवाह संगीता जेटली से हुआ। उनके दो बच्चे, पुत्र रोहन और पुत्री सोनाली हैं।
राजनीतिक कैरियर
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1991 से जेटली भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे।
1999 के आम चुनाव से पहले की अवधि के दौरान वह भाजपा के प्रवक्ता बने।
1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार में उन्हें सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया गया था।
राम जेठमलानी के इस्तीफे के बाद 23 जुलाई 2000 को जेटली को कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार मिला।
1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) छात्रसंघ के अध्यक्ष भी बने थे।
1975-77 में 19 महीनों तक आपातकाल के दौरान वे मीसाबंदी थे और इसके बाद जनसंघ में शामिल हो गए थे।
वकील होने के नाते 1977 से उच्चतम न्यायालय तथा देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में उन्होंने वकालत भी की थी।
1989 में जेटली को विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार द्वारा अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किया गया था।
2014 के आम चुनाव में, उन्होंने अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और अमरिंदर सिंह (कांग्रेस उम्मीदवार) से हार गए।
कानूनी कैरियर
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अरुण जेटली जी सर्वोच्च न्यायालय और देश के कई राज्यों के उच्च न्यायालय में वकालत कर चुके हैं।
1990 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया था।
अन्य पद
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1989-90: भारत सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता
अक्टूबर 1999 – 30 सितंबर 2000: सूचना प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
दिसंबर 1999 -जुलाई 2000: विनिवेश मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
अप्रैल 2000: राज्यसभा के लिए निर्वाचित
जुलाई 2000 – नवंबर 2000: कानून, न्याय और कंपनी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
जनवरी 2003 – मई 2004: कानून, न्याय और कंपनी मामलों के राज्य मंत्री
अप्रैल 2006: राज्यसभा के लिए दूसरी बार निर्वाचित
अप्रैल 2012 – मई 2014: राज्य में विपक्ष के नेता
मई 2014 – नवंबर 2014: रक्षा मंत्री
27 मई 2014 – 14 मई 2018 वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री
नवंबर 2014 – 5 जुलाई 2016: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
मोदी सरकार
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26 मई 2014 को, जेटली को नवनिर्वाचित प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वित्त मंत्री के रूप में चुना गया (जिसमें उनके मंत्रिमंडल में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय और रक्षा मंत्री शामिल हैं)।
नवंबर 2015 में, जेटली ने कहा कि विवाह और तलाक को नियंत्रित करने वाले व्यक्तिगत कानून मौलिक अधिकारों के अधीन होने चाहिए, क्योंकि संवैधानिक रूप से गारंटीकृत अधिकार सर्वोच्च हैं। उन्होंने सितंबर 2016 में आय घोषणा योजना की घोषणा की।
भारत के वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, सरकार ने 9 नवंबर, 2016 से भ्रष्टाचार, काले धन, नकली मुद्रा और आतंकवाद पर अंकुश लगाने के इरादे से 500 और 1000 के नोटों का विमुद्रीकरण किया।
20 जून, 2017 को उन्होंने पुष्टि की कि जीएसटी रोलआउट अच्छी तरह से और सही मायने में ट्रैक पर है।
अरुण जेटली जी मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में देश के वित्त मंत्री थे। मगर 2019 में उन्होंने खुद को चुनाव से अलग कर लिया और दोबारा मोदी सरकार बनने पर भी खुद को मंत्री पद से भी दूर रखा। अरुण जेटली जी ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए खुद को अलग रखा।
और कल पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के सीनियर नेता अरुण जेटली ने 24 अगस्त 2019 को दोपहर 12 बजकर सात मिनट पर एम्स, दिल्ली में अंतिम सांस ली। सांस लेने में तकलीफ के बाद उन्हें 9 अगस्त दोपहर सवा 12 बजे एम्स में भर्ती कराया गया था। वर्ष 2018 में जेटली जी के किडनी का ट्रांसप्लांट भी हुआ था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी उन दिनो फ्रांस, यूएई व बहरीन की यात्रा पर थे। बहरीन में पीएम ने एक प्राचीन मंदिर का उद्घाटन भी किया और भारतीय समुदाय को संबोधित भी किया। इस सम्बोधन के दौरान उन्होंने नम आँखों से अपने दोस्त व दिवंगत पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली जी को भी बेहद दुःखी मन से याद किया था और उन्हें अपनी श्र्द्धांजलि दी थी।
2018 में अरुण जेटली का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था जिसके बाद से वे लगातार स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहते थे। 2019 में उन्होंने मोदी सरकार-2 में शामिल होने से असमर्थता व्यक्त की थी। उन्होंने एक चिट्ठी भी लिखी थी। अपने पत्र में जेटली ने लिखा था ‘मुझे अपने लिए, अपने इलाज के लिए और अपनी सेहत के लिए कुछ वक्त चाहिए।’ जेटली ने यह भी लिखा कि ‘मेरे पास इस दौरान निश्चित तौर पर काफी समय होगा जिसमें मैं सरकार और पार्टी की अनौपचारिक तौर पर मदद कर सकूंगा। मगर ऐसा ना हो सका और दिल्ली एम्स अस्पताल में ली उन्होंने अपनी अंतिम सांस ....
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अरुण जेटली जी के जाने से भारतीय राजनीति में जो शून्य आया है, उसकी पूर्ति कभी नहीं हो सकती है। संसद के अंदर उनके प्रभावी भाषणो की गूँज, कठिन से कठिन समस्या के समय भी उनका मुस्कराता हुआ चेहरा सदैव हमारे साथ रहेगा। उनके विचार सदैव हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।
शत-शत नमन करूँ मैं आपको 💐💐💐💐
🙏🙏
#VijetaMalikBJP