गौ, गंगा, गीता व गुरु की पुकार, अब तो जागो हिन्दू परिवार

ये एक पुराना लेख हैं, जो गूगल पर कुछ सर्च करते हुए मुझे मिला था। मैंने इसे पूरा पढ़ा। मुझे बहुत हैरानी हुई। आप सभी के लिए इसे सोशल मीडिया पर शेयर कर रही हूँ।

धन्यवाद।

सनातन संस्कृति
"~~~~~~~~~~~~
" गर्व से कहो हम हिन्दू है ! "

गौ, गंगा, गीता और गुरु की पुकार । अब तो जागो हिन्दू परिवार ॥

” हिंदुओं ! कब जागोगे ? पूर्ण विनाश के बाद ??? ”
ये शब्द उन्हें ही संबोधित हैं जिनकी धमनियों में हिंदुत्व का पवित्र रक्त प्रवाहित हो रहा है, जिनके मन-मस्तिष्क में वेदों के ज्ञान का शीतल पवन प्रवाहितहै, जिन्हें साधु संत तथा हिंदू समाज सेवियों की सकारात्मक चेष्टाओं की पहचान है।

हे आर्य ऋषि-मुनियों की संतान ! पिछले कुछ वर्षों से विशेष कर सन २००४ मई के बाद से हिंदू साधु-संत एवं संगठनों पर लगातार मिडिया, प्रेस एवं सरकारी स्तर से जो हमले हो रहे हैं तथा आरोपों पर आरोप लगाकर संतों को सताना, जेल में डालना, कुप्रचार करके बदनाम करना एवं हत्याएँ आदि राक्षसी कृत्य किये जा रहे हैं। इन सबके पीछे वास्तविक कारण क्या है पता है…???

“हिंदू धर्म व हिंदू साधुओं के प्रति हिंदुओं की आस्था, श्रद्धा समाप्त करके भारत को पूर्ण रूप से गौ-माँस भक्षी, अनैतिक जीवन प्रणाली की शिक्षा देने वाले ईसाई व मुस्लिम धर्म में धर्मान्तरित करना। “ यह तभी संभव है जब आपकी आस्था एवं विश्वास टूट जायेगा । अरबों रुपये खर्च करके हमारे ही लोगों में से कुत्सित मन बुद्धिवाले भाड़े के तथा भगेडू लोगों को खड़ा करके मनगढ़त आरोपों को थोप कर खरीदी हुई मीडिया के द्वारा, जो कि अत्यंत प्रभावी साधन है, लोगों को गुमराह किया जाता है । एक भी आरोप सत्य नहीं है, सत्य नहीं है, सत्य नहीं है । मीडिया समाज को दवा की जगह दारू पिला रही है ।

इन्होंने हमारे साधु संतों पर आरोप लगाए, पर क्या उनमें से किसी ने भी कोई मुल्ला-मौलवी या ईसाई पादरी पर कोई आरोप लगाया है?

आइये एक बार इस सच्चाई को हम अपनी विवेक बुद्धि से ही समझें–

१. ईसाई मिशनरियाँ—– सम्पूर्ण भारत को ईसाई बनाना इनका लक्ष्य है। अत: हिंदू साधू संतों को बदनाम करके हिंदुओं की आस्था के केन्द्रों को नष्ट करना चाहती है। कान्वेंट स्कूलों द्वारा सदियों से धर्मान्तरण का गुप्तकार्य करने वाले यही लोग गुरुकुलों को निशाना बना रहे हैं। इन लोगों के ही पैसों से अधिकांश न्यूज़ चैनलें चल रही हैं, जिस मे गुलाम मानसिकता वाले हिंदुस्तानी कार्यरत हैं। बापूजी के संरक्षण में चल रहे गुरुकुलों से सम्बंधित सभी कांड इन लोगों की ही साजिश नजर आती है, क्योंकि संत श्री आशारामजी बापू १७ हजार से भी अधिक बालसंस्कार केंद्र तथा ४० से अधिक गुरुकुल खोल कर हिन्दू संस्कृति को पुनः जीवित कर रहे हैं । भारत के युवक-युवतियों के चरित्र को नष्ट करने वाली इन्हीं लोगों की विकृत मानसिकता की उपज “वैलेंटाइन डे” जैसी गंदगी से दूर रह कर मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने को प्रोत्साहित करते हैं एवं बच्चों को मिशनरी स्कूलों में पढ़ाने से मना करते है ।

२. कांग्रेसी गठबंधन सरकार– धर्मान्तरण करके हिन्दू बहुसंख्यक वाले भारत में हिंदुओं की संख्या घटाओ, बीजेपी के हिंदुत्ववादी राजनैतिक इरादों को मिटाओ एवं अपना सिक्का जमाओ; यहीं इन लोगों का मनसूबा लगता है । हिंदुओं की एकता तथा जागृति से लाभाकांक्षी बीजेपी जो कि मुख्य विरोधी पार्टी है उसे सत्ता प्राप्ति से हमेशा-हमेशा के लिये वंचित करना इसका लक्ष्य है । अत: ईसाई धर्मान्ध विदेशी महिला तथा सत्तालोलुप नेताओं का समूह जिन्हें हिंदू धर्म से हिंदू संस्कृति से कुछ लेना देना नहीं है, वे हिंदू संतों को अपना दुश्मन मानते हैं, क्योंकि संत ही हिंदुओं को एकता के सूत्र में बाँध सकते हैं । पिछले दशकों से कांग्रेसी तथा उस की सहयोगी पार्टियों की हिंदू विरोधी नीतियों से भारत की जनता अनजान नहीं है । देश की न्यायपालिका, कार्यपालिका, मीडिया तथा प्रेस को पालतू श्वान जैसे नचा रहे हैं, यह भ्रष्ट नेता लोग ।

३. इलेक्ट्रोनिक मीडिया तथा प्रेस—- अधिकांश न्यूज़ चैनल विदेशियों के ही है, मिशनरियों के है तथा बिकाऊ हिन्दुस्तानियों को लेकर हमारे ही लोगों द्वारा अपने संतों व संस्कृति को बदनाम किये जा रहे हैं । सरासर झूठ, सम्पूर्ण काल्पनिक तथा असंवैधानिक तरीके से न्यायपालिका की निर्णय से पहले ही आरोप सिद्ध कर दिखाने लगते हैं, केवल जनता को राजनेताओं के मैले इरादों के मुताबिक जानबूझ कर गुमराह करने हेतु; वो भी सत्तासीन-धनलोलुप, धर्महीन नेताओं के संरक्षण में रहकर । सच्चाई तो यह है कि देश का चौथा स्तंभ माने जाने वाले मीडिया एवं प्रेस अत्यंत भ्रष्ट और बिकाऊ तथा सरकार के हाथों सर्कसी जानवर जैसे हो चुके हैं । सनसनीखेज ख़बरें बनाकर, विज्ञापन दाताओं से अरबों रूपये कमाना एवं अपनी टीआरपी बढ़ाना इनका लक्ष्य है । इनको सच्चाई से कुछ लेना देना नहीं है । ये लोग न्यूज दिखाते नहीं वरन बनाते हैं । किसी भी प्रसिद्ध व्यक्ति के खिलाफ विशेष खबर दिखाने से भोले-भाले दर्शक बहुत ही चाव से देखते हैं, इस प्रकार विज्ञापन दाताओं से भी अरबों रुपये मिल जाते हैं ।

Electronic media is the cheapest & most effective way now to hypnotize & biast the public.

४. विदेशी शीतल पेय कम्पनियाँ (पेप्सी, थम्स-अप, मिरिंडा, कोकाकोला, स्प्राइट, कोक आदि) अन्य विदेशी कम्पनियाँ तथा अंग्रेजी दवा, शराब, गुटखा, पान-मसालेवाले उद्योग— संतों के सत्संग द्वारा करोड़ों लोग प्रेरित होकर इनके स्वास्थ्य को नष्ट करने वाले उत्पादों का उपयोग नहीं करते हैं जिससे इन कंपनियों को अरबों-अरबों रुपयों का घाटा सहना पड़ता है । अत: इस घिनौने कार्य में पैसा मुहैया कराने का काम ये लोग करते हैं ताकि संतों की छवि धूमिल होने से इन्हें लोग सुनेंगे नहीं, जिससे इनका विक्रय बढ़ेगा । जिन-जिन मार्केटिंग कंपनियों को संतों के सत्संग-प्रवचनों के कारण आर्थिक घाटा सहना पड़ता है, वो लोग इस पाप प्रयास में अपना धन लगा रहे हैं ।

५. विदेशी ताकतें जो भारत को संगठित रहना तथा एक पूर्णविकसित शांति और मैत्री संपन्न राष्ट्र के रूप में देखना नहीं चाहते –

सोवियत संघ, चेकोस्लोवाकिया, युगोस्लेविया, कोरिया आदि राष्ट्रों को किसने तोड़ा? ईराक को तोड़कर कुर्दिस्तान राष्ट्र को अस्तित्व देने का प्रयास किसका था? अखंड भारत को टुकड़ों में किसने बाँटा? कौन-कौन अंतर्राष्ट्रीय अर्थ बाज़ार में अपना दबदबा बनाये रखना चाहते हैं ?

यही कुत्सित प्रयासरत विदेशी मस्तिष्कों का लक्ष्य है कि, भारतीय संस्कृति जो कि भारतीयों की एकता का कारण है, संरक्षण तथा संवर्धन का ऊर्जा-स्रोत है, उस पर आक्रमण किया जाये । अलग अलग भाषाओँ के चलते जाति भेद से प्रेरित छोटा-सा महादेश यूरोप आज छोटे-छोटे टुकड़ों में है, जबकि उन लोगों का रंग-ढंग, आचार-विचार, खान-पान पहनावा एक है । “किन्तु भारत के हिंदुओं में कोस-कोस पर बदलते रहन-सहन तथा भाषा के बावजूद भी ये लोग एक क्यों है?”

इसी प्रश्न का उत्तर उन्हें “भारतीय संस्कृति” के रूप में मिला जिसे नष्ट-भ्रष्ट करने पर तुले हैं ताकि भारतीय लोग धर्मान्तरित होकर आपस में लड़ते रहें और राष्ट्रीय विकास रुक जाये । यही लक्ष्य Divide & rule नीतिवाले नेताओं का भी है, भले ही देश की जनता इसका नतीजा भुगतती रहे। Clinton Organisation आदि नाम से 15,000 NGO भारत में इस कार्य में लगे हुए हैं ।

इन पाँचों के लक्ष्य एक होने के कारण इन लोगों का सम्मिलित घृणास्पद प्रयास देश के १३० करोड़ जनता को भ्रमित कर रखा है । इसीलिए कांग्रेसी गठबंधन सरकार जो कि हिंदू विरोधी मानसिकता संपन्न नेताओं से भरी है, सरकारी स्तर पर ऐसे हैवानियत को अंजाम दे रहा है और

१. साध्वी उमा भारती- सन २००४ में सांप्रदायिकता भड़काने के आरोप में गिरफ़्तारी वारंट के पश्चात् मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा ।

२. शिरडी साईं बाबा संस्थान- खबरों के अनुसारसन २००४ में संस्थान का ५०० करोड़ रुपया कांग्रेस सरकार ने हड़प लिया । बाद में इसे मदरसा एवं चर्चों में वितरित किया गया ।


३. शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वतीजी – सन २००४ में हत्या के फर्जी आरोप में एक माह तक कारावास में रखा ।

४. स्वामी श्यामानंद (राजस्थान)—आश्रम की जमीन हड़पने के लिये पेय में नशीली वस्तु मिलाकर पिलाया था । तत्पश्चात खरीदी हुई लड़की के साथ नशे की हालत में अश्लील हरकतों की फिल्म बनाकर बदनाम किया । भक्तों ने उस महिला की ठौर पा कर उस से सच उगल वाया ।

५. माता अमृतानंदमयी (अम्मा)- रेडलाईट एरिया से संबंधित बताकर उनकी पावन छवि को कलंकित करने का पाप प्रयास किया गया था।

६. आचार्य सुधांशु महाराज- अर्थ संबंधित मिथ्या आरोप ।

७. रामसेतु पर लज्जास्पद आक्रमण- भगवान श्रीरामजी द्वारा निर्मित २ कि.मी.×४८ कि.मी. का रामसेतु तोड़कर हिंदुओं की छाती पर ठोकर मारने का निर्ल्लज प्रयास सरकारी स्तर पर जारी रहा ।

८. पायलट बाबा,
९. किरीटभाई,

१०. डॉ. रामविलास वेदान्ती,

११. स्वामी प्रज्ञानंद … आदि… आदि…

उपरोक्त संतों पर २००७ मई में “ऑपरेशन माया” नामक कार्यक्रम के तहत कमीशन खोरी का आरोप लगाकर आई बी एन 7 ने बदनाम किया था।

१२. श्री कृपालुजी महाराज-८५ वर्ष की उम्र में मई २००७ में यौन-कुकृत्य का सम्पूर्ण निराधार आरोप जो कि मिथ्या प्रमाणित हुआ था ।

१३. योगाचार्य रामदेवजी-आयुर्वेद दवा में केंचुआ तथा मनुष्य खोपड़ी का चूर्ण मिलाने का आरोप (२००५ में) । हाल ही में विदेशी बैंकों में अरबों रुपये अपने नाम से जमा कर रहे राष्ट्रद्रोही भ्रष्ट नेताओं के लिए फाँसी की सज़ा की मांग कर रहे अनशनकारियों पर हमला । रात के १२ बजे तम्बुओं में आग लगाकर लोगों को मारा पीटा गया । खरीदी हुई स्त्रियों से सुनियोजित ढंग से बचने का एक-मात्र विकल्प स्त्री लिबास में निकल जाने का रास्ता बताकर दुनियाँ के सामने हास्यास्पद बनाया । औरतों के बीच से निकलते हुए पूर्व नियोजित योजना के तहत पकड़ लिया तथा दुपट्टे से उनका गला कसने का घिनौना कुकृत्य पुलिस द्वारा किया गया ।

१४. सत्य साईं बाबा ९० वर्ष से भी अधिक उम्र वाले वृद्ध संत पर (कुछ वर्ष पहले) मिशनरियों ने इंडिया टुडे पत्रिका के संपादक को खरीद कर समलैंगिकता का गन्दा आरोप लगाया था । फिर २००८-०९ में कम्प्युटराइज्ड छवियों से उनको पाखंडी करार देकर दिन-रात ‘स्टार’ तथा ‘इंडिया टीवी’ के जरिये बदनाम किया । संत जब मृत्यु शय्या पर वेंटिलेटर में थे तब कांग्रेस सरकार के कर्मचारियों को उनके कोषाध्यक्षता के लिये भेजा गया तथा मृत्यु के पश्चात् सब कुछ नियंत्रण में ले लिया गया ।

१५. डेरा सच्चा सौदा के बाबा गुरमीत सिंह- सन २००८ में उन पर यौन शोषण का आरोप तथा केस चलाया गया था । वे निरपराध साबित हुए ।

भारत की भोली-भाली जनता अपने ही धर्म, संस्कृति एवं समाज हितार्थ सेवारत साधु-संतों को गलत समझने लगे हैं ।

१६. साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर- सन २००८-२००९ में हैदराबाद तथा मालेगाँव मस्जिद में बम ब्लास्ट का झूठा आरोप लगाकर जेल में डाल दिया । अमानुषिक अकथनीय अत्याचार करके विषैले इंजेक्शन आदि देकर लकवा का मरीज बना दिया गया। क्यों सिर्फ इसलिए कि वे धर्मांतरण के काम में वाधक बनती थीं…

१७. स्वामी नित्यानंदजी- दक्षिण भारत के इस संत को Computerised sex scandal के तहत बदनाम किया गया । आज भी कई पातकी प्रेस वाले उन्हें ‘सेक्स-गुरु’ नाम से संबोधित करते हैं ।

१८. संत आशारामजी बापू- २००८ में अमदाबाद एवं छिन्दवाड़ा गुरुकुलों के २-२ बच्चों की संदिग्ध मृत्यु, गुरुपूर्णिमा में बडोदरा तथा अमदाबादसे ख़रीदे हुए गुंडों को लाकर दंगा, २००९ में भक्तों की रैली में अपने गुण्डों को भर्ती करके पुलिसपर आक्रमण तथा बौखलाई पुलिस द्वारा निरपराध साधकों एवं आश्रम पर आक्रमण करवाने का राजनैतिक कुप्रयास। कुछ चैनलों द्वारा दिन-रात बकते रहना सीमा पार कर गया था । हर दिन कुछ ना कुछ नया आरोप एवं आश्रमों में तोड़-फोड, सत्संग रुकवाना आदि चालू रहा।

१९. स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती- २००८ जन्माष्टमी की पावन रात को ४ अनुयायियों के साथ ईसाई माओवादियों द्वारा अत्यंत अमानुषिक ढंग से हत्या । वे पिछले करीब ५० वर्षों से धर्मान्तरित लोगों का घरवापसी कार्य में लगे थे । उन्हें गोली मारकर कुल्हाड़े से काट डाला था । हत्यारे अभी भी निरंकुश हैं ।

२०. श्री रवि शंकरजी- प्रवचन कार्यक्रम में गोलियों से आक्रमण किया गया था।

२१. डॉ. राजीव दीक्षित- संत-राजनैतिक दल का Prime Minister designate के रूप में इन संस्कृति प्रेमी, ज्ञान पूर्ण मस्तिष्क संपन्न संत स्वभाव वाले महान व्यक्ति को लक्षणतः धीमा जहर देकर हत्या की गई ।

२२. पद्मनाभ मंदिर- जमीन से निकला सोना अधिकारिकरूप से हिंदू धर्मार्थ कार्य में लगना चाहिए, परन्तु कांग्रेस सरकार ने इसे हड़प लिया ।

२३- स्वामी असीमानंद- धर्मान्तरित हिंदुओं को घर वापसी सेवा में रत थे । उनके गुप्तांग में बिजली के शाट लगाये गये तथा मुँह में गौ-माँस घुसाया गया था।

२४. शिवाजी एवं चंद्रगुप्त मौर्य सीरियल पर रोक-राष्ट्रीय एकता तथा हिंदू जागरण की शिक्षा देने वाली वीर रसपूर्ण गाथाओं का सन २०११ में टीवी पर प्रसारण करने से कांग्रेस सरकार ने रोक लगा दिया, ताकि हिंदू लोग सोये रहें ।

२५. बाबा रामदेवजी के आयुर्वेदाचार्य तथा प्रमुख सहयोगी की गिरफ़्तारी- बाल कृष्णजी को मात्र पासपोर्ट में साधारण भूल को लेकर जेल में डाल दिया गया था ।

२६. कांग्रेस शासित महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा उन्मूलन कानून पारित- इस कानून के तहत पूजा पाठ पर रोक लगा दिया जायेगा । हिंदूलोग कीतर्न नहीं कर सकते, श्रीहनुमान चालीसा पाठ नहीं कर सकते, संतों के योगसामर्थ्य का वखान नहीं कर सकते, सिंदूर, चावल आदि पूजा में नहीं रख सकते । धार्मिक कार्यक्रमों में स्पीकर का उपयोग नहीं कर सकते ।

२७. NCERT Syllabus से भगवान श्रीराम एवं हिन्दू शास्त्र-पुराण से सम्बंधित नैतिक कथाओं को हटाया जाना ।

२८. गौ-वध पर सब्सिडी दे कर देश में गौ-हत्या को प्रोत्साहित करना।

२९. पक्षपातिता- मुसलमानों को हज यात्रा में आर्थिक मदद, परन्तु कैलाश-मानसरोवर यात्रा में हिन्दूओं से कर वसूली।

३०. हिन्दु प्रमुख धर्म संस्थानों की आय को अपने कब्जे में ले लिया गया है । जैसे तिरुपति बालाजी, वैष्णो देवी मंदिर, शिरडी के मंदिर, जगन्नाथ पुरी का मंदिर आदि ।

31. स्वामी नारायण संप्रदाय के प्रमुख स्वामी के खिलाफ हाल ही में झूठा चारित्रिक आरोप ।

हिंदुओं की आस्था को तोड़ने के कुकृत्यों की सूची (२००४

32. संत आशारामजी बापू तथा उनके सुपुत्र श्री नारायण साईं, सुपुत्री भारती देवी जी एवं धर्मपत्नी श्री लक्ष्मी देवी जी पर निर्लज्ज तरीकों से सुनियोजित आरोपों की बौछार तथा संत आशारामजी बापू को घिनौने षड़यंत्र के तहत बिना सुनवाई के कारावास– संत श्री आशाराम जी बापू ऐसे महान संत हैं जिन्होंने नि:स्वार्थ भाव से विगत ५० वर्षों से भी अधिक समय से देश के करोडों-करोड़ों लोगों का जीवनोत्थान किया है । ईश्वर भक्ति, शांति, स्वास्थ्य, अध्यात्म ज्ञान, संयम-सच्चरित्रता आदि सुसंस्कार, नशामुक्त, शाकाहारी जीवन, राष्ट्रभक्ति, मातृ-पितृ भक्ति, पर्यावरण सुरक्षा,आयुर्वेद चिकित्सा, गरीबों की सहायता, देश में प्राकृतिक आपदाओं में पीडितों की सेवा, गुरुकुल शिक्षा पद्धति का पुनरुत्थान, नारी-उत्थान, गौ-सेवा आदि भगीरथ कार्य किये हैं, ऐसी महान विभूति के प्रति देशकी सरकार का यह राक्षसी रवैया अत्यंत दुःखप्रद है।

क्या अपने देश में सत्य, न्याय और मानवीयता रही नहीं?

निकृष्ट राजनैतिक लक्ष्य सिद्ध करने के लिये ऐसे महान संत को अकारण और केवल सुनियोजित षड़यंत्र के तहत कारावास में डाला गया है, वो भी बिना प्रमाण तथा न्यायिक बहस के ! ७२ वर्षीय एक वयोज्येष्ठ निरपराध संत को पूर्व आयोजित अपमानजनक, अमानवीय तरीके से बंदी बनाया गया । जो व्यवहार पुलिस उग्रवादियों के साथ भी नहीं करती वैसा किया गया संत आशारामजी बापू के साथ । हवाई जहाज सुबह का था, तो भी पूरी रात एक अस्वस्थ वृद्ध संत को हवाई अड्डे के वेईटिंग प्लेस में कुर्सी पर ही बैठे-बैठे रात गुजारनेको मजबूर किया गया । कहाँ गई इंसानियत!!

संत आशारामजी बापू का उपकार जन समाज कभी चुका नहीं सकता-पिछले हजारों वर्षों में ऐसे कोई संत पूरे विश्व में नहीं हुए जिन्होंने मात्र ५० साल की अवधि में लाखों-लाखों लोगों के जीवन में धार्मिक क्रांति लायी हों, इतने व्यापक पैमाने पर समाज में वैदिक ज्ञान एवं परम्पराओं को पुन: जागृत कर सुख-शांति का मार्ग दिखाया हो।

४०० से भी अधिक आश्रम (साधकों के लिए उन्ही के द्वारा बनाया गया साधना-स्थली तथा धार्मिक कार्यकर्म हेतु केंद्र), १४00 से अधिक योग वेदांत सेवा समिति, १७००० से अधिक बाल संस्कार केंद्र तथा करीब ४० गुरुकुल संत आशारामजी बापू के दिन रात के प्रयास का फल है। टेरेसा नाम की ईसाई महिला जो कि सेवा की आड में भारत में धर्मान्तरण करती थी तथा कारण पूछने पर उत्तर देती थी कि” Those who will be baptized they will be saved & the others shall perish”, उस महिला को भारतरत्न से अलंकृत किया जाता है, किन्तु संत आशारामजी बापू जैसे धर्ममूर्ति जिन्होंने समाज को कितना कुछ दिया है, एक हिंदू बहुल-राष्ट्र में उन्हें अपमान और कारावास दिया जाता है !!! संत आशारामजी बापू का व्यापक प्रभाव इतना चुभता है इन्हें!

थोड़ा सा विवेक इस्तेमाल करने से सत्य समझ में आ सकता है—

कठोर तपस्या, त्याग, संयम और सादगी के कारण अध्यात्म के सर्वोच्च शिखर पर विद्यमान ७२ वर्षीय पूज्य बापूजी के लिये ऐसे निकृष्ट आरोप (यौनशोषण) की कल्पना ही पापी-पना का परिचय है । जैसे मूर्खता और विद्वता, रोग और स्वास्थ्य, रात और दिन, ताप और शीतलता इक्कट्ठे नहीं रह सकते वैसे ही भोगवासना की नीच आकाक्षाएं और आत्मज्ञान संपन्न आत्यंतिक चिन्मय सुख के महासमुद्र में दृढ़स्थिति तथा योगशक्ति से समृद्ध महापुरुषत्व इक्कट्ठे नहीं रह सकते, नहीं रह सकते, नहीं रह सकते । यह सीधा एवं सरल गणित है जिसे विवेकहीन लोग समझ नहीं पाते। पिछले ५० वर्षों से करोडों लोग जिनको जानते, मानते, चाहते और पूजते हैं उसका कोई तो कारण होगा !!! आत्मानंद रूपी गंगाजल से जो परम तृप्त हैं वे इन्द्रिय सुखरुपी नाली-जल की आकांक्षा कभी नहीं रखते।

बिना त्याग, तपस्या, विवेक एवं वैराग्य के कोई इतनी ऊंचाई को नहीं छू सकता और यह रोज नए आरोप और आरोपियों की जो शृंखला खड़ी हो रही है, यह पैसा फेंक कर खड़ी की जाती है; उन भगेडूओं को –

(१)जो वास्तव में कोई ठोस आध्यात्मिक लक्ष्य लेकर आश्रम में नहीं आये थे

(२)हिंदूधर्म, भारतीय संस्कृतिऔर समाजसेवा का महत्व जिनके जीवन में नहीं था

(३)जो खुद उच्छृंखल होने के कारण आश्रम के नियम कानून के मुताबिक जीवन नहीं जी सके

(४) भोग वासना, अहंकार तथा महत्वाकांक्षाओं की बलि नदे सके

(५) सद्गुरु एवं गुरुपरंपरा के प्रति जिनकेमन में आदर नहीं था ।

उन्हीं लोगों को निंदक बनाकर पाप धनकी वर्षा से कुकुरमुत्तों की तरह उगाकर मिडिया के सामने लाया जाता है, और लाने वाले कौन हैं यह बात तो अब तक समझ में आ जानी चाहिए । उन अविवेकी, गुरुद्रोही, धर्मद्रोही, मिथ्यावादी लोग जो घर का चिराग हो कर घर में ही आग लगा रहे हैं, वक्त उन की काली करतूतों का परिणाम अवश्य देगा ।

सम्पूर्ण काल्पनिक, मनगढ़त एवंबेबुनियाद आरोपों को लेकर प्रेस तथा इलेक्ट्रोनिक मीडिया में जो उच्छल कूद मची है, वो केवल संत आशारामजी बापू के व्यापक प्रभाव तथा धार्मिक क्षेत्र में प्रगति एवं हिंदू एकता को तोड़ने के लिए ही है । झूठे चारित्रिक दोषारोपण से उनकी उज्जवल एवं उत्तुंग छवि को जन-मानस के सामने कलंकित करके वैदिक हिंदूधर्म के प्रचार-प्रसार को संकुचित एवं समाप्त करने हेतु तथा १३० करोड़ के आबादी वाले भारत को ईसाई बनाने के घिनौने लक्ष्य को लेकर ये सारे कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं । अत्यंत उत्पीडक बात तो यह है कि सत्तासीन सरकार द्वारा पूर्व विदित पातकियों को लेकर इस षड़यंत्र को अंजाम दिया जा रहा है । इसलिए ये लोग आसुरी नीति से संत आशारामजी बापू के पूरे परिवार को बदनाम करने में तुले हुए हैं । गुरुकुलों को एवं आश्रमों को बंद करने के लिये ये साजिशें २००८ जुलाई से चालू हैं । इसतथ्य को संपूर्ण हिन्दु समाज को समझना पड़ेगा तथा उसके मुताबिक अपनी कार्यप्रणाली तय करनी होगी । यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाये तो ८०० वर्ष की दासत्व का राक्षसी समय पुन: लाने की तैयारी पूर्णरूप से चल रही है ।

हर आरोपों का तूफ़ान चुनाव के ठीक पहले क्यों?

संत आशारामजी बापू की उफनती लोकप्रियता, हिन्दुओं में जागरूकता लाने का प्रयास उन्हें धर्मान्तरणकारियों के मित्र सत्तासीन हिन्दू-द्रोहियों का दुश्मन बना दिया है । संत आशारामजी बापू सनातन धर्म के सर्वोच्च स्तम्भ हैं, हिंदुओं की शक्ति तथा एकत्व का महान प्रेरणास्रोत हैं । हिन्दुओं का ध्रुवीकरण तथा राष्ट्र में राजनैतिक परिवर्तन लाने में पूर्ण सक्षम हैं संत आशारामजी बापू । अतः उनकी लोकप्रिय पावन छवि पर कालापोति करके जन-मतान्तरण करने का यह दुष्ट प्रयास संपूर्ण रूप से घृणित राजनैतिक षड़यंत्र ही है । दुःखद बात तो यह है की अपने देश की अधिकांश जनता इस सच्चाई को समझने में असमर्थ है । पवित्र भारत भूमि को खिलौना बनाकर उस पर संवेदनहीन, विधर्मी, मंदबुद्धि, वर्णसंकरों द्वारा शासन का परिणाम क्या होता है उसका इतिहास गवाह है ।

संत आशारामजी बापू संतसूर्य हैं, सूर्य को कभी कलंक नहीं लग सकता । संत आशारामजी बापू तो प्राणी मात्र का भला चाहते हैं । Sant Asharamji Bapu is the horizon of spiritual sky, the ultimate of spiritualism. He can never be vanquished. He loves the whole human mankind irrespective of their caste, creed and religion. He is the real incarnation of purest-selfless love.

।। सत्यमेव जयते ।।

Posted by Sant Bharat Ram

Link :
https://sanatansanskruti.wordpress.com/2013/12/01/%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a5%81%e0%a4%93%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a4%ac-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%97%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%87-%e0%a4%aa%e0%a5%82%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a3-%e0%a4%b5/

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