हमारा नव वर्ष चैत्र मास

#नव_वर्ष :- जैसे ही साल का अंत यानी दिसम्बर महीना अपनी अंतिम साँसे गिन रहा होता है, एक विवाद शुरु हो जाता है की हम इंग्लिश कलेंडर से क्यों मनायें नया वर्ष ? जबकि हिंदू पद्दती,संस्कृति एवं प्रकृतिक बदलाव चैत्र मास को  नव वर्ष के आगाज का  स्पष्ट ईसारा एवं संदेश देता है ।

🇮🇳🌷हमारा नव वर्ष चैत्र मास से प्रारम्भ होता है क्योंकि :-

•बसन्त ऋतु का आगमन होता है
•नई फसल कटती है फूल खिलते हैं
  •ना सर्दी ना गर्मी पेड़ो में नए पत्ते आते हैं
   •सभी सरकारी नये बजट भी अप्रेल में सुरु होते हैं
    •स्कूलों में नई कक्षाएं प्रारम्भ होती हैं
     •नए त्योहारों की शुरुवात होती है
      •माता रानी के नवरात्र पूजन होता है
       •अप्रेल साल का सबसे मस्त सुहाना मौसम होता है

दोस्तो !  सब कुछ तो नई नवेली दुल्हन की तरह नया-नया सा लगता है और ऊपर से सुहाना मौसम ना सर्दी ना गर्मि, प्रफुलित सी उमंग, प्रकृति की मस्त सी छँटा-ये ही तो है नई साल की अँगड़ाई तो हम क्यों ना दे नव वर्ष की की बधाई ?

दोस्तो, हम जनवरी को नव वर्ष मनाने के विरोधी क़तई नहीं हैं, लेकिन हम ये भी नहीं चाहते है की देशवासी उधार की ली हुई ख़ुशियों के चक्कर में अपनी मूलभूत संस्कृति से ही विमुख ना हो जायें ?

बढ़ेगी संस्कृति -बढ़ेगा देश !! भारतीय नव वर्ष-चैत्र मास !!

फिर भी भगवान से प्राथना हैं कि ये अंग्रेजी नववर्ष 2018 आप सबके लिये ढेर सारी खुशियां और अच्छा स्वास्थ्य लाएं।

* ☝हवा लगी पश्चिम की ,
सारे कुप्पा बनकर फूल गए ।
ईस्वी सन तो याद रहा ,
पर अपना संवत्सर भूल गए ।।

चारों तरफ नए साल का ,
ऐसा  मचा है हो-हल्ला ।
बेगानी शादी में नाचे ,
जैसे कोई दीवाना अब्दुल्ला ।।*

* धरती ठिठुर रही सर्दी से ,
घना कुहासा छाया है ।
कैसा ये नववर्ष है ,
जिससे सूरज भी शरमाया है ।।

सूनी है पेड़ों की डालें ,
फूल नहीं हैं उपवन में ।
*पर्वत ढके बर्फ से सारे ,
रंग कहां है जीवन में ।। *

बाट जोह रही सारी प्रकृति ,
आतुरता से फागुन का ।
जैसे रस्ता देख रही हो ,
सजनी अपने साजन का ।।

अभी ना उल्लासित हो इतने ,
आई अभी बहार नहीं ।
हम अपना नववर्ष मनाएंगे ,
न्यू ईयर हमें स्वीकार नहीं ।।

लिए बहारें आँचल में ,
जब चैत्र प्रतिपदा आएगी ।
फूलों का श्रृंगार करके ,
धरती दुल्हन बन जाएगी ।।

मौसम बड़ा सुहाना होगा ,
दिल सबके खिल जाएँगे ।
झूमेंगी फसलें खेतों में ,
हम गीत खुशी के गाएँगे ।।

उठो खुद को पहचानो ,
यूँ कबतक सोते रहोगे तुम ।
चिन्ह गुलामी के कंधों पर ,
कबतक ढोते रहोगे तुम ।।

अपनी समृद्ध परंपराओं का ,
आओ मिलकर मान बढ़ाएंगे ।
आर्यवृत के वासी हैं हम ,
अब अपना नववर्ष मनाएंगे ।। *
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
         🚩जय माँ भारती🚩
#VijetaMalikBJP

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