फ्लाईंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों

साथियों, आज "मन की बात" कार्यक्रम में हमारे महान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज कहा हैं, बल्कि एक आग्रह किया है  कि .....

"मैं, देख रहा हूँ कि, आज देश भर में लोग कारगिल विजय को याद कर रहे है | Social Media पर एक hashtag #courageinkargil के साथ लोग अपने वीरों को नमन कर रहें हैं, जो शहीद हुए हैं उन्हें श्रद्धांजलि दे रहें हैं | मैं, आज, सभी देशवासियों की तरफ से, हमारे इन वीर जवानों के साथ-साथ, उन वीर माताओं को भी नमन करता हूँ, जिन्होंने, माँ-भारती के सच्चे सपूतों को जन्म दिया | मेरा, देश के नौजवानों से आग्रह है, कि, आज दिन-भर कारगिल विजय से जुड़े हमारे जाबाजों की कहानियाँ, वीर-माताओं के त्याग के बारे में, एक-दूसरे को बताएँ, share करें | मैं, साथियो, आपसे एक आग्रह करता हूँ - आज | एक Website है www.gallantryawards.gov.in आप उसको ज़रूर Visit करें | वहां आपको, हमारे वीर पराक्रमी योद्धाओं के बारे में, उनके पराक्रम के बारे में, बहुत सारी जानकारियां प्राप्त होगी, और वो जानकारियां, जब, आप, अपने साथियों के साथ चर्चा करेंगे - उनके लिए भी प्रेरणा का कारण बनेगी | आप ज़रूर इस Website को Visit कीजिये, और मैं तो कहूँगा, बार-बार कीजिये |"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का आग्रह हम कार्यकर्ताओं के लिए एक आदेश से कम नही हैं और उन्ही के आदेशों का पालन करते हुए मैं आज से  https://gallantryawards.gov.in/awardees  से अपने महान सेनानियों के बारे में मिली जानकारी को समय-समय पर जरूर अपने देशवासियों के लिए शेयर करूँगी। आप भी ऐसा ही करे और अपनी तरफ से जानकारी को आगे शेयर करें ताकि हमारी नौजवान पीढ़ी को हमारे इन महान सेनानियों के बारे में पता चल सकें और वो इन पर गर्व कर सके। तो आइए जानते हैं  *फ्लाईंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों* के बारे में......

Flying Officer Nirmal Jit Singh Sekhon
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PARAM VIR CHAKRA (Posthumous)

Award : PARAM VIR CHAKRA
Year of Award : 1972
Service No. 10877
Father's Name : S. Tarlok Singh
Mother's Name : Smt Harbans Kaur
Domicile : Ludhiana, Punjab

फ्लाईंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों (जन्म : 17 जुलाई, 1943 शहादत : 14 दिसम्बर, 1971) परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय व्यक्ति थे। इन्हें यह सम्मान सन 1971 में मरणोपरांत मिला। भारतीय वायु सेना से परमवीर चक्र के एकमात्र विजेता फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने 1971 में पाकिस्तान के विरुद्ध लड़ते हुए उस युद्ध में वीरगति पाई, जिसमें भारत विजयी हुआ और पाकिस्तान से टूट कर उसका एक पूर्वी हिस्सा, बांग्लादेश के नाम से स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। इस समय निर्मल जीत सिंह श्रीनगर वायु सेना के हवाई अड्डे पर मुस्तैदी से तैनात थे और नेट हवाई जहाजों पर अपने करिश्मे के लिए निर्मलजीत सिंह उस्ताद माने जाते थे।

जीवन परिचय
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फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह सेखों का जन्म 17 जुलाई 1947 को रूरका गाँव, लुधियाना, पंजाब में हुआ था। फौज में आने वाले अपने परिवार से वह अकेले नहीं थे बल्कि इस क्रम में वह दूसरे नम्बर पर थे। बस कुछ ही महीने पहले उनका विवाह हुआ था और उसमें भी निर्मलजीत सिंह ने पत्नी मंजीत के साथ बहुत थोड़ा सा समय बिताया था। नए जीवन के कितने ही सपने उनकी आँखों में रहे होंगे, जो देश की माँग के आगे छोटे पड़ गए। उन्हें उस निर्णायक पल में सिर्फ अपना नेट विमान सूझा और दुश्मन के F-86 सेबर जेट, जिन्हें निर्मलजीत सिंह को मार गिराना था।

पाकिस्तान का भारत के साथ यह 1971 में लड़ा गया युद्ध किन्हीं अर्थों में ख़ास कहा जा सकता है। इस युद्ध की शुरुआत दरअसल पाकिस्तान की आंतरिक समस्या से हुई थी। पाकिस्तान का एक हिस्सा पूर्वी पाकिस्तान बांग्ला भाषी क्षेत्र था, जो भारत के विभाजन के बाद पूर्वी बंगाल से पूर्वी पाकिस्तान हो गया था। पाकिस्तान की सत्ता का केन्द्र पश्चिम पाकिस्तान था जो एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र है। ऐसे में पश्चिमी पाकिस्तान का व्यवहार कभी भी पूर्वी पाक के साथ न्याय पूर्ण नहीं रहा। ऐसे में पूर्वी हिस्से में असंतोष बढ़ना स्वाभाविक था।

7 दिसम्बर 1970 को पाकिस्तान के चुनावों में पूर्वी पाकस्तान के आवामी लीग पार्टी के नेता शेख मुजीबुर्रमहान के पक्ष में भारी जनमत गया और सत्ता इसी दल के हाथ आने के परिणाम घोषित हुए। पश्चिमी पाकिस्तान को यह मंजूर नहीं हुआ। तात्कालीन प्रधानमंत्री भुट्टो और राष्ट्रपति याहया खान ने तय कर लिया कि पूर्वी पाकिस्तान की बांग्ला भाषी सरकार कभी नहीं बनने दी जाएगी। उनकी ओर से संसद का गठन रोक दिया गया। इससे पूर्वी पाकिस्तान में जबरदस्त असंतोष फैला और जनता सड़क पर आ गई। एक जन आन्दोलन का रूप सामने आने लगा। इसमें सरकारी तथा गैर सरकारी सबका साथ था, यहाँ तक कि छात्र भी पीछे नहीं रहे।

3 मार्च 1971 को ढाका में कर्फ्यू लगा दिया गया और पश्चिमी पाकिस्तान ने जबरदस्त दमन चक्र चला दिया। बर्बर फौजी लेफ्टिनेंट टिक्का खान लग गए, जिन्हें बांग्ला भाषियों का बूचर कहा जाता था, उसने वहाँ पूर्वी पाकिस्तान में इतना कहर मचाया कि लाखों की तादाद में बांग्ला भाषी पूर्वी पाकिस्तान के लोग जान बचाते हुए भारत की ओर भागे। देखते-देखते पूर्वी पाकिस्तान के लाखों बांग्ला भाषी लोग भारत में भर गए। भारत के सामने समस्या उपस्थित हो गई। पश्चिमी पाकिस्तान की सत्ता ने इसे अपनी समस्या मानने से ही इंकार कर दिया। ऐसे में भारत के लिए यह ज़रूरी था कि वह सीधे हस्तक्षेप से पूर्वी पाकिस्तान में शांति तथा सुरक्षा का वातावरण वहा के नागरिकों के लिए बनाए जिससे वहाँ के शरणार्थी भारत की ओर न भागें। पूर्वी पाकिस्तान से लाखों शरणार्थी का भारत की ओर भागना, भारत के लिए एक बड़ी विपदा जैसा प्रश्न बन गया था।

भारत का यह रुख भी पाकिस्तान को नहीं भाया। भारत, जब अपनी सेना लेकर पूर्वी पाकिस्तान पहुँचा तो पाकिस्तान ने इसे उसकी ओर से आक्रमण करने की एक वजह मान लिया। इस तरह 3 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान ने भारत पर बकायदा सैन्य आक्रमण कर दिया। इसका नुकसान उसे भुगतना पड़ा। इस युद्ध में भारत सरकार ने फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह सेखों के साथ तीन और पराक्रमी योद्धाओं को परमवीर चक्र प्रदान दिया। लेकिन वायु सेना, के किसी भी युद्ध में परमवीर चक्र पाने वाले सेनानियों में, केवल निर्मलजीत सिंह सेखों का नाम लिखा गया।

फ्लाइंग अफसर निर्मल जीत सिंह सेखों पाकिस्तानी हवाई हमलों से घाटी की हवाई सुरक्षा करने के लिए श्रीनगर में तैनात नैट टुकड़ी के पायलट थे। दुष्मन का हमला होते ही इन्होंने और इनके साथियों ने नैट वायुयान की साख कायम रखते हुए बड़ी बहादुरी और दृढ़ता के साथ पाकिस्तानी वायुयानों के एक के बाद एक किए जा रहे हमलों का लगातार मुहंतोड़ जवाब दिया। 14 दिसंबर 1971 को श्रीनगर एयरफील्ड पर दुष्मन के छह सेबर वायुयानों ने हमला कर दिया। फ्लाइंग अफसर सेखों उस समय ड्यूटी के लिए तैयार थे। उसी समय, दुष्मन के कम से कम छह वायुयान ऊपर उड़ान भरने लगे और उन्होंने एयरफील्ड पर बमबारी और गोलाबारी षुरू कर दी। हमले के दौरान उड़ान भरने में जान का भारी खतरा होने के बावजूद, फ्लाइंग अफसर सेखों ने उड़ान भरी और तत्परता से दो हमलावर सेबर वायुयानों पर निषाना लगा दिया। इस लड़ाई में ये एक वायुयान पर हमला करते रहे और दूसरे वायुयान को आग के हवाले कर दिया। तभी एक अन्य सेबर वायुयान बड़ी मुसीबत में फंसे अपने साथियों की मदद को आगे आया और फ्लाइंग अफसर सेखों का नैट वायुयान फिर से अकेला पड़ गया, इस बार एक का मुकाबला चार के साथ था। फ्लाइंग अफसर सेखों ने अकेले होने के बावजूद इस बेमेल मुकाबले में दुष्मन को उलझाए रखा। पेड़ जितनी ऊंचाई पर लड़ी गई आगे की लड़ाई में, दुष्मन की संख्या अधिक होने के बावजूद इन्होंने स्वयं को संभालने का भरसक प्रयास किया परंतु इनका वायुयान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इस लड़ाई में ये शहीद हो गए। 

फ्लाइंग अफसर सेखों ने मौत का सामना करते हुए अपने असाधारण षौर्य, अदम्य साहस, उड़ान कौषल, दृढ़ निष्चय और इन सबसे अधिक अपनी उल्लेखनीय कर्त्तव्यपरायणता का परिचय देते हुए वायु सेना की परंपराओं को नई ऊंचाइयों पर पहुँचा दिया।

शत-शत नमन करूँ मैं आपको 💐💐💐💐


साभार bhartdiscovery.org

जय हिन्द।
जय हिन्द की सेना।
#courageinkargil
🙏🙏
#VijetaMalikBJP




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