Posts

शहीद करनैल सिंह बेनिपाल ( बेनीवाल)

Image
शहीद करनैल सिंह बेनिपाल ( बेनीवाल) ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ "जो देश अपने वीर और महान सपूतों को भूल जाता है, उस देश के आत्मसम्मान को हीनता की दीमक चट कर जाती है।"  ....... याद रखना दोस्तों। हमें समय समय पर इन महान हस्तियों को याद करते रहना चाहिए। अपने बच्चों, छोटे भाई-बहनों, आदि को इन वीर सपूतों की वीर गाथाओं को समय-समय पर सुनाना चाहिए। इन अमर बलिदानियों के किस्से-कहानियों को कॉपी-पेस्ट करके अपने-अपने सोशल नेटवर्क पर डालना चाहिए व एक दूसरे को शेयर करना चाहिए, ताकि और लोगो को भी इन अमर बलिदानियों व शहीदों के बारे में पता लग सके। जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी... 🙏🙏 साथियों, आज अमर शहीद करतार सिंह सराभा जी की जयंती हैं, हम सब भारतवासी उन्हें याद कर रहे हैं। पर एक व्यक्ति ऐसा भी था जिसके शहीद करतार सिंह सराभा, शहीद भगत सिंह, शहीद ऊधम सिंह, जैसे महान अमर शहीद जिसके आदर्श थे और वो अपने स्कूल में व अन्य मीटिंग में अक्सर इनके क़िस्से, कहानियां व गीत अपने साथियों को सुनाया करते थे और अपने आदर्श इन्हीं अमर शहीदों की तरह एक दिन खुद भी शहीद हो गए। वो थे "

शहीद करतार सिंह सराभा

Image
करतार सिंह सराभा ~~~~~~~~~~ "जो देश अपने वीर और महान सपूतों को भूल जाता है, उस देश के आत्मसम्मान को हीनता की दीमक चट कर जाती है।"  ....... याद रखना दोस्तों। हमें समय समय पर इन महान हस्तियों को याद करते रहना चाहिए। अपने बच्चों, छोटे भाई-बहनों, आदि को इन वीर सपूतों की वीर गाथाओं को समय-समय पर सुनाना चाहिए। इन अमर बलिदानियों के किस्से-कहानियों को कॉपी-पेस्ट करके अपने-अपने सोशल नेटवर्क पर डालना चाहिए व एक दूसरे को शेयर करना चाहिए, ताकि और लोगो को भी इन अमर बलिदानियों व शहीदों के बारे में पता लग सके। जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी ....... 🙏🙏 करतार सिंह ‘सराभा’: वह भारतीय क्रांतिकारी, जिसे ब्रिटिश मानते थे ‘अंग्रेजी राज के लिए सबसे बड़ा खतरा’! “देस नूँ चल्लो देस नूँ चल्लो देस माँगता है क़ुर्बानियाँ कानूं परदेसां विच रोलिये जवानियाँ ओय देस नूं चल्लो… ...देशभक्ति की भावना से भरे इस गीत के बोलों को सही मायने में सार्थक किया करतार सिंह सराभा ने। करतार सिंह ‘सराभा’, एक क्रांतिकारी और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, जिसने अमेरिका में रहकर भारतियों में क्रा

शहीद सुखदेव थापर जी

Image
शहीद सुखदेव थापर जी ~~~~~~~~~~~~ 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी.. 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 मां भारती की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर देने वाले महान क्रांतिकारी एवं अमर वीर सपूत सुखदेव जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। सुखदेव जी की अद्वितीय वीरता, देशभक्ति और उनका बलिदान अनंतकाल तक अविस्मरणीय रहेगा। सुखदेव (वर्ष 1907-1931) एक प्रसिद्ध भारतीय क्रांतिकारी थे, जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। वह उन महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में से हैं, जिन्होंने अपने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। इनका पूरा नाम सुखदेव थापर है और इनका जन्म 15 मई 1907 को हुआ था। इनका पैतृक घर भारत के लुधियाना शहर, नाघरा मोहल्ला, पंजाब में है। इनके पिता का नाम राम लाल था। अपने बचपन के दिनों से, सुखदेव ने उन क्रूर अत्याचारों को देखा था, जो शाही ब्रिटिश सरकार ने भारत पर किए थे, जिसने उन्हें क्रांतिकारियों से मिलने के लिए बाध्य करदिया और उन्होंने भारत को ब्रिटिश शासन

महाराणा प्रताप जी

Image
🙏🙏 ★आओ कुछ अच्छी बातें करें★ दोस्तों, जब भी मुझे, कोई भी अच्छी बात, सोशल मीडिया या प्रिंट मीडिया पर पढ़ने को मिलती हैं, तो वो मैं कॉपी-पेस्ट-एडिट करके आप सब तक ★आओ कुछ अच्छी बातें करें★ के तहत शेयर जरूर करती हूँ। आज भी "महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी" विषय पर कुछ अच्छी बातें आपसे शेयर कर रही हूँ, इस प्राथना के साथ कि अगर आपको भी ये बातें अच्छी लगें, तो कृपया दूसरों के लिए, आगे ज़रूर शेयर करे ........ ........विजेता मलिक महाराणा प्रताप ~~~~~~~~ महाराणा प्रताप जन्मभूमि की स्वतंत्रता के संघर्ष के प्रतिक है। वे एक कुशल राजनीतिज्ञ, आदर्श संगठनकर्ता और देश की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने को तत्पर रहने वाले महान सेनानी थे। अपनी संस्कृति और स्वाभिमान की रक्षा के लिए उन्होंने वन-वन भटकना तो स्वीकार किया मगर क्रूर मुग़ल सम्राट अकबर के सामने अधीनता स्वीकार नहीं की। महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के ऐसे महानायक है, जिनकी अनन्य विशेषताओ पर भारतीय इतिहासकारों ही नहीं, पाश्चात्य लेखकों और कवियों को भी अपनी लेखनी चालायी है। प्रताप स्वदेश पर अभिमान क

गोपाल कृष्ण गोखले जी

Image
गोपाल कृष्ण गोखले जी ~~~~~~~~~~~~ जन्म: 9 मई, 1866 निधन: 19 फरवरी, 1915 उपलब्धियां: महात्मा गांधी के राजनैतिक गुरु, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के मार्ग दर्शकों में से एक, सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी के संस्थापक गोपाल कृष्ण गोखले भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के मार्गदर्शकों में से एक थे। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। गांधीजी उन्हें अपना राजनैतिक गुरु मानते थे। राजनैतिक नेता होने के आलावा वह एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने एक संस्था “सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी” की स्थापना की जो आम लोगों के हितों के लिए समर्पित थी। देश की आजादी और राष्ट्र निर्माण में गोपाल कृष्ण गोखले का योगदान अमूल्य है। गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई 1866 को महाराष्ट्र के कोथापुर में हुआ था। उनके पिता कृष्ण राव एक किसान थे पर चूँकि क्षेत्र की मिट्टी कृषि के लिए अनुकूल नहीं थी इस कारण क्लर्क का काम करने पर मजबूर हो गए। उनकी माता वालूबाई एक साधारण महिला थीं। गोखले ने अपने बड़े भाई द्वारा आर्थिक सहायता से कोथापुर के राजाराम हाई स्कूल में अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। बाद में वह मुंबई चले गए

क्रांतिकारी कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’

Image
चाँद का कुर्ता / रामधारी सिंह 'दिनकर' [ पुण्यतिथि विशेष 🌺 ] हठ कर बैठा चाँद एक दिन, माता से यह बोला, ‘‘सिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला। सनसन चलती हवा रात भर, जाड़े से मरता हूँ, ठिठुर-ठिठुरकर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूँ। आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का, न हो अगर तो ला दो कुर्ता ही कोई भाड़े का।’’ बच्चे की सुन बात कहा माता ने, ‘‘अरे सलोने! कुशल करें भगवान, लगें मत तुझको जादू-टोने। जाड़े की तो बात ठीक है, पर मैं तो डरती हूँ, एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूँ। कभी एक अंगुल भर चौड़ा, कभी एक फुट मोटा, बड़ा किसी दिन हो जाता है, और किसी दिन छोटा। ...... क्रांतिकारी कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ हिन्दी के प्रसिद्ध कवियों में से एक राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को  सिमरिया नामक स्थान पे हुआ। इनकी मृत्यु 26 अप्रैल, 1974 को चेन्नई में हुई । जीवन परिचय : हिन्दी के सुविख्यात कवि रामाधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 ई. में सिमरिया, ज़िला मुंगेर (बिहार) में एक सामान्य किसान रवि सिंह तथा उनकी पत्नी

द्वितीय सिख गुरु अंगद देव जी

Image
द्वितीय सिख गुरु अंगद देव जी  ~~~~~~~~~~~~~~~~  अंगद देव या गुरू अंगद देव सिखो के एक गुरू थे। गुरू अंगद देव महाराज जी का सृजनात्मक व्यक्तित्व था। उनमें ऐसी अध्यात्मिक क्रियाशीलता थी जिससे पहले वे एक सच्चे सिख बनें और फिर एक महान गुरु। गुरू अंगद साहिब जी (भाई लहना जी) का जन्म हरीके नामक गांव में, जो कि फिरोजपुर, पंजाब में आता है, वैसाख वदी १, (पंचम् वैसाख) सम्वत १५६१ (३१ मार्च १५०४) को हुआ था। गुरुजी एक व्यापारी श्री फेरू जी के पुत्र थे। उनकी माता जी का नाम माता रामो जी था। बाबा नारायण दास त्रेहन उनके दादा जी थे, जिनका पैतृक निवास मत्ते-दी-सराय, जो मुख्तसर के समीप है, में था। फेरू जी बाद में इसी स्थान पर आकर निवास करने लगे।  प्रारंभिक जीवन : ~~~~~~~~~         अंगद देव का पूर्व नाम लहना था। भाई लहणा जी के ऊपर सनातन मत का प्रभाव था, जिस के कारण वह देवी दुर्गा को एक स्त्री एंवम मूर्ती रूप में देवी मान कर, उसकी पूजा अर्चना करते थे। वो प्रतिवर्ष भक्तों के एक जत्थे का नेतृत्व कर ज्वालामुखी मंदिर जाया करता था। १५२० में, विवाह माता खीवीं जी से हुआ। उनसे उनके दो पुत्र - दासू जी एवं द

डॉ. बाबा साहिब भीमराव अम्बेडकर जी

Image
डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ~~~~~~~~~~~~~~ डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर भारतीय संविधान के शिल्पकार और आज़ाद भारत के पहले न्याय मंत्री थे। सामाजिक भेदभाव के विरोध में कार्य करने वाले सबसे प्रभावशाली लोगो में से एक Dr. Br Ambedkar थे। विशेषतः बाबासाहेब आंबेडकर – भारतीय न्यायविद, अर्थशास्त्री, राजनेता और समाज सुधारक के नाम से जाने जाते है। महिला, मजदूर और दलितों पर हो रहे सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाने और लढकर उन्हें न्याय दिलाने के लिए भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को सदा आदर से स्मरण किया जाते है। भीमराव रामजी आंबेडकर जो विश्व विख्यात है। जिन्होंने अपना पूरा जीवन बहुजनो को उनका अधिकार दिलाने में व्यतीत किया। उनके जीवन को देखते हुए निच्छित ही यह लाइन उनपर सम्पूर्ण रूप से सही साबित होगी – “जीवन लम्बा होने की बजाये महान होना चाहिये” Dr. B.R. AMBEDKAR डॉ. भीमराव अम्बेडकर जीवनी  ~~~~~~~~~~~~~~~~ पूरा नाम  – भीमराव रामजी अम्बेडकर जन्म       – 14 अप्रेल 1891 जन्मस्थान – महू. (जि. इदूर मध्यप्रदेश) पिता       – रामजी माता       – भीमाबाई शिक्षा      – 1915  में एम. ए. (अर्थशास्त्र)। 1916 में

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी

Image
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 जीवन परिचय ~~~~~~~~ डॉ. केशव राव बलीराम हेडगेवार का जन्म नागपुर के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में 1 अप्रैल 1889 को चैत्र नवरात्रि पर्व पर हुआ था। डॉ. हेडगेवार जी बचपन से ही क्रांतिकारी प्रवृति के थे और उन्हें अंग्रेजों से बहुत घृणा थी। केशव राव बलीराम हेडगेवार जी के पिता का नाम पं. बलीराम पंत हेडगेवार था और माता का नाम रेवतीबाई था। उनका बचपन बड़े ही लाड़-प्यार से बीता। उनके दो बड़े भाई भी थे, जिनका नाम महादेव और सीताराम था। डॉ. हेडगेवार जी अपने बड़े भाइयों से बहुत ज्यादा प्रेरित होते थे। इनके बड़े सबसे बड़े भाई महादेव भी शास्त्रों के अच्छे ज्ञाता तो थे साथ ही मल्ल-युद्ध की कला में भी बहुत माहिर थे। वे रोज अखाड़े में जाकर स्वयं तो व्यायाम करते ही थे, गली-मुहल्ले के बच्चों को एकत्र करके उन्हें भी कुश्ती के दाँव-पेंच सिखलाते थे। केशव राव बलीराम के मानस-पटल पर बड़े भाई महादेव के विचारों का गहरा प्रभाव रहा किन्तु वे बड़े भाई की अपेक्षा बाल्यकाल से ही क्रान्तिकारी विचारों के