मास्टर रमेश प्रकाश जी

= मास्टर रमेश प्रकाश जी =
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता मा० रमेश प्रकाश शर्मा जी का मंगलवार, 21 नवम्बर 2017 को रात्रि 11:15 बजे देहावसान हो गया था। उनकी आयु 84 वर्ष की थी। रमेश जी बचपन से ही संघ की राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़ गए थे और संगठन में एक आदर्श कार्यकर्ता कि छवि उन्होंने प्राप्त की थी।

रमेश प्रकाश जी का जन्म तत्कालीन भारत (पश्चिमी पंजाब, पाकिस्तान) में हुआ था। देश के विभाजन के समय वह हरियाणा के करनाल में आकर बस गए। इस दौरान वह करनाल जिला प्रचारक सोहन सिंह जी के सम्पर्क में आए। उन्होंने कुछ समय के लिए संघ की योजना से भारतीय जनसंघ में हरियाणा प्रान्त के संघठन मंत्री के रूप में कार्य भी संभाला। आपने दिल्ली प्रान्त कार्यवाह (सांयकाल) के दायित्व को बखूबी निभाया। कालांतर में अनेक दायित्वों का निर्वहन करते हुए वे पहले उत्तरी क्षेत्र के कार्यवाह रहे और बाद में दिल्ली प्रांत के माननीय संघचालक के रूप में कार्य करते रहे। एकसामान्य स्वयंसेवक से लेकर अखिल भारतीय स्तर के कार्यकर्ताओं से उनका समान स्नेह रहा। सहस्त्रों जीवनों को उन्होंने अपने जीवनकाल में अपने विचार, व्यवहार एवं आदर्श जीवन से प्रभावित किया।

वह अर्थशास्त्र के एक अच्छे अध्यापक थे। दिल्ली आने के बाद उन्होंने अध्यापन कार्य दोबारा प्रारम्भ किया। हिन्दू शिक्षा समिति के अतर्गत चलने वाले विद्यालय में वह अर्थशास्त्र के अध्यापक रहे। जहाँ एक ओर शिक्षक होने के नाते उन्होंने निर्बाध रूप से विद्यालय में अपने छात्रों की उत्कृष्टता की ओर प्रेरित किया वहीं संघकार्य भी सहजता और उद्यमशीलता से करते रहे।

समाज के कार्य के लिए ना जाने उन्होंने कितने ही बलिदान दिए, कितने ही कष्ट सहे। आपातकाल के दौरान भूमिगत रहते हुए उन्होंने सत्याग्रह के लिए कई कार्यकर्ताओं को तैयार किया। संघ के उदारवादी चरित्र के प्रकट स्वरूप थे रमेश प्रकाश जी। गम्भीर से गम्भीर समस्याओं को अपने सरल स्वभाव और गहरी समझ बूझ से वे सुलझा लेते थे। आत्मिक शुचिता,प्रामाणिकता और पुरुषार्थ के प्रतीक रमेश जी प्रसिद्धि से सदा दूर रहे। ना जाने कितने ही युवा नेताओं को प्रसिद्धि की सीढ़ी पर प्रतिष्ठित करने वाले, वे सदा धन, यश आदि के लोभ से कोसों दूर रहे। आज भी दिल्ली, हरियाणा और उत्तर भारत के सेंकडों स्वयंसेवकों के मन में रमेश जी की निश्छल मुस्कान, प्रेममयी आँखें और गरिमामयी उपस्थिति किसी स्वर्णाक्षर के रूप में अंकित है और आगे भी रहेगी। 

एक बैठक के दौरान स्व. अशोक सिंघल जी ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा था.... “रमेश प्रकाश जी जैसे कार्यकर्ता देवतुल्य हैं”।

आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजली। शत शत नमन करूं मैं आपको....
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