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Showing posts from March, 2025

अमर शहीद अशफाक़ उल्ला खां

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अमर शहीद अशफाक़ उल्ला खां ~~~~~~~~~~~~~~~~ 🌺🌹🌷🥀🌻🌼💐 तुम भूल न जाओ उनको, इसलिए लिखी ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी.. 🌺🌹🥀🌷🌻🌼💐 जीवन परिचय : ~~~~~~~~ अमर शहीद अशफाक़उल्ला खां (22 अक्टूबर 1900 -19 दिसंबर 1927)  भारत माता के वीर सपूत थे, जिन्होंने देश की आजादी के लिये हँसते –हँसते फांसी पर झूल गए। उनका पूरा नाम अशफाक़ उल्ला खां वारसी ‘हसरत’ था। वे शाहजहांपुर के एक रईस खानदान से आते थे। बचपन से इन्हें खेलने, तैरने, घुड़सवारी और बन्दुक चलने में बहुत मजा आता था। इनका कद काठी मजबूत और बहुत सुन्दर था। बचपन से ही इनके मन देश के प्रति अनुराग था। देश की भलाई के लिये चल रहे आंदोलनों की कक्षा में वे बहुत रूचि से पढाई करते थे। धीरे धीरे उनमें क्रांतिकारी के भाव पैदा हुए। वे हर समय इस प्रयास में रहते थे कि किसी ऐसे व्यक्ति से भेंट हो जाय जो क्रांतिकारी दल का सदस्य हो। जब मैनपुरी केस के दौरान उन्हें यह पता चला कि राम प्रसाद बिस्मिल उन्हीं के शहर के हैं तो वे उनसे मिलने की कोशिश करने लगे। धीरे धीरे वे राम प्रसाद बिस्मिल के संपर्क में आये और बाद ...

संघनिष्ठ नानासाहब भागवत जी

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31 मार्च/पुण्य-तिथि       संघनिष्ठ नानासाहब भागवत श्री नारायण पांडुरंग (नानासाहब) भागवत जी मूलतः महाराष्ट्र में चंद्रपुर जिले के वीरमाल गांव के निवासी थे। वहां पर ही उनका जन्म 1884 में हुआ था। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण वे अपने मामा जी के घर नागपुर काटोल पढ़ने आ गये। आगे चलकर उन्होंने प्रयाग (उ.प्र.) से कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा चंद्रपुर के पास वरोरा में कारोबार करने लगे। इसी दौरान उनका संपर्क संघ के संस्थापक डा. हेडगेवार जी से हुआ। वरोरा उन दिनों कांग्रेस की गतिविधियों का एक बड़ा केन्द्र था। नानासाहब कांग्रेस की प्रांतीय समिति के सदस्य थे। 1930 में सारा परिवार चंद्रपुर आकर रहने लगा। चंद्रपुर के जिला न्यायालय में वकालत करते हुए नानासाहब की घनिष्ठता तिलक जी के अनुयायी बलवंतराव देशमुख जी से हुई। अतः उनके मन में भी देश, धर्म और संस्कृति के प्रति अतीव निष्ठा जाग्रत हो गयी।  जब डा. हेडगेवार जी ने चंद्रपुर में शाखा प्रारम्भ की, तब तक नानासाहब की ख्याति एक अच्छे वकील के रूप में हो चुकी थी; पर डा. जी से भेंट होते ही अपने सब बड़प्पन छोड़क...

आदर्श आर एस एस कार्यकर्ता अप्पा जी जोशी

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30 मार्च/जन्म-दिवस आदर्श कार्यकर्ता अप्पा जी जोशी एक बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डा. हेडगेवार ने कार्यकर्ता बैठक में कहा कि क्या केवल संघकार्य किसी के जीवन का ध्येय नहीं बन सकता ? यह सुनकर हरिकृष्ण जोशी ने उन 56 संस्थाओं से त्यागपत्र दे दिया, जिनसे वे सम्बद्ध थे। यही बाद में ‘अप्पा जी’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। 30 मार्च, 1897 को महाराष्ट्र के वर्धा में जन्मे अप्पा जी ने क्रांतिकारियों तथा कांग्रेस के साथ रहकर काम किया। कांग्रेस के कोषाध्यक्ष जमनालाल बजाज के वे निकट सहयोगी थे; पर डा. हेडगेवार के सम्पर्क में आने पर उन्होंने बाकी सबको छोड़ दिया। डा. हेडगेवार, श्री गुरुजी और बालासाहब देवरस, इन तीनों सरसंघचालकों के दायित्वग्रहण के समय वे उपस्थित थे। उनका बचपन बहुत गरीबी में बीता। उनके पिता एक वकील के पास मुंशी थे। उनके 12 वर्ष की अवस्था में पहुँचते तक पिताजी, चाचाजी और तीन भाई दिवंगत हो गये। ऐसे में बड़ी कठिनाई से उन्होंने कक्षा दस तक पढ़ाई की। 1905 में बंग-भंग आन्दोलन से प्रभावित होकर वे स्वाधीनता समर में कूद गये। 1906 में लोकमान्य तिलक के दर्शन हेतु जब वे विद्यालय छो...

बौद्धिक योद्धा देवेन्द्र स्वरूपजी

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30 मार्च/जन्म-दिवस बौद्धिक योद्धा देवेन्द्र स्वरूपजी बौद्धिक जगत में संघ और हिन्दुत्व के विचार को प्रखरता से रखने वाले देवेन्द्र स्वरूपजी का जन्म 30 मार्च, 1926 को उ.प्र. में मुरादाबाद के पास कांठ नामक कस्बे में हुआ था। कांठ और चंदौसी के बाद उन्होंने काशी हिन्दू वि.वि. से बी.एस-सी. किया। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सहभागी होने के कारण वे दो बार विद्यालय से निष्कासित किये गये। 1947 से 1960 तक वे संघ के प्रचारक तथा 1948 के प्रतिबंध काल में छह माह जेल में रहे। बौद्धिक प्राणी होने के कारण संघ की योजना से 1958 में वे लखनऊ से प्रकाशित साप्ताहिक पांचजन्य के संपादक बने। लखनऊ वि.वि. से इतिहास में एम.ए. कर 1964 में वे डी.ए.वी (पी.जी) काॅलिज, दिल्ली में इतिहास के प्राध्यापक हो गये। 1966-67 में वे अ.भा.विद्यार्थी परिषद के प्रदेश अध्यक्ष तथा 1968 से 72 तक अध्यापक के साथ पांचजन्य के अवैतनिक संपादक भी रहे। आपातकाल में वे एक बार फिर जेल गये। 1980 से 94 तक वे दीनदयाल शोध संस्थान के निदेशक तथा फिर उपाध्यक्ष रहे। वहां से हिन्दी और अंग्रेजी में प्रकाशित त्रैमासिक शोध पत्रिका ‘मंथन’ का भी उन्...