भारत रत्न श्री लालकृष्ण आडवाणी जी


भारत रत्न श्री लालकृष्ण आडवाणी जी
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जिन्होंने किया राम मंदिर अयोध्या के लिए प्रयत्न
उन लाल कृष्ण आडवाणी जी को मिला "भारत रत्न"...

पूर्व डिप्टी पी.एम. श्री लालकृष्ण आडवाणी जी
भाजपा के वरिष्ठ, तपोनिष्ठ और पार्टी के गठन के आधार स्तंभों में से एक, पूर्व उप-प्रधानमंत्री, जीवन पर्यान्त संघर्ष एवं अथक परिश्रम से संगठन को सुदृढ़ बनाने वाले हमारे प्रेरणास्रोत, मार्गदर्शक आदरणीय श्री #लालकृष्ण_आडवाणी  जी को भारत सरकार द्वारा दिये गए "भारत रत्न" की हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएं।

ईश्वर आपको उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घायु प्रदान करें।
#LalKrishnaAdvani
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अयोध्या आंदोलन का सूत्रपात कर भारतवर्ष की राजनीति को एक नई धारा देने वाले लालकृष्ण आडवाणी जी को "भारत रत्न" पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बीजेपी के पितामह लालकृष्ण आडवाणी जी वर्ष 1992 के अयोध्या आंदोलन के नायक रहे.....

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर वर्ष 1990 में गुजरात के सोमनाथ से शुरू की गई उनकी रथ यात्रा ने भारत के सामाजिक ताने-बाने पर अन्दर तक असर डाला.....

आपने रथ यात्रा निकालकर भारत में हिन्दुत्व की राजनीति का सूत्रपात किया.....

बीजेपी को सत्ता के शिखर तक ले जाने में आपका अहम रोल.....

अयोध्या आंदोलन का सूत्रपात कर भारतवर्ष की राजनीति को नई धारा देने वाले लालकृष्ण आडवाणी जी वर्ष 1992 के अयोध्या आंदोलन के नायक भी रहे। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर वर्ष1990 में गुजरात के सोमनाथ से शुरू की गई उनकी रथ यात्रा ने भारत के सामाजिक ताने-बाने पर अंदर तक असर डाला। बड़ी विडंबना है कि 96 साल के हीरो आडवाणी जी आज जब जीवन के नितांत अकेले पलों में अपना जीवन जी रहे हैं तो उसी अयोध्या आंदोलन पर हिन्दुस्तान की सर्वोच्च अदालत का फैसला आ चुका हैं और काफी हद तक अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो चुका है।

पाकिस्तान का 'लाल', भारत में कमाल
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लालकृष्ण आडवाणी जी का जन्म अविभाजित भारत के सिंध प्रांत में 8 नवंबर 1927 को हुआ था। पिता का नाम था कृष्णचंद डी आडवाणी और माता थीं ज्ञानी देवी। पाकिस्तान के कराची में स्कूल में पढ़े और सिंध में कॉलेज में दाखिला लिया। जब देश का विभाजन हुआ तो उनका परिवार मुंबई आ गया। यहां पर उन्होंने कानून की शिक्षा ली. आडवाणी जी जब 14 साल के थे तभी संघ से जुड़ गए थे।

भारत में 1951 में वे श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा स्थापित जनसंघ से जुड़े। 1977 में जनता पार्टी से जुड़े फिर 1980 में आई बीजेपी। बीजेपी के साथ आडवाणी जी ने भारतीय राजनीति की धारा बदल दी। आडवाणी जी ने आधुनिक भारत में हिन्दुत्व की राजनीति से प्रयोग किया। उनका ये प्रयोग काफी सफल रहा। भारतीय जनता पार्टी वर्ष1984 में 2 सीटों के सफर से शुरुआत कर वर्ष2019 में 303 सीटों पर आ चुकी है।

रथयात्रा का रणनीतिकार
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विश्व हिन्दू परिषद वर्ष1980 में ही राम जन्मभूमि आंदोलन शुरू कर चुकी थी, लेकिन तब इस आंदोलन को कोई बड़ा राजनीति संरक्षण हासिल नहीं था। आडवाणी जी इस मौके को भांप गए। वर्ष1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के लहर में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 2 सीटें जीतीं थी। वर्ष1989 में बीजेपी ने इस आंदोलन को औपचारिक रुप से समर्थन देना शुरू कर दिया था। पार्टी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का वादा अपने घोषणा पत्र में शामिल किया। आडवाणी जी खुलकर इसके समर्थन में आए। इसका फायदा बीजेपी को लोकसभा चुनाव में हुआ और पार्टी की सीटें 2 से बढ़ 86 हो गई। इसके बाद आडवाणी पूरी ताकत के साथ इस आंदोलन से जुड़ गए। एक रणनीति के तहत उन्होंने रथयात्रा की घोषणा की। इसके लिए उन्होंने प्रस्थान बिंदू चुना गुजरात का सोमनाथ मंदिर और रथ यात्रा का समापन होना था अयोध्या में। इन दोनों ही स्थानों के बारे में भारतीय जनमानस में एक धारणा थी कि ये दोनों ही स्थान इस्लामी शासकों के हमले का शिकार हो चुके थे।

जोशीले भाषणों से सुर्खियां बटोरी
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आडवाणी जी ने 25 सितंबर 1990 को राममंदिर निर्माण के लिए समर्थन जुटाने की खातिर सोमनाथ से रथयात्रा शुरू कर दी। इस रथ यात्रा ने काफी सुर्खियां बटोरी। आडवाणी अपने जोशीले और तेजस्वी भाषणों की वजह से हिन्दुत्व के नायक बन गए। हिन्दी पट्टी राज्यों में उनकी लोकप्रियता का ग्राफ जबर्दस्त बढ़ा। हालांकि इस रथ यात्रा के दौरान भारत में हिन्दू-मुस्लिम समुदाय के बीच साम्प्रदायिक वैमनस्य का भाव पनपा।

आडवाणी जी का इरादा राज्य-दर-राज्य होते हुए 30 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के अयोध्या पहुंचने का था, जहां वह मंदिर निर्माण शुरू करने के लिए होने वाली 'कारसेवा' में शामिल होने वाले थे। लेकिन आडवाणी के बरक्श ही बिहार में एक अपोजिट धुरी की राजनीति जन्म ले चुकी थी। इसके नायक थे लालू यादव। लालू यादव आडवाणी की विपरित विचारधारा की राजनीति का नेतृत्व कर रहे थे। आडवाणी की रथ यात्रा जब बिहार के समस्तीपुर पहुंची तो 23 अक्टूबर को उन्हें तत्कालीन सीएम लालू यादव के आदेश पर गिरफ्तार कर लिया गया।

1992 का बवाल
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आडवाणी की रथ यात्रा समाप्त हो गई लेकिन वर्ष1991 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को फिर फायदा हुआ। बीजेपी की सीटें 120 तक पहुंच गई। वर्ष1992 में अयोध्या आंदोलन फिर परवान चढ़ने लगा। राज्य में तब कल्याण सिंह के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार थी। यूपी के सीएम कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाजत करने का हलफनामा दिया था।  30-31 अक्टूबर को धर्म संसद आयोजित किया गया था।

6 दिसंबर 1992 को हजारों की संख्या में कारसेवक अयोध्या में जमा थे। लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती जैसे नेता वहां मौजूद थे। देखते ही देखते भीड़ बेकाबू हो गई। इस भीड़ ने बाबरी मस्जिद ढहा दी। इस केस का मुकदमा लालकृष्ण आडवाणी जी पर आज भी चल रहा है।

लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी
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राममंदिर आंदोलन का लोकप्रिय नेता रहने के बावजूद आडवाणी जी 50 सालों के लंबी संसदीय राजनीति में बीजेपी में नंबर दो बने रहे। वर्ष1995 में आडवाणी जी ने वाजपेयी जी को पीएम पद का दावेदार बताकर सबको हैरानी में डाल दिया था। 1996 में आडवाणी पर हवाला कांड में शामिल होने का आरोप लगा, विपक्ष उनपर उंगली उठाता इससे पहले ही उन्होंने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। बाद में वे उस मामले में बेदाग बरी हुए।

बुजुर्गों को दुनिया से विदा किया, 'युवा' भी छोड़ गए
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आज आडवाणी सामाजिक और राजनीतिक जीवन की सक्रियता से दूर हैं। सोशल मीडिया पर उनका कोई खाता नहीं हैं। हां लोगों से संवाद करने के लिए उनका एक ब्लॉग जरूर है, जिस पर वे लंबे अंतराल के बाद कुछ-कुछ लिखते हैं। शतायु की ओर प्रस्थान कर रहे बीजेपी के लौह पुरुष आडवाणी अपने समकक्षों को खो चुके हैं। अटल बिहारी वाजपेयी, भैरों सिंह शेखावत, कैलाशपति मिश्र, मदन लाल खुराना, सुंदर लाल पटवा जैसे दोस्तों को उन्होंने अपने सामने विदा किया। आज आडवाणी उस मोड़ पर खड़े हैं जहां से उनका लंबा सियासी अतीत और देश में तेजी से बदलते घटनाक्रमों के ऐतिहासिक गवाह के रूप में उन्हें जाना जाता है। आजादी के बाद से बदलते देश और सियासत के वे चंद चेहरों में शामिल रहे हैं जिनके अनुभव का कोई सानी नहीं।

आपके स्वस्थ जीवन व लम्बी आयु के लिए हम सब देशवासी ईश्वर से प्राथना करते हैं......💐💐

@_LKAdvani ji
🙏🙏
#VijetaMalikBJP

#HamaraAppNaMoApp


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