क्रांतिकारी कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’
चाँद का कुर्ता / रामधारी सिंह 'दिनकर' [ पुण्यतिथि विशेष 🌺 ] हठ कर बैठा चाँद एक दिन, माता से यह बोला, ‘‘सिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला। सनसन चलती हवा रात भर, जाड़े से मरता हूँ, ठिठुर-ठिठुरकर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूँ। आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का, न हो अगर तो ला दो कुर्ता ही कोई भाड़े का।’’ बच्चे की सुन बात कहा माता ने, ‘‘अरे सलोने! कुशल करें भगवान, लगें मत तुझको जादू-टोने। जाड़े की तो बात ठीक है, पर मैं तो डरती हूँ, एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूँ। कभी एक अंगुल भर चौड़ा, कभी एक फुट मोटा, बड़ा किसी दिन हो जाता है, और किसी दिन छोटा। ...... क्रांतिकारी कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ हिन्दी के प्रसिद्ध कवियों में से एक राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को सिमरिया नामक स्थान पे हुआ। इनकी मृत्यु 26 अप्रैल, 1974 को चेन्नई में हुई । जीवन परिचय : हिन्दी के सुविख्यात कवि रामाधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 ई. में सिमरिया, ज़िला मुंगेर (बिहार) में एक सामान्य किसान रवि सिंह तथा उनकी पत्नी ...