30 अक्टूबर : श्रीराम मंदिर अयोध्या के बलिदानियों को शत-शत नमन..

30 अक्टूबर : अयोध्या के बलिदानियों को शत-शत नमन...
आज के ही दिन मुलायम ने निहत्थे कारसेवकों पर चलवाई थी गोलियां...
निहत्थे कारसेवकों पर पुलिस पूरी ताकत से अत्याचार कर रही थी... 
मुलायम सिंह की तुलना औरंगजेब, गजनवी और बाबर से होने लगी...

30 अक्टूबर 1990 आज ही के दिन मुलायम ने निहत्थे कारसेवकों पर गोलियां चलवाई थी। निहत्थे कारसेवकों पर पुलिस पूरी ताकत से अत्याचार कर रही थी। मुलायम सिंह की तुलना औरंगजेब, गजनवी और बाबर से होने लगी। बलिदानी कार सेवको के आंकड़े को कम करने के लिए पुलिस ने नया तरीका निकाला। पुलिस ने कार सेवको के शवों को बालू की बोरियों में बांधकर सरयू में फेंकना शुरू कर दिया ताकि वो ऊपर ना आ सके।

सरकार द्वारा वर्तमान में चल रहे मुंगेर के अंदाज़ में करवाई गई इसी गोलीबारी में कई कारसेवक बलिदान हो गये थे। ये वो वीर हैं जिनके बलिदान के बिना भगवान् श्रीराम के मन्दिर की बात तो दूर, कल्पना भी करना व्यर्थ होगा। ये 1990 का वर्ष था। 21 से 30 अक्टूबर 1990 तक अयोध्या में लाखों की संख्या में श्रीराम भक्त कारसेवक जुट चुके थे। सब श्रीराम जन्मभूमि की ओर जाने की तैयारी में थे। जन्मभूमि के चारों तरफ भारी सुरक्षा थी। अयोध्या में लगे कर्फ्यू के बीच सुबह करीब 10 बजे चारों दिशाओं से बाबरी मस्जिद की ओर कारसेवक बढ़ने लगे।

अशोक सिंघल जी, उमा भारती जी, विनय कटियार जी जैसे नेता इनका नेतृत्व कर रहे थे। श्रीराम जन्मभूमि के चारों तरफ और अयोध्या शहर में उत्तर प्रदेश के पीएसी के करीब 30 हजार जवान तैनात किए गए थे। इसी दिन बाबरी मस्जिद के गुंबद पर कारसेवकों ने भगवा झंडा फहराया था। मुलायम सिंह यादव उस वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उनका साफ निर्देश था कि बाबरी मस्जिद को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। लेकिन इसके बाद भी 5000 से ज्यादा श्रीराम भक्त कारसेवक श्रीराम जन्मभूमि तक पहुँच गये। शरद कोठारी तथा राम कोठारी नामक दोनों भाई गुंबद पर चढ़ गये तथा जय श्रीराम का उद्घोष करते हुए बाबरी पर भगवा फहरा दिया।
 
कारसेवकों द्वारा बाबरी पर भगवा फहराते ही अयोध्या जय श्रीराम के नारों से गूँज उठी। फिर वो हुआ जिसका अंदाजा भी ना था। पुलिस ने कारसेवकों पर फायरिंग शुरू कर दी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में हुई फायरिंग में 5 कारसेवकों की जान चली गई, जबकि वास्तविक संख्या इसके ज्यादा भी बताई जाती है।

कारसेवकों के साथ साधु-संत भी हनुमानगढ़ी की ओर बढ़ रहे थे। मुलायम सिंह ने अयोध्या में कर्फ्यू लगा दिया। घर की छतों पर स्नाइपर तैनात किए गए। पुलिस पूरी शिद्दत से बाबरी ढांचे को बचाने में जुटी थी। मस्जिद के आसपास के 1.5 किलोमीटर के इलाके में बैरकेडिंग कर रखी थी। कार सेवको को गिरफ्तार किया जाने लगा लेकिन मुलायम सिंह सिर्फ इससे संतुष्ट नही थे। अपने अल्पसंख्यक वोट बैंक समीकरण को और मजबूत करने के लिए ये किया था। 

वहीं, मुलायम सिंह का हुक्म बजाने में पुलिस कोई कोर कसर नही छोड़ रही थी। अयोध्या में कार सेवको को रोकने के लिए लगभग 2 लाख 65 हजार से ज्यादा सुरक्षा बल के जवान तैनात किये गए। पुलिस लगातार कार सेवकों को हमला करने के लिए उकसा रही थी, लेकिन राम भक्त सिर्फ रामधुन गाते हुए आगे बढ़ रहे थें। सरयू पुल पर कार सेवको को घेर कर मारा गया। पुलिस ने सीधी गोलियां चलाई और शवों को सरयू में फेंक दिया था।

बताया जा रहा है कि अयोध्या में नरसंहार की शुरुआत हो चुकी थी। कट्टरपंथियों का मसीहा बनने की ऐसी होड़ शुरू हुई जिसमें सीएम मुलायम सिंह से लेकर पुलिस के जवान तक शामिल हो गए। घरों से खींचकर रामभक्तों को निकाला जाने लगा। किसी भी रामभक्त के पैर में गोली नही मारी गई, सबके सिर और सीने में गोली दागी गई। अयोध्या का तुलसी चौराहा खून से रंग गया। दिगंबर अखाड़े के बाहर कोठारी बंधुओं को खींचकर गोली मारी गई।

राम अचल गुप्ता जी की अखंड रामधुन बंद नहीं हुई तो पुलिस ने उन्हें पीछे से गोली मार दी। रामनंदी दिगंबर अखाड़े में घुसकर साधुओं पर फायरिंग की गई। अयोध्या कोतवाली के सामने वाले मंदिर के पुजारी को गोली मार दी गई। रामबाग के ऊपर से एक साधु आँसू गैस से परेशान लोगों के लिए बाल्टी से पानी फेंक रहे थे, उन्हें नीचे से गोली मारी गई और वह छत से नीचे आ गिरे। फायरिंग के बाद सड़कों और गलियों में पड़े रामभक्तों के शव बोरियों में भरकर ले जाए गए। आलम ये था कि ना तो सरकार, ना पुलिस और ना मीडिया रिपोटर्स मृतक कार सेवको का सही आंकड़ा बताने में सक्षम थे।

बता दें कि 30 अक्टूबर 1990 रामजन्म भूमि मुक्ति आंदोलन के सबसे अहम पड़ावों में से एक था। 1987 में गर्भ गृह का ताला खोले जाने के बाद से ही लगातार अयोध्या में राम मंदिर बनाने की मांग जोर पकड़ रही थी। लालकृष्ण आडवाणी जी ने संतों के इस आंदोलन के समर्थन में साथ जुड़ते हुए रथयात्रा शुरू कर दी। 30 अक्टूबर को ये यात्रा अयोध्या में समाप्त होनी थी लेकिन इससे पहले ही बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी मुस्लिम परस्ती दिखाते हुए उनको गिरफ्तार करवा लिया, लेकिन तब तक कार सेवक अयोध्या के लिए कूच कर चुके थे।

अयोध्या राम मन्दिर के लिए दिए गए कारसेवकों के बलिदान को हम सभी देशवासी शत–शत नमन करते हैं ।।
🙏 🙏
#VijetaMalikBJP

#HamaraAppNaMoApp

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