आदि गुरु शंकराचार्य जी


आदि गुरु शंकराचार्य जी

आदि गुरु शंकराचार्य जी की जयंती पर कोटि कोटि नमन.....

आदि गुरु शंकराचार्य जी के जन्मदिवस को आदि शंकराचार्य जयंती के रूप में मनाया जाता है। गुरु शंकराचार्य भारतीय गुरु और दार्शनिक थे, उनका जन्म केरल के कालपी नामक स्थान पर हुआ था। आद्य शंकराचार्य को भगवान शिव अवतार के रूप मे माना जाता है।

आदि गुरु शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत के दर्शन का विस्तार किया। उन्होंने उपनिषदों, भगवद गीता और ब्रह्मसूत्रों के प्राथमिक सिद्धांतों जैसे हिंदू धर्मग्रंथों की व्याख्या एवं पुनर्व्याख्या की।

उन्होंने हिंदू धर्म को पुनर्जीवित करने के लिए भारत के चारों कोनों में चार मठों की स्थापना की। जो आज भी हिंदू धर्म के सबसे पवित्र एवं प्रामाणिक संस्थान माने जाते हैं, जिनका नाम क्रमशः

1. ज्योतिर्मठ- यह मठ उत्तर भारत में बदरीनाथ में अवस्थित है। इस मठ के अन्तर्गत वर्तमान दिल्ली, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा आदि प्रांत आते हैं।

2. श्रृंगेरी मठ- यह मठ दक्षिण में स्थित है। आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल आदि प्रांत इसके अन्तर्गत आते हैं।

3. गोवर्धन मठ- पूरब में वर्तमान उड़ीसा प्रांत के जगन्नाथ पुरी में यह मठ स्थापित किया गया। उड़ीसा, बंगाल, झारखंड इसके प्रभाव-क्षेत्र में आते हैं।

4. शारदा मठ- यह मठ पश्चिम भारत में द्वारिकापुरी में स्थित है। इसके अन्तर्गत सिन्धु, गुजरात, महाराष्ट्र आदि क्षेत्र आते हैं।

शंकराचार्य स्वंय किसी पीठ के अधिपति नहीं बने। उन्होंने अपने चार प्रिय शिष्यों- तोटक, सुरेश्वराचार्य, पद्मपाद, एवं हस्तमालक को क्रमश: ज्योतिर्मठ, श्रश्ंगेरी मठ, गोवर्धन मठ और शारदा मठ में अधिपति के रूप में आसीन कर दिया।
इन पीठों में परम्परा से एक-एक पीठाधीश होता है जिन्हें हम शंकराचार्य के नाम से पुकारते हैं।

मात्र 32 वर्ष कि अल्प आयु में ही इन्होंने सनातन धर्म और शास्त्र के लिए जो कर गए हम लोगों के जीवन के प्रेरणा स्त्रोत बन गया।
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अद्वैत वेदान्त के प्रणेता, संस्कृत विद्वान, राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने वाले सनातन धर्म के ध्वजवाहक, आदिगुरु शंकराचार्य जी को जयंती पर शत शत वंदन।

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