दलित क्रान्तिकारी, जिन्होंने अंगेजो को धूल चटाई


दलित क्रान्तिकारी, जिन्होंने अंगेजो को धूल चटाई 
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दलितों क्रांतिकारियों ने लिया था अंग्रेजों से लोहा,
कई अंग्रेजों को मार गिराया था......
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तुम भूल ना जाओ उनको,
इसलिए लिखी ये कहानी,
जो शहीद हुए हैं उनकी,
ज़रा याद करो कुर्बानी...
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आज देश में कई तरह की विचारधाराएं हैं और श्रेष्ठता के चक्कर में समाज में मतभेद इस कदर बढ़ गया है कि देश की सामाजिक एकता, अखण्डता भी प्रभावित हो रही है और देश का नुकसान हो रहा है। दलित, मुसलमान और हिन्दू में बंटे समाज में रोज दुखद घटनाएं घट रही हैं। खास कर दलित राजनीति के केंद्र में आ गया है। दलितों को दया का पात्र बनाकर सभी पार्टियों के नेता अपना भला करने में लगे हैं।

सवाल यह है कि किया वाकई दलित इतना कमजोर है? आज देश आजाद है और हम आजादी की 75वीं वर्षगांठ मानाने जा रहे हैं, लेकिन हम में से बहुत कम लोग यह जानते हैं कि देश की आजादी की लड़ाई में दलितों ने बढ़ -चढ़ कर हिस्सा लिया था और आजादी कि पहली लड़ाई की बिगुल दलितों ने बजाई थी। आज शायद हम उनका योगदान भूल गए हैं या वह अपनी वीरगाथा। आज़ादी के अमृत महोत्सव के मौके पर मैं आपको बताऊंगी, आजादी के दीवाने कुछ ऐसे ही महान दलित वीरों के बारे में - 

उदैया चमार
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बहुत कम लोग जानते हैं कि अंग्रेजों के खिलाफ जंग का ऐलान 1804 में ही हो गया था।  दरअसल छतारी के नवाब का वफादार और प्रिय योद्धा ऊदैया चमार ने अंग्रेजों की गलत नीतियों से खफा होकर सैकड़ों अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया। उसकी वीरता के चर्चे आज भी अलीगढ के आस -पास के क्षेत्रो में कहे-सुने जाते हैं। आखिर 1807 में अंग्रेजो ने उसे पकड़ लिया और उसे फांसी दे दी थी, लेकिन निडर ऊदैया ने अकेले ही अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया था।   

बांके चमार
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बांके जौनपुर जिले के मछली तहसील के गांव के कुवरपुर के निवासी थे। वह अकेले ही अंग्रेजों से लोहा लेने निकल पड़े थे, लेकिन बाद में उनसे प्रभावित होकर और लोगों ने भी उनके साथ अंग्रेजों से जंग का ऐलान कर दिया। लगातार अंग्रेजों के खिलाफ खतरनाक गतिविधियों के कारण अंग्रेजों ने उन पर उस समय 50 हजार रुपये का का इनाम रख दिया।  यह उस जमाने में काफी बड़ी रकम थी। बाद में कुछ गद्दारों द्वारा उन्हें पकडे जाने के बाद उनके 18 साथियो के साथ उन्हें फ़ांसी पर लटका दिया गया था।

गंगा दीन मेहतर
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गंगा दीन मेहतर "गंगू बाबा" के नाम से जाने जाते थे। कानपूर के लोग आज भी उन्हें सम्मान के साथ याद करते हैं और उनकी वीरता के किस्से सुनाते हैं। वह भंगी जाति के थे और उस दौरान वह पहलवानी किया करते थे। वह 1857 में अंग्रेज़ों के विरुद्ध सतीचौरा के करीब बड़ी वीरता से लड़े। कई अंग्रेज़ों को मौत के घाट उतारने के बाद आखिरकार उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में अंग्रेजों ने उन्हें फांसी दे दी थी।   

मातादीन भंगी
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मातादीन भंगी ने रखी थी 1857 की क्रांति के नींव....

दलितों को लेकर देश में अक्सर विरोधी माहौल बनते रहते हैं, पर सच यह है कि चाहे सामाजिक व्यवस्था हो, आजादी की लड़ाई हो या देश की रक्षा दलितों ने हर जगह बढ़ -चढ़ कर हिस्सा लिया है। आजादी की लड़ाई के नायक के रूप में हम सभी मंगल पांडेय को जानते हैं, पर वास्तविकता यह है कि इसकी पटकथा लिखी थी, मातादीन भंगी नाम के एक दलित ने।  

वैसे तो 1857 की क्रांति की पटकथा 31 मई को लिखी गई थी, लेकिन मार्च में ही विद्रोह छिड़ गया। दरअसल जो जाति व्यवस्था हिन्दू धर्म के लिए हमेशा अभिशाप रही, उसी ने क्रांति की पहली नीव रखी।  

हुआ यह था कि बैरकपुर छावनी कोलकत्ता से मात्र 16 किलोमीटर की दूरी पर था। फैक्ट्री में कारतूस बनाने वाले मजदूर मुसहर जाति के थे। एक दिन वहां से एक मुसहर मजदूर छावनी आया। उस मजदूर का नाम मातादीन भंगी था। मातादीन को प्यास लगी, तब उसने मंगल पांडेय नाम के सैनिक से पानी मांगा। मंगल पांडे ने ऊंची जाति का होने के कारण उसे पानी पिलाने में आनाकानी की।   

कहा जाता है कि इस पर मातादीन भंगी बौखला गया और उसने कहा कि कैसा है तुम्हारा धर्म, जो एक प्यासे को पानी पिलाने की इजाजत नहीं देता और गाय, जिसे तुम लोग मां मानते हो, सूअर, जिससे मुसलमान नफरत करते हैं, लेकिन उसी के चमड़े से बने कारतूस को तुमसब मुंह से खोलते हो। मंगल पांडेय यह सुनकर चकित रह गए। उन्होंने मातादीन को पानी पिलाया, प्यार से अपने पास बिठाया, उन्हें भोजन कराया और उनसे बातचीत की। इस बातचीत के बारे में उन्होंने बैरक के सभी लोगों को बताया। इस सच को जानकर हिन्दुओं के साथ-साथ मुसलमान भी बौखला उठे। 

इसके बाद मंगल पांडेय ने विद्रोह कर दिया।  मंगल पांडे द्वारा लगायी गयी विद्रोह की इस चिन्गारी ने ज्वाला का रूप ले लिया। एक महीने बाद ही 10 मई सन् 1857 को मेरठ की छावनी में सैनिकों ने बगावत कर दिया। बाद में क्रांति की ज्वाला पूरे उत्तरी भारत में फैल गई। बाद में जब अंग्रेजों ने सभी विद्रोहियों के खिलाफ जो चार्जशीट बनाई, उसमें सबसे पहला नाम मातादीन भंगी का ही था।   

मक्का पासी
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1857 में मई में हुई क्रांति के बाद पूरे देश में लोगों के दिलों में अंग्रेजों को लेकर आग भड़क गई थी। 10 जून, 1857 अंग्रेज़ों की आर्मी का एक छोटा दस्ता लॉरेंस हेनरी की कमान में अवध से चिनहट और बाराबंकी जा रहा था। मक्का पासी ने 200 पासियों को लेकर उनका रास्ता रोका और कई अंग्रेज़ों को मार गिराया, लेकिन लॉरेंस ने उन्हें मार दिया। इसके बावजूद भी पासी समुदाय के लोगों ने हार नहीं मानी और अवध के बडे भूभाग पर कब्जा कर अपना राज्य कर लिया। पासी समुदाय के कई लोगों ने वीरता पूर्वक अंग्रेजों से लोहा लिया। बाद में मायावती ने मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके नाम को शहीदों में शामिल किया, जिनमें से कुछ नाम इस प्रकार हैं:- 
महाराजा बिजली पासी, महाराज लखन पासी, महाराजा सुहाल देव, महाराजा छेटा पासी और महाराजा दाल देव पासी। 

चेता राम जाटव
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किवंदतियों के मुताबिक महाराजा पटियाला ने एक आदमी को देखा जो एक शेर को पीठ पर लादे चला जा रहा था। पूछने पर पता चला कि उस आदमी ने ही बिना हथियार के शेर को मार गिराया है। राजा ने उसे अपने फ़ौज में शामिल होने के लिए कहा। राजा के कहने पर वह फ़ौज में शामिल हो गया। उस व्यक्ति का नाम चेता राम जाटव था। चेता राम ने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया। अंग्रेजों द्वारा जनता को परेशान और अत्याचार करता देख वह अकेले उनसे लड़ पड़े, जिसके बाद अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और पेड से बांध कर उन्हें शूट कर दिया गया। 

बालू राम मेहतर
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बालू ने भी अंग्रेजों के खिलाफ जमकर संघर्ष किया। काफी संघर्ष के बाद आखिरकार अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ लिया और उनके 16 दलित साथियों के साथ एक पेड़ से बांध कर फ़ांसी दे दी। 

बाबू मंगू राम
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यह जाति से चमार थे। उनका जन्म 1886 ग्राम मोगोवाल जिला होशियार पुर पंजाब में हुआ था। देश की आजादी के लिये वह जीवन पर्यंत संघर्षरत रहे। बाद में देश आजाद होने के बाद वह राजनीति में आ गए और अपनी पार्टी ग़दर पार्टी के नाम से शुरू की। आजीवन वह समाज के भलाई के लिए ही काम करते रहे।   

इनके अलावा, जी०डी० तपसे, भोला पासवान, पन्ना लाल बरुपाल, सन्जिवय्या, रामचंद्र वीरप्पा, वीरा पासी, सिदरन के साथ ही कई और ऐसे दलित हैं, जिन्होंने भारत देश के स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य भूमिका निभाई।  

हम सभी देशवासी आप सभी अमर शहीद वीर स्वतन्त्रता सेनानियों को शत-शत नमन करते हैं....💐💐💐💐
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#VijetaMalikBJP


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