राजमाता अहिल्याबाई होल्कर जी

राजमाता अहिल्याबाई होल्कर
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तुम भूल ना जाओ उनको,
इसलिए लिखी ये कहानी...
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राजमाता अहिल्याबाई होल्कर.. हिन्दू संस्कृति को किया स्थापित.. आक्रान्ताओं द्वारा तोड़े गए मन्दिरों का कराया जीर्णोद्धार.. धर्ममूर्ति राजमाता अहिल्याबाई होल्कर के महान योगदान की गौरव गाथा को निष्पक्ष भारतीय इतिहास कभी विस्मृत नहीं कर सकता.. हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिए अहिल्याबाई होलकर जी का योगदान अद्वितीय है..!
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मुहम्मद बिन कासिम (712) के आक्रमण से लेकर मुगलों के शासन तक मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा हजारों मन्दिर तोड़े गए.. लेकिन हिन्दू समाज अवसर प्राप्त होते ही उस स्थान पर नये मन्दिरों का निर्माण करता रहा.. इस कार्य में देश की जिन महान विभूतियों ने सर्वाधिक योगदान दिया उसमें एक प्रमुख नाम मराठा सरदार एवं मालवा के शासक मल्हार राव होल्कर जी की पुत्रवधु और खण्डेराव जी की धर्मपत्नी अहिल्या बाई होल्कर जी का है..!
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मुगलों पर मराठों की विजय के पश्चात मल्हार राव ने मस्जिद को हटाकर उसी प्राचीन स्थान पर काशी विश्वेश्वर मन्दिर के निर्माण का संकल्प लिया था। मल्हार राव ने सन् 1742 में पेशवा बाजीराव बाला जी से प्राचीन मंदिर के स्थान पर मंदिर बनाने की अनुमति प्राप्त कर ली थी.. लेकिन कुछ कारणों से उनके जीवन-काल में यह संकल्प पूरा न हो सका.. लेकिन उनकी पुत्रवधु अहिल्या बाई ने उस स्थान पर तो नहीं उसके बगल में काशी विश्वनाथ के मंदिर का निर्माण कराया.. मल्हार राव का संकल्प अभी अधूरा है.. लेकिन अहिल्या बाई ने उस स्थान की स्मृति संजोकर रखने का एक महान कार्य किया..!
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उन्होंने ना केवल काशी विश्वनाथ अपितु देश के अनेक स्थानों पर धूल-धूसरित तीर्थ स्थलों एवं मन्दिरों के पुनरुद्धार का महती कार्य किया.. सोमनाथ.. ओंकारेश्वर.. त्र्यम्बकेश्वर.. मथुरा.. वृन्दावन.. पुष्कर.. हरिद्वार.. केदारनाथ.. बद्रीनाथ.. गंगोत्री.. गया में अनेक पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार.. नए मंदिरों का निर्माण.. धर्मशाला.. घाट.. कुएं और बावड़ियों का निर्माण कराया.. मार्ग बनवाए.. भूखों के लिए अन्नक्षेत्र खोले.. प्यासों के लिए प्याऊ.. विद्वानों को संरक्षण एवं शास्त्रों के मनन-चिन्तन और प्रवचन की व्यवस्था की.. जिनमें प्रमुख रूप से वाराणसी का अहिल्याबाई घाट.. मणिकर्णिका घाट और महिलाओं के लिए विशेष घाट है.. इसके अलावा अयोध्या में सरयू नदी पर घाट अहिल्याबाई होलकर की देन है.. हरिद्वार का उषावर्त घाट.. हर की पौड़ी के पास घाट.. मथुरा में कलियादह घाट.. प्रयाग में घाट.. हंडिया में नर्मदा नदी पर बना घाट.. पुणतांबा गोदावरी पर बना घाट.. महाराष्ट्र के अहमदनगर में अहिल्याबाई के जन्म स्थान पर सीना नदी पर बना घाट.. कुरुक्षेत्र का लक्ष्मी कुंड तथा पंच कुंड घाट.. कानपुर में ब्राह्मण घाट इसके अलावा खरगोन जिले के महेश्वर में बने अहिल्या घाट.. राजराजेश्वर घाट.. काशी विश्वेश्वर घाट.. पेशवा घाट.. भारमल दादा घाट.. सरदार फणसे घाट लोकमाता अहिल्याबाई होलकर जी की देन है..!
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बद्रीनाथ मंदिर में पूजा का प्रबंध कुंड और वो चढ़ाई के लिए स्थान का निर्माण.. जगन्नाथ पुरी में धर्मशाला.. मंदिर तथा अन्य धर्म क्षेत्र का निर्माण एवं पूजा प्रबंध.. रामेश्वरम मंदिर में धर्मशाला अथवा हनुमान मंदिर की स्थापना.. औरंगाबाद में गुफाओं के पास मंदिर का जीर्णोद्धार.. बनारस में काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य एवं शिवलिंग की स्थापना.. नर्मदा तट ओमकारेश्वर मंदिर में धर्मशाला का निर्माण तथा अन्य क्षेत्रों के विकास के साथ पूजा व्यवस्था.. त्रंबकेश्वर मंदिर में धर्मशाला.. सोमनाथ मंदिर का विकास एवं निर्माण.. केदारनाथ मंदिर में धर्मशाला कुंड और मंदिर पूजा प्रबंध.. बैजनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का प्रवेश द्वार आदि उनके प्रमुख कार्यों में हैं..!
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व्यक्तिगत जीवन में अनेक संतापों को सहन करते हुए भी विशेष रूप से वे मुस्लिम आक्रान्ताओं द्वारा तोड़े गए मन्दिरों और तीर्थों का पुनरुद्धार कर हिन्दू संस्कृति के संताप का उपशमन कर इतिहास के पन्नों में सदैव के लिए अमर हो गईं.. उनके इस महान योगदान की गौरव गाथा को निष्पक्ष भारतीय इतिहास कभी विस्मृत नहीं कर सकता.. हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिए धर्ममूर्ति राजमाता अहिल्याबाई होलकर का योगदान अद्वितीय है..!

🕉️जय राजमाता अहिल्याबाई होल्कर🚩🇮🇳
🚩शत-शत नमन करूँ मैं आपको🚩
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#VijetaMalikBJP

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