नेकराम जी


नेकराम जी
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जन्म तिथि: 22 जनवरी, 1942
जन्म स्थान: गाँव गोमेद, जिला अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
सक्रिय वर्ष: 2001-2022

प्रारम्भिक जीवन परिचय व शिक्षा:
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नेकराम जी का जन्म 22 जनवरी 1941 में गाँव गोमेद जिला अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उसी गाँव की प्राइमरी पाठशाला से सन 1946 में प्रारंभ की थी। उसी पाठशाला में संघ की शाखा भी लगती थी।  जून 1947 में उनका संघ की शाखा में प्रवेश हुआ। मगर सन 1948 को महात्मा गांधी जी की हत्या की वजह से कांग्रेस सरकार द्वारा संघ पर प्रतिबंध लग गया और संघ की शाखा भी लगनी बंद हो गई। फिर काफी समय तक वहाँ संघ की शाखा नहीं लगी। आपने अपनी शिक्षा जारी रखी और दसवीं कक्षा पास की।

व्यवसायिक जीवन :
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बाद में वह दसवीं कक्षा पास करके में दिनांक 25-03-1960 को रेलवे सुरक्षा बल में भर्ती हो गए। अप्रैल 1966 में आप स्पेशल इमरजेंसी फोर्स से आसाम ऑपरेशन के काल में 3 वर्ष बॉर्डर पर रहे। 1969 में आप फिर से वापस रेलवे में आ गए। रेलवे में आप विभिन्न प्रांतों के स्टेशनों पर सेवारत रहे। मई 1997 से जनवरी 2001 तक आप क्राइम इंटेलिजेंस में रहे। वहां से सेवानिवृत्त होकर आप जनवरी 2001 में हरियाणा के शहर हांसी में अपने नए निवास पर आए।

संघ से जुड़ाव
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सेवानिवृत्ति से पहले ही उन्होंने संघ के लिए समर्पित होने का निश्चय कर लिया था। सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने संघ शिक्षा वर्ग करके मई 2002 को वानप्रस्ती दुर्गा कालिक में अपनी पत्नी की सहमति से संघ में आ गए। इसके बाद आप संघ के हिसार विभाग, हरियाणा प्रांत के कार्यालय प्रमुख का दायित्व निभाने लगे।

सामाजिक व धार्मिक जीवन
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काफी समय पहले हांसी शहर में एक मस्जिद को हिंदू परिवारों को सरकार ने दे दी थी। बाद में उस मस्जिद को हिंदू परिवारों ने संघ को दान में दे दी। कानूनी तरीके से जब  उसे तोड़ा गया तो इस पर काफी प्रतिरोध हुआ और हांसी शहर पुलिस छावनी बन गया। लम्बी चली कानूनी कार्रवाई के बाद यह जगह संघ के भारत भक्ति ट्रस्ट को दे दिया गया। मगर काफी समय से कुछ कारणों वश वहां पर मंदिर या संघ का कार्यालय कुछ भी नहीं बन पाया था। करीब 10 वर्ष के बाद नेकराम जी और उनके एक सहयोगी स्वयंसेवक संघ के विजय पाल जी ने हांसी में भारत भक्ति ट्रस्ट के चेयरमैन से बात की कि क्या यहां मन्दिर व संघ का कार्यालय बनाया जाए। चेयरमैन साहब ने कहा कि यहां कुछ भी नहीं बन सकेगा क्योंकि अभी तक यहां कोई भी, किसी भी तरह का कोई कार्यक्रम नहीं हुआ है। श्री नेकराम जी ने चेयरमैन साहब से पूछा कि आपका क्या मन है। तो उन्होंने कहा कि मैं तो चाहता हूं कि यहां पर मंदिर बने। पर मंदिर बनाने का काम कौन करेगा? इस पर श्री नेकराम जी ने कहा कि मैं मंदिर बनाने का दायित्व अपने कंधों पर लेता हूँ और यहां मंदिर जरूर बनेगा। इसके बाद आपने वहां पर एक मंदिर और संघ कार्यालय भवन का निर्माण कराया। यह कार्य उन्होंने दिन-रात एक कर हांसी समाज के सहयोग से चंदा जमा कर 45 लाख रुपए की लागत से वहां एक मंदिर बनवाया। मंदिर में तीन मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा भी कराई। मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कराने में यजमान के तौर पर हांसी समाज के बाल्मीकि परिवार, जाटव परिवार, जाटों के परिवार, धोबी परिवार, धान परिवार, पंजाबी परिवार, बनिए परिवार व ब्राह्मणों के परिवार को यजमान बनाया। प्राण प्रतिष्ठा पूर्ण शास्त्र विधि से कराया गया और मंदिर को आप लोगों के लिए खोल दिया गया।

मौजूदा कार्य
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हांसी में मंदिर और संघ कार्यालय के निर्माण कराने के बाद अब आप हिसार संघ कार्यालय की सेवा कर रहे हैं और हिसार संघ कार्यालय प्रमुख के तौर पर कार्य कर रहे हैं।

संघ और समाज के लिए की गई आपकी निःस्वार्थ सेवा को हम सभी शत-शत नमन करते हैं।
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