गुरु नानक देव की - सीख
गुरु नानक देव जी
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गुरू नानक जी सिखों के प्रथम गुरु हैं। इनके अनुयायी इन्हें गुरु नानक, गुरु नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह नामों से संबोधित करते हैं। बाबा नानक जी के महाप्रयाण दिवस पर उन्हें शत-शत नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि🙏
मुर्दा खाने का हुक्म :
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एक बार गुरु नानक देव जी ने अपने शिष्यों से मुर्दा खाने के लिए कहा। यह बात सुनकर सभी शिष्य हक्के-बक्के रह गए। वे सोचने लगे कि हम मुर्दा छू जाने पर भी नहाते हैं तो मुर्दा खाना तो बिल्कुल भी संभव नहीं है।
एक भाई लहणा खड़े रहे, बाकी सब शिष्य वहां से चले गए क्योंकि मुर्दा खाना सभी को नामुमकिन हुक्म लगा था। लेकिन भाई लहणा को नहीं। जब वह मुर्दे के इर्द-गिर्द घूमने लगा तो गुरु साहिब ने उससे पूछा:-” यह तुम क्या कर रहे हो?”
भाई लहणे ने उत्तर दिया:-” हुजूर ! मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि इस मुर्दे को किस तरफ से खाना शुरू करूं।”
जब वह उस मुर्दे को खाने लगा तो देखा कि वहां कोई मुर्दा ही नहीं था, बल्कि मुर्दे की जगह उसके सामने गुरु का प्रसाद और मीठा हलवा रखा हुआ था।
गुरु नानक देव जी ने उनको गुरु गद्दी का हकदार बना दिया और वह भाई लहणा से गुरु अंगद साहिब बन गए।
अंगद का अर्थ है :-
‘ गुरु का अपना अंग या हिस्सा ’
इसी तरह से गुरु गोविंद सिंह जी ने भी जब अपने शिष्यों की परख की, तब उन्हें भी 5000 लोगों में अपने पांच प्यारे (पंज प्यारे) मिले थे।
सीख :
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जब गुरु परखता है तो बड़े-बड़े फेल हो जाते हैं।
शत शत नमन करूँ मैं आपको गुरुदेव 💐💐💐💐
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#VijetaMalikBJP