जयदेव कपूर



जयदेव कपूर
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भारत की स्वाधीनता के लिए कई वीरों ने अपने प्राणों की आहूति दी थी। कुछ ऐसे थे जिनका नाम आज भी देशवासी लेते हैं, कुछ ऐसे थे जिनके, नाम कुछ लोगों को याद हैं और कई लोगों को उनके बारे में जानकारी नहीं है लेकिन, कुछ क्रांतिकारी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ऐसे भी हैं, जिनके बारे में कोई नहीं जानता। भारत को स्वाधीन करवाने में इन लोगों ने अनेकों यातनाएं सही, जेल गए और अपने प्राण तक बलिदान कर दिए लेकिन, इनके बारे में कोई नहीं जानता।

ऐसा ही एक नाम था जयदेव कपूर। जयदेव कपूर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के महान क्रांतिकारियों में से एक थे। जयदेव कपूर का जन्म दिवाली की तिथि पर 1908 में हुआ था। उनके जन्मोत्सव पर परिवार के सदस्यों ने जमकर दीपावली मनाई थी। क्रांतिकारी जयदेव कपूर जी का जन्म दिवाली पर 1908 को हरदोई, उत्तर प्रदेश में हुआ था । उनके पिता, शालिग्राम कपूर , आर्य समाज के सदस्य थे । जयदेव ने छोटे महाराज और ठाकुर राम सिंह के संरक्षण में कुश्ती सीखी । एक किशोर के रूप में, वह ' हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन ' में शामिल होने के लिए इच्छुक थे और बाद में उन्होंने शामिल होकर चंद्र शेखर आज़ाद से मुलाकात की और भगत सिंह के अच्छे साथी बन गए ।

श्री जयदेव का जन्म 1908 में शाहाबाद जिले के हरदोई में दिवाली की पूर्व संध्या पर हुआ था ।

क्रांतिकारी गतिविधियाँ
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कानपुर के डीएवी कॉलेज में पढ़ाई के दौरान , वह शिव वर्मा के साथ , शचींद्र नाथ सान्याल द्वारा गठित हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हो गए । कुछ साल बाद (1925–27), जयदेव को बनारस में क्रांतिकारी नेटवर्क विकसित करने का काम सौंपा गया । तदनुसार, उन्होंने हिंदू बनारस विश्वविद्यालय में BSC पाठ्यक्रम के लिए दाखिला लिया । भगत सिंह उनके साथ लिम्बडी छात्रावास में उनके पास ही रूके थे।

जयदेव भारत भर में संचालित क्रांतिकारियों की अब तक की प्रसिद्ध बैठक में भाग लेने वाले थे, जिसे फिरोजशाह कोटला के खंडहरों में 8 से 9 सितंबर, 1928 को आयोजित किया गया था । इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के दो विंग होंगे। एक प्रशासनिक और एक सैन्य। जयदेव सैन्य शाखा का हिस्सा थे। उन्होंने आगरा में बम निर्माण का प्रशिक्षण प्राप्त किया ।

श्री जयदेव ने भी असेंबली में बम विस्फोट कांड शहीद भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। "व्यापार विवाद विधेयक और जन सुरक्षा विधेयक" के विरोध के लिए उन्होंने खुद को दिल्ली कॉलेज में पढ़ने वाले अर्थशास्त्र का छात्र घोषित किया और असेंबली पुस्तकालय का उपयोग करने की अनुमति प्राप्त की। वह जल्द ही एक सतर्कता अधिकारी के साथ एक परिचय बनाने में कामयाब रहे, जिसने उन्हें विधानसभा जाने के लिए मंजूरी पत्र प्राप्त करने में मदद की। वह अपने सहयोगियों को अंसेबली भवन के निरीक्षण के लिए लेकर जाते थे।

भगत सिंह की प्रसिद्ध हेट-बेयरिंग तस्वीर को असेंबली बमबारी से कुछ दिन पहले लिया गया था। जयदेव ने ही स्टूडियो की व्यवस्था की थी.यह तस्वीर रामनाथ फोटोग्राफर कश्मीरी गेट में दिल्ली में खींची गई थी।

वे 9 अप्रैल 1929 में शहीद ए आजम भगत सिंह से मिले। उन्होंने भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त के लिए असेंबली में बम फैंकने हेतु बमों का प्रबंध किया। उन्होंने इस बात का प्रबंध किया कि आखिर ये दोनों ही क्रांतिकारी किसी भी तरह से असेंबली में पहुॅंच सकें। वे शहीद चंद्रशेखर आज़ाद से मिले और उनके विचारों से प्रभावित हुए। 

क्रांति की मशाल को आगे बढ़ाने के प्रयास में  जयदेव कपूर ब्रिटिश पुलिस के हाथ आ गए। बाद में उन्हें आजीवन सेलुलर जेल में रखा गया। जयदेव कपूर ने भारत की स्वाधीनता का स्वर्णिम दौर देखा और 19 सितंबर 1994 को अंतिम सांस ली।

शत-शत नमन करूँ मैं आपको 💐💐💐💐
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#VijetaMalikBJP

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