अटल बिहारी वाजपेयी जी

अटल बिहारी वाजपेयी
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जन्मः 25 दिसंबर 1924, ग्वालियर, मध्यप्रदेश

कार्य/पद:  राजनेता, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री

सम्मान: भारत रत्न, 2015

मृत्यु: 16 अगस्त 2018, AIIMS, नई दिल्ली

पुरस्कार और सम्मान
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देश के लिए अपनी अभूतपूर्व सेवाओं के चलते उन्हें वर्ष 1992 में पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया।

1993 में उन्हें कानपुर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि का सम्मान प्राप्त हुआ।

वर्ष 1994 में अटल बिहारी वाजपेयी जी को लोकमान्य तिलक अवार्ड से सम्मानित किया गया

वर्ष 1994 में उन्हें पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार भी प्रदान किया गया।

वर्ष 1994 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद का सम्मान मिला।

वर्ष 2015 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया।

वर्ष 2015 में बांग्लादेश द्वारा उन्हें ‘लिबरेशन वार अवार्ड’ दिया गया।

जीवन घटनाक्रम
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1924: अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म ग्वालियर शहर में हुआ।

1942: भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया।

1957: पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए।

1980: बी.जे.एस. और आर.एस.एस. के साथियों के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी (भजपा) की स्थापना की।

1992: देश की उन्नति में योगदान के लिए पद्म विभूषण पुरस्कार दिया गया।

1996: पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने।

1998: दूसरी बार भी देश के प्रधानमंत्री बने।

1999: तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने और दिल्ली से लाहौर के बीच बस सेवा संचालित कर इतिहास रचा ।

2005: दिसंबर माह में राजनीति से संन्यास ले लिया।

2015: देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया।

अटल बिहारी वाजपेयी जी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री थे। उन्होंने करीब 50 वर्षों तक भारतीय संसद के सदस्य के तौर पर अपनी सेवाएं दी। जवाहर लाल नेहरू के बाद अटल बिहारी बाजपेयी जी ही एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिन्होंने लगातार तीन बार प्रधानमंत्री पद संभाला। वह भारत के सबसे सम्माननीय और प्रेरक राजनीतिज्ञों में से एक रहे। वाजपेयी जी ने कई विभिन्न परिषदों और संगठनों के सदस्य के तौर पर अपनी सेवाएं दीं। राजनीति के अलावा, वाजपेयी जी को एक कवि, एक प्रभावशाली वक्ता के तौर पर भी जाना जाता है। एक नेता के तौर पर वह जनता के बीच अपनी साफ स्वच्छ छवि, लोकतांत्रिक और उदार विचारों वाले व्यक्ति के रूप में जाने गए। भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न सम्मान से नवाजा।

प्रारंभिक जीवन
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अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म मध्यप्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर 1924 को हुआ। वह अपने पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता कृष्णा देवी के सात बच्चों में से एक थे। उनके पिता एक विद्वान और स्कूल शिक्षक थे। अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वाजपेयी जी लक्ष्मीबाई कॉलेज और कानपुर में डी.ए.वी. कॉलेज चले गए। यहां से उन्होंने अर्थशास्त्र विषय में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने लखनऊ से आवेदन भरा लेकिन अपनी पढ़ाई जारी नहीं कर पाए। उन्होंने आर.एस.एस. द्वारा प्रकाशित पत्रिका में बतौर संपादक की नौकरी कर ली। हालांकि उन्होंने कभी विवाह नहीं किया, लेकिन उन्होंने बी.एन. कौल जी की दो बेटियों नमिता और नंदिता को गोद लिया।

कॅरिअर
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वाजपेयी जी की राजनैतिक यात्रा की शुरुआत एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में हुई। 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भाग लेने के कारण वह अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिए गए। इसी समय उनकी मुलाकात डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी से हुई, जो भारतीय जनसंघ यानी बी.जे.एस. के नेता थे। उनके राजनैतिक एजेंडे में वाजपेयी जी ने सहयोग किया। बाद में जम्मू-कश्मीर में एक हस्पताल में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत्यु हो गई और बी.जे.एस. की कमान वाजपेयी जी ने संभाली और इस संगठन के विचारों और एजेंडे को आगे बढ़ाया। सन 1954 में वह बलरामपुर सीट से संसद सदस्य निर्वाचित हुए। छोटी उम्र के बावजूद वाजपेयी जु के विस्तृत नजरिए और जानकारी ने उन्हें राजनीति जगत में सम्मान और उच्च स्थान दिलाने में मदद की।

1977 में जब मोरारजी देसाई की सरकार बनी, तो वाजपेयी जी को विदेश मंत्री बनाया गया। दो वर्ष बाद उन्होंने चीन के साथ संबंधों पर चर्चा करने के लिए वहां की यात्रा की। भारत पाकिस्तान के 1971 के युद्ध के कारण प्रभावित हुए भारत-पाकिस्तान के व्यापारिक रिश्ते को सुधारने के लिए उन्होंने पाकिस्तान की यात्रा कर नई पहल की। लेकिन जब जनता पार्टी ने आर.एस.एस. पर हमला किया, तब उन्होंने 1979 में अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सन 1980 में भारतीय जनता पार्टी की नींव रखने की उनकी पहल व उनके बी जे.एस. तथा आर.एस.एस. से आए लालकृष्ण आडवाणी और भैरो सिंह शेखावत जैसे साथियों ने रखी। भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद पहले पांच साल वाजपेयी जी इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे।

भारतीय आपातकाल 
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1975 – 25 जून – वो ऐसी काली रात थी, जो कोई भी लोकतंत्र प्रेमी भुला नहीं सकता है। कोई भारतवासी भुला नहीं सकता है। एक प्रकार से देश को जेलखाने में बदल दिया गया था। विरोधी स्वर को दबोच दिया गया था। जिसने भी आपातकाल या कांग्रेस का विरोध किया, उसे जेल में ठूस दिया गया। पत्रकारों की आज़ादी छीन ली गई। न्यायालय को एक मूक दर्शक बना दिया गया। माननीय राष्ट्रपति जी को एक मोहरे की तरह से गलत इस्तेमाल किया। 60 लाख से भी ज़्यादा भारतवासियों, खासकर दलितों व गरीब हिन्दुओ की नसबन्दी की गई। गलत तरीके से और जोर जबरदस्ती से की गई नसबन्दी की वजह से हजारों लोग मारे गए। इसके विरोध में प्रदर्शन करने वालो पर गोलियां चलाई गई, जिस वजह से सैकड़ो लोगो की जाने गई।

जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, आदि सहित देश के गणमान्य नेताओं को जेलों में बंद कर दिया था। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी जी भी जेल में थे। जब आपातकाल को एक वर्ष हो गया, तो अटल जी ने एक कविता लिखी थी और उन्होंने उस समय की मनःस्थिति का वर्णन अपनी कविता में किया है .......

झुलसाता जेठ मास,
शरद चाँदनी उदास,
झुलसाता जेठ मास,
शरद चाँदनी उदास,
सिसकी भरते सावन का,
अंतर्घट रीत गया,
एक बरस बीत गया ।।

सीखचों में सिमटा जग,
किंतु विकल प्राण विहग,
धरती से अम्बर तक,
गूंज मुक्ति गीत गया,
एक बरस बीत गया ।।

पथ निहारते नयन,
गिनते दिन पल-छिन,
लौट कभी आएगा,
मन का जो मीत गया,
एक बरस बीत गया ।।

भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर
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सन 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी जी को में सत्ता में आने का मौका मिला और अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री चुने गए। लेकिन बहुमत सिद्ध नहीं कर पाने के कारण सरकार गिर गई और वाजपेयी जी को प्रधानमंत्री पद से मात्र 13 दिनों के बाद ही इस्तीफा देना पड़ गया।

सन 1998 चुनाव में बीजेपी एक बार फिर विभिन्न पार्टियों के सहयोग वाला गठबंधन नेशनल डेमोक्रेटिक अलायन्स के साथ सरकार बनाने में सफल रही पर इस बार भी पार्टी सिर्फ 13 महीनों तक ही सत्ता में रह सकी, क्योंकि ऑल इंडिया द्रविड़ मुन्नेत्र काज़गम ने अपना समर्थन सरकार से वापस ले लिया। वाजपेयी जी के नेतृत्व वाली एन.डी.ए. सरकार ने मई 1998 में राजस्थान के पोखरण में 5 परमाणु परीक्षण कराए। इसके बाद भारत को परमाणु हथियारों से सम्पन्न एक शक्तिशाली देश का दर्जा मिला और चीन व पाकिस्तान की रातों की नींद उड़ गई।

1999 के लोक सभा चुनावों के बाद नेशनल डेमोक्रेटिक अलायन्स (एन. डी. ए.) को सरकार बनाने में सफलता मिली और अटल बिहारी वाजपेयी जी एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बने। इस बार सरकार ने अपने पांच साल पूरे किए और ऐसा करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी। सहयोगी पार्टियों के मजबूत समर्थन से वाजपेयी जी ने आर्थिक सुधार के लिए और निजी क्षेत्र के प्रोत्साहन हेतु कई योजनाएं शुरू की। उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र में राज्यों के दखल को सीमित करने का प्रयास किया। वाजपेयी जी ने विदेशी निवेश की दिशा में और सूचना तकनीकी के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा दिया। उनकी नई नीतियों और विचारों के परिणाम स्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था ने त्वरित विकास हासिल किया। पाकिस्तान और यू.एस.ए. के साथ मैत्रीपूर्ण रिश्ते कायम करके उनकी सरकार ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत किया। हालाँकि अटल बिहारी वाजपेयी जी की विदेश नीतियां ज्यादा बदलाव नहीं ला सकीं, फिर भी इन नीतियों को बहुत ही सराहा गया।

अपने पांच साल पूरे करने के बाद एन.डी.ए. गठबंधन पूरे आत्मविश्वास के साथ अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में 2005 के चुनाव में उतरा पर हमारे देशवासी अटल जी के द्वारा किये गए देशहित के महान कार्यो को और इस भारत देश को एक महान व शक्तिशाली देश बनाने की उनकी भावनाओं को समझ ही नही सके और अटल जी को खुलकर सपोर्ट ही नही किया, जिस वजह से इस बार कांग्रेस के नेतृत्व में यू.पी.ए. गठबंधन ने सफलता हासिल की और सरकार बनाने में सफल रही और उसके बाद कांग्रेस राज में घोटालों का एक लम्बा दौर चला और हमारा भारत देश जो अटल जी के राज में एक परमाणु सम्पन्न व शक्तिशाली देश बनने की ओर अग्रसर था वो मिलों पीछे हो गया।

दिसंबर 2005 में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने सक्रीय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। कांग्रेस ने एक के बाद एक घोटालों की लाईन लगा कर भारत देश को अन्दर से खोखला कर दिया। मंहगाई बढ़ती चली गई। गरीब और गरीब होता चला गया और पूंजीपति बैंको से घोटाले करके और अमीर होते चले गए। बैंकों के NPA कम्पनियों की लिस्ट बढ़ती चली गई। कांग्रेस नेताओं और पूंजीपतियों का काला धन स्विस बैंकों में जमा होता चला गया। इस सिलसिले को बाद में 2014 में श्री नरेन्द्र मोदी भाजपा सरकार ने तोड़ा और हमारे आज के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने अटल जी के अधूरे पड़े कामों को काफी हद तक पूरा किया हैं और आगे आने वाले दिनों में अटल जी के ही समान देशभक्त हमारे मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी अटल जी के सपनो का एक नया भारत बनायेंगे।

मृत्यु 
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मगर अटल जी अपने सपनों के भारत को बनते देखते हुए और एक लंबी बीमारी से जूझते हुए दिल्ली के AIIMS हस्पताल से 16 अगस्त 2018 को शाम 5.05 बजे सभी देशवासियों की प्राथनाओँ के बावजूद इस दुनियां को छोड़कर प्रभु चरणों में लीन हो गए।

अटल जी गये हैं, मगर उनका विश्वास अभी तक जिंदा हैं ....

अब हम देशवासियों का ये कर्तव्य हैं कि जो गलती हमने अटल जी के समय में की थी, वो गलती अब ना करें और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को स्पोर्ट करें व मोदी जी को अटल जी के सपनों का नया भारत बनाने में अपना सहयोग करें।

🙏 🙏

मौत खड़ी थी सर पर 
किसी इंतजार में थी ....
ना झूकेगा ध्वज मेरा 
15 अगस्त के मौके पर ....

तू ठहर ज़रा इंतजार कर तो
लहराने दे बुलंद इस तिरंगे को ....

एक दिन और लड़ूंगा मैं
अपनी ओर आती इस मौत से ....

मंजूर नही होगा कभी मुझे ये
झुके तिंरगा स्वतंत्रता दिवस मौके पे ....

मौत तुझे गर आना ही हैं तो आ
बस एक दिन और ठहर जा ....

मेरे देशवासी भीगी आँखों से
आज़ादी का जशन मनाएं ....
ये ना मुझे मंजूर कभी होना
ऐ मौत ज़रा तू रुक कर आना .....
😢😢

भारत रत्न का एक वास्तविक हकदार ,
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी ।

     🙏   कोटि-कोटि नमन   🙏

........ विजेता मलिक




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