रक्षाबंधन
चार वर्ण के चार मुख्य त्यौहार हैं.....
१-रक्षाबंधन ब्राह्मण.
2-दशहरा क्षत्रिय का.
3-दीपावली वैश्य का.
4-होली शूद्र का.
त्यौहार है अलग-अलग, मगर चारों वर्ण ये चारों त्योहारों को एक साथ मनाकर राष्ट्रीय एकता का संकल्प दोहराते हैं.....
सबसे पहले लक्ष्मी जी ने दैत्यराज वलि को राखी बाँधी थी, तबसे यह परम्परा चली आ रही है......
✍सर्वप्रथम किसने बांधी राखी किस को और क्यों ??
👉लक्ष्मी जी ने सर्वप्रथम बलि को बांधी थी।
ये बात हैं जब की
जब दानबेन्द्र राजा बलि अश्वमेध यज्ञ करा रहें थे,
तब नारायण ने राजा बलि को छलने के लिये वामन अवतार लिया और तीन पग में सब कुछ ले लिया,
तब उसे भगवान ने पाताल लोक का राज्य रहने के लिये दें दिया,
तब उसने प्रभु से कहा की कोई बात नहीँ मैं पाताल लोक में रहने के लिये तैयार हूँ,
पर मेरी भी एक शर्त होगी,
भगवान अपने भक्तो की बात कभी टाल नहीँ सकते,
उन्होने कहा ऐसे नहीँ प्रभु आप छलिया हो पहले मुझे वचन दें की जो मांगूँगा वो आप दोगे,
नारायण ने कहा दूँगा दूँगा दूँगा ।
जब त्रिबाचा करा लिया तब बोले बलि,
की मैं जब सोने जाऊँ तो जब उठूं तो जिधर भी नजर जाये उधर आपको ही देखूं,
नारायण ने अपना माथा ठोका और बोले इसने तो मुझे पहरेदार बना दिया हैं। ये सब कुछ हार के भी जीत गया है,
पर कर भी क्या सकते थे वचन जो दें चुके थे।
ऐसे होते होते काफी समय बीत गया,
उधर बैकुंठ में लक्ष्मी जी को चिंता होने लगी नारायण के बिना,
उधर नारद जी का आना हुआ,
लक्ष्मी जी ने कहा नारद जी आप तो तीनों लोकों में घूमते हैं, क्या नारायण को कहीँ देखा आपने?
तब नारद जी बोले की पाताल लोक में हैं राजा बलि की पहरेदार बने हुये हैं,
तब लक्ष्मी जी ने कहा मुझे आप ही राह दिखाये की कैसे मिलेंगे,
तब नारद ने कहा आप राजा बलि को भाई बना लो और रक्षा का वचन लो और पहले तिर्बाचा करा लेना दक्षिणा में जो मांगुगी वो देंगे,
और दक्षिणा में अपने नारायण को माँग लेना,
लक्ष्मी जी सुन्दर स्त्री के भेष में रोते हुये पहुँची,
बलि ने कहा क्यों रो रहीं हैं आप,
तब लक्ष्मी जी बोली की मेरा कोई भाई नहीँ हैं, इसलिए मैं दुखी हूँ,
तब बलि बोले की तुम मेरी धरम की बहिन बन जाओ,
तब लक्ष्मी ने तिर्बाचा कराया,
और बोली मुझे आपका ये पहरेदार चाहिये,
जब ये माँगा,
तो बलि पीटने लगे अपना माथा,
और सोचा ....
धन्य हो माता पति आये सब कुछ लें गये,
और ये महारानी ऐसी आयीं की उन्हे भी लें गयीं।
तब से ये रक्षाबन्धन शुरू हुआ था
और इसी लिये जब कलावा बाँधते समय मंत्र बोला जाता हैं
येन बद्धो राजा बलि दानबेन्द्रो महाबला
तेन त्वाम प्रपद्यये रक्षे माचल माचल:
ये मंत्र हैं ....
रक्षा बन्धन अर्थात बह बन्धन जो हमें सुरक्षा प्रदान करे
सुरक्षा किस से
हमारे आंतरिक और बाहरी शत्रुओं से रोग ऋण से।
राखी का मान करे।
अपने भाई बहन के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना रखे।
इसे सिर्फ एके फैशन ना बनाये।
🙏🏽🙏🏽😊😊
रक्षाबंधन के पावन पर्व पर सभी देशवासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं.....
....... विजेता मलिक