बुद्ध पूर्णिमा

बुद्ध पूर्णिमा
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विष्णु जी के 9वें अवतार हैं भगवान बुद्ध । बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। बुद्ध जी ने आज ही के दिन बोधगया में पीपल के पेड़ के नीचे बुद्धत्व हासिल किया था। इसके अलावा बुद्ध जी आज ही यूपी के गोरखपुर से कुशीनगर में महानिर्वाण के लिए प्रस्थान किए थे।

बुद्ध पूर्णिमा पर गंगा स्नान का है विशेष महत्व।

भगवान बुद्ध को इसी दिन हुई बुद्धत्व की प्राप्ति, उनके उपदेश आज भी हैं प्रासंगिक।

वैशाख महीने की पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस साल बुद्ध पूर्णिमा 30 अप्रैल यानी सोमवार को है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। बुद्ध जी ने आज ही के दिन बोधगया में पीपल के पेड़ के नीचे बुद्धत्व हासिल किया था। इसके अलावा बुद्ध जी आज ही यूपी के गोरखपुर से कुशीनगर में महानिर्वाण के लिए प्रस्थान किए थे। इसलिए बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों के लिए बुद्ध पूर्णिमा बहुत ही खास है। बौद्ध धर्म के अनुयायी दुनियाभर के कई देशों में फैले हुए हैं। इनमें श्रीलंका, चीन, कंबोडिया, वियतनाम, थाईलैंड, नेपाल, मलयेशिया, म्यांमार और इंडोनेशिया प्रमुख देश हैं। इस तरह से बुद्ध पूर्णिमा को दुनिया के कई देशों में बड़ी ही धूमधाम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है।

हिंदू धार्मिक ग्रंथों में भगवान बुद्ध को विष्णु जी का 9वां अवतार बताया गया है। इसलिए हिंदू धर्म के लोगों के लिए भी बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व है। बुद्ध पूर्णिमा या वैशाख पूर्णिमा के दिन तमाम हिंदू वर्त रखते हैं और भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन गंगा करने की भी परंपरा है। कहते हैं कि वैशाष पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को उसके पाप कर्मों से छुटकारा मिलता है। व्यक्ति अधर्म छोड़कर धर्म के कार्यों में लग जाता है।

बौद्ध धर्मावलंबी बुध्द पूर्णिमा के दिन सफेद वस्त्रों को धारण करते हैं। ये लोग बोद्ध विहारों या मठों में एकजुट होते हैं। इसके बाद सामूहिक रूप से भगवान बुद्ध की आराधना करते हैं। इन धर्मावलंबियों के बीच बुद्ध जी द्वारा दिए गए ज्ञान को साझा किया जाता है। ये सभी अनुयायी बड़ी ही श्रद्धा के साथ उस ज्ञान को सुनते हैं और उसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं।

बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती

वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं। यह गौतम बुद्ध की जयंती है और उनका निर्वाण दिवस भी। इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। आज बौद्ध धर्म को मानने वाले विश्व में 50 करोड़ से अधिक लोग इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं। अतः हिन्दुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है।

इसी कारण बिहार स्थित बोधगया नामक स्थान हिन्दू व बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थान हैं। गृहत्याग के पश्चात सिद्धार्थ सात वर्षों तक वन में भटकते रहे। यहाँ उन्होंने कठोर तप किया और अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई। तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है।

बुद्ध पूर्णिमा के समारोह व पूजा विधि

बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बुद्ध पूर्णिमा सबसे बड़ा त्योहार का दिन होता है। इस दिन अनेक प्रकार के समारोह आयोजित किए गए हैं। अलग-अलग देशों में वहाँ के रीति- रिवाजों और संस्कृति के अनुसार समारोह आयोजित होते हैं।

-श्रीलंकाई इस दिन को 'वेसाक' उत्सव के रूप में मनाते हैं जो 'वैशाख' शब्द का अपभ्रंश है।
-इस दिन बौद्ध घरों में दीपक जलाए जाते हैं और फूलों से घरों को सजाया जाता है।
-दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं और प्रार्थनाएँ करते हैं।
-बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथों का निरंतर पाठ किया जाता है।
-मंदिरों व घरों में अगरबत्ती लगाई जाती है। मूर्ति पर फल-फूल चढ़ाए जाते हैं और दीपक जलाकर पूजा की जाती है।
-बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है। उसकी शाखाओं पर हार व रंगीन पताकाएँ सजाई जाती हैं। जड़ों में दूध व सुगंधित पानी डाला जाता है। वृक्ष के आसपास दीपक जलाए जाते हैं।
-इस दिन मांसाहार का परहेज होता है क्योंकि बुद्ध पशु हिंसा के विरोधी थे।
-इस दिन किए गए अच्छे कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है।
-पक्षियों को पिंजरे से मुक्त कर खुले आकाश में छोड़ा जाता है।
-गरीबों को भोजन व वस्त्र दिए जाते हैं।
-दिल्ली संग्रहालय इस दिन बुद्ध की अस्थियों को बाहर निकालता है जिससे कि बौद्ध धर्मावलंबी वहाँ आकर प्रार्थना कर सकें।

बुद्ध पूर्णिमा की आप सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं ..........

........... विजेता मलिक

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