चौधरी बंसीलाल

चौधरी बंसीलाल
~~~~~~~~~

श्री बंसीलाल; हरियाणा के भिवानी जिले के गोलागढ़ गांव के जाट परिवार में जन्मे इस हरियाणा के कद्दावर नेता को आज भी लोग सम्म्मान के साथ याद करते हैं। बंसीलाल का जन्म हरियाणा के भिवानी ज़िले में एक तत्कालीन लोहारू रियासत में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था बंसीलाल के पिता बच्चों की अधिक शिक्षा के पक्ष में नहीं थे। इसीलिए थोड़ी आरम्भिक शिक्षा के बाद 14 वर्ष की उम्र में ही बंसीलाल को अनाज के व्यापार में जोत दिया गया। पिता की अनुमति न मिलने पर भी बंसीलाल ने अध्ययन जारी रखा और 1952 तक प्राइवेट परीक्षाएँ देते हुए बी.ए. पास कर लिया। फिर उन्होंने 1956 में पंजाब विश्वविद्यालय से क़ानून की डिग्री ले ली। भिवानी में वकालत करते हुए बंसीलाल पिछड़े हुए किसानों के नेता बन गए। बंसीलाल ने कांग्रेस की अनेक स्थानीय समितियों में भी स्थान बना लिया और 31 मई 1968 को वह 41 वर्ष की आयु में सबसे कम उम्र के राज्य के मुख्यमंत्री बने, उस समय किसी ने भी, यहां तक कि उनके राजनितिक गुरुओं ने भी कल्पना नहीं की कि वह देश के सबसे शक्तिशाली राजनेताओं में से एक बन के उभरेंगे। उन्होंने हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य पर इतना ज्यादा प्रभाव डाला था कि वह समय समय पर नीचे जरूर जाते पर हरियाणा की राजनीती से कभी बहार नहीं हुए।

श्री बन्सी लाल जी के राजनीतिक जीवन को तीन चरणों में सारांशित किया जाता है। अपने मुखयमंत्री बनने के शुरुआती दिनों में ही उन्होंने राज्य के विकास, गांव गांव बिजली और सडकों का जाल बिछाने में अपना पूरा योगदान दिया। वह विकास में बुनियादी ढांचे के महत्व को समझने वाले पहले व्यक्ति थे। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि हरियाणा आज गोवा में प्रति व्यक्ति आय के बाद दूसरे स्थान पर है।

राजनीतिक जीवन :-

भिवानी में वकालत करते हुए बंसीलाल पिछड़े हुए किसानों के नेता बन गए। बंसीलाल ने कांग्रेस की अनेक स्थानीय समितियों में भी स्थान बना लिया। 1960 में वे राज्यसभा के सदस्य चुने गए। इस प्रकार उन्हें केन्द्रीय स्तर के नेताओं के सम्पर्क में आने का अवसर मिला।

 राज्यसभा की सदस्यता काकार्यकाल पूरा होने पर वे हरियाणा की राजनीति में वापस आ गए और 1967 से 1975 तक विधान सभा के सदस्य रहे।

हरियाणा के मुख्यमंत्री :-

बंसीलाल 1968, 1972 1986 और 1996 में चार बार हरियाणा के मुखयमंत्री बने। वे 31 मई 1968 को पहली बार हरियाणा के मुखयमंत्री बने और उस पद पर 13 मार्च 1972 तक बने रहे। 14 मार्च 1972 को, उन्होंने दूसरी बार राज्य में शीर्ष पद धारण लिया और 30 नवम्बर 1975 तक पद पर बने रहे। उन्हें 5 जून 1986 से 19 जून 1987 तक एवं 11 मई 1996 से 23 जुलाई 1999 तक तीसरी और चौथी बार मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया।

बंसीलाल राज्य विधानसभा के लिए सात बार चुने गए, पहली बार 1967 में कुछ समय के लिए चुने गए। 1966 में हरियाणा के गठन के बाद राज्य काअधिकांश औद्योगिक और कृषि विकास, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे का निर्माण लाल की अगुआई के कारण ही हुआ। वे 1967, 1968, 1972, 1986, 1991 और 2000 में सात बार राज्य विधानसभा के लिए चुने गए। साठ के दशक के अंत में और सत्तर के दशक में मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान वे हरियाणा में सभी गांवों में बिजलीकरण के लिए जिम्मेदार थे। वे राज्य में राजमार्ग पर्यटन के अग्रदूत थे - यह वह मॉडल था जिसे बाद में कई राज्यों के द्वारा अपनाया गया। कई लोगों द्वारा उन्हें एक "लौहपुरुष" माना जाता है जो हमेशा वास्तविकता के करीब थे और जिन्होंने समुदाय के उत्थान में गहरी दिलचस्पी ली।

बंसीलाल ने 2005 में विधानसभा चुनावों में भाग नहीं लिया लेकिन उनके पुत्र सुरेंद्र सिंह एवं रणवीर सिंह महेंद्र राज्य विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। सुरेन्द्र सिंह की 2005 में उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के पास एक हेलीकाप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई।

मंत्री पदभार :-

 1968 में वे हरियाणा के मुख्यमंत्री बने और 1975 तक रहने के बाद इंदिरा गांधी ने उन्हें रक्षामंत्री बना दिया।

  बंसीलाल 31 मई 1968 को पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने और 13 मार्च, 1972 तक पद पर रहे।

  बंसीलाल को 14 मार्च 1972 को दूसरी बार राज्य में शीर्ष पद दिया और 30 नवंबर, 1975 तक पद पर बने रहे।

बंसीलाल 5 जून, 1986 से 19 जून, 1987 तक 11 मई, 1996 से 23 जुलाई, 1999 तक तीसरी और चौथी बार मुख्यमंत्री नियुक्त किये गये थे।

1977 ई. के चुनाव में जनता पार्टी की विजय के बाद चुनाव में हारे बंसीलाल पर सौ से अधिक आरोप लगाकर उनकी जाँच अनेक कमीशनों को सौंपी गई। पर कुछ सिद्ध नहीं किया जा सका और 1980 के चुनावों में कांग्रेस की विजय के बाद सब जाँच समाप्त कर दी गईं।

अपने मुख्यमंत्रित्व में बंसीलाल ने हरियाणा में कृषि, सिंचाई, विद्युत, शिक्षा, स्वास्थ्य और यातायात के क्षेत्र में इतना काम किया कि, उससे हरियाणा उन्नति के मार्ग में कई क़दम आगे बढ़ गया।

राजनितिक सफरनामा :-

स्वतंत्रता सेनानी के रूप में, वे 1943 से 1944 तक लोहारू राज्य में परजा मंडल के सचिव थे।

लाल 1957 से 1958 तक बार एसोसिएशन, भिवानी के अध्यक्ष थे। वह 1959 से 1962 तक जिला कांग्रेस कमेटी, हिसार के अध्यक्ष थे और बाद में वे कांग्रेसकार्यकारिणी समिति तथा कांग्रेस संसदीय बोर्ड केसदस्य बने।

वे 1958 से 1962 के बीच पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के सदस्य थे।

वे 1980-82 के बीच संसदीय समिति और सरकारी उपक्रम समिति और 1982-84 के बीच प्राक्कलन समिति के भी अध्यक्ष थे।

31 दिसम्बर 1984 को वे रेल मंत्री और बाद में परिवहन मंत्री बने.

पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री स्वर्गीय चौधरी बंसी लाल जी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन्।

........ विजेता मलिक

Popular posts from this blog

वक्त आने पर बता देंगे तुझे ऐं आसमां

वीरांगना झलकारी बाई

मेजर शैतान सिंह भाटी जी